Radhika : Krishan : Darshan

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Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
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Pratham Media.
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Presentation.
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https://drmadhuptravel.blogspot.com/2025/03/radhika-krishan-darshan.html
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आवरण पृष्ठ : ०.
 
राधाकृष्ण : दर्शन.
*

मेरो तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोय. 
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विषय सूची.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.
आवरण पृष्ठ : पृष्ठ :०.
विषय सूची : पृष्ठ : ०.
सुबह और शाम : शाम. दैनिक अनुभाग पृष्ठ :०.
राधिका कृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : आज : पृष्ठ : ०. 
राधिका कृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में :  आज : पृष्ठ : ०.
सम्पादकीय : पृष्ठ : १.
टाइम्स मीडिया.शक्ति * समर्थित. सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ : १ / १ .
एम. एस. मीडिया.शक्ति * समर्थित. सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ : १ /२.
प्रथम मीडिया.शक्ति * समर्थित. सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ : १ / ३ .
ए एंड एम मीडिया शक्ति. प्रस्तुति. सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ : १ /४.  
राधिका कृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : कल : पृष्ठ : २. 
राधिका कृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में : कल : पृष्ठ : ३.
मुझे भी कुछ कहना है : समसामयिकी. पृष्ठ :. 
आपने कहा : पृष्ठ : ६.
*


दैनिक / अनुभाग. ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
*

 स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.

दैनिक अनुभाग.   
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       सुबह सवेरे : शाम. पृष्ठ : .
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार. 
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', सम्यक ' वाणी ' और सम्यक ' कर्म ' 
आज दैनिक अनुभाग. 

*
दिव्य अनंत शिव शक्ति. 

*
दर्शन डयोढ़ी : राधिका कृष्ण : पृष्ठ : ०.  

एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति. 

दिव्य अनंत शिव शक्ति. 
दर्शन डयोढ़ी : राधिका कृष्ण : पृष्ठ : ०.  

महा शक्ति मीडिया प्रस्तुति 
राधिका : कृष्ण दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :०.


राधा रमण : हरि : गोपाल बोलो.



शब्द सम्हारे बोलिए,
*
कबीरदास

शब्द सम्हारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव।
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव।।​

*
सत्यमेव जयते

' सच ' बोले मगर ' सोच - समझ ' कर ' मधुर ' बोलें ' कड़वा ' नहीं 
सत्य ' परीक्षित ' है ,' विजित ' है  तो इसका ' सत्यमेव जयते ' होना ही है

*
' सब्र ' है क्योंकि ' यकीन ' है मुझे तुम पर 
कोई तो है जो सबकुछ सही कर देगा 

*
सम्यक साथ ' सत्य 'और समय 
*
दुर्जनों के ' परित्याग ' में क्षण भर का ' विलम्ब ' मत करो 
तुम केवल सम्यक ' साथ ' ढूँढो 
तुम्हारी ' सोच ' , ' दृष्टि ' और ' वाणी ' स्वतः समृद्ध हो जाएगी 

शक्ति. प्रीति डॉ. सुनीता मधुप अनुभूति .  

*

यदि आप आर्य जनों के लिए ' सम्यक ' है ' सहिष्णु ' हैं  
साथ में सम्यक ' दृष्टि ' , ' वाणी ' और ' कर्म ' रखते है 
तो माधव में ' विश्वास ' रखें : मैं हूँ ना ?
*
शक्ति. प्रिया डॉ. सुनीता मधुप.  


 टाइम्स मिडिया शक्ति.संपादन.
राधिका : कृष्ण : दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :०.


सुख दुःख : निवारण : मुक्ति 

*
सुख दुःख : निवारण : मुक्ति. 

मृत्यु  के पश्चात्  दुःख से ' मुक्ति ' सुख दिलवाने का ठेका तो सभी ' धर्मों ' के पास सिद्ध है
भले ही आप जिंदा रहते हुए ' दुख ' से ही क्यों न मर जाएं, इसे निषिद्ध करने के  लिए 
सार्थक प्रयास किसके पास है ? तनिक विचार करें 
*
कर्म : जीवन 

कोई मिलने आये या ना आए एक न एक दिन 
आपके ' कर्म ' आपसे मिलने जरूर आयेंगे 

*
भगवान : समस्या : समाधान 

भगवान से न कहो कि ' समस्या ' विकट है 
' समस्या ' से कहो कि भगवान मेरे निकट है 
*
समय : स्वभाव : परिवर्तन 

कुछ पा लेना जीत नहीं 
कुछ खो देना हार नहीं केवल ' समय ' का प्रभाव है 
' परिवर्तन ' तो ' समय ' का ' स्वभाव ' है  
*
' संतुष्टि ' और ' कष्ट '

जिंदगी जीने के बहुत से ' तरीके ' हैं ,लेकिन 
सर्वश्रेष्ठ तरीका वही है जिससे स्वयं को ' संतुष्टि ' मिले और 
दूसरे आर्यजनों को ' कष्ट ' न पहुँचे 

राधिका : कृष्ण दर्शन : पृष्ठ :०.


कुमार विश्वास : दृश्यम : पंक्तियाँ
पायी न रुक्मणि सा धन वैभव
सम्पदा को ठुकरा गयी राधा

प्रथम मिडिया शक्ति. समर्थित. पृष्ठ :०.

ईश्वर : भाग्य : कर्म : 

जो है उसे स्वीकार करो : जो था उसे जाने दो 
और जो होगा उस पर विश्वास रखो
*
प्रथम मिडिया शक्ति. दृश्यम पृष्ठ :०.
हरि अवतार : श्री राम कृष्ण की ही सर्वाधिक पूजा क्यों 
*


ए एंड एम शक्ति समर्थित.शिमला डेस्क :  पृष्ठ :०.  
 
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राधिका : कृष्ण : दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :०.
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कवयित्री : मनु वैशाली : साभार


दृश्यम : तथ्य कर्म के जीवन के सार शोध कृष्ण है
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दिन विशेष : आज :पृष्ठ : ०.
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : २१ जून. 


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योग व्यायाम ही नहीं,
आत्मा को समझने जानने का चिंतन मनन है, 
सम्यक जीवन जीने का प्रयास है
योग अपनाये  निरोग हो जाए 
*
प्रथम मिडिया  शक्ति समर्थित.दिन विशेष : पृष्ठ : ०.
*
संपादन. शक्ति नैना / नैनीताल डेस्क 


जीवन के ' सुर ', ' ताल ' और ' ध्वनि ', मधुप, संगीत मय व मधुर हो 
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आज का गीत : जीवन संगीत : पृष्ठ : ०.
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मेरी पसंद 
डॉ. अनीता सीमा सुनीता श्वेता नैना श्रद्धा हिमानी 
सिया राम भजन :
संदर्भित गीत.
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फिल्म : राम तेरी गंगा मैली : १९८५.
गाना : एक राधा एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा
सितारे : दिव्या. राजीव कपूर. मन्दाकिनी.


गीत : इंदीवर संगीत : इंदीवर गायक : लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : कोलाज  : आज : पृष्ठ : ० .
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संपादन. 
शक्ति. तनु अर्चना रश्मि बीना जोशी. नैनीताल. 
 कृष्ण शक्ति दर्शन : कोलाज :
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एक राधा एक मीरा : एक प्रेम दीवानी एक दरश दीवानी : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति* भावना.

*
 राधिका कृष्ण : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ ० 
*

*
 शक्ति. डॉ.मीरा श्रीवास्तवा. पुणे. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.रीता रानी . जमशेदपुर. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.क्षमा कौल.जम्मू. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.प्रीति सहाय. पुणे.कवयित्री. लेखिका.
*
सम्पादकीय शक्ति आलेख  : पृष्ठ ० 
मोक्ष का व्यावहारिक अर्थ आत्मज्ञान या ' परमज्ञान ' को
आत्मसात कर लेना :
यात्रा : अध्यात्म : धर्म : यथार्थ



डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह. 
रायपुर. 
भा. व. से. 
लेखक : उत्तराखंड विशेष 
*

मोक्ष का व्यावहारिक अर्थ होता है आत्मज्ञान या परमज्ञान का आत्मसात कर लेना

हिन्दू धर्म कि मान्यता अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्म मोक्ष के लिए हुआ है। मोक्ष का व्यावहारिक अर्थ होता है आत्मज्ञान या परमज्ञान का आत्मसात कर लेना। इसे योग में समाधि, जैन धर्म में कैवल्य, बौद्ध धर्म में निर्वाण प्राप्त करना कहा जाता है। धर्म के सारे उपक्रम, रीति रिवाज या परंपरा इसी के लिए है। उसमें से एक है तीर्थ यात्रा करना। हिन्दुओं के लिए तीर्थ करना बड़ा ही पुण्य कर्म माना गया है, इसका उद्देश्य ईश्वर के करीब रहने की अनुभूति करना है।
भारत के प्राचीन मंदिरों का निर्माण वास्तु के अनुसार किया गया है। मंदिरों की बनावट ऐसी है, जहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमेशा बना रहता है। मंदिर में आने वाले भक्तों के नकारात्मक विचार नष्ट होते हैं और सकारात्मक सोच बनती है। मंदिरों और तीथों को ऊर्जा का केन्द्र माना जाता है। इसी वजह से मंदिर या तीर्थ पर जाने से हमारे मन को शांति मिलती है तथा यात्री नई ऊर्जा के साथ यात्रा से लौटकर पूरी उत्साह के साथ काम कर पाते हैं।
आमतौर पर प्राचीन तीर्थ और मंदिर अधिकतर ऐसी जगहों पर बनाएं गए हैं, जहां का प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ एवं शांतिप्रिय होता है। वहां तक पहुंचने के लिए यात्रियों को शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है जिसका स्वास्थ्य लाभ भी होता है। घंटी की आवाज नकारात्मक सोच को खत्म करती है।
प्राचीन तीर्थस्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान तो बढ़ता ही है साथ ही देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं, मान्यताएं और परंपराओं की जानकारी भी होती है। प्राचीन इतिहास और संस्कृति को जानने का सुखह अहसास भी होता है। आसपास रहने वाले समुदाय विशेष एवं उनके रीति-रिवाजों को जानने का अवसर भी मिलता है। यात्राओं से हमें नए-नए अनुभव तो प्राप्त होते ही हैं साथ ही हमारे भीतर सोचने एवं समझने की तार्किक क्षमता का भी विकास होता है।
उम्मीद है... कि यात्रा वृत्तांत के साथ आपका मन भी तीर्थयात्रा करने के लिए लालायित हो जायेगा। आप प्रकृति के गोद में बसे तीर्थस्थलों एवं उनकी मनोरम सुंदरता के दर्शन हेतु हमेशा प्रयत्नशील रहेंगे।

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हरि अनंत हरि कथा अनंता : राम कृष्ण 
यात्रा संस्मरण : बद्री विशाल : श्री लक्ष्मी नारायण : पंच बद्री :  गतांक से आगे : १ 
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डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह. रायपुर. 
भा. व. से. 
लेखक : उत्तराखंड विशेष

भगवान बद्री विशाल में मेरी हम सभी की आस्था है। मैं दो बार जा भी चुका हूँ। हालाँकि मैं मुझको कहां ढूंढे रे बंदें मैं तो तेरे पास में जैसी कबीर पंथी विचार धारा में विश्वास रखता हूँ। घट घट में भगवान है। उनसे मिलने की कहीं कोई बंदिशें नहीं हैं। बस पवित्र संकल्पित मन से कर्म करते रहें। सज्जन साधु जन  की खोज में सदैव रहें। सम्यक साथ ही समस्या मूलक जीवन से विकार निकालता रहेगा। ऐसा ही विश्वास रखें। 
पंच बद्री में केवल पांच मंदिर शामिल हैं। इनमें अर्द्धबद्री और ध्यान बद्री या कभी-कभी वृध बद्री को छोड़ दिया जाता है। कभी-कभार नरसिंह बद्री, सप्त बद्री या पंच बद्री की सूची में शामिल रहता है। 
विष्णु के निवास अलकनंदा नदी घाटी, सतपंथ से शुरू होते हुए बद्रीनाथ के ऊपर लगभग २४  किलोमीटर दक्षिण में नंदप्रयाग तक फैला हुआ क्षेत्र, विशेष रूप से बद्री-क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। वर्ष २०१०  के मई महीने में हम लोगों ने सतोपंत जाने का विचार किया। 
किन्तु अत्याधिक बर्फ गिरने के कारण हम लोग माना गांव के आगे वसुंधरा जलप्रपात से आगे नहीं बढ़ सके। अतः हम लोगों ने पंचबद्री की यात्रा पूर्ण की। पंचबद्री का यात्रा वृतान्त निम्नानुसार है

बद्रीनाथ : पहला दिन: हरिद्वार से जोशी मठ.


पहाड़ : प्रकृति : प्रेम : जीवन : अध्यात्म, सन्यास और पुनर्जन्म : फोटो : 
शक्ति. सुजाता शैलेन्द्र. 

हरिद्वार में सुबह जल्दी उठकर हरी की पौड़ी पर गंगा स्नाना एवं पूजा अर्चना करने के बाद नाश्ता कर भाई की गाड़ी से ऋषिकेश होते हुए बद्रीविशाल के दर्शन हेतु बद्रीनाथ प्रस्थान किया। जोशी मठ पहुंचने के उपरांत हम लोग नरसिंह मंदिव में दर्शन करने हेतु रुके। जोशीमठ में नरसिम्हा नरसिंह के मौजूदा मंदिर को नरसिंह बद्री  भी कहा जाता है। 
इस मंदिर  में नरसिंह की मुख्य प्रतिमा, कश्मीर के राजा ललितादित्य  के शासनकाल के दौरान आठवी शताब्दी में  शालीग्राम पत्थर  से निर्मित की गई थी। कुछ लोगों का मानना है कि मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है। यह मूर्ति १०  इंच या २५  सेमी ऊंची है और भगवान को कमलासन स्थिति में बैठे दर्शाया गया है।

इस मूर्ति का एक हाथ समय के साथ कमजोर हो रहा है और अंत में गिर पड़ेगा। जब हाथ नहीं रहेगा तो बद्रीनाथ  का मुख्य मंदिर दुनिया के लिए बंद हो जायेगा और बद्रीनाथ  भविष्य  बद्री मंदिर में बदल जायेंगे। इस प्रलय के साथ कलियुग खत्म हो जाएगा और सत्य युग की शुरूआत होगी। फिर बद्रीनाथ मंदिर पुन स्थापित हो जाएगा। 
जब बद्रीनाथ  मदिर को सर्दियों में बंद कर दिया जाता है, तो बद्रीनाथ के पुजारी इस मंदिर में रहने लगते है। केंद्रीय नरसिंह  मूर्ति के साथ-साथ मंदिर में  बद्रीनाथ की भी एक मूर्ति है जिसकी  पूजा बद्रीनाथ के पुजारियों के द्वारा की जाती है। जोशी मठ में नरसिम्हा मंदिर में दर्शन करने के बाद हम लोग बद्रीनाथ मंदिर के लिए खाना हुए।
आगे जारी 

 
स्तंभ संपादन : सह लेखन : शक्ति*.प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
फोटो : शक्ति सुजाता शैलेन्द्र. 
साभार : कैलाश मानसरोवर यात्रा 
*


रीसेंट डायगनोस्टिक : जाँच घर : बिहार शरीफ : डॉ अखिलेश कुमार : समर्थित  
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मन पावन मन भावन जो यमुना में नहाय.


निर्दोष, निर्मल, दुग्ध धवल,और स्वच्छ होना ही होगा :यमुनोत्री दर्शन : फोटो : शक्ति. दया जोशी
*
राधिका कृष्ण सदा सहायते की तरह आपको भी आर्य जनों के लिए समर्थक होना चाहिए।
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसा हम रोए, ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोए
लेखन : शक्ति. प्रिया डॉ. सुनीता मधुप.
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मन चंगा तो कठौती में गंगा : मन में ही तीर्थ है। मन में ही धरम करम है। सदैव सत्कर्म करते रहो। सम्यक ' समय ' ,साथ ' और ' सत्य ' की खोज में लगे रहो।   दुर्जनों के ' परित्याग ' में क्षण भर का ' विलम्ब ' मत करो तुम केवल सम्यक ' साथ 'ढूँढो  तुम्हारी ' सोच ' , ' दृष्टि ' और ' वाणी ' स्वतः समृद्ध हो जाएगी, मेरा मानना है।  प्रयत्न ऐसा करो कि तुम किसी का भला न कर सको तो बुरा कदापि न करो। स्वर्ग नरक, कर्मों का लेखा जोखा यही होना है।
भगवान कृष्ण और यमुना नदी : कृष्ण के लिए यमुना तट प्रिय रहे। मथुरा ,गोकुल यमुना किनारे माधव की समस्त लीलाओं के साक्षी रहे है। कृष्ण बंशी की धुन में ही गोपियों संग जीवन के संयोग - वियोग  का राग ढूंढते रहें। पिछले दिनों  मैं यमुनोत्री की यात्रा पर था मन पावन ,मन भावन जो यमुना में नहाय।
भगवान कृष्ण और यमुना नदी का गहरा संबंध है। कृष्ण के जन्म के बाद, उनके पिता वासुदेव नवजात शिशु कृष्ण को गोकुल ले जाते समय यमुना नदी को पार करते हैं। यमुना नदी को देवी माना जाता है और यह भी माना जाता है कि वह कृष्ण की पत्नी थीं।
कृष्ण और यमुना नदी का संबंध : वासुदेव द्वारा यमुना पार करना सब जानते है। कृष्ण के जन्म के बाद, वासुदेव उन्हें मथुरा से गोकुल ले जाते समय यमुना नदी को पार करते हैं। यमुना का कृष्ण के प्रति प्रेम:यमुना नदी को कृष्ण के प्रति बहुत प्रेम था और वह कृष्ण के चरण छूने के लिए उफनती थी, ऐसा पौराणिक कथाओं में वर्णित है। यमुना नदी में कालिया नाग नामक एक जहरीले सांप का वास था, जिसे कृष्ण ने हराया था। मुक्ति दिलवायी थी
यमुना नदी को कृष्ण की पत्नी : कालिंदी : यमुना का कृष्ण की पत्नी के रूप में वर्णन: कुछ मान्यताओं के अनुसार, यमुना नदी को कृष्ण की पत्नी माना जाता है, जिसे कालिंदी भी कहा जाता है। राधिका कृष्ण सदा सहायते की तरह आपको भी आर्य जनों के लिए समर्थक होना चाहिए।
सारतः यमुना नदी और कृष्ण का अटूट संबंध है, कभी न भूलने वाला । यमुना नदी : लहरें : बंशीवट की छैया : कृष्ण के जन्म, बाल लीलाओं और कालिया नाग के वध जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी हुई है। यमुना नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है और कृष्ण के प्रति उनका प्रेम बहुत गहरा है.

स्तंभ संपादन : सह लेखन : शक्ति*.प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
फोटो : शक्ति दया जोशी / नैनीताल. वनिता 


शक्ति. डॉ. राशि सिन्हा : स्त्री रोग विशेषज्ञ : मुजफ्फरपुर : बिहार समर्थित.

* किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित
*
पत्रिका अनुभाग.
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राधिकाकृष्ण : शक्ति : जीवन दर्शन : विचार संग्रह : आज : पृष्ठ :० . 
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नैनीताल : वृन्दावन : डेस्क :
सम्पादन :
'अनु ', ' राधा ' इंद्रप्रस्थ
*
राधिकाकृष्ण : शक्ति : जीवन दर्शन :
*
बिहारी. 
राधा मोहन-लाल को, जाहि न भावत नेह।
परियौ मुठी हज़ार दस, ताकी आँखिनि खेह॥
भावार्थ
जिनको राधा और कृष्ण का प्रेम अच्छा नहीं लगता, उनकी आँखों में दस हज़ार मुट्ठी धूल पड़ जाए। भाव यह कि जो राधा-कृष्ण के प्रेम को बुरा समझते हैं, उन्हें लाख बार धिक्कार है।
*
भव बाधा : माधव और राधा. 

एम. एस. मीडिया समर्थित 
राधा रानी : माधव की शक्ति. 


*
बिहारी. 
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँईं परै, स्यामु हरित-दुति होई।१।'
*
भावार्थ
कविवर राधा जी से प्रार्थना करते है जो बुद्धि, चतुराई और सुंदरता की प्रतीक हैं
कि वे उनके सांसारिक कष्टों और बाधाओं को दूर करें। अगली पंक्ति में, जैसे राधा के शरीर की छाया पड़ने से कृष्ण का रंग हरे रंग के हो जाते हैं ,राधा के प्रभाव से कृष्ण का प्रसन्न हो जाना स्वभाविक है
*
टाइम्स मिडिया समर्थित.
*  
*
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रुक्मिणीकृष्ण शक्ति : जीवन दर्शन : विचार संग्रह : आज : पृष्ठ :०
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द्वारिका.डेस्क.गुजरात


सम्पादन.  
शक्ति. झलक.अहमदाबाद. 
*
माना ' राधा ' ' प्रीत ' की ' मूरत ' है । 
पर मैं ' बांटू ' अपने कृष्ण को ऐसे भी नहीं मेरी ' सीरत ' है।।

*
शब्द चित्र : गीता : श्लोक : य एनं वेत्ति
*

गीता : श्लोक 
*
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते।।
... य एनं प्रकृतं देहिनं वेत्ति विजानाति हन्तारं
हननक्रियायाः कर्तारं यश्च एनम् अन्यो मन्यते ...
*
भावार्थ.
 
जो इस जीवात्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसे मरा हुआ समझता है,
वे दोनों ही अज्ञानी हैं क्योंकि आत्मा न तो मारता है न मारा जाता है।
जब देहधारी जीव को किसी घातक हथियार से आघात पहुँचाया जाता है तो यह समझ लेना चाहिए कि शरीर के भीतर का जीवात्मा मरा नहीं। आत्मा इतना सूक्ष्म है कि इसे किसी प्रकार के भौतिक हथियार से मार पाना असंभव है।
*
प्रथम मिडिया समर्थित 
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मीराकृष्ण  शक्ति : जीवन दर्शन : विचार संग्रह : आज : पृष्ठ :० 
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जोधपुर.डेस्क.राजस्थान.

 
सम्पादन.  
शक्ति.जया सोलंकी.जोधपुर. 
मीरा 

मीराबाई.  
 मेरे तो ' गिरिधर गोपाल ' दूसरो न कोई।
जाके सिर ' मोर ' मुकुट मेरो ' पति ' सोई।
*
रोम रोम में श्याम बसत है प्रेम न ढूँढू कही और 
प्रीत भई जब कृष्णा से तो कैसा जग का मोह 

---------
राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : लिंक : पृष्ठ : ०.  
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संपादन 
शक्ति. डॉ.सुनीता सीमा अनीता सिंह.
बड़ोदा. गुजरात 
  *
पूर्व प्रकाशित राधिकाकृष्ण  दृश्यम : 
पुराने विचार देखने के लिए नीचे दिए गए शक्ति लिंक को दवायें : लिंक : पृष्ठ : ०.

*
एम. एस. मीडिया समर्थित

स्वर्णिका ज्वेलर्स : बिहार शरीफ. समर्थित
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राधिकाकृष्ण : त्रि शक्ति दर्शन : चित्र विचार : आज : पृष्ठ : १  . 
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*
राधिकाकृष्ण : प्रेम रंग.
*
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : चित्र विचार : आज : पृष्ठ : १ .
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*
टाइम्स मीडिया. शक्ति* प्रस्तुति.
कोलकोता डेस्क  
अद्यतन *
*
राधिका कृष्ण  शक्ति भक्ति : दर्शन 
*
' इंतजार ' इतना करो की उसे ' आना ' पड़ें 
निःस्वार्थ ' प्रेम ' इतना करो की उसे ' अपनाना ' पड़े 
*

*

*
रामधारी सिंह दिनकर.

*
क्षमाशील हो रिपु -समक्ष तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही

( हस्तिनापुर : दुर्योधन का कृष्ण को बंदी बनाने का प्रयास )
*

एम. एस. मीडिया : शब्द चित्र शक्ति : आज : पृष्ठ : १ . 
नैनीताल डेस्क.प्रस्तुति 
*
कान्हा : ' मन ' चंचल अशांत 

कान्हा : मन ' अशांत ' है और ' नियंत्रित ' करना किंचित कठिन है 
किन्तु ' प्रयास ' करने से इसे ' शांत ' किया जा सकता है  
*
काहे को दुनियां बनाई 

*
किसके लिए ये दुनियां बनाई माधव... 
कौन नहीं यहाँ गुनाहगार है ?

कृष्ण ज्ञान : जो होगा वह ठीक ही होगा. 

जो है उसे ' स्वीकार ' करो जो था उसे ' जाने ' दो 
और जो ' होगा ' उस पर ' विश्वास ' रखो 
*
समझ : सहन शक्ति 

*
' नासमझी ' और अनावश्यक ' क्रोध ' करके वो सब ' मत ' गवाइएं 
जो आपने अपने ' जीवन ' में ' शमित ' हो कर ' अबतक ' कमाया है 
*
 प्रथम मीडिया शक्ति : नर्मदा डेस्क :प्रस्तुति. 
कृष्ण : वाणी 
व्यक्ति : जीवन : समस्या : समाधान. 

*
इस धरा पर कोई ' व्यक्ति ' ऐसा नहीं 
जिसको ' समस्या ' न हो  
ऐसी ' समस्या ' नहीं हैं जिसका कोई ' समाधान ' न हो 
*

सर्वव्यापी : अन्तर्यामी.
वो ' सब ' देख रहा है, ' सुन '  रहा है ,' समझ ' रहा है  ना ?
जब कोई लगे तुम्हारा कोई नहीं है , तब तुम ' मेरी ' तरफ देखना  
*
श्री हरि : विष्णु ही शिव है.


विष्णु रूपाय शिवाय : शिवाय विष्णु रूपाय
*
मंगलम् भगवान विष्णुः,मंगलम् गरुड़ध्वजः।
मंगलम् पुण्डरीकाक्षः,मंगलाय तनो हरिः
*
ए. एंड. एम. मिडिया शक्ति प्रस्तुति विचार
शिमला डेस्क  
*

राधिका कृष्ण : दर्शन : सबकी : मेरी पसंद  

*
जरुरी नहीं कि  हम सब को पसंद आए 
बस जिंदगी ऐसी जियो कि रब को पसंद आए 
*
परम ईश्वर 

*
 प्रयास और परिणाम. 
*
लोगों को ' परिणाम ' से मतलब होता है, ' प्रयास ' से नहीं 
और ' बिडंबना ' यह है कि हमारे हाथ में ' प्रयास ' है, परिणाम नहीं 
*
हो प्रेम की परिभाषा तुम ही 
है कृष्ण अधूरे राधा बिन राधा बिन सब कुछ ही 
©️®️ M.S.Media.
*

डॉ. संतोष कुमार. डेंटल एंड ओरल सर्जन. सोह सराय. बिहार शरीफ. समर्थित. 

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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : सतरंगी : कोलाज  : आज  : पृष्ठ :  ३.
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संपादन. 
शक्ति. तनु अर्चना रश्मि बीना जोशी. नैनीताल. 
 कृष्ण शक्ति दर्शन : कोलाज :
*
*
एक राधा एक मीरा : एक प्रेम दीवानी एक दरश दीवानी : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति* भावना.
नींद चुराए चैन चुराए डाका डाले तेरी बंशी : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति भावना.
भले बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए : तोरा मन दर्पण कहलाए :.डॉ.सुनीता सीमा शक्ति भावना.  
कर्म किए जा फल की चिंता मत कर इंसान ये है गीता का ज्ञान : कोलाज शक्ति..डॉ.सुनीता भावना.
राधा का भी श्याम वो भी मीरा का भी श्याम : कोलाज : शक्ति.डॉ.सुनीता भावना.
कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार चाकर समझ कर निहार : कोलाज : शक्ति. डॉ.सुनीता भावना
गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोपाल बोलो : कोलाज : शक्ति : डॉ.सुनीता भावना 
*

आर्य. डॉ.संतोष कुमार. डेंटल एंड ओरल सर्जन. बिहार शरीफ. समर्थित.  
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में : आज : पृष्ठ : ०  .
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*

टाइम्स मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति. साभार. 
*
कृष्ण : आह्लादित : शक्ति : राधा 
राधा : कृष्ण : नारायण : एक हैं 
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में : आज : 
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साभार : दृश्यम. 

टाइम्स मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति : साभार. 
दृश्यम : कोलकाता डेस्क. 
*
हरि अवतार : श्री राम कृष्ण की ही सर्वाधिक पूजा क्यों 

*
*

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श्री राधिकाकृष्ण : ' जीवन ' हो या ' युद्ध ' :
सफलता सिर्फ तीन शस्त्रों से प्राप्त होती है
धर्म, धैर्य, और साहस
*
साभार : शक्ति : मनु वैशाली : दृश्यम :   कविता 

बचायेंगे ये जानती है द्रौपदी पुकारती कि 
कोई आए नहीं आए किन्तु कृष्ण आयेंगे 
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एम. एस. मीडिया शक्ति : दृश्यम  
नैनीताल डेस्क प्रस्तुति. 



माधव : आखिर दैविक संपत्ति क्या है,पार्थ ?  
*
कृष्ण की शक्ति : रुक्मिणी : सत्यभामा : जामवंती 
*
कृष्ण जी कितनी शादियाँ हुई थी ? 
*
एम. एस. मीडिया. शक्ति दृश्यम : प्रस्तुति साभार.

*
कृष्ण की हर बात का आधार है राधा :
कृष्ण है विस्तार  यदि तो सार है राधा. 

*
प्रथम मीडिया. शक्ति. नर्मदा डेस्क प्रस्तुति :
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कृष्ण सदा सहायते : दुर्बासा दौपदी : दृश्यम प्रसंग 

 चावल का एक कण : दृश्यम 


 
दृश्यम साभार. शिशुपाल वध : दृश्यम : लघु फिल्में :


*
मौन रहो शिशुपाल.
हे माधव : मुझे भी सौ अपराधों को 
क्षमा प्रदान करने जैसी ' सहन शक्ति ' व 
' समझ शक्ति ' प्रदान करना  
*
ए.एंड.एम.मीडिया. शक्ति : शिमला डेस्क 
दृश्यम प्रस्तुति : साभार.

कृष्ण दर्शन : पहली, दूसरी और आखिरी भूल  

*


मेरा केश पकड़ कर लाया है 
करता है 
दुःशासन दुर्व्यवहार मेरे माधव ही काफ़ी है 
*
*
जाह्नवी ऑय केयर रिसर्च सेंटर : डॉ. अजय : बिहार शरीफ : समर्थित. 

सम्पादकीय पृष्ठ : १ 
 भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा. 

*

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राधिकाकृष्ण : सम्पादकीय : पृष्ठ : १.
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*
त्रि शक्ति प्रस्तुति. 


*
सम्पादकीय.
प्रतीकात्मक आध्यात्मिक केंद्र.
राधाकृष्ण मंदिर.
दर्शन ड्योढ़ी
*
आज के दर्शन
*
श्री. राधेकृष्ण. सदा सहायते
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
*
सत्यमेव जयते
@ सम्पादकीय
आध्यात्मिक प्रभार व संरक्षण .
श्री गोविन्दजी. राधारमण.

कार्यकारी शक्ति * सम्पादिका.
देहरादून डेस्क

शक्ति.डॉ. नूतन. रीता. कवयित्री लेखिका.
शक्ति. डॉ. रेनू. रंजना .कवयित्री लेखिका.
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अतिथि शक्ति.सम्पादिका
मुंबई डेस्क


शक्ति. डॉ.मीरा श्रीवास्तवा. पुणे. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.प्रो. डॉ. ललिता बी.जोगड. मुंबई. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.क्षमा कौल.जम्मू. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.प्रीति सहाय. पुणे.कवयित्री. लेखिका.
*
राधिका कृष्ण दर्शन 
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
*
संरक्षण.शक्ति



*
माननीय.सत्य प्रकाश मिश्रा.
भा.पु.से.
माननीय. अंजनी कुमार शरण
न्याय मूर्ति.सेवा निवृत. उच्च न्यायलय. पटना
माननीय. रघुपति सिंह.
सेवा निवृत : जिला न्यायधीश
माननीय.सतीश कुमार सिन्हा
सेवानिवृत. कर्नल

*
क़ानूनी संरक्षण शक्ति.
आभार
*

शक्ति.मंजुश्री.मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी.( वर्त्तमान )
शक्ति.सीमा कुमारी.
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति. प्रेरणा. अधिवक्ता. उच्च न्यायलय.पटना.
शक्ति.लीना शक्ति.अधिवक्ता. उच्च न्यायलय.रांची.
*
माननीय.अधिवक्ता. दिनेश कुमार.
माननीय.अधिवक्ता. सुशील कुमार.
माननीय. मुकेश. अधिवक्ता. उच्च न्यायलय.नैनीताल.
माननीय.हर्ष. अधिवक्ता.अल्मोड़ा.
माननीय.सरसिज नयनम. उच्चतम न्यायलय.नई दिल्ली.
*
माननीय : विशाल. सिविल जज.कार्यरत.
*
साइबर. संरक्षण शक्ति
श्री ज्योति शंकर. डी.एस.पी. कार्यरत
 @
सम्पादकीय आध्यात्मिक प्रभार व संरक्षण.
श्री गोविन्दजी. राधारमण.
*
ए. एंड एम. मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
*

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आज : सम्पादकीय शक्ति : आलेख : पृष्ठ : १ / ०.
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संपादन : सज्जा :
शक्ति* डॉ.सुनीता सीमा प्रीति बीना जोशी.
नैनीताल डेस्क.
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प्रेम : जहां श्रेष्ठता या अहंकार का भाव नहीं हो : शक्ति.आलेख :
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टाइम्स मीडिया अधिकृत 
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आस्था, श्रद्धा, विश्वास,भक्ति और प्रेम : शक्ति. आलेख : १ /३ /८  
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आलेख :शक्ति. आरती.अरुण : झारखंड 

प्रेम स्वत: स्फूर्त होता है : ये ऐसे विषय और ऐसी अनुभूतियां हैं जिसके प्रदर्शन की जरूरत नहीं होती,ये स्वत: स्फूर्त प्रदर्शित होते रहते हैं जैसे सूर्य को स्वयं प्रमाणित करने की जरूरत नहीं होती है, वह स्वयं सिद्ध है। 
यद्यपि कुछ लोग कहते हैं कि आप अगर किसी को प्रेम करते हैं तो दिखना चाहिए,क्या हनुमान ने कभी घोषणा की कि वह श्री राम से प्रेम करते हैं, क्या मीरा,राधा, गोपियों और उद्धव चैतन्य महाप्रभु ने कभी कहा कि वे श्री कृष्ण से प्रेम करते हैं ? क्या कभी कोई कभी अपने बच्चों से कभी कहती हैं कि मैं तुम सबसे बहुत प्रेम करती हूॅं ?  
अपनों  के लिए भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति ही प्रेम है : है ना ? नहीं न ! पर सांसारिक जीवन प्रश्न चिह्न खड़ा करता रहता है कि प्रेम दिखना चाहिए तो हमने कहा ही कि इसका प्रदर्शन स्वत: स्फूर्त होता रहता है और यह भावों की गहराईयों को भी बताते रहता है। अब यहां एक द्वन्द्व पैदा होता है कि कोई किसी से प्रेम करता है तो प्रेम का स्वरूप क्या है कि प्रेम मूलतः प्रेम ही है पर सौर रश्मियों की तरह उसके रंग अलग-अलग होते हैं पर वो रहता प्रेम ही है। 
पर संसार में प्रेम की अभिव्यक्ति लोग देखना चाहते हैं जो भौतिक रुपों में की जाती है जो संसाधनों और समर्पण के एक सम्मिलित रुप में समय समय पर प्रदर्शित होते रहते हैं।
भावनाओं की अभिव्यक्ति कभी छुपती नहीं,वैसे ही प्रेम कभी छुपता नहीं तो फिर प्रदर्शन की क्या जरूरत है, कविवर रहीम जी कह ही गए हैं,
खैर खून खांसी खुशी वैर प्रीत मधुपान 
छिपाए से भी ना छिपे कह गए रहीम सुजान

तो चीजें छिप नहीं सकती उनके प्रदर्शन की फिर क्या जरूरत है पर तथ्य आस्था श्रद्धा विश्वास और भक्ति में बड़ा द्वन्द्वात्मक सा प्रतीत होता है,जो जितने भक्ति भाव प्रदर्शित करने के लिए कर्मकाण्ड के प्रदर्शन में लगे रहते हैं उनके इष्ट उन्हें कभी स्वीकार नहीं करते हैं पर ऐसा भी पूर्ण सत्य नहीं है। परन्तु भक्ति आस्था श्रद्धा और विश्वास के साथ हो तो स्वीकार्य है अन्यथा याचना सुरक्षा और प्रदर्शन ही है।इसे एक बड़े रोचक प्रसंग से बताने की कोशिश करता हूॅं।
कहानी एक पूजारी और एक मौलवी की  : किसी गांव में दो दोस्त रहते थे जिनमें एक पूजारी और एक मौलवी थे जो दिन रात अपने अपने पांथिक कर्मकांड का निष्पादन किया करते थे। मौलवी साहब हाजी भी थे, पांचों वक्त के नमाज़ी और नियमित रोजा भी रखते थे। मस्जिद में अपनी तकरीर भी किया करते थे। 
इधर पूजारी जी भी त्रिसंध्या करते,हर व्रत त्योहार में उपवास करते, निश्चित समयों पर मंदिर में घंटा और शंख भी बजाया करते। यही नहीं अपने मित्र की तरह चारों धामों और सारे तीर्थों की परिक्रमा भी कर चुके थे। संयोगवश उन दोनों की मौत एक ही दिन और एक ही समय हो गया। दोनों की ये समझ थी कि हम तो बड़े पूण्यात्मा रहे हैं, हमें तो स्वर्ग या जन्नत ही मिलेगा। 
दोनों एक साथ वहां पहुंचे तो स्वर्ग और नर्क के दरवाजे अगल-बगल ही थे। दोनों दरवाजों पर देवदूत या फ़रिश्ते खड़े थे। वे बगैर कुछ कहे सुने सीधे स्वर्ग में घुसने लगे तो उनको रोक लिया गया। उन्होंने द्वारपालों से कहा कि हमदोनों तो जीवन भर अपने अपने इष्ट की पूजा उपासना इबादत की है, हमनें हज किया है,सारे धामों और तीर्थ स्थलों की यात्राए भी की है, तो हम तो सीधे स्वर्ग में ही जाएंगे, जन्नत ही अब हमारा आश्रय है। 
तब दोनों को बताया गया कि आप दोनों ने सिर्फ आडंबर और पाखंड किया है। मौलवी साहब रोज़े में भी दिनभर बढ़िया बढ़िया खाने पर नजर रखते थे, इफ्तार पर सारा जेहन‌ रहता था और आप भी उपवास में ऐसा ही किया करते थे कि कब शाम हो और मेवा मिष्ठान खाया जाए जबकि उपवास का अर्थ भूखे रहना नहीं अपने इष्ट के सान्निध्य में रहकर ध्यान करना है। 
आप शंख और घंटे पब्लिक को आकर्षित करने और दक्षिणा लेने पर ध्यान रखते थे। तीर्थाटन के नाम पर सीधे सरल लोगों से पैसा ठगकर आपने अपना घर बनवा लिया और बाकी कर्म आपने जीविकोपार्जन का साधन बना लिया।
आस्था,श्रद्धा, विश्वास, प्रेम  और भक्ति : आपके पूजा पाठ आपकी आस्था,श्रद्धा, विश्वास और भक्ति से कोसों दूर थे और यही काम आपके दोस्त मौलवी साहब ने किया कि चंदा उठाकर हज कर आए और हाजी होने के नाम पर झगड़ों का ग़लत फैसला करके कमाई का जरिया बना लिया। 
नमाज़ और रोज़ा इनका फरेब था,उनके आड़ में ये सारे गलत काम करते थे, इसलिए आप दोनों को माफी नहीं मिलेगी। आप दोनों नर्क या दोजख में जाकर प्रायश्चित और‌ पश्चाताप करें और अपने अपने इष्ट की सच्ची आराधना करें फिर आप दोनों पर विचार किया जाएगा और यह कहकर उन दोनों को नर्क में धकेल दिया गया।
इस कथा का यह अंत नहीं है और यह संदेश देना भी नहीं है कि आप अपने मत,पंथ, विश्वास आदि में मान्य‌
परम्परागत पूजा पाठ न करें,जरुर करें पर स्वयं को, लोगों को और अपने अपने भगवान को परमात्मा को धोखा न दें। 
प्रेम के साक्षी आप स्वयं हो : अपनी अंतरात्मा से : सबसे बड़ी गवाही या साक्षी आप स्वयं होते हैं जिसे आत्मसाक्षी कहा जाता है। आत्मसाक्षी ही परमात्मा की साक्षी है। परमात्मा स्थूल रुप में नहीं देखते पर आप अपने हर कर्म को स्वयं साक्षी बनकर देखते और करते हैं, परमात्मा सूक्ष्म साक्षी भाव में रहते हैं इसलिए आस्था, श्रद्धा, विश्वास और भक्ति आपके निज की चेतना और बोध है।मन, चित्त,हृदय और आत्मा की शुद्धता और अपने प्रति और सबके प्रति विहीत कर्मों अर्थात् कर्तव्यों का निर्वहन ही श्रेष्ठ पूजा है,यही सच्ची आराधना, उपासना और इबादत है। व्रत त्योहार आदि मन को उनके प्रति निष्ठा और समर्पण का एक माध्यम है तो उनमें दिखावा, प्रदर्शन और आडम्बर नहीं होना चाहिए। दूसरों का धन आदि हड़पकर दान और तीर्थाटन करने से क्या लाभ होगा, दूसरों का दिल दुखाकर उपवास करने के क्या लाभ होंगे कि जो आपके व्यवहार आचरण आदि से पीड़ित होंगे उनके भीतर से आह और हाय निकलेगी जो आपके सुख चैन को छीन लेगी। यह सच्चा हज और तीर्थाटन और चारों धाम की यात्रा नहीं है। गोस्वामी जी ने कहा भी है,

तुलसी आह गरीब के कबहुं न निष्फल जाए
मुआ खाल के चाम से लौह भस्म हो जाए।

इसलिए अगर सबकी दुआएं न ले सकें तो बद्दुआओं से भी बचिए। साफ रहिए और वही दिखने की कोशिश कीजिए जो आप हैं कि एक दिन तो सबकी किताब पढ़ी ही जानी है और जब आपकी किताब पढ़ी जाएगी तो उस मूल्यांकन का कोई काट नहीं होगा।
स्तंभ संपादन : शक्ति* डॉ.सुनीता प्रीति बीना जोशी.
पृष्ठ सज्जा : डॉ. अनीता शक्ति*सीमा


*
प्रेम न बाड़ी उपजे प्रेम न हाट बिकाय. 
आलेख : शक्ति.आरती.अरुण.
 *
प्रेम बहता हुआ जल प्रवाह अर्थात् नदी या जलप्रपात है जो किसी कारण बाधित हो गया तो स्थिर जलाशय‌ में रुपान्तरित हो जाता है। इसलिए प्रेम में सातत्य का होना एक जरुरत है। हम सब जीवन में एक दूसरे से  जरूरत, जज्बात और पारस्परिक समझ के आधार पर प्रेम करते रहते हैं। और उन तीनों का सातत्य उस प्रेम को जीवित रखने का काम करता है जिसके बीच हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं कि सम्मान भी प्रेम से ही जुड़ा रहता है।
प्रेम के लिए सबकुछ स्वीकार्य है पर श्रेष्ठता और अहंकार का बोध प्रेम रुपी वृक्ष का दीमक है जो बाहर से तो दिखाई नहीं पड़ता पर भीतर ही भीतर वह खोखला करता जाता है और एक दिन वृक्ष की तरह नष्ट हो जाता है। सद्गुरु कबीर साहब ने तो कह ही दिया है.

प्रेम न बाड़ी उपजे प्रेम न हाट बिकाय 
राजा परजा जे रुचे  सीस दिए ले जाए,

अर्थात् प्रेम सबके लिए सुलभ है, वह हाट बाजार में बिकने वाला सामान नहीं जिसकी कीमत देकर क्रय विक्रय किया जाए। यह जो धनी निर्धन सबके लिए सुलभ है परन्तु एक शर्त है कि सहज भाव से एक दूसरे के प्रति समर्पण करना होगा, जहां श्रेष्ठता या अहंकार का भाव नहीं होगा, वही कबीर जी ने कहा है कि प्रेम के लिए सीस अर्थात् अहंकार देना होगा, स्वयं को समर्पित कर देना होगा, द्वैत को अद्वैत में रुपान्तरित करना होगा और तभी प्रेम अपने आकार को ग्रहण कर सकेगा अन्यथा वह प्रेम नहीं होगा बल्कि मोह, चाहत, जरुरत और आकर्षण होकर रह जाएगा।
प्रेम के प्रवाह में सम्पूर्ण प्रकृति बहती नजर आती है,आप सुबह-शाम इसका अवलोकन कर सकते हैं,सब प्रेम के आश्रय में जाने के लिए व्याकुल रहते हैं और व्याकुलता ही प्रेम का शाश्वत गुण है। पीड़ा,विरहानुभूति,
वेदना, प्रतीक्षा आदि प्रेम के गुण हैं और जो इनकी अनुभूति करते हैं,वही प्रेम के रहस्य को समझ सकते हैं।
सती के लिए शिव का विलाप, जानकी के विरह में राम का विलाप, कृष्ण के लिए राधा,मीरा और गोपियों का विलाप, हीर के लिए रांझा का और लैला के लिए मजनूं का विलाप,कुछ ऐसे ही अलौकिक और लौकिक उदाहरण हैं जिसे समझने के लिए गहराईयों में डूबना पड़ता है जैसे सागर की अतल वितल गहराईयों में डूबे बगैर रत्न नहीं मिलते, वैसे ही प्रेम रुपी रत्न की प्राप्ति के लिए भावों की गहराईयों में डूबना पड़ता है,बाकी सब माया मोह है।

*
सम्पादकीय राधिका कृष्ण शक्ति *
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आज का : शब्द चित्र विचार : पृष्ठ : १ /१
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*
टाइम्स मीडिया. शक्ति* प्रस्तुति.
कोलकोता डेस्क  
अद्यतन *

*
रामधारी सिंह दिनकर.
*
क्षमाशील हो रिपु -समक्ष तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही
*
( हस्तिनापुर : दुर्योधन का कृष्ण को बंदी बनाने का प्रयास )
*
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प्रातः : संध्या : श्री हरि : राम : राधिकाकृष्ण भजन : आज : पृष्ठ : १ / २ .
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ये मेरा गीत जीवन संगीत कल भी कोई दोहराएगा
*
संयुक्त मीडिया : शक्ति : प्रस्तुति : साभार. 


*
संपादन
शक्ति. शालिनी वनिता. सीमा. प्रीति. क्षमा कौल.जम्मू
*

*
मुन्ना लाल एंड संस. ज्वेलरी शॉप रांची रोड बिहार शरीफ़ प्रायोजित. 
*
मेरे जीवन का गीत .राम कृष्ण संगीत .
*
साभार : राधिकाकृष्ण भजन / गीत /संगीत संग्रह : लिंक : १ : २ को दवाएं
पूर्व के भजन को सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए
*
आर्य जन : डॉ.ब्रज भूषण सिन्हा : फिजिशियन : बिहार शरीफ : समर्थित : राम कृष्ण संगीत .  

अद्यतन 
*
टाइम्स मीडिया शक्ति.कोलकोता डेस्क प्रस्तुति.
 २००७ में .मेरी काठमांडू यात्रा इस्कॉन टेम्पल भ्रमण के पश्चात्
 
*
टाइम्स  मिडिया : शक्ति : कोलकोता डेस्क : प्रस्तुति : साभार. 
*
सम्पादकीय : शॉर्ट रील : साभार
चयन  
संभवामि युगे युगे वाले माधव: कृष्ण : कर्म और अर्जुन


*

टाइम्स  मिडिया शक्ति : कोलकोता डेस्क प्रस्तुति. 

*
*
फिल्म : पूरब और पश्चिम.१९७०.  
भजन : श्री लक्ष्मी नारायण जी की आरती 
ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे 
सितारे : मनोज कुमार. सायरा बानू.


गीत : इंदीवर संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : महेंद्र कपूर. लता. बृज भूषण 
भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
*
टाइम्स मीडिया संयुक्त शक्ति प्रस्तुति.
कोलकोता डेस्क 
*
 त्रिशक्ति देव प्रार्थना 
फ़िल्म : अंकुश.१९८६.  
सितारे : निशा सिंह. नाना पाटेकर.मदन जैन. 


प्रार्थना : इतनी शक्ति हमें देना दाता 
 मन का विश्वास कमज़ोर हो ना 
हम चले नेक रस्ते पर हमसे 
भूल कर भी कोई भूल हो न 
गीत : अभिलाष. संगीत : कुलदीप सिंह.गायिका : पुष्पा पगधरे. सुषमा श्रेष्ठ.
 गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
 
*
फिल्म : खानदान. १९६५. 
भजन : बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके वृज बाला 
ग्वालवाल एक एक से पूछे  कहाँ   है  मुरली वाला.
सितारे : सुनील दत्त. नूतन. 


गीत : राजेंद्र कृष्ण. संगीत : रवि. गायक : रफ़ी.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
महाशक्ति मिडिया शक्ति प्रस्तुति 
*
नैनीताल डेस्क. 

सिया राम भजन :
संदर्भित गीत.
फ़िल्म : गोपी.१९७०
सितारे : दिलीप कुमार. सायरा बानू.
राम चंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा
हंस चुकेगा दाना तुनका कौआ मोती खाएगा.


गीत :राजेंद्र कृष्ण संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : महेंद्र कपूर.
भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.


फिल्म : तेरे मेरे सपने.१९७१.
सितारे : देवआंनद. मुमताज.
गाना : जैसे राधा ने माला जपी शाम की
गीत : नीरज.संगीत : एस. डी. वर्मन.गायिका : लता.


गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  

नैनीताल डेस्क
फिल्म : हरे रामा हरे कृष्णा.१९७१.
सितारे : देव आनंद. जीनत अमान.
गाना : राम को समझो कृष्ण को जानो, नींद से जागो ओ मस्तानों, 
जीत लो मन को पढ़ कर गीता, मन ही हारा तो क्या जीता ?
*

गीत : आनंद बख्शी संगीत : आर डी वर्मन. गायक : किशोर कुमार.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

*

फिल्म : काजल.१९६५  
भजन : प्राणी अपने प्रभु से पूछे किस विधि पाऊं तोहे 
प्रभु कहे तू मन को पा ले पा जाएगा मोहे 
तोरा मन दर्पण कहलाए भले बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए  
सितारे : राज कुमार. मीना कुमारी. धर्मेंद्र.

 
गीत : साहिर लुधियानवी. संगीत : रवि. गायिका : आशा भोसले. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

*
एम एस मीडिया : शक्ति : प्रस्तुति : साभार.
 
*
फ़िल्म : लोफर.१९७३.  
गाना : दुनियाँ में  तेरा है बड़ा नाम 
आज मुझे भी तुझसे पड़ गया काम. 
मेरी विनती सुने तो जाने मानू तुझे मैं राम 
सितारे : धर्मेंद्र. मुमताज.
 

गीत : आनंद बख्शी संगीत लक्ष्मी कांत प्यारेलाल गायक : रफी 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

*
अद्यतन *
*
प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति 

सिया राम भजन :
संदर्भित गीत.
फिल्म : नील कमल.१९६८.
गाना : हे रोम रोम में बसने वाले राम
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी मैं तुझसे क्या मांगूं


गीत : साहिर लुधियानवी.संगीत : रवि. गायिका : आशा भोसले
भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

*

फ़िल्म : गोपी.१९७०.
सितारे : दिलीप कुमार. सायरा बानू.
भजन : सुख के सब साथी दुःख में न कोय.
मेरे राम तेरा नाम एक साचा दूजा न कोय.
जीवन आनी जानी छाया झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरियां पाप की गठरी ढोेई

*
गीत :राजेंद्र कृष्ण संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : महेंद्र कपूर
भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
*

प्रथम मिडिया : शक्ति : प्रस्तुति : साभार.
नर्मदा डेस्क  
*
*
फ़िल्म : अनुराग. १९७२. 
सितारे : विनोद मेहरा. मौसमी चटर्जी. 


गाना : नींद चुराए चैन चुराए डाका डाले तेरी वंशी 
गीत : आनंद बख्शी संगीत : एस डी वर्मन गायिका : लता 
देखने के लिए नीचे दिए गए शक्ति लिंक को दवायें 

फिल्म : जागो मोहन प्यारे.१९५६  
गाना : जागो मोहन प्यारे


जग उजियारा छाए मन का अंधेरा जाए 
किरणों की रानी गाये जागो है मेरे मन मोहन प्यारे 
गीत : शैलेन्द्र. संगीत : सलिल चौधरी. गायक : लता 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  

*

फिल्म : मीरा.१९७९. 
भजन : मेरो तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोई 
सितारे : हेमा मालिनी. विनोद खन्ना. 


गीत गुलज़ार : संगीत : गायिका : वाणी जयराम.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.  
*
ए. एंड. एम. मीडिया शक्ति प्रस्तुति 


*
अद्यतन *
फिल्म : बेटी बेटे.१९६४. 
सितारे : सुनील दत्त. सरोज. यमुना 
गाना : राधिके तूने बंशी चुराई 
न तेरी बैरन न तेरी सौतन 
मेरी मुरलिया मोहे सब का मन.

 
गीत : शैलेन्द्र संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : रफ़ी 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

*
 
फिल्म : सन्यासी.१९७५.  
सितारे : मनोज कुमार. हेमा मालिनी. 
भजन : जैसे करम करेगा वैसे फल देगा भगवान 
ये है गीता का ज्ञान 

 गीत : विशेश्वर शर्मा. संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : मुकेश. लता 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 
*
ए. एंड. एम. मीडिया शक्ति प्रस्तुति 

*
जय श्री ' राम ' फिल्म : सरगम. १९७९
गाना : राम जी की निकली सवारी
राम जी है लीला न्यारी
सितारे : ऋषि कपूर. जया प्रदा.


गीत : आनंद बख्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायक : रफ़ी
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

 २००७ में .मेरी काठमांडू यात्रा इस्कॉन टेम्पल भ्रमण के पश्चात्
 
भजन : कृष्ण भजन 
अधरम मधुरम वदनम मधुरम
  नयनम मधुरम हस्तिम मधुरम


 हृदयम मधुरम गमनम मधुरम   
भजन सुनने  के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 


*
श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते.
*
*
डॉ. अखिलेश : रीसेंट डायग्नोस्टिक : खंदक पर बिहार शरीफ समर्थित
 
*
समाज सेवी. डॉ. पवन कुमार.नेत्र चिकित्सक एवं फेको सर्जन.मुजफ्फरपुर.समर्थित.
*
अद्यतन *
सम्पादकीय शक्ति समूह लिंक
सम्पादकीय शक्ति समूह आलेख लिंक : आज : पृष्ठ : १ / २.
संरक्षण शक्ति.


शक्ति. रश्मि श्रीवास्तवा .भा.पु.से.
शक्ति.साक्षी कुमारी. भा.पु.से.

सम्पादकीय शक्ति समूह विविध लिंक संग्रह
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : लिंक : पृष्ठ : ०.  
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पूर्व  प्रकाशित राधिकाकृष्ण : 
पुराने दृश्यम व विचार देखने के लिए नीचे दिए गए शक्ति लिंक को दवायें : लिंक : पृष्ठ : ०.

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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : भजन संग्रह  : लिंक : पृष्ठ :.  
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साभार : राधिकाकृष्ण भजन संग्रह : लिंक : १ को दवाएं
पूर्व के भजन को सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए

*
डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ.बिहार शरीफ. नालंदा.समर्थित

अद्यतन* समसमायिक * 
आर्य सम्पादकीय ' शिव - शक्ति ' समूह : कृण्वन्तो विश्वमार्यम. ' अनंत ' आलेख
 की संरक्षण शक्ति 
*
नववर्ष विक्रम संवत शक्ति आलेख : अनंत मंगल शुभकामनाओं के साथ
*

*
माननीय.सतीश कुमार
कर्नल.सेवा निवृत.
माननीय.रवि शर्मा.
वरिष्ठ संपादक : स्तंभकार : दैनिक भास्कर
माननीय आलोक सहाय.
विंगकमांडर.सेवा निवृत.
माननीय. आलोक कुमार.
कारगिल योद्धा.लेफ्टिनेट कर्नल.सेवा निवृत.

सत्र २५ - २६ के लिए नामांकन उपलब्ध
एस पी आर्य डी ए वी पब्लिक स्कूल. बिहार शरीफ. समर्थित.
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : सम्पादकीय आलेख : लिंक : पृष्ठ : १.  
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संपादन 
शक्ति. डॉ. मीरा नूतन सीमा प्रीति सहाय 

प्रथम मीडिया शक्ति *समर्थित
*
पूर्व के मिश्रित लेखकीय :
राधिका कृष्ण दर्शन सम्पादकीय आलेख : पृष्ठ : १ / २ / ० .
पढ़ने के लिए नीचे उपलब्ध. सम्पादकीय आलेख लिंक. को दवाएं.
*
एम. एस. मीडिया शक्ति *समर्थित
*
डॉ. आर. के. दुबे. 
शक्ति. सीमा. 
साहित्यकार.गीतकार.गज़लकार.विचारक.
राधिका कृष्ण शक्ति : आलेख लिंक : पृष्ठ : १ / २ / १ .
उनके पूर्व के सम्पादकीय आलेख पढ़ने के लिए नीचे उपलब्ध. लिंक. को दवाएं.
*
अद्यतन *
हनुमत भजन 

डॉ. आर. के. दुबे.
शक्ति. सीमा 

 

*
टाइम्स मीडिया.शक्ति * समर्थित. 
डॉ.मधुप. 
शक्ति. सुनीता.  
साहित्यकार. व्यंग्य चित्रकार.व्लॉगर. 
राधिका कृष्ण शक्ति : आलेख लिंक : पृष्ठ : १ / २
उनके पूर्व के सम्पादकीय आलेख पढ़ने के लिए नीचे उपलब्ध. लिंक.को दवाएं.
*
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डॉ.मधुप.  
शक्ति.डॉ.सुनीता   
*
अद्यतन *
*

भाविकाएँ 

क्या गलती थी हमारी ?


पहलगाम में मृत भारतीय नागरिकों के 
लिए कुछ पंक्तियाँ 
शक्ति.स्मिता. 
 
सम्पादन  : 
शक्ति डॉ.सुनीता मधुप   
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अद्यतन *
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दुर्योधन : शिशुपाल : अपमान : चरित्रहीनता : धैर्य और श्रीकृष्ण की असीम सहनशक्ति : 
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शक्ति,धर्म अधर्म  समझ की आलेख : १ / २ / ६ .
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अथ श्री महाभारत कथा.डॉ. मधुप सुनीता. 
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राधिकाकृष्ण : रुक्मिणी : शक्ति : विचार धारा : 
जीवन दर्शन : आपने कहा : पृष्ठ : २ 
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संपादन 
शक्ति. अर्चना प्रीति सहाय. पुणे 
अद्यतन *
*
ए एंड एम मीडिया संरक्षित 
*
सम्यक ' साथ ' नहीं छूटेगा 
*
बात कड़वी है लेकिन सच है हम किसी के लिए उस वक्त तक 
खास होते हैं जब तक उन्हें कोई दूसरा मिल नहीं जाता लेकिन यह अर्ध्य सत्य है
अपनी ' श्रेष्ठता ', ' सहन ' , ' समझ ' शक्ति सदैव वर्धित करते रहें 
कभी भी सम्यक साथ नहीं छूटेगा 
*
ईश्वर ,सम्यक जन और विनीतता 
*
जहाँ अपनी बात की ' कद्र ' न हो वहाँ ' चुप ' रहना ही बेहतर है ,
       साथ ही याद रखिए लोगों से मिलते ' वक्त ' इतना मत झुकिये ,
की उठते वक्त ' सहारा ' लेना पड़े…. सच कहा आपने  
लेकिन सम्यक ' जन ' सब ' सुनने '  ...सब ' देखने '  ....सब ' समझने ' की चेष्टा करते   हैं 
' ईश्वर ' और ' सम्यक जन ' के समक्ष झुकना एक ' आराधना ' ही हैं 

*
शक्ति. डॉ.सुनीता  मधुप 
*
' अहंकार ' और ' अकड़ '
*
' ....... ' और ' ..... ' दोनों जीवन के सबसे बड़े ' दुश्मन ' है..
   क्योंकि ये न तो ' आपको ' किसी का होने देते हैं और न ही कोई ' आपका ' होना चाहता है...

: तुलसी : नैनन नहीं सनेह
*
आवत ' हिय ' हरषै नहीं, ' नैनन ' नहीं सनेह।
‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, ' कंचन ' बरसे मेह॥

*
--------- 
*

ए. एंड. एम. मीडिया शक्ति *समर्थित

*
डॉ. संतोष आनन्द मिश्रा. 
इतिहासकार, साहित्यकार, ब्लॉगर. 
राधिका कृष्ण शक्ति : आलेख लिंक : पृष्ठ : १ / २ / ३ .
उनके पूर्व के सम्पादकीय : पढ़ने के लिए नीचे उपलब्ध.
सम्पादकीय आलेख लिंक. को दवाएं.
*
अद्यतन *
*

ए.एंड.एम.मीडिया शक्ति. प्रस्तुति. 
सम्पादकीय : राधिका कृष्ण : आलेख : पृष्ठ : १ / ४.
*

कृष्ण भक्त संत तुकाराम: 
मराठी भक्ति काव्य की महान परंपरा के एक अद्वितीय स्तंभ. 
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कुम्भनदास: हरि : कृष्ण : भक्ति भाव का अनुपम रत्न : पृष्ठ : १ / १ / ११   
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डॉ. संतोष आनन्द मिश्रा. 
इतिहासकार, साहित्यकार, ब्लॉगर. 
शक्ति : डॉ. श्वेता झा 

*

प्रथम मीडिया शक्ति समर्थित.
 
लेखक कवि विचारक. 
अरूण कुमार सिन्हा.
सेवा निवृत अधिकारी. बिहार सरकार  
शक्ति. आरती 
उनके पूर्व के सम्पादकीय : पढ़ने के लिए नीचे उपलब्ध.
सम्पादकीय आलेख लिंक. को दवाएं.
*
अद्यतन *
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बुद्ध : शक्ति * आलेख : दुःख है, दुःख का कारण भी है : पृष्ठ : १ / ३ / ६  .
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आलेख : अरूण कुमार सिन्हा.
शक्ति.आरती. 
*
आलेख : अरूण कुमार सिन्हा.शक्ति. आरती   
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* किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित
*
महाशक्ति * मीडिया प्रस्तुति
*
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सम्पादकीय देव : शक्ति : आलेख : विशेष : पृष्ठ : २  
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जम्मू डेस्क 
संपादन 
शक्ति. माधवी प्रीति रीता क्षमा कौल 

संरक्षित.
*
टाइम्स मिडिया शक्ति समर्थित संरक्षित.
*
राधा का भी शाम वो तो मीरा का भी शाम : गद्य संग्रह :  पृष्ठ : २  
*


लेखक कवि : डॉ. मधुप.
शक्ति. डॉ.सुनीता. 
*
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:
मातृ दिवस : माता देवकी : यशोदा ने दिए माधव में उन्नत संस्कार.

* साभार : माता यशोदा : बालक श्री कृष्ण कोलाज  ये ले अपनी लकुट कमरिया तूने बहुते ही नाच नचाओ , ...मैया मोरी मैंने नहीं माखन खायो
*
  मातृ दिवस : उन्नत संस्कार : सहन शक्ति और समझ शक्ति आलेख :   पृष्ठ : २/०.
डॉ. मधुप.
शक्ति. डॉ. सुनीता  
*
आज से ५२२७ वर्ष पूर्व, द्वापर के ८६३८७५ वर्ष बीतने पर भाद्रपद मास में, कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में, बुधवार के दिन श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। श्री कृष्ण द्वापर युग में हरि के अवतरण थे।
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: यह मंत्र भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो उन्हें वासुदेव पुत्र, हरि, परमात्मा और गोविंद के रूप में संबोधित करता है। यह मंत्र भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
माता देवकी : यशोदा : बालक श्री कृष्ण में उन्नत संस्कार : वासुदेव माता देवकी के गर्भ से कारागार में पैदा हुए श्री कृष्ण। परिस्थिति वश माता यशोदा व बाबा नंद ने उन्हें पाला। दोनों माताओं से उन्हें उन्नत संस्कार मिला। माता यशोदा ने जब जब गोपियों से अन्य से कृष्ण की शिकायत सुनी तो वह पुत्र मोह में अंधी नहीं हुई। उन्हें दण्डित किया। ओखल से बांध भी दिया।
मटकी फोड़ने, माखन चोरी करने, गोपियों को तंग करने जैसे आरोप भी प्रभु पर लगे। निरंतर के शिकायत से वो बहुत खीज गई थी ।
कान्हा भी अपने सुतर्क ये ले अपनी लकुट कमरिया तूने बहुते ही नाच नचाओ , ...मैया मोरी मैंने नहीं माखन खायो आदि से माँ यशोदा को संतुष्ट करने का प्रयास करते रहें। लेकिन अपनी माँ को भावुक होता देखकर उन्होंने माखन खाने की बात भी कबूली।
यह मंत्र भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो उन्हें वासुदेव पुत्र, हरि, परमात्मा और गोविंद के रूप में संबोधित करता है। यह मंत्र भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
श्री हरि अनंत हुए जिनकी शक्ति ही शिव ( कल्याणकारी ) बनी । हम सबों के लिए परम ईश्वर है। वह सर्वशक्ति मान हैं ,पालनकर्ता हैं अजन्मा हैं । वो सर्वव्यापी है। अंतर्यामी है। वो सब कुछ देखते हैं ,सब कुछ समझते हैं वह मर्मज्ञ हैं । केवल न्याय - अन्याय , सत्य - असत्य, धर्म - अधर्म की विवेचना में सलग्न रहते हैं । जगत कल्याण की खोज में अनवरत लगे हुए है, परमेश्वर ।
दिव्य मातायें : यथा कौशल्या, कैकयी,सुमित्रा, देवकी तथा यशोदा : मातृ प्रदत उन्नत संस्कार प्रभु में श्री हरि : लक्ष्मी नारायण अपने राम कृष्ण के स्वरूपों में अपनी दिव्य माताओं यथा कौशल्या, कैकयी,सुमित्रा, देवकी तथा यशोदा को अपने संस्कारों के लिए स्मृत करते है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपनी माता कैकयी के कहने पर सम्पूर्ण राज पाठ त्याग कर दिया।
मदर्स डे या कहें मातृ दिवस को मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। दरअसल मातृ-दिवस वह अवसर होता है जब बच्चा अपनी मां के प्रति अपने प्यार को व्यक्त करता है। वैसे, मां के लिए तो हर एक दिन खास होता है। पूरी दुनिया में एक मां ही है, जो जन्म के बाद से हर पल, हर सुख-दुख में किसी चट्टान की तरह अपने बच्चों के साथ खड़ी रहती है। वो अपने बच्चों में श्रेष्ठ संस्कार देखना चाहती है।
बाल काल से ही श्री कृष्ण जन मानस को कष्टों से बचाते रहें। पूतना , नरकासुर, कालिया नाग तथा इंद्र प्रकोप से उन्होंने बचाया।
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।

धर्म संस्थापनार्थाय : संभवामि युगे युगे वाले माधव : समाज में जब शोषक लोग बढ गये, दीन-दुःखियों को सतानेवाले तथा कंस , जरासंध ,चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों व दुर्जनों का पोषण करनेवाले क्रूर राजा बढ गये, तो समाज ‘ त्राहिमाम् ‘ कर प्रभु को पुकार उठा, सर्वत्र भय व आशंका का घोर अंधकार छा गया, तब अमावस में ही कृष्णावतार हुआ ।
हम भक्त लोग ‘ श्रीकृष्ण कब अवतरित हुए ’ इस बात पर ध्यान नहीं देते बल्कि ‘ उन्होंने क्या कहा ’ ,' क्या किया ' उनकी वाणी क्या थी , कर्म क्या थे ? इस बात पर अधिक ही ध्यान देते हैं, उनकी लीलाओं पर ध्यान देते हैं। भक्तों के लिए श्रीकृष्ण प्रेमस्वरूप हैं और ज्ञानियों को श्रीकृष्ण का उपदेश बड़ा प्यारा न्यारा लगता है।
महाभारत काल में वे सदैव धर्म संस्थापना के लिए प्रयासरत रहे व दिखे। गीता ज्ञान में , कुरुक्षेत्र में उन्होंने कहा हे भरतवंशी अर्जुन ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब - तब ही मैं अपने साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। साधुजनों (भक्तों) की रक्षा करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भलीभाँति स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।’
*
शॉर्ट रील : साभार 
संभवामि युगे युगे वाले माधव : कृष्ण और अर्जुन


* 
आभार
स्तंभ संपादन. शक्ति. माधवी प्रीति रीता तनु सर्वाधिकारी 
पृष्ठ सज्जा : महाशक्ति मीडिया.

*
दुर्योधन : शिशुपाल : अपमान : चरित्रहीनता : धैर्य और श्रीकृष्ण की असीम सहनशक्ति : 
शक्ति,धर्म अधर्म  समझ की आलेख : पृष्ठ : २/०.


कृष्ण : कंस : मथुरा : मुक्ति : फोटो : नेट से साभार 

माधव मेरे आदर्श : मनभावन इष्ट देव : माधव मेरे इष्ट देव है। मैं उनके जीवन के सभी रंगों, मर्यादा को अपनाने की भरसक कोशिश करता हूँ। एक योग्य,उपदेशक शिक्षक ,कूटनीतिक,रणनीति कार, शासक, एक भावुक, बांसुरी बादक प्रेमी ( राधा ) , एक उत्तरदायी पति ( रुक्मिणी, सत्यभामा तथा जाम्बंती ) , एक संवेदन शील मित्र ( सुदामा ) , नारी शक्ति सम्मान ( पांचाली ) के सखि संरक्षक रहें हमारे गोवर्धन धारी मुरारी।
श्री राधिकाकृष्णअपने प्रिय के लिए सदा सहायते रहें, ब्रज ,गोकुल ,मथुरा हो या द्वारिका प्रभु सदैव अपने भक्त की रक्षार्थ वर्तमान रहें। कभी भी किसी भी परिस्थिति,विपदा में सम्यक स्वजनों का साथ नहीं छोड़ा । 
पूतना वध, कालिया नाग दमन, देव राज इंद्र के अहंकार का दमन कर गोवर्धन धारण करना आदि कई एक उद्हारण है जो मधुप चित वाले माधव के जीवन चरित  में रही है। 


*
शॉर्ट फिल्म : कृष्ण है विस्तार  यदि तो सार है राधा. 
*
हरि जब अवतरित हो रहें थे तो युग के अनुसार अपने को आवश्यक कलाओं से युक्त कर रहें थे। त्रेता युग के मर्यादा पुरुषोतम राम में चौदह कलाएं थी,क्योंकि अधर्म उतना बढ़ा नहीं था । जब नारायण द्वापर युग में अवतरित हो रहें थे तब कलयुग का आगमन होना था। अमर्यादा,अधर्म,छल ,प्रपंच बढ़ रहा था। इसलिए माधव योगीराज श्री कृष्ण में सोलह कलाएं थी। अत्याचार,अधर्म,छल प्रपंच के प्रतीक,कंस ,शकुनि, शिशुपाल तथा पौंड्रिक के विरुद्ध उनमें लड़ने की विशेष क्षमता थी।
असीम सहनशक्ति में कृष्ण की समझ शक्ति : भगवान कृष्ण सदैव से आम जीवन में असीम सहनशक्ति और धैर्य के प्रतीक रहें हैं। उनके जीवन में कई ऐसे अप्रतिम उदाहरण हैं जो उनकी सहनशक्ति को दर्शाते हैं, यथा कंस के अत्याचारों का सामना करना, शिशुपाल का वध , हस्तिनापुर युवराज दुर्योधन से पांडवों के मात्र पांच गांव मांगे जाने का संधि प्रस्ताव आदि । और कुरुक्षेत्र में अधर्म के विरुद्ध अर्जुन को तत्पर करने के निरंतर गीता का उपदेश देना आदि। भगवान कृष्ण ने हमेशा दूसरों के प्रति सहिष्णु और धैर्यवान रहने का संदेश दिया है. सहनशक्ति के उदाहरण आज हमारे समक्ष हैं :
कंस के अत्याचारों का सामना : कंस मथुरा के नृप थे। स्वयं के रिश्तें में मामा लगते थे। उनके माता पिता वासुदेव देवकी को उसने बंदी बना रखा था। अत्याचार की परकाष्ठा बन गए थे। कृष्ण ने कंस के अत्याचारों का सामना करते हुए भी कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया, बल्कि उन्होंने हमेशा सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते हुए धर्म की संस्थापना के लिए का प्रयासरत रहें . लेकिन अंततः कंस के वध के साथ उन्होंने मथुरा वासी को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलवाई।
शिशुपाल की ईर्ष्या : चेदि नरेश शिशुपाल भी उनके रिश्ते में भाई लगते थे। ममेरे भाई थे कृष्ण। माधव की बढ़ती यश, लोकप्रियता उनके संम्मान से अत्यंत चिढ़ते थे। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में श्रीकृष्ण को दिए गए मान - सम्मान देखकर शिशुपाल को अनावश्यक ईर्ष्या हुई और उसने श्रीकृष्ण को अपमानित करना शुरू कर दिया। उन्हें न जाने कौन कौन सी गालियां दी ,चरित्रहीन कहा ,निम्न कहा।
श्रीकृष्ण ने भाई रहे शिशुपाल की सौ गलतियों को क्षमा करने का वचन दिया था। इसलिए जब शिशुपाल ने १०० अपशब्द कह दिए, तो भी श्रीकृष्ण ही मुस्कुराते रहें। माधव ने उसे आगे न करने के लिए चेतावनी भी दी, उसकी १०० वी गलतियों का भान भी करवाया, लेकिन शिशुपाल नहीं माने।
उनकी नियति तो कुछ और लिखी हुई थी । ज्योही चेतावनी के बाबजूद शिशुपाल ने १०१ वां अपशब्द कहा, तो श्रीकृष्ण ने भरी सभा में सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर शिशुपाल का वध कर दिया. शिशुपाल वध में कृष्ण के जीवन में उनकी सहनशक्ति का उच्चतम प्रदर्शन था।
दुर्योधन : हस्तिनापुर : और संधि प्रस्ताव : महाभारत युद्ध को टालने के लिए श्री कृष्ण ने कौरवों से पांडवों के लिए केवल पांच गांव देने का प्रस्ताव रखा था। इन गांवों में इंद्रप्रस्थ (दिल्ली), स्वर्णप्रस्थ (सोनीपत), पांडुप्रस्थ (पानीपत), व्याघ्रप्रस्थ (बागपत) और तिलप्रस्थ (तिलपत) शामिल थे। दुर्योधन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और युद्ध हुआ। दुर्योधन का इनकार:दुर्योधन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि वह पांडवों को एक सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं देगा। युद्ध:दुर्योधन के इस इनकार के कारण महाभारत का युद्ध हुआ।
युद्ध से अर्जुन का इंकार और प्रभु का अर्जुन को गीता का उपदेश : युद्ध के मैदान में अर्जुन के दुविधा में होने पर, कृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया, जिसमें उन्होंने कर्म, भक्ति, और ज्ञान के महत्व को समझाया। यह उपदेश सहनशक्ति, धैर्य, और निष्ठा की शिक्षा प्रदान करता है.
अन्य लोगों के साथ सहिष्णुता : कृष्ण ने हर किसी के साथ प्रेम और सहिष्णुता से व्यवहार किया, चाहे वे उनके मित्र हों, शत्रु हों, या सामान्य व्यक्ति हों.
सहनशक्ति का महत्व : जीवन की कठिनाइयों का सामना:सहनशक्ति जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और उनसे उबरने में मदद करती है.
दूसरों के साथ संबंध: सहनशक्ति दूसरों के साथ बेहतर संबंध बनाने और एक-दूसरे को समझने में मदद करती है.सहनशक्ति को बढ़ावा देने के लिए :सहिष्णुता का अभ्यास करें :हर किसी के साथ सहिष्णु और धैर्यवान बनें, चाहे वे आपसे अलग राय रखते हों या नहीं.
आत्म-नियंत्रण : सहनशक्ति आत्म-नियंत्रण और धैर्य विकसित करने में मदद करती है, जो जीवन में सफलता के लिए आवश्यक हैं. अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें : क्रोध, ईर्ष्या, और अन्य नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण रखें, जो सहनशक्ति को कम कर सकती हैं.
अन्य लोगों की बात सुनें : दूसरों की बात ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें.
और सकारात्मक सोच रखें : सकारात्मक सोच रखें और जीवन की कठिनाइयों को भी सकारात्मक रूप से देखने का प्रयास करें. संक्षेप में, भगवान कृष्ण सहनशक्ति और धैर्य के प्रतीक हैं, और उनकी शिक्षाएं हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और दूसरों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद करती हैं.

महाशक्ति  मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति : साभार.

*
शिशुपाल वध : दृश्यम : लघु फिल्में :
मौन रहो शिशुपाल.
हे माधव : मुझे भी सौ अपराधों को क्षमा प्रदान करने जैसी ' सहन शक्ति ' व 
' समझ शक्ति ' प्रदान करना 
--------
तोरा मन दर्पण कहलाए : पद्य संग्रह : पृष्ठ : २/०. 
--------
 लेखक कवि. डॉ. मधुप.
शक्ति डॉ.सुनीता. 
*
लघु कविता 
*
अभिमन्यु आज के,
सत्यमेव जयते. 
*
 अभिमन्यु आज के,
आज भी  देखते हैं, 
अपने जीवन संघर्ष में 
चारों ओर, 


न कृष्ण हैं, 
न अर्जुन हैं,
इस युद्ध स्थल में , 
न  कोई अपना है, 
न सगा  हैं. 
सामने असत्य है, 
कुचक्र है, 
एक बार फ़िर से
 शत्रु बड़ा विकट है.  
सत्य की लड़ाई में 
अभिमन्यु फिर से चक्रव्यूह 
 में  घिर गए है 
चारों ओर शत्रु बड़े बड़े हैं, 
निराशा का तिमिर हो, 
या आशा का प्रभात हो, 
तभी तो   
अभिमन्यु नितांत 
अकेले ही  निहत्थे खड़े है.
हमारे समक्ष, 
प्रश्न हो यक्ष, 
कि क्या अभिमन्यु सबसे हार कर 
मृत्यु शैया पर पड़े हो, 
या विजयी हो कर 
सत्यमेव जयते की तरह 
सब के सामने खड़े हो. 


©️®️
डॉ.मधुप.
*
आभार
स्तंभ संपादन. शक्ति. माधवी प्रीति रीता तनुश्री सर्वाधिकारी. 
पृष्ठ सज्जा : महाशक्ति मीडिया.
*
 ----------
एम एस मीडिया समर्थित संरक्षित. आलेख
*
स्तंभ सम्पादित 
 शक्ति.शालिनीडॉ.सुनीता तनुश्री सर्वाधिकारी
*


 लेखक कवि : डॉ.आर के दुबे.
शक्ति. सीमा.

*
----------
शक्ति : आलेख : राधा कौन ? यह जिज्ञासा हमारे भीतर होती है. : पृष्ठ : २ / ०
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*
लेखक : डॉ. आर के दुबे.
शक्ति. सीमा. 

राधा कौन ? यह जिज्ञासा हमारे भीतर होती है। 
मित्रों जब श्री कृष्ण की चर्चा होती है तब राधा जी का नाम जरूर आता है। राधा जिससे श्री कृष्ण बहुत प्रेम करते उनसे श्री कृष्ण का विवाह नहीं होता है। फिर भी जहां कृष्ण की चर्चा होती है राधा जी की चर्चा हुए बिन कृष्ण चर्चा पुरी नहीं होती।तब अनायास ही पश्न सम्मुख खड़ा होता है कि राधा कौन है?
राधा का स्वरूप परम दुरूह है। किशोरी जी ही राधा है। राधा का जैविक परिचय है कि वो किर्ति और वृषभानु की पुत्री है। उनकी शादी रायाण से हुई।
राधा का तात्विक परिचय है कि राधा कृष्ण की आनंद है।वो कृष्ण की ही अहलादिनी शक्ति स्वरूप है। रायाण से जिस राधा की शादी हुई वो तो छाया राधा से हुई। तात्विक राधा तो अन्तर्ध्यान हो गई थी। राधा की मृत्यु भी, कहते हैं,कि कृष्ण के बंसी बजाने पर राधा कृष्ण में ही विलीन हो गयी थी।
 समस्त वेद पुराण उनके गुणों से भरा पड़ा है। अहलादिनी भगवान को भी रसास्वादन कराती हैं। सच्चिदानंद श्रीकृष्ण की आनंद ही राधा है।महाभवस्वरुपिणी है। राधा पूर्ण शक्ति है कृष्ण पूर्ण शक्तिमान। कृष्ण सागर है तो राधा तरंग, कृष्ण फूल तो राधा सुगंध और कृष्ण अग्नि तो राधा तेज़ हैं। कृष्ण जो सब को आकर्षित करते हैं पर उनको भी आकर्षित करती है राधा। राधा अगर धन है तो कृष्ण तिजोरी।परमधन राधा जी है। प्रेम, समर्पण जहां है वहां राधा तत्व है।जनम लियो मोहन हित श्यामा। राधा नित्य है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार नित्य गोलोक धाम में श्रीकृष्ण एक से दो होते हैं। राधा का उनके बाम अंग से प्राकट्य होता है।
और, राधा जी से ही उनकी आठों  सखियां -ललिता, विशाखा, चित्रा, इन्दुलेखा, श्री रंगदेवी तुंगविद्या, चंपकलता और सुदेवी का प्रकाट्य है।
स्तंभ सज्जा :संपादन : कार्यकारी
शक्ति. सीमा. रीता रानी.कवयित्री. स्वतंत्र लेखिका.  

राधा  और श्रीकृष्ण का अद्वैत प्रेम  : आलेख : पृष्ठ : २ / १ /. 

राधा और कृष्ण रास लीला : वृन्दावन का निधिवन :
राधा और कृष्ण के संदर्भ में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वृन्दावन का निधिवन उनके रास लीला का गवाह है। कहते हैं कि आज भी शाम की आरती के बाद निधिवन को बंद कर दिया जाता है लोगों का मानना है कि श्री कृष्ण रास लीला करने के लिए हर शाम यहां आते हैं। श्री कृष्ण की रास लीला वृंदावन की गलियों में आज भी कहानी किस्सों की तरह सुनाई जाती हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार कान्हा राधा जी के साथ शाम होने पर वन में रास रचाते थे। उनका साथ देने के लिए वन के पेड़ पौधे गोपियां बन जाया करते थे।
कृष्ण अगर शरीर है तो राधा आत्मा : राधा कृष्ण एक प्रेमी प्रेमिका के रूप में जाने जाते हैं। हालांकि श्री कृष्ण की १६१०८ रानियां थी पर इन पर राधा का प्रेम भारी था तभी तो हर मूर्ति और तस्वीर में श्री कृष्ण संग राधा का स्थान है।
उनका प्रेम एक मिशाल है।
कृष्ण और राधा के प्रेम की प्रगाढ़ता ऐसी थी कि कृष्ण अगर शरीर है तो राधा आत्मा। एक कहानी के मुताबिक कान्हा के मथुरा जाने के पूर्व राधा ने उनसे पूछा कि वह उनसे विवाह क्यों नहीं कर लेते तो कृष्ण का उत्तर था ' कोई भला अपनी आत्मा से विवाह करता है क्या ? "




प्रेम तो हृदय से हो : कृष्ण राधा जैसा विशेष आलेख : 

प्रेम तो हृदय से हो : शक्ल और उम्र से नहीं प्रेम तो हृदय से होता है,। राधा जी कृष्ण से उम्र में बड़ी थी, फिर भी कान्हा राधा से बहुत स्नेह करते थे।कई विद्वानों के अनुसार राधा जी मिल्की वाइट थी जबकि कृष्ण सांवले।
श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं।उनका जन्म बड़े उद्देश्य से हुआ था। अपने ही मामा कंस की क्रुरता का अंत करने के साथ ही महाभारत काल में अधर्म पर धर्म की जीत के लिए पाण्डवों को मार्ग दिखाने के लिए कन्हैया इस पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। भले ही श्री कृष्ण की कई पत्नियां हुई पर राधा से उनका विवाह नहीं हुआ। शायद कृष्ण यह संदेश देना चाहते थे कि प्रेम में विवाह आवश्यक नहीं है। प्रेम अपने आप में पूर्ण है। प्रेम को सदैव आत्मा में समाकर अपने लक्ष्यों की पूर्ति की ओर अग्रसर रहे।    



कृष्ण राधा  प्रेम : कृष्ण और राधा के प्रेम की एक बड़ी अनोखी बात थी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा का विवाह रायाण से हुआ था जो कि माता यशोदा के भाई थे। यानी रिश्ते में राधा कृष्ण की मामी लगती थी।अगर इस तथ्य को सत्य माने तो कृष्ण को भले ही बचपन में राधा से प्रेम था लेकिन राधा की मंगनी पहले से ही हो चुकी थी। बड़े होने पर राधा और कृष्ण ने इस बात को समझा और विवाह न करके ये सीख कि प्रेम करना ग़लत नहीं,पर नैतिकता और परिवार के विरुद्ध जाकर अपने प्रेम को पाने का जतन करना ग़लत है।

पद्य संग्रह : श्री राधिका कृष्ण भजन पृष्ठ : २ / १ /. 
 लेखक कवि : डॉ.आर के दुबे.
शक्ति. सीमा.
*
हमरा से जादा वंशी मन भावे 


पृष्ठ सज्जा : महाशक्ति मीडिया. 
स्तंभ संपादन :  शक्ति.शालिनी. डॉ.सुनीता तनुश्री सर्वाधिकारी

*

प्रथम मीडिया.शक्ति.समर्थित संरक्षित.प्रस्तुति.  
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 सम्पादकीय आलेख :२ / २   
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लेखक :  कवि : विचारक. 



अरूण कुमार सिन्हा. को 
शक्ति.आरती 
सेवा निवृत अधिकारी. 
बिहार लोक सेवा आयोग. 

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श्री कृष्ण के दर्शन से ज्यादा सुन्दर क्या होगा : ? रुक्मिणी राधा मीरा
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श्री कृष्ण के दर्शन से ज्यादा सुन्दर क्या होगा : रुक्मिणी. राधा. मीरा. : कोई रुक्मिणी, राधा , मीरा और गोपियों से पुछे कि सौन्दर्य क्या है ? सब जानते है उनका जवाब क्या होगा ?  कोई मीरा, रसखान ,बिहारी  या सूरदास से पुछे कि सौन्दर्य क्या है,तो एक ही जवाब होगा,श्री कृष्ण के दर्शन से ज्यादा सुन्दर क्या होगा ? कोई हनुमान जी से पुछे कि इस ब्रह्माण्ड में सबसे सुन्दर क्या है तो जवाब होगा श्री राम,इस तरह सौन्दर्य तो एक ही है जो समस्त पदार्थों में समाहित है पर नजरें तो अनन्त हैं इसलिए सौन्दर्य के स्वरूप बदल जाते हैं, पर सेनेका कहता है कि इस दुनिया में खुबसूरत नजारों की कमी नहीं है परन्तु सबसे खूबसूरत नजारा किसी आदमी को एकदम विपरीत परिस्थितियों में न हार मानते हुए जूझते हुए देखना है,आप इससे कितना सहमत हैं। 
कृष्ण के दर्शन व उनके व्यक्तित्व में अटूट विश्वास रखने वाले अनन्य भक्त भी कहते है ,
'हे माधव ! यदि आप मेरे जीवन के सारथी हो जाए तो मैं किसी ऐसे नूतन विश्व का निर्माण कर ही लूंगा
जिसमें मात्र अनंत ( श्री लक्ष्मीनारायण ) शिव ( कल्याणकारी ) शक्तियाँ ही होगी
होलिका की अग्नि में मेरे अंतर्मन की चिर ईर्ष्या, पीड़ा ,द्वेष ,और बुराई जलकर भस्म हो.....
हे : परमेश्वर : आदि शक्ति : जीवन के इस अंतहीन सफ़र में तू मुझे मात्र ' सम्यक साथ ' प्रदान कर जिससे मेरी ' दृष्टि ' , ' सोच ' ,' वाणी ', और ' कर्म ' परमार्जित हो सके...'
सौन्दर्य अध्यात्म की दुनिया में :  अध्यात्म की दुनिया में कोई अध्यात्म की दुनिया में ही मगन हो जाता है और सारा संसार उसे रसहीन और सौन्दर्य विहीन नजर आने लगता है। कोई बच्चे के सहज मुस्कान और चंचलता में सौन्दर्य देखता है और उसकी सहजता और सरलता में खो जाता है। कभी कभी तो बढ़िया भोजन में भी सबकुछ नजर आने लगता है या एक भूखे को महज रोटी में अप्रतिम सौन्दर्य नजर आता है जो स्वाभाविक ही प्रतीत होता है,कहते हैं कि एक भरे पेट वाले शायर या कवि को चांद में अपनी प्रेयसी का चेहरा नजर आता है तो एक भूखे को गोल चांद में भी गोल रोटी ही नजर आती है। 
जिन्दगी एक अनवरत संघर्षों की गाथा है :  हमारे कहने का अभिप्राय यह है कि जितनी नजरें उतनी खुबसूरती नजर आती है। पर जिन्दगी जो एक अनवरत संघर्षों की गाथा है जिसमें कोई संसाधनपूर्णता में संघर्ष करता है तो कोई संसाधनहीनता में भी संघर्ष करता नजर आता है। कविवर निराला जी सड़क के किनारे पत्थर तोड़ती, संघर्ष करती औरत में जो सौन्दर्य नजर आता है,वह अप्रतिम सौन्दर्य है। 

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भले बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए : सम्पादकीय : पद्य संग्रह : पृष्ठ : २ / २ . 
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अरूण कुमार सिन्हा.
शक्ति.आरती 
*
लघु कविता 
*
प्रेम तू क्या है
कृष्ण को राधा और राधा 
को कृष्ण 

*



प्रेम
ओ प्रेम !
तु तो एक  तिलस्म है
करिश्मा है प्रेम !
तु तो अनंग होते हुए
भी वह कर सकता है कि
चेतना बुद्धि विवेक सब 
मिलकर भी नहीं कर सकते
दो को एक करने का हुनर
तो तुम्हारे ही पास है
कृष्ण को राधा और राधा 
को कृष्ण तो तु ही
बना सकता  है
एक रानी को मीरा 
तु ही बना सकता है
निर्गुण ( उद्धव जी ) को सगुण
भी तु ही बना सकता है
कहते हैं प्रेम न तो लेन देन है
न नफा नुकसान है
ना ही कोई विवशता
या व्यवसाय है
प्रेम न तो याचना है
ना कोई इच्छा या कामना है
यह तो मुक्त है स्वतंत्र है
निर्वाण है कैवल्य है ,मोक्ष है
संसार चक्र से मुक्ति का
एकमात्र मार्ग है, प्रेम
ओ प्रेम, तु तो गुंगे का गुड़ है
कबीर के तलवार की  म्यान है
राम की मर्यादा कृष्ण का आनन्द है


जीण का क्षमा
तथागत की करूणा है
जीसस का प्रेम
मोहम्मद का तौहिद है ,प्रेम 
तु संतों की गुरूवाणी भी है
तुम्हारी कोई जाति धर्म
रंग रूप भी नहीं है
कोई भाषा भी नहीं है
पर प्रेम की भाषा से बड़ी 
कोई भाषा भी नहीं है
जिसे पढ़ने समझने के लिए किसी इल्म की
जरूरत नहीं है
बस एक अदद दिल की
जरूरत होती है
जिसे कभी राम ने भी जानकी
विरह में पढ़ा 
जिसे भगवान चैतन्य ने पढ़ा 
जिसे मंसूर और सरमद ने पढ़ा 
मन और दिमाग से इसका क्या
वास्ता
प्रेम तु तो अनहद नाद है
ब्रह्माण्ड का शून्य है और जो
शून्य है
वही तो शिव है
शिव ही सत्य है सौन्दर्य है
प्रेम 
तु ही तो सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
का अजस्र मार्ग है
प्रेम 
ओ प्रेम 
अंत में तु तो अज्ञेय है।।
*
पृष्ठ सज्जा : महाशक्ति मीडिया. 
स्तंभ संपादन : शक्ति.शालिनी क्षमा कौल .  कवयित्री लेखिका. जम्मू   

*
ए. एंड. एम.मीडिया शक्ति. प्रस्तुति.


 
सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ : २/ ३ .
सम्पादकीय : आलेख :
*
 श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते. गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो. 


डॉ. संतोष आनन्द मिश्रा. 
इतिहासकार, साहित्यकार, ब्लॉगर. 
शक्ति. डॉ. श्वेता झा 
*
विशेष : हमारी सम्पादकीय शक्ति * समूह का विश्वास : हे माधव ! यदि आप मेरे जीवन के सारथी हो जाए तो मैं किसी ऐसे नूतन विश्व का निर्माण कर ही लूंगा जिसमें मात्र अनंत ( श्री लक्ष्मीनारायण ) शिव ( कल्याणकारी ) शक्तियाँ ही होगी
हे : परमेश्वर : गोविन्द आदि शक्ति के श्रोत : जीवन के इस अंतहीन सफ़र में तू मुझे मात्र मेरे जीवन रथ के लिए सारथी बन कर मात्र ' सम्यक साथ ' प्रदान कर जिससे मेरी ' दृष्टि ', ' सोच ',' वाणी ', और ' कर्म ' परमार्जित हो सके...यह हमसबों का सम्मिलित विश्वास है।
कृष्ण भक्त द्रौपदी : उनकी भक्ति और श्रीकृष्ण का सखा भाव  : महाभारत के सबसे मार्मिक और प्रेरणादायक प्रसंगों में से एक है द्रौपदी और श्रीकृष्ण की मित्रता। द्रौपदी केवल पांडवों की पत्नी ही नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त भी थीं। वे उन्हें अपना सखा ( मित्र ) मानती थीं और हर कठिन परिस्थिति में कृष्ण का स्मरण करती थीं। बदले में श्रीकृष्ण ने भी हर संकट में उनकी सहायता की और उनकी रक्षा का दायित्व निभाया।
द्रौपदी और श्रीकृष्ण की पहली भेंट : द्रौपदी का जन्म अग्नि से हुआ था और वे पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री थीं। जब उनके स्वयंवर का आयोजन हुआ, तो इसमें श्रीकृष्ण भी उपस्थित थे। उन्होंने स्वयंवर में कुछ नहीं किया, लेकिन वे जानते थे कि अर्जुन ही वह वीर हैं जो इस परीक्षा में सफल होंगे। स्वयंवर के पश्चात जब अर्जुन द्रौपदी को अपने घर ले गए और माता कुंती ने अनजाने में कहा कि "जो भी लाए हो, उसे आपस में बाँट लो," तब द्रौपदी को पाँचों पांडवों की पत्नी बनना पड़ा।
इस कठिन स्थिति में भी श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सांत्वना दी और कहा कि ' तुम्हारा विवाह किसी साधारण पुरुष से नहीं, बल्कि पाँच महान योद्धाओं से हुआ है, जो धर्म के रक्षक हैं। तुम सदैव धर्म का पालन करना और मैं सदा तुम्हारे साथ रहूँगा। '

साभार : शॉर्ट रील : माधव की रक्षा : द्रौपदी के लिए. 


*

द्रौपदी की साड़ी का उपहार और श्रीकृष्ण का ऋण  *: एक कथा के अनुसार, जब शिशुपाल का वध करने के दौरान श्रीकृष्ण के हाथ से खून बहने लगा, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बाँध दिया। यह श्रीकृष्ण के प्रति उनके प्रेम और सेवा-भाव का प्रतीक था।
इस पर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा, "सखी! तुमने मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। मैं इसका ऋण अवश्य चुकाऊँगा। जब भी तुम संकट में होगी, मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।" यही वचन आगे चलकर उनके चीरहरण के समय पूरा हुआ।
द्रौपदी का चीरहरण और श्रीकृष्ण की कृपा : जब कौरवों ने पांडवों को छल से जुए में हरा दिया, तब दुर्योधन ने क्रोध में आकर द्रौपदी को भरी सभा में खींचकर लाने का आदेश दिया। दुःशासन ने उनका अपमान करने का प्रयास किया और उनका वस्त्र खींचना शुरू कर दिया।
उस समय द्रौपदी ने पहले अपने पतियों को देखा, फिर सभा में बैठे अन्य वरिष्ठ जनों से सहायता माँगी, लेकिन कोई उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आया। तब उन्होंने हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण को पुकारा और संपूर्ण समर्पण के साथ कहा,  ' हे गोविंद ! हे माधव ! मेरी लाज अब केवल आपके हाथ में है। '
उनकी भक्ति और आर्त पुकार सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी कृपा से उनकी साड़ी को इतना बढ़ा दिया कि दुःशासन लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें नग्न नहीं कर सका और अंततः थककर गिर पड़ा।
यह घटना दर्शाती है कि जब कोई भक्त संपूर्ण समर्पण के साथ श्रीकृष्ण को पुकारता है, तो वे स्वयं उसकी रक्षा के लिए आ जाते हैं।
*
*
ए. एंड. एम.मीडिया शक्ति. प्रस्तुति. सम्पादकीय : आलेख : पृष्ठ : ४.
गतांक से आगे : १. 
   डॉ. संतोष आनन्द मिश्रा. 
इतिहासकार, साहित्यकार, ब्लॉगर.  
श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते.

*
वनवास के दौरान श्रीकृष्ण की सहायता : जब पांडव वनवास में थे, तब एक दिन महर्षि दुर्वासा अपने शिष्यों सहित उनके आश्रम में आए। युधिष्ठिर ने उनका स्वागत किया, लेकिन उनके भोजन के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं था। उसी समय श्रीकृष्ण वहाँ पहुँचे और उन्होंने द्रौपदी से भोजन माँगा। द्रौपदी ने दुखी होकर कहा, "हे केशव! मेरे पास कुछ भी शेष नहीं है।"
श्रीकृष्ण ने कहा, "मुझे तुम्हारे पात्र को देखने दो।" जब उन्होंने पात्र देखा, तो उसमें भोजन का एक छोटा सा अंश बचा हुआ था। श्रीकृष्ण ने उसे खाकर कहा, "अब संपूर्ण संसार तृप्त हो गया है।"
उसी समय, महर्षि दुर्वासा और उनके शिष्य, जो पास में ही स्नान कर रहे थे, अचानक पेट भर जाने जैसा अनुभव करने लगे। वे समझ गए कि श्रीकृष्ण ने भोजन ग्रहण कर लिया है, जिससे वे भी संतुष्ट हो गए। वे बिना कुछ माँगे वहाँ से चले गए और पांडवों को संकट से मुक्ति मिली।
महाभारत युद्ध और द्रौपदी की प्रार्थना : जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ हुआ, तो द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि वे उनके पतियों की रक्षा करें। श्रीकृष्ण ने आश्वासन दिया कि धर्म की विजय होगी और दुर्योधन जैसेअधर्मी नष्ट होंगे।
युद्ध के अंत में, जब अश्वत्थामा ने कौरवों की हार के बदले में द्रौपदी के पाँचों पुत्रों की हत्या कर दी, तब वह अत्यंत शोक में डूब गईं। श्रीकृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी और कहा, "हे सखी! यह संसार नश्वर है। जो आया है, उसे एक दिन जाना ही है। लेकिन सत्य और धर्म कभी नष्ट नहीं होते। तुम्हारे पुत्र वीरगति को प्राप्त हुए हैं और स्वर्ग में स्थान पा चुके हैं।"
द्रौपदी का जीवन और श्रीकृष्ण की भक्ति : द्रौपदी ने अपने जीवन भर श्रीकृष्ण को सखा और आराध्य के रूप में माना। उनकी भक्ति में संपूर्ण समर्पण था, और श्रीकृष्ण ने भी उन्हें सदैव अपनी कृपा प्रदान की।
महाभारत के अंत में, जब पांडव स्वर्गारोहण के लिए हिमालय की ओर गए, तब द्रौपदी सबसे पहले गिर गईं। युधिष्ठिर ने कहा कि यह इसलिए हुआ क्योंकि द्रौपदी ने पाँचों पांडवों में अर्जुन को सबसे अधिक प्रेम किया था। लेकिन यह भी सत्य है कि उनकी सबसे प्रिय मित्रता श्रीकृष्ण के साथ थी, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनकी रक्षा की।
द्रौपदी और श्रीकृष्ण की मित्रता प्रेम, विश्वास और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है। यह दर्शाता है कि जब एक भक्त संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान को पुकारता है, तो वे स्वयं उसकी रक्षा के लिए आते हैं।
द्रौपदी की कथा हमें सिखाती है कि चाहे संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर भक्ति सच्ची हो और विश्वास अटूट हो, तो भगवान सदैव अपने भक्त की रक्षा करते हैं।

स्तंभ संपादन : शक्ति.सम्पादिका. डॉ.नूतन : लेखिका. 
देहरादून : उत्तराखंड.
पृष्ठ सज्जा : महाशक्ति * मीडिया. 


*
ए. एंड. एम.मीडिया शक्ति. प्रस्तुति. 


सम्पादकीय : आलेख :
*
महाशक्ति * मीडिया प्रस्तुति
सम्पादकीय : आलेख :
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राधिककृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : कल : पृष्ठ : २ . 
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*
*
राधा : कृष्ण : दृश्यम : विचार : लिंक
पुराने दृश्यम व विचार देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
* 
राधिकाकृष्ण : प्रेम रंग.
*
टाइम्स मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति.
 खुसरो के दोहे.

पी गोरी मैं साँवरी.
*
नदी किनारे मैं खड़ी सो पानी झिलमिल होय
पी गोरी मैं साँवरी अब किस विध मिलना होय.
* 

प्रेम अद्वैत 
*
पाने की कोई चाहत न हो 
फ़िर भी खोने का भय बना रहे उसे प्रेम कहते है 
*

बिहारी.
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोई।
जा तन की झाँई परै, स्यामु हरित-दुति होइ

*
एम. एस. मीडिया. शक्ति प्रस्तुति.
ख़ुसरो बाजी प्रेम की

ख़ुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग 
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग. 

*
अमीर खुसरो. सूफी दोहे 
*


*
राधाकृष्ण : पीड़ा. 
*
अनजान सी ' रुक्मिणी ',बेचैन सी ' मीरा ' 
बस ' राधा ' ही जाने है, ' श्याम ' की पीड़ा. 


*
 
प्रथम मीडिया शक्ति. प्रस्तुति.

©️®️ M.S.Media.
*
राणा : मीरा : माधव. 

 वो अनंत प्रेम ही क्या  जो 
भगवन भक्त  की परीक्षा न ले 
राणा दे मीरा को प्याला बिष का 
माधव ही क्या जो उसे अमृत न बना दें  
वो ' मानव प्रेम ' ही क्या जो प्रति पल अपने ' ह्रदय ' को कष्ट न दें 
@ डॉ. सुनीता मधुप. 
*
कृष्ण : महाभारत : धर्म : साथ. 


*
ये बात हमेशा याद रखना कि अगर तुम्हारे हिस्से में धर्म - युद्ध है
तो तुम्हारे हिस्से में कृष्ण भी आयेंगे.


प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
कर्म और यश 

कोई भी मनुष्य किसी प्रतिष्ठित कुल या कुटुंब में जन्म लेने से नहीं 
अपने सुकर्मों से यशस्वी और महान बनता है 
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में : कल : पृष्ठ : ३  .
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*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति : साभार. 

अब लाज बलम रखो मोरी 
   सब कुछ सरकार तुम्ही से है.
*
साभार : लघु फिल्में. 
*
पार्थ : मिथ्या बंधनों से मुक्त हो जाओ. 

कर्म योग 
करम किये जा फल की चिंता मत कर इंसान 
ये है गीता का ज्ञान ये है गीता का ज्ञान 
*
एम एस मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
*
दृश्यम : श्री कृष्ण का देह त्याग : माधव का अंत.

*
एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति साभार 

भीष्म : कृष्ण : संवाद. 
कृष्ण कैसे हुए विवश अस्त्र उठाने के लिए ? 
*
प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
दृश्यम :  कृष्ण तक पहुंचने का : राधा ही माध्यम

*
ए. एंड. एम.मीडिया शक्ति. प्रस्तुति. 


साभार : लघु फिल्में. 
*
हिमाचल : किन्नौर : कृष्ण का सबसे ऊँचा मंदिर 
*

प्रस्तुति शक्ति डॉ. भावना अर्चना 


डॉ. अमरदीप नारायण. नालन्दा हड्डी एवं रीढ़ सेंटर.बिहार शरीफ समर्थित. 
*
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राधिकाकृष्ण : शक्ति : फोटो दीर्घा : आज और कल : पृष्ठ : ४ .
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पुणे डेस्क : महाराष्ट्र.
*
*
 महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
सम्पादित 
शक्ति. डॉ.अनीता श्वेता सीमा प्रीति सहाय.

श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर : दर्शन :  लाइब्रेरी चौक :: मसूरी : फोटो : शक्ति डॉ.सुनीता मधुप 
श्री लक्ष्मी नारायण : माधव : श्री रुक्मिणी राधे रमण के दुर्लभ दर्शन : फोटो : शक्ति प्रस्तुति. 
 भोर भए गैयन के पाछे,मधुबन मोहि पठायो। चार पहर बंसीबट भटक्यो साँझ परे घर आयो।

मोहे पनघट पर नन्दलाल छेड़ गयो रे : फोटो कोलाज : शक्ति प्रस्तुति : महाशक्ति मीडिया. 


डॉ. दीना नाथ वर्मा. चिकित्सक. दृष्टि क्लिनिक बिहार शरीफ.समर्थित. 
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राधिकाकृष्ण : शक्ति : कला  दीर्घा  : आज और कल : पृष्ठ : ५ .
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नैनीताल डेस्क. 
सम्पादन.


  शक्ति. दीप्ती बोरा. नैनीताल. 
जाबा सेन.नई दिल्ली.  
*
श्री कृष्ण : एक कलाकृति : शक्ति : चंडीगढ़ 
कृष्ण की हर बात का आधार है राधा : राधिका कृष्ण : कलाकृति :शक्ति. मंजिता.
गोवर्धन पर्वत धारण कर गोकुलवासियों को इंद्र के क्रोध से संरक्षण : एम एस मीडिया. कला कृति

जिसके मन भाए बस उसी के गुण गाए  : राधिका कृष्ण कलाकृति : कर्नल सतीश कुमार सिन्हा 


कृष्ण के मोर पंख : कलाकृति :आकाशी वर्मा :डी ए वी : चयन :
 डॉ.सुनीता शक्ति अंशिमा सिंह.

*

डॉ.आर. के. प्रसाद . हड्डी रोग विशेषज्ञ .आर्थो आश्रम : दरभंगा
: समर्थित :
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आपने कहा : दृश्यम : मुझे भी कुछ कहना है : समसामयिकी. पृष्ठ :५ .
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आपने कहा : दृश्यम : पृष्ठ :५ .
संपादन.
शक्ति. डॉ राशि. नमिता सिंह.
ब्लॉगर.स्वतंत्र लेखिका.
रानीखेत.


दृश्यम : गुरुग्राम : इस्कॉन मंदिर.दर्शन माधव के
मानवेन्द्र : संपादक : बियॉन्ड इण्डिया.नई दिल्ली.
*
दृश्यम  : कृष्ण ' शक्ति ' मेरी ' भक्ति '. 

*
सब कुछ सरकार तुम्हीं से है 
*

दिव्य भविष्यवाणी ज्योतिषाचार्य : श्री अश्वनी : पटना : समर्थित
*
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दिन विशेष : मुझे भी कुछ कहना है : शब्द विचार : समसामयिकी : पृष्ठ : ६
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संपादन
शक्ति.डॉ.भावना प्रीति रंजना रीता नमिता अंशिमा सिंह
*
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दिन विशेष :पृष्ठ:६.
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सम्पादित
शक्ति. डॉ. भावना रंजना रीता वाणी
*
अक्षय तृतीया की शुभकामनाओं के साथ
स्वर्णिका ज्वेलर्स. बिहार शरीफ समर्थित


प्रकृति, प्रेम,पहाड़,उत्तम पुरुष, पुनःनव निर्माण,अध्यात्म,सन्यास,और पुनर्जन्म.
*
*
संयुक्त मीडिया प्रेषित दिन विशेष
*
विश्व संगीत दिवस : शक्ति सरस्वती स्मृति दिवस 


*
अक्षय तृतीया
व श्री ' लक्ष्मी नारायण ' : बद्री विशाल : बदरी नाथ कपाट खुलने की
की ' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभ कामनायें...
दिव्य त्रि* शक्तियां

*
४ मई
अंतर्राष्ट्रीय हास्य दिवस. व
अंतर्राष्ट्रीय अग्नि शामक दिवस
*

अपने भीतर की ईर्ष्या, ' क्रोध ' व  ' ग़लतफ़हमी ' की 
' अग्नि ' को शमित करें 
*

विश्व हास्य दिवस की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाएं
कभी कभी तो अपनों के साथ जी ले हंस ले
हर साल ' मई ' के पहले रविवार को मनाया जाता है.
*
---------
मुझे भी कुछ कहना है : शब्द विचार : पृष्ठ :६.
----------
*
संपादन
शक्ति. डॉ.अनीता रीता वाणी प्रीति सहाय
*

श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते
टाइम्स मीडिया. शक्ति * : प्रस्तुति.
मुझे भी कुछ कहना है.पृष्ठ :६.

*
राम को समझो कृष्ण को जानो

*
टाइम्स मिडिया शक्ति प्रस्तुति.
कोलकोता डेस्क 
*
 
नई  सुबह : की नई किरण 


सम्यक ' साथ '  और ' वाणी '
*

क्या कहना है, कब कहना है, कहां चुप रहना है, कहां बोलना है, ?
कहां रुकना है और कहां चलना है, ?
जो व्यक्ति यह बातें समझता है,  उसे जीवन में कभी पछतावा नहीं होता
इसलिए केवल सम्यक ' साथ ' रखें और ' वाणी ' संयमित रखें 

' नदी ' मिले ' सागर ' में  
*
जन्म के ' रिश्ते '...ईश्वर का ' प्रसाद ' जैसे हैं
लेकिन खुद के बनाये ' रिश्ते ' आपकी बेमिसाल ' पूँजी ' हैं....
स्नेह ,सम्मान के साथ सहेज कर रखना
' कृष्ण ' ह्रदय में ' धैर्य ' और समुद्र ' जैसा ' अनंत ' विशाल ' सार्थक ' कर्म करते रहना
' नदियां ' स्वयं ही तुम में विलीन हो जाएगी
*
@ डॉ.अनीता सुनीता शक्ति *सीमा
बड़ोदा
*
नसीहत : सच्चाई : तारीफ : धोखा 

' नसीहत ' .. वह ' सच्चाई ' है जिसे हम कभी ग़ौर से नहीं सुनते
 और ' तारीफ ' ... वह ' धोखा ' है जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते हैं 

*
प्रत्येक सुबह हमारा नया ' जन्म ' होता है और आज हम जो 
करते है वही सबसे ज्यादा ' भविष्य '  के लिए मायने रखता है, ' पार्थ '  !

*
हे माधव ! यदि आप मेरे जीवन के सारथी हो जाए तो मैं किसी ऐसे नूतन विश्व का निर्माण कर ही लूंगा
जिसमें मात्र अनंत ( श्री लक्ष्मीनारायण ) शिव ( कल्याणकारी ) शक्तियाँ ही होगी
होलिका की अग्नि में मेरे अंतर्मन की चिर ईर्ष्या, पीड़ा ,द्वेष ,और बुराई जलकर भस्म हो.....
हे : परमेश्वर : आदि शक्ति : जीवन के इस अंतहीन सफ़र में तू मुझे मात्र ' सम्यक साथ ' प्रदान कर जिससे मेरी ' दृष्टि ' , ' सोच ' ,' वाणी ', और ' कर्म ' परमार्जित हो सके...

*
तनिक स्मरण रहे पार्थ !
महाभारत के इस ' धर्म युद्ध ' में साथ होकर,
....' अस्त्र - शस्त्र ' का पूर्णतः ' परित्याग ' करते हुए,
मैं तुम्हारा मात्र ' सारथी ' बनकर किंचित
' दिशा ' और ' सन्मार्ग ' ही सुनिश्चित करूँगा....और कुछ भी नहीं

*

' आस्था ' और ' प्रार्थना ' दोनों अदृश्य है 
लेकिन वो सब देख रहा है न 
वो सब सुन रहा है न 
' आस्था ' और ' प्रार्थना ' दोनों अदृश्य है 
लेकिन वे असंभव को भी संभव कर देते है 

*

विनम्रता ' सहनशक्ति ' ' समझशक्ति ' 

विनम्रता का अर्थ मात्र ' समर्पण ' नहीं है, 
' सहनशक्ति '  ' समझशक्ति ' को उन्नत करना है  
यह ' रिश्तों ' को बरकरार रखने के लिए अचूक अस्त्र है,
' विनम्र रहना सीखिए  ' सदैव ' प्रसन्न रहने का प्रयत्न करें . 

*
प्रेम दीवानी जग ने मानी तो मैंने भी ठानी 
कहाँ से कहाँ मैं चली आयी राधा कृष्ण दीवानी 
*
कृष्ण : की आह्लादिनी  :  शक्ति : राधा 
राधा : कृष्ण : नारायण : एक हैं 
डॉ.सुनीता मधुप.
©️®️ M.S.Media.
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अनंत श्री लक्ष्मी - नारायण : राधिका : रुक्मिणी : कृष्ण : शिव शक्ति सदा सहायते.
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*
मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ :६.
एम एस मीडिया.नैनीताल डेस्क अधिकृत
*
पश्चाताप.., और पहल : शक्ति. डॉ.सुनीता मधुप.
*
शक्ति राधिका कृष्ण : जीवन दर्शन  

*
पर उपदेश कुशल बहुतेरे, खुद पर आज विचारे कौन 

झांक रहे हैं इधर उधर सब  ,अपने अंदर झांके कौन ?
ढूंढ रहे दुनियां में कमियां,अपने अंदर ताके कौन ?
दुनियां सुधरे सब चिल्लाते खुद को आज सुधारे कौन 
पर उपदेश कुशल बहुतेरे, खुद पर आज विचारे कौन 
हम सुधरेंगे जग सुधरेगा ,यह सीधी बात स्वीकारे कौन ?
*
सत्य : अप्रिय  और झूठ : कल्याणकारी 
*
मीठा ' झूठ ' बोलने वाले सबके ' चहेते ' बनकर रहते  हैं ! 
जब कि  ' साफ -साफ ' बोलने बालों से हर ' हफ्ते ' एक दो रिश्ते साफ हो जाते हैं। 
सच कहा आपने... 
फिर ' परिवेश ', ' समय ', ' काल ' और ' व्यक्ति ' को देखते हुए ...
कड़वे सच को ही मीठे अंदाज में कहिए ना...कम से ' गैरों ' के लिए न सही 
' अपनों ' के लिए तो अपनाए  
*
@ डॉ.अनीता सुनीता शक्ति *सीमा प्रीति बीना जोशी

*
पश्चाताप.., अपने सगे ' जनों ' के लिए ' सार्वजानिक ' रूप से बोले गए
कड़वे , ' अमर्यादित ', तंज ' शब्दों ' के लिए का ही हो यह ' जरूरी ' नहीं
कभी - कभी समय पर अपनी तरफ़ से ' क्षमा ' वश नहीं ' बोलने ', ' पहल ' करने का पश्चाताप भी जीवन भर रहता है....
विचार कीजिये यदि ' आप ' इनमें से हैं तो ' पहल ' आप ही करें

*
माधव : दर्शन : कृष्ण : लीला : खेल

माधव : दर्शन : खेल

हर चीज का वक़्त तय है , आप कहीं पर पहुँचते नहीं
पहुँचाये जाते हो, ' खेल ' तुम नहीं रहे ' खेल ' तो वो रहा है
*
प्रस्तुति
माननीय रघुपति सिंह. इलाहाबाद.
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )
*
कबीर दास. 

शब्द सम्हारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव

*
मैया मोरी ' मैं ' नहीं माखन खायो
मैया मोरी ' मैं ने 'ही माखन खायो

*
शब्द सोच और समझ

शब्द और ' सोच ' ' दूरियां ' बढ़ा देते हैं कभी तो हम ' समझ ' नहीं पाते और कभी हम ' समझा ' नहीं पाते हैं
*
' अहम ' वहम ' और रिश्ते

रिश्ते चाहे कोई भी हों, यूं ही नहीं टूटते,
तोड़े जाते हैं,कभी ' अहम ' के कारणऔर कभी ' वहम ' के कारण
*
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', सम्यक ' वाणी ' और सम्यक ' कर्म ' 
*
प्रकृति, प्रेम,पहाड़,उत्तम पुरुष, पुनःनव निर्माण,अध्यात्म ,सन्यास ,और पुनर्जन्म.

@ डॉ.सुनीता मधुप.
*

*
मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ :६ .


*
प्रथम मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति
नर्मदा डेस्क. श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते
*
कान्हा : मैं ' नहीं ' माखन ' खायो.



*
साभार पंक्तियाँ
*
प्रथम मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति

*
भगवान और इंसान
*
इस कदर बंट गए हैं जमाने में सभी अगर ' खुदा ' भी आकर कहें मैं ' भगवान ' हूँ तो लोग पूछेगें..... किसके ?

*
क्या लेना ... क्या देना और क्या छोड़ जाना ?
*
जिंदगी का सफर भी कितना अजीब है ? बिना कुछ लिए हम खाली हाथ आते हैं, हर चीज के लिए लड़ते हैं ,और अंत में सब कुछ यहीं छोड़ कर चले जाते हैं,
*
सम्यक समय और कर्म

आनेवाले कल के लिए ' योजना ' बनाना यह ' भविष्य ' नहीं है आज हम ' क्या ' कर रहे हैं उसका ' परिणाम ' ही भविष्य है।
*
समयक हरि - जन

जो ' लिखा ' है वो होकर रहेगा,
एक रास्ता बंद करने से पहले ईश्वर ' १० ' रास्ते खोल देते हैं ,
गर्मी के मौसम में पत्ते सूखने के बाद भी पंछी घोसला नहीं छोड़ते
क्योंकि वो भी जानते हैं कि फिर से ' बरसात ' आएगी और पेड़ पर नए ' पत्ते ' आएँगे .
जो हुआ उसे भूल कर नई ' शुरूआत ' करो और याद रखो
जिसका कोई नहीं होता उसका ' ईश्वर ' होता है।
*
माननीय रघुपति सिंह. इलाहाबाद.
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )

*
ए एंड एम मिडिया शक्ति. शिमला डेस्क प्रस्तुति : पृष्ठ :.
राम को समझो कृष्ण को जानो

हरि अनंत हरि कथा अनंता : श्री कृष्ण 
*
' धैर्य '' पुरुषार्थ 'सम्यक ' कर्म '
*
' शांति ' एक पृष्ठभूमि है, ' धैर्य ' स्वयं का ' पुरुषार्थ ' 
सतत सम्यक ' कर्म ' ही ' जीवन ' का ' आधार सूत्र ' है 
इसको समाहित करने के लिए भगवान कृष्ण की गीता तत्व के आधार का अनुकरण आवश्यक है
*
माननीय रघुपति सिंह.इलाहाबाद.
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )

*
श्री लक्ष्मी नारायण : हरि : राम : कृष्ण 
'अजन्मा ', ' अविनाशी ', ' सर्वव्यापी ', और ' अंतर्यामी '
*
वो 'अजन्मा ', ' अविनाशी ', ' सर्वव्यापी ',  ' अंतर्यामी ' और ' शिव '  है 
वो सबकुछ ' देख ' रहा है, ' जान ' रहा है, और समझ रहा है   
शक्ति. डॉ. सुनीता मधुप. 
*
गोविन्द : टून : पंचायत 

गोविन्द जय जय  गोपाल जय जय 
राधा रमण हरि गोविन्द जय जय 
*
अनुभूति सत्य की
* सच को चाहे जितने रुपों में देखा जाए, व्यक्त किया जाए,
देखा जाए पर सच अंतिम रूप में सच ही होता है। ठीक इसके उलट झूठ को चाहे कितना भी अलंकृत करके,आवृत करके कहा जाए,देखा जाए पर झूठ तो सदैव झूठ ही रहता है। यह जीवन का व्यवहार है जिसका अवलोकन हमें करते रहना चाहिए।
अरुण कुमार सिन्हा.
*
जड़ें : टहनी : पेड़
*
फूल या फल चाहे कितनी भी ऊँची टहनी पर लग जाये, लेकिन वह खिलता या पकता तभी है जब तक उसकी जड़ें मिट्टी से जुड़ी रहती हैं.
*
फरिश्ते

किसी को खुश रखने का मौका मिले तो छोड़िये मत ! फरिश्ते होते हैं वह लोग जो दूसरों की खुशी का ख्याल रखते हैं
*
अपनापन
अपनापन भी किसी वैद्य से कम नहीं होता
क्योंकि हर तकलीफ में उससे ताक़त की दवा मिलती है।
*

 ' निकृष्ट '
*
दूसरों से ' ईर्ष्या ' और ' जलन ' रखना स्वयं के ' निकृष्ट ' होने का  सिद्ध ' प्रमाण  ' है
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शब्द चित्र : विचार : पृष्ठ : ६ 
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संपादन 
शक्ति रंजना.नमिता.अंशिमा. 
स्वतंत्र लेखिका.हिंदुस्तान 
 *
*

आत्म विश्वास और परिश्रम.


 
*

सिद्धार्थ. सिद्धि के लिए अर्थ : आपने कहा : 


*
अत्यधिक संघर्ष के बाद भी जब आप सफल नहीं हो पाते हैं 
तो रास्ते बदलिए सिद्धांत नहीं क्योंकि पेड़ भी हमेशा पत्ते बदलते हैं जड़ें नहीं 
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संयुक्त मीडिया प्रस्तुति. दिन विशेष : विचार : दृश्यम पृष्ठ : ६.
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सम्पादित.
शक्ति डॉ.सुनीता प्रतिभा भावना अंशिमा सिंह
*
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दिन विशेष : विचार :पृष्ठ : ६.
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कोटा डेस्क राजस्थान.
शक्ति प्रतिभा भावना अंशिमा सिंह
*
. प्रथम . मीडिया  शक्ति प्रस्तुति.
*
मातृ दिवस : पर शक्ति योगमाया श्री कृष्ण की 
 
 देवकी : यशोदा तथा अन्य दिव्य माताओं के लिए  
अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें. 

बालक : कृष्ण लीला : यशोदा : माखन प्रसंग 

मैया मोरी ' मैं '  ' नहीं ' माखन खायो 
मैया मोरी मैं ने ही माखन खायो


शक्ति सीता प्राकट्य दिवस
बैशाख शुक्ल पक्ष नवमी
*
कबहुक अम्ब अवसर पाइ ।
मेरि सुधि द्याइबी कछु, करुन कथा चलाइ ।
जानकी जग जननि जन की, किये बचन सहाइ ।
तरइ तुलसीदास भव तव, नाथ गुन गन गाइ ॥
विनय पत्रिका : तुलसी दास
*
समस्या : आशा : जीवन : प्रयास 

*
एम. एस. मिडिया. शक्ति प्रस्तुति.

हनुमान जयंती. 

तुलसी
रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
*
प्रथम मिडिया शक्ति प्रस्तुति.

*
समसामयिकी. पृष्ठ :६ .

२२ मार्च : बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

शॉर्ट रील : गर्व से कहें कि हम बिहारी हैं 
*
बिहार है : चन्द्रगुप्त का अहंकार है. 
*

मथुरा : वृन्दावन : बरसाने : गोकुल : गोवर्धन


⭐ एम एस मीडिया
*
साभार.

*
प्रारब्ध : और अंत.
संस्थापिका.प्रेरणा.
मातृशक्ति.


निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३.
 विशेष संरक्षण शक्ति ' हम '
*

*
माननीय : चिरंजीव नाथ सिन्हा. भा.पु.से.
माननीय : विकास वैभव. भा.पु.से.
माननीय : मुकेश कुमार. : भा.पु.से.
शक्ति : साक्षी कुमारी : भा.पु.से.


*
*

*
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फोटो दीर्घा : समाचार : समसामयिकी : संक्षिप्त : पृष्ठ :६ .
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*
शक्ति. डॉ. भावना रंजना माधवी संगीता
*

डी. वी. प्रसाद. पुण्य तिथि.५ .५ .२०१९ . वो जब याद आए बहुत याद आए साभार : दैनिक भास्कर : बिहार शरीफ : पृष्ठ


*
बिहार दिवस : बिहार दर्शन :
राजगीर ज़ू सफारी :


राजगीर ज़ू सफारी : एक दर्शनीय पर्यटन स्थल : बिहार का पुनः नव निर्माण : फोटो कोलाज .डॉ. मधुप.
 
*
Blog Magazine English Section
Powered by  DAV Public Schools 
S.P Arya DAV Public School. Biharsharif. 
*
Dav Public School. PGC Campus. Biharsharif.   
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Admission Opens for Session 25 - 26. Few Seats are remaining.
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M.S. Media Powered. 
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Darshan 
Aaj Ka. Radhika : Krishna : English Page : 0
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Nainital Desk 
Editor.
Shakti Anu Radha 
*
 Darshan Aaj Ka.

Prabhu  Jee Tum Chandan Ham Pani
*
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 Radhika : Krishna : Darshan English : Contents Page : 0
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Powered by  A & M Media 
Shimla Desk.

Editor : Shakti Dr. Bhwana Archana  Seema Tanu Sarvadhikari .
*

Contents
*


Radhika Krishna Shakti Contents 
Darshan  Aaj Ka : Page : 0
Editorial : Page : 1
Vibes : of the Day : Radhika Krishna : Page : 2.
Photo Gallery : English : Page : 3.
Art : Gallery : Page : 4.
You Said It : Day Special : English : Page : 5


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Shakti Radhe Krishna : Editorial Desk : English : Page : 1
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*
Powered by Dr. Akhilesh Kumar : Recent Diagnostics : Bihar Sharif 

*



Dehradun : Shimla Desk.
*
Shakti Editor.


*
Shakti.
Prof. Dr. Roopkala Prasad.
Shakti. Anshima. Archana . Bhagwanti Singh
*
Assistant Executive Editor.  

Shakti. Madhulika Seema Suruchi Tanu Sarvadhikari .
Bengaluru Nagpur 

*

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Vibe : Pictures of the Day : Radhika Krishna : English : Page : 2.
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Shakti. Dr.Anita Seema Archna Anshima Singh
Baroda.
Powered by Leo.




Pratham Media : Narmada Desk : Picture Vibes
*

*
Your Greatness

Your ' Greatness ' is not what you have 
It is what you ' Give ' indeed.

*

Life : Problems : Madhav : Solution 
 I need you Madhav !
To listen all my problems, at the end of the day 
Hey ! through the jungles in Vrindavan on the way.


*
Times Media : Kolkotta Desk : Picture Vibes
*

Intuition : Soul.

Intuition is the GPS of the  Soul.

*

Smiles with  Tears 

*
Truly ' Smiles ' hide a lot of ' Tears ' 
that indeed shows in a 'Second ' 

*

*
Person : Perfection and Dedication 
*
a person can attain ' perfection ' if he works 
with ' faith ' and 'dedication '

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Photo Gallery : English : Page : 3
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Editor. 
Shakti Madhvee Seema Bhavana Sangita Singh

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Royal Palace of King Dasharatha : Ayodhya : Photo : Shakti
Sangeeta Rajeev Singh.

*
Day Special : English Page :  4
Editor : Dr.Anita Seema Preery 

Achievers Academy Brought to You
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Ist  of July : Doctor's Day 
Thank you for Spreading Real Smiles in our life
Happy Doctor's Day GIF
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You Said It : English : Page : 5
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Powered by Leo Zodiac
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Shakti Editor 

Dr. Bhwana Suruchi  Shakti *Seema Anshima Singh
*
' Karmanye Vadhikaraste ma phaleshu Kadachana ' Dav follows the policy of  Govinda's  Karma 
  in a 3 – day Capacity Building Programmes was inaugurated at DAV Public School, Cantt. Area, Gaya.
Report Dr. Sunita Madhup.


                     a 3 – day Capacity Building Programmes was inaugurated at DAV: photo Shakti. 

ER /  Gaya As I feel that  the Bhagavad Gita strongly emphasizes the concept of karma. It teaches that actions have consequences, and the results of one's actions, both good and bad, will be experienced in this life or future lives, influencing one's destiny. The Gita also explores how to perform actions without attachment to their results, a key aspect of Karma Yoga.
Similarly the nation wide Dav Movement also believes in the philosophy of  Samyak Karma of Lord Krishna, a capacity building programme. It  is a process well explored by the architects of Dav.  that strengthens the skills, knowledge, and resources of individuals, organizations, and communities to enable them to achieve their goals and objectives. It involves training, technical assistance, mentoring, and other activities aimed at empowering individuals and groups to take control of their own development and achieve sustainable results.
Today, On 19th May 2025, a 3 – day Capacity Building Programmes was inaugurated at DAV Public School, Cantt. Area, Gaya for sharpening the pedagogical skills of the teachers. The programme is being organized by the Regional Training Centre, BR Zone – E & H and around 400 teachers of 17 different DAV Public Schools are participating in the programme.
In this programme, 40 master trainers of different subject & level will extend their efforts for imparting different skills and illustrate latest changes in the curriculum under the mentorship of their subject coordinator.
In the inaugural session, the training coordinator requested all the participating teachers to inculcate values like service, politeness, kindness, commitment, truthiness etc. in themselves and then forward those values in the children.
Decorative : Shakti Anshima Singh.
Column Editor : Dr.R.K.Dubey.
yet to be continued ..in the Educational page 

They wanted silence we sent thunder .
*
They left our women to tell the 
story of that day 
so we sent our women back to show them
how we answered .
*

Shakti  Samman
Our Combined Salute to 
 Col. Sofia Qureshi
&
Vyomika Singh
Wing Commander 
*
Hum Sab
Wing Commander Shree Alok Sahay
Let.Col. Manoj Kumar Sinha
Col. Satish Kumar Sinha.
jai Hind.

Comments

  1. It is a very nice beginning...
    Keep going with your divine aim.. to make this world as of Ram Krishna

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  2. Replete with the shower of religious fervour and spiritual spirit, the aroma of magical powers of compassion and blessings goes without saying by virtue of this blog's post regarding Lord Krishna and Radha Rani.
    Kudos to Dr. Madhup Raman for this post.

    ReplyDelete
  3. It is a very nice spritual page : Radhika : Krishna Darshan that reflects the practical approaches and philosophy of the common life of the common people

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