Radha : Krishna : Drishyam : Vichar : Darshan

 
©️®️ M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
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Cover Page.0.

     आवरण पृष्ठ : ० 
मेरो तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोय. 
 ⭐
राधा कृष्ण : दृश्यम ; विचार : दर्शन 

विषय सूची.

शक्ति.राधिका कृष्ण सदा सहायते 
आवरण पृष्ठ : पृष्ठ : ०.
विषय सूची : पृष्ठ : ०.
सुबह और शाम : शाम. पृष्ठ : ०.
राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : लघु फिल्में : आज  : पृष्ठ :  .
सम्पादकीय : पृष्ठ : २. 
राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : कल : पृष्ठ : ३. 
प्रारब्ध : और अंत
आपने कहा : आपने कहा : पृष्ठ : ४.
*
*


दैनिक / अनुभाग. ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
*

 स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.

दैनिक अनुभाग.   
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       सुबह सवेरे : शाम. पृष्ठ : .
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार. 
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', सम्यक ' वाणी ' और सम्यक ' कर्म ' 
आज दैनिक अनुभाग. 

*
दिव्य अनंत शिव शक्ति. 

*
दर्शन डयोढ़ी : राधिका कृष्ण : पृष्ठ : ०.  

एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति. 

दिव्य अनंत शिव शक्ति. 
दर्शन डयोढ़ी : राधिका कृष्ण : पृष्ठ : ०.  

महा शक्ति मीडिया प्रस्तुति 
राधिका : कृष्ण दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :०.


राधा रमण : हरि : गोपाल बोलो.



सत्यमेव जयते

' सच ' बोले मगर ' सोच - समझ ' कर ' मधुर ' बोलें ' कड़वा ' नहीं 
सत्य ' परीक्षित ' है ,' विजित ' है  तो इसका ' सत्यमेव जयते ' होना ही है

*
' सब्र ' है क्योंकि ' यकीन ' है मुझे तुम पर 
कोई तो है जो सबकुछ सही कर देगा 

*
सम्यक साथ ' सत्य 'और समय 
*
दुर्जनों के ' परित्याग ' में क्षण भर का ' विलम्ब ' मत करो 
तुम केवल सम्यक ' साथ ' ढूँढो 
तुम्हारी ' सोच ' , ' दृष्टि ' और ' वाणी ' स्वतः समृद्ध हो जाएगी 

शक्ति. प्रीति डॉ. सुनीता मधुप अनुभूति .  

*

यदि आप आर्य जनों के लिए ' सम्यक ' है ' सहिष्णु ' हैं  
साथ में सम्यक ' दृष्टि ' , ' वाणी ' और ' कर्म ' रखते है 
तो माधव में ' विश्वास ' रखें : मैं हूँ ना ?
*
शक्ति. प्रिया डॉ. सुनीता मधुप.  


 टाइम्स मिडिया शक्ति.संपादन.
राधिका : कृष्ण दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :०.

कर्म : जीवन 
*
कर्म : जीवन 

कोई मिलने आये या ना आए एक न एक दिन 
आपके ' कर्म ' आपसे मिलने जरूर आयेंगे 

*
भगवान : समस्या : समाधान 

भगवान से न कहो कि ' समस्या ' विकट है 
' समस्या ' से कहो कि भगवान मेरे निकट है 
*
समय : स्वभाव : परिवर्तन 

कुछ पा लेना जीत नहीं 
कुछ खो देना हार नहीं केवल ' समय ' का प्रभाव है 
' परिवर्तन ' तो ' समय ' का ' स्वभाव ' है  
*
' संतुष्टि ' और ' कष्ट '

जिंदगी जीने के बहुत से ' तरीके ' हैं ,लेकिन 
सर्वश्रेष्ठ तरीका वही है जिससे स्वयं को ' संतुष्टि ' मिले और 
दूसरे आर्यजनों को ' कष्ट ' न पहुँचे 

राधिका : कृष्ण दर्शन : पृष्ठ :०.


कुमार विश्वास : दृश्यम : पंक्तियाँ
पायी न रुक्मणि सा धन वैभव
सम्पदा को ठुकरा गयी राधा

प्रथम मिडिया शक्ति. समर्थित. पृष्ठ :०.

ईश्वर : भाग्य : कर्म : 

जो है उसे स्वीकार करो : जो था उसे जाने दो 
और जो होगा उस पर विश्वास रखो
*
प्रथम मिडिया शक्ति. दृश्यम पृष्ठ :०.
हरि अवतार : श्री राम कृष्ण की ही सर्वाधिक पूजा क्यों 
*


ए एंड एम शक्ति समर्थित.शिमला डेस्क :  पृष्ठ :०.  
 
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राधिका : कृष्ण : दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :०.
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कवयित्री : मनु वैशाली : साभार


दृश्यम : तथ्य कर्म के जीवन के सार शोध कृष्ण है
*

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दिन विशेष : आज :पृष्ठ : ०.
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : २१ जून. 


*
योग व्यायाम ही नहीं,
आत्मा को समझने जानने का चिंतन मनन है, 
सम्यक जीवन जीने का प्रयास है
योग अपनाये  निरोग हो जाए 
*
प्रथम मिडिया  शक्ति समर्थित.दिन विशेष : पृष्ठ : ०.
*
संपादन. शक्ति नैना / नैनीताल डेस्क 


जीवन के ' सुर ', ' ताल ' और ' ध्वनि ', मधुप, संगीत मय व मधुर हो 
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आज का गीत : जीवन संगीत : पृष्ठ : ०.
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मेरी पसंद 
डॉ. अनीता सीमा सुनीता श्वेता नैना श्रद्धा हिमानी 
सिया राम भजन :
संदर्भित गीत.
*
फिल्म : राम तेरी गंगा मैली : १९८५.
गाना : एक राधा एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा
सितारे : दिव्या. राजीव कपूर. मन्दाकिनी.


गीत : इंदीवर संगीत : इंदीवर गायक : लता
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : कोलाज  : आज : पृष्ठ : ० .
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संपादन. 
शक्ति. तनु अर्चना रश्मि बीना जोशी. नैनीताल. 
 कृष्ण शक्ति दर्शन : कोलाज :
*
एक राधा एक मीरा : एक प्रेम दीवानी एक दरश दीवानी : डॉ.सुनीता सीमा शक्ति* भावना.

नींद चुराए चैन चुराए डाका डाले तेरी बंशी :
 
डॉ.सुनीता सीमा शक्ति* भावना.
*
 राधिका कृष्ण : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ ० 
*

*
 शक्ति. डॉ.मीरा श्रीवास्तवा. पुणे. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.रीता रानी . जमशेदपुर. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.क्षमा कौल.जम्मू. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति.प्रीति सहाय. पुणे.कवयित्री. लेखिका.
*
सम्पादकीय शक्ति आलेख  : पृष्ठ ० 
मोक्ष का व्यावहारिक अर्थ आत्मज्ञान या ' परमज्ञान ' को
आत्मसात कर लेना :
यात्रा : अध्यात्म : धर्म : यथार्थ



डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह. 
रायपुर. 
भा. व. से. 
लेखक : उत्तराखंड विशेष 
*

मोक्ष का व्यावहारिक अर्थ होता है आत्मज्ञान या परमज्ञान का आत्मसात कर लेना

हिन्दू धर्म कि मान्यता अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्म मोक्ष के लिए हुआ है। मोक्ष का व्यावहारिक अर्थ होता है आत्मज्ञान या परमज्ञान का आत्मसात कर लेना। इसे योग में समाधि, जैन धर्म में कैवल्य, बौद्ध धर्म में निर्वाण प्राप्त करना कहा जाता है। धर्म के सारे उपक्रम, रीति रिवाज या परंपरा इसी के लिए है। उसमें से एक है तीर्थ यात्रा करना। हिन्दुओं के लिए तीर्थ करना बड़ा ही पुण्य कर्म माना गया है, इसका उद्देश्य ईश्वर के करीब रहने की अनुभूति करना है।
भारत के प्राचीन मंदिरों का निर्माण वास्तु के अनुसार किया गया है। मंदिरों की बनावट ऐसी है, जहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमेशा बना रहता है। मंदिर में आने वाले भक्तों के नकारात्मक विचार नष्ट होते हैं और सकारात्मक सोच बनती है। मंदिरों और तीथों को ऊर्जा का केन्द्र माना जाता है। इसी वजह से मंदिर या तीर्थ पर जाने से हमारे मन को शांति मिलती है तथा यात्री नई ऊर्जा के साथ यात्रा से लौटकर पूरी उत्साह के साथ काम कर पाते हैं।
आमतौर पर प्राचीन तीर्थ और मंदिर अधिकतर ऐसी जगहों पर बनाएं गए हैं, जहां का प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ एवं शांतिप्रिय होता है। वहां तक पहुंचने के लिए यात्रियों को शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है जिसका स्वास्थ्य लाभ भी होता है। घंटी की आवाज नकारात्मक सोच को खत्म करती है।
प्राचीन तीर्थस्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान तो बढ़ता ही है साथ ही देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं, मान्यताएं और परंपराओं की जानकारी भी होती है। प्राचीन इतिहास और संस्कृति को जानने का सुखह अहसास भी होता है। आसपास रहने वाले समुदाय विशेष एवं उनके रीति-रिवाजों को जानने का अवसर भी मिलता है। यात्राओं से हमें नए-नए अनुभव तो प्राप्त होते ही हैं साथ ही हमारे भीतर सोचने एवं समझने की तार्किक क्षमता का भी विकास होता है।
उम्मीद है... कि यात्रा वृत्तांत के साथ आपका मन भी तीर्थयात्रा करने के लिए लालायित हो जायेगा। आप प्रकृति के गोद में बसे तीर्थस्थलों एवं उनकी मनोरम सुंदरता के दर्शन हेतु हमेशा प्रयत्नशील रहेंगे।

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हरि अनंत हरि कथा अनंता : राम कृष्ण 
यात्रा संस्मरण : बद्री विशाल : श्री लक्ष्मी नारायण : पंच बद्री :  गतांक से आगे : १ 
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डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह. रायपुर. 
भा. व. से. 
लेखक : उत्तराखंड विशेष

भगवान बद्री विशाल में मेरी हम सभी की आस्था है। मैं दो बार जा भी चुका हूँ। हालाँकि मैं मुझको कहां ढूंढे रे बंदें मैं तो तेरे पास में जैसी कबीर पंथी विचार धारा में विश्वास रखता हूँ। घट घट में भगवान है। उनसे मिलने की कहीं कोई बंदिशें नहीं हैं। बस पवित्र संकल्पित मन से कर्म करते रहें। सज्जन साधु जन  की खोज में सदैव रहें। सम्यक साथ ही समस्या मूलक जीवन से विकार निकालता रहेगा। ऐसा ही विश्वास रखें। 
पंच बद्री में केवल पांच मंदिर शामिल हैं। इनमें अर्द्धबद्री और ध्यान बद्री या कभी-कभी वृध बद्री को छोड़ दिया जाता है। कभी-कभार नरसिंह बद्री, सप्त बद्री या पंच बद्री की सूची में शामिल रहता है। 
विष्णु के निवास अलकनंदा नदी घाटी, सतपंथ से शुरू होते हुए बद्रीनाथ के ऊपर लगभग २४  किलोमीटर दक्षिण में नंदप्रयाग तक फैला हुआ क्षेत्र, विशेष रूप से बद्री-क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। वर्ष २०१०  के मई महीने में हम लोगों ने सतोपंत जाने का विचार किया। 
किन्तु अत्याधिक बर्फ गिरने के कारण हम लोग माना गांव के आगे वसुंधरा जलप्रपात से आगे नहीं बढ़ सके। अतः हम लोगों ने पंचबद्री की यात्रा पूर्ण की। पंचबद्री का यात्रा वृतान्त निम्नानुसार है

बद्रीनाथ : पहला दिन: हरिद्वार से जोशी मठ.


पहाड़ : प्रकृति : प्रेम : जीवन : अध्यात्म, सन्यास और पुनर्जन्म : फोटो : 
शक्ति. सुजाता शैलेन्द्र. 

हरिद्वार में सुबह जल्दी उठकर हरी की पौड़ी पर गंगा स्नाना एवं पूजा अर्चना करने के बाद नाश्ता कर भाई की गाड़ी से ऋषिकेश होते हुए बद्रीविशाल के दर्शन हेतु बद्रीनाथ प्रस्थान किया। जोशी मठ पहुंचने के उपरांत हम लोग नरसिंह मंदिव में दर्शन करने हेतु रुके। जोशीमठ में नरसिम्हा नरसिंह के मौजूदा मंदिर को नरसिंह बद्री  भी कहा जाता है। 
इस मंदिर  में नरसिंह की मुख्य प्रतिमा, कश्मीर के राजा ललितादित्य  के शासनकाल के दौरान आठवी शताब्दी में  शालीग्राम पत्थर  से निर्मित की गई थी। कुछ लोगों का मानना है कि मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है। यह मूर्ति १०  इंच या २५  सेमी ऊंची है और भगवान को कमलासन स्थिति में बैठे दर्शाया गया है।

इस मूर्ति का एक हाथ समय के साथ कमजोर हो रहा है और अंत में गिर पड़ेगा। जब हाथ नहीं रहेगा तो बद्रीनाथ  का मुख्य मंदिर दुनिया के लिए बंद हो जायेगा और बद्रीनाथ  भविष्य  बद्री मंदिर में बदल जायेंगे। इस प्रलय के साथ कलियुग खत्म हो जाएगा और सत्य युग की शुरूआत होगी। फिर बद्रीनाथ मंदिर पुन स्थापित हो जाएगा। 
जब बद्रीनाथ  मदिर को सर्दियों में बंद कर दिया जाता है, तो बद्रीनाथ के पुजारी इस मंदिर में रहने लगते है। केंद्रीय नरसिंह  मूर्ति के साथ-साथ मंदिर में  बद्रीनाथ की भी एक मूर्ति है जिसकी  पूजा बद्रीनाथ के पुजारियों के द्वारा की जाती है। जोशी मठ में नरसिम्हा मंदिर में दर्शन करने के बाद हम लोग बद्रीनाथ मंदिर के लिए खाना हुए।
आगे जारी 

 
स्तंभ संपादन : सह लेखन : शक्ति*.प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
फोटो : शक्ति सुजाता शैलेन्द्र. 
साभार : कैलाश मानसरोवर यात्रा 
*


रीसेंट डायगनोस्टिक : जाँच घर : बिहार शरीफ : डॉ अखिलेश कुमार : समर्थित  
*
मन पावन मन भावन जो यमुना में नहाय.


निर्दोष, निर्मल, दुग्ध धवल,और स्वच्छ होना ही होगा :यमुनोत्री दर्शन : फोटो : शक्ति. दया जोशी
*
राधिका कृष्ण सदा सहायते की तरह आपको भी आर्य जनों के लिए समर्थक होना चाहिए।
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसा हम रोए, ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोए
लेखन : शक्ति. प्रिया डॉ. सुनीता मधुप.
*
मन चंगा तो कठौती में गंगा : मन में ही तीर्थ है। मन में ही धरम करम है। सदैव सत्कर्म करते रहो। सम्यक ' समय ' ,साथ ' और ' सत्य ' की खोज में लगे रहो।   दुर्जनों के ' परित्याग ' में क्षण भर का ' विलम्ब ' मत करो तुम केवल सम्यक ' साथ 'ढूँढो  तुम्हारी ' सोच ' , ' दृष्टि ' और ' वाणी ' स्वतः समृद्ध हो जाएगी, मेरा मानना है।  प्रयत्न ऐसा करो कि तुम किसी का भला न कर सको तो बुरा कदापि न करो। स्वर्ग नरक, कर्मों का लेखा जोखा यही होना है।
भगवान कृष्ण और यमुना नदी : कृष्ण के लिए यमुना तट प्रिय रहे। मथुरा ,गोकुल यमुना किनारे माधव की समस्त लीलाओं के साक्षी रहे है। कृष्ण बंशी की धुन में ही गोपियों संग जीवन के संयोग - वियोग  का राग ढूंढते रहें। पिछले दिनों  मैं यमुनोत्री की यात्रा पर था मन पावन ,मन भावन जो यमुना में नहाय।
भगवान कृष्ण और यमुना नदी का गहरा संबंध है। कृष्ण के जन्म के बाद, उनके पिता वासुदेव नवजात शिशु कृष्ण को गोकुल ले जाते समय यमुना नदी को पार करते हैं। यमुना नदी को देवी माना जाता है और यह भी माना जाता है कि वह कृष्ण की पत्नी थीं।
कृष्ण और यमुना नदी का संबंध : वासुदेव द्वारा यमुना पार करना सब जानते है। कृष्ण के जन्म के बाद, वासुदेव उन्हें मथुरा से गोकुल ले जाते समय यमुना नदी को पार करते हैं। यमुना का कृष्ण के प्रति प्रेम:यमुना नदी को कृष्ण के प्रति बहुत प्रेम था और वह कृष्ण के चरण छूने के लिए उफनती थी, ऐसा पौराणिक कथाओं में वर्णित है। यमुना नदी में कालिया नाग नामक एक जहरीले सांप का वास था, जिसे कृष्ण ने हराया था। मुक्ति दिलवायी थी
यमुना नदी को कृष्ण की पत्नी : कालिंदी : यमुना का कृष्ण की पत्नी के रूप में वर्णन: कुछ मान्यताओं के अनुसार, यमुना नदी को कृष्ण की पत्नी माना जाता है, जिसे कालिंदी भी कहा जाता है। राधिका कृष्ण सदा सहायते की तरह आपको भी आर्य जनों के लिए समर्थक होना चाहिए।
सारतः यमुना नदी और कृष्ण का अटूट संबंध है, कभी न भूलने वाला । यमुना नदी : लहरें : बंशीवट की छैया : कृष्ण के जन्म, बाल लीलाओं और कालिया नाग के वध जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी हुई है। यमुना नदी को देवी के रूप में पूजा जाता है और कृष्ण के प्रति उनका प्रेम बहुत गहरा है.

स्तंभ संपादन : सह लेखन : शक्ति*.प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
फोटो : शक्ति दया जोशी / नैनीताल. वनिता 
*
पत्रिका अनुभाग 
*
* किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : डॉ.वैभव राज : लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ समर्थित
*
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राधिकाकृष्ण : शक्ति : जीवन दर्शन : विचार संग्रह : आज : पृष्ठ :० . 
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नैनीताल : वृन्दावन : डेस्क :
सम्पादन :
'अनु ', ' राधा 'इंद्रप्रस्थ
*
राधिकाकृष्ण : शक्ति : जीवन दर्शन :
*
एम. एस. मीडिया समर्थित 
राधा रानी : माधव की शक्ति. 


*
बिहारी. 
राधा मोहन-लाल को, जाहि न भावत नेह।
परियौ मुठी हज़ार दस, ताकी आँखिनि खेह॥
भावार्थ
जिनको राधा और कृष्ण का प्रेम अच्छा नहीं लगता, उनकी आँखों में दस हज़ार मुट्ठी धूल पड़ जाए। भाव यह कि जो राधा-कृष्ण के प्रेम को बुरा समझते हैं, उन्हें लाख बार धिक्कार है।

*
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँईं परै, स्यामु हरित-दुति होई।१।'
*
बिहारी. 
भव बाधा : माधव और राधा 


*
टाइम्स मिडिया समर्थित.
*  
*
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रुक्मिणीकृष्ण शक्ति : जीवन दर्शन : विचार संग्रह : आज : पृष्ठ :०
 ---------
द्वारिका.डेस्क.गुजरात


सम्पादन.  
शक्ति. झलक.अहमदाबाद. 
*
माना ' राधा ' ' प्रीत ' की ' मूरत ' है । 
पर मैं ' बांटू ' अपने कृष्ण को ऐसे भी नहीं मेरी ' सीरत ' है।।
*
प्रथम मिडिया समर्थित 
---------------
मीराकृष्ण  शक्ति : जीवन दर्शन : विचार संग्रह : आज : पृष्ठ :० 
 ---------
जोधपुर.डेस्क.राजस्थान.

 
सम्पादन.  
शक्ति.जया सोलंकी.जोधपुर. 
मीरा 

मीराबाई.  
 मेरे तो ' गिरिधर गोपाल ' दूसरो न कोई।
जाके सिर ' मोर ' मुकुट मेरो ' पति ' सोई।
*
रोम रोम में श्याम बसत है प्रेम न ढूँढू कही और 
प्रीत भई जब कृष्णा से तो कैसा जग का मोह 

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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार : लघु फिल्में : आज  : पृष्ठ :  १  .
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : चित्र विचार : आज : पृष्ठ : १  . 
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*
राधिकाकृष्ण : प्रेम रंग.
*
अद्यतन * 
काहे को दुनियां बनाई 

*
किसके लिए ये दुनियां बनाई माधव... 
कौन नहीं यहाँ गुनाहगार है ?
*
टाइम्स मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति. 

प्रेम अद्वैत 
*
पाने की कोई चाहत न हो 
फ़िर भी खोने का भय बना रहे उसे प्रेम कहते है 
*

प्रेम : प्रतीक्षा 

' प्रतीक्षा ' इतना करो कि उसे ' आना ' पड़ें 
' प्रेम ' इतना करो कि उसे ' अपनाना ' पड़ें 
*
*
 हरि के कल्कि अवतार : बुद्ध.
अहिंसा परमो धर्मः  

दुःख है, दुःख का कारण भी है 
इसका निवारण भी है : अष्टांगिक मार्ग 
सम्यक साथ : सम्यक दृष्टि : सम्यक कर्म 

*
एम. एस. मीडिया. शक्ति प्रस्तुति.

*
*
मेरे तो  लक्ष्मीनारायण  है 
राधिका गोपाल दूसरो न कोय 
*
सम्यक कर्म ही व्यक्ति को महान बनाते है 


जब लगे तुम्हारा कोई नहीं है तब तुम मेरी तरफ़ देखना 
वो सब देख रहा है,सुन रहा है 


सकारात्मकता : क्षण : सीख 
*
हर सुबह, हर पल. हर क्षण 
कुछ सकारात्मक पाने का,सीखने का एक नया अवसर है 
*
प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति.

राधा : रुक्मिणी :  मीरा : कृष्ण : पीड़ा. 

*
अनजान सी ' रुक्मिणी ',बेचैन सी ' मीरा ' 
बस ' राधा ' ही जाने है, ' श्याम ' की पीड़ा. 

*
कर्म और यश 

*
कोई भी मनुष्य किसी प्रतिष्ठित कुल या कुटुंब में जन्म लेने से नहीं 
अपने सुकर्मों से यशस्वी और महान बनता है 
 
*
प्रथम मीडिया शक्ति समर्थित 

नर्मदा डेस्क

वो सब देख रहा है ना ?
जब कोई लगे तुम्हारा कोई नहीं है , तब तुम मेरी तरफ देखना  
*
ए एंड एम मिडिया शक्ति प्रस्तुति 



विष्णु ही शिव है
*
विष्णु रूपाय
शिवाय शिवाय विष्णु रूपाय

*
 धम्मं शरणम गच्छामि 

ऊँगली माल : ठहरो : तुम्हें मुझसे भय नहीं लगता 
बुद्ध : मैं तो ठहर गया , तुम कब ठहरोगे ? 
*
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में : आज  : पृष्ठ :  .
-------------
*

टाइम्स मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति. 
*

*
प्रेम दीवानी जग ने मानी तो मैंने भी ठानी 
कहाँ से कहाँ मैं चली आयी राधा कृष्ण दीवानी 

*

कृष्ण : की आह्लादिनी  :  शक्ति : राधा 
राधा : कृष्ण : नारायण : एक हैं 


*
एम. एस. मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति साभार.

कृष्ण : इस युद्ध के जन्मदाता तुम्हीं हो दुर्योधन. 
*


कृष्ण है विस्तार  यदि तो सार है राधा. 
*
प्रथम मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति : साभार.


शिशुपाल वध : दृश्यम : लघु फिल्में :
मौन रहो शिशुपाल.  


हे माधव : मुझे भी सौ अपराधों को क्षमा प्रदान करने 
जैसी ' सहन शक्ति ' व ' समझ शक्ति ' प्रदान करना
*


मेरा केश पकड़ कर लाया है 
करता है दुःशासन दुर्व्यवहार 
....मेरे माधव ही काफ़ी है 


ए. एंड. एम. मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति : साभार.


हो प्रेम की परिभाषा तुम ही 
है कृष्ण अधूरे राधा बिन राधा बिन सब कुछ ही 
*


*
कृष्ण : शिशुपाल : प्रसंग : 
तुम्हारे पापों की समाप्त हुई और मेरी सहन शीलता भी 
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सम्पादकीय : पृष्ठ :  २ 
------------


*
प्रारब्ध : और अंत
संस्थापिका.प्रेरणा.शक्ति.
मातृवंदना.


निर्मला सिन्हा.
१९४० - २०२३.

भाविकाएँ 
*
तुम चन्दन हम पानी
सर्वव्यापी,अंतरज्ञानी, स्वामी राधा रानी
*
@ शक्ति. डॉ. सुनीता मधुप.
©️®️ M.S.Media.
 
प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी 
हम है इस तुच्छ जगत के 
तृष्णा लोभी मायावी प्राणी 
ज्ञान चक्षु दें कर्म मार्ग दें 
सत धरम करम अपनानी 
भव सागर जीवन पार लगा दे 
हे  गिरिधर अजन्मा तू 
सर्वव्यापी,अंतरज्ञानी, स्वामी राधा रानी  
प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी 
*
©️®️ M.S.Media.
राणा : मीरा : माधव 

 वो अनंत प्रेम ही क्या  जो 
भगवन भक्त  की परीक्षा न ले 
राणा दें मीरा को प्याला बिष का वो माधव ही क्या जो उसे अमृत न बना दें  
वो मानव प्रेम ही क्या जो प्रति पल ह्रदय को कष्ट न दें 
@ डॉ. सुनीता मधुप 
*
एम. एस. मीडिया समर्थित
--------------
राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार कोलाज  : आज : पृष्ठ : ३  .
-------------
संपादन 
शक्ति. रश्मि नैनीताल. 
*
राधा का भी श्याम वो भी मीरा का भी श्याम : कोलाज : शक्ति.डॉ.सुनीता भावना.
कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार चाकर समझ कर निहार : कोलाज : शक्ति. डॉ.सुनीता
गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोपाल बोलो : कोलाज : शक्ति : डॉ.सुनीता 
उजले तन पर मान किया मन का मैल न धोय : 
: कृष्ण शक्ति दर्शन : कोलाज 
कर्म किए जा फल की चिंता मत कर इंसान ये है गीता का ज्ञान : कृष्ण दर्शन : कोलाज 

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राधिका कृष्ण : दर्शन : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ४ .
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संपादन 
शक्ति. नमिता सिंह. रानीखेत.


रुक्मिणी राधे रमण : हरि के दुर्लभ दर्शन : फोटो : साभार : शक्ति.
*
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : विचार  : कल : पृष्ठ : ५  .
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*
टाइम्स  मीडिया समर्थित. 
कृष्ण दर्शन.
*
 अपशब्द, स्वजन  और प्रतिकार


*
 प्रिय स्वजनों के लिए अपशब्द व उनसे प्रतिकार का क्या औचित्य युवराज ? 
रणभूमि में विखरे पड़ें खून के छींटें भी खून से नहीं 
पानी से ही साफ होंगे  
*
टाइम्स मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति. 

पाहन पूजे हरि मिले ,मैं तो पूजूं पहार

' आस्था ' और ' प्रार्थना ' दोनों अदृश्य है 
लेकिन वो सब देख रहा है न 
वो सब सुन रहा है न 
' आस्था ' और ' प्रार्थना ' दोनों अदृश्य है 
लेकिन वे असंभव को भी संभव कर देते है 
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
*
 

*
क्षमाशील हो रिपु -समक्ष तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही
रामधारी सिंह दिनकर.
( हस्तिनापुर : दुर्योधन का कृष्ण को बंदी बनाने का प्रयास )


बिहारी
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोई।
जा तन की झाँई परै, स्यामु हरित-दुति होइ

*
*
एम. एस. मीडिया. प्रस्तुति 

*
सम्यक ' साथ ' के लिए स्वयं के ' अर्थ ' को छोड़ दीजिए 
पर ' स्वार्थ ' के लिए ' सम्यक साथ ' कभी न छोड़े 

*
आत्मा : पंथ : पथ 
*
पहले लोग मरते थे, ' आत्मा ' भटकती थी 
अब ' आत्मा ' मर चुकी है ' लोग ' भटकते हैं 
*
सहन शक्ति 


अनावश्यक ' क्रोध ' करके वो सब ' मत ' गवाइएं 
जो आपने अपने ' जीवन ' में ' शमित ' हो कर कमाया है 
*

*
faith and dedication.
A person can attain perfection if he works with faith and dedication.
*
खुसरो के दोहे.
*
पी गोरी मैं साँवरी
*
नदी किनारे मैं खड़ी सो पानी झिलमिल होय
पी गोरी मैं साँवरी अब किस विध मिलना होय.
*
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राधिकाकृष्ण : शक्ति दर्शन : दृश्यम : लघु फिल्में :कल   : पृष्ठ : ५  .
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*
दृश्यम :  कृष्ण तक पहुंचने का : राधा ही माध्यम


*
भीष्म : कृष्ण : संवाद 
कृष्ण कैसे हुए विवश अस्त्र उठाने के लिए
*


*

*

*

*

*

दिव्य भविष्यवाणी ज्योतिषाचार्य : श्री अश्वनी : पटना : समर्थित
*
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दिन विशेष : मुझे भी कुछ कहना है : शब्द विचार : समसामयिकी : पृष्ठ : ६
----------
संपादन
शक्ति.डॉ.भावना प्रीति रंजना रीता नमिता अंशिमा सिंह
*
-------------
दिन विशेष :पृष्ठ:६.
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सम्पादित शक्ति *
शक्ति. डॉ. भावना रंजना रीता वाणी
*
अक्षय तृतीया की शुभकामनाओं के साथ
स्वर्णिका ज्वेलर्स. बिहार शरीफ समर्थित


प्रकृति, प्रेम,पहाड़,उत्तम पुरुष, पुनःनव निर्माण,अध्यात्म,सन्यास,और पुनर्जन्म.
*
*
संयुक्त मीडिया प्रेषित दिन विशेष
अक्षय तृतीया
व श्री ' लक्ष्मी नारायण ' : बद्री विशाल : बदरी नाथ कपाट खुलने की
की ' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभ कामनायें...
दिव्य त्रि* शक्तियां

*
४ मई
अंतर्राष्ट्रीय हास्य दिवस. व
अंतर्राष्ट्रीय अग्नि शामक दिवस
*

अपने भीतर की ईर्ष्या, ' क्रोध ' व  ' ग़लतफ़हमी ' की 
' अग्नि ' को शमित करें 
*

विश्व हास्य दिवस की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाएं
कभी कभी तो अपनों के साथ जी ले हंस ले
हर साल ' मई ' के पहले रविवार को मनाया जाता है.
*
---------
मुझे भी कुछ कहना है : शब्द विचार : पृष्ठ :६.
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*
संपादन
शक्ति. डॉ.अनीता रीता वाणी प्रीति सहाय
*

श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते
टाइम्स मीडिया. शक्ति * : प्रस्तुति.
मुझे भी कुछ कहना है.

*
राम को समझो कृष्ण को जानो

*
टाइम्स मिडिया शक्ति प्रस्तुति.
कोलकोता डेस्क 
*
 
नई  सुबह : की नई किरण 


नसीहत : सच्चाई : तारीफ : धोखा 

' नसीहत ' .. वह ' सच्चाई ' है जिसे हम कभी ग़ौर से नहीं सुनते
 और ' तारीफ ' ... वह ' धोखा ' है जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते हैं 

*
प्रत्येक सुबह हमारा नया ' जन्म ' होता है और आज हम जो 
करते है वही सबसे ज्यादा ' भविष्य '  के लिए मायने रखता है, ' पार्थ '  !

दुनिया के लिए तुम एक इंसान हो 
लेकिन इस एक इंसान के लिए तुम पूरी दुनिया हो 
*
' वाणी ' ' व्यवहार '' नीयत ' और  ' नियति ' 

*
क्षण भर के लिए तो कोई भी किसी को 
अपने चेहरे और ओहदे से प्रभावित कर सकता है 
मगर उस व्यक्ति की ' वाणी ', ' व्यवहार ' और  आचरण ही
सुनिश्चित करेगा  कि उसका स्थायी प्रभाव
कितना और क्यों कर है  ? 
सम्पादित डॉ. सुनीता मधुप. 
*
श्री हरि / मर्यादा पुरुषोत्तम राम / माधव  वचन 
रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई
*
' जिंदगी ' और बता तेरा इरादा क्या हैं ?
*
सभी ' अनुभवों ' का सोच समझ कर ही स्वागत कीजिए..... पता नहीं कौन सा ' अनुभव ' आपकी ' जिंदगी ' बदल दे.....
*
अभियान और अभिमान
' अभिमान ' तब आता है, जब ' हम ' सोचते हैं हमने कुछ किया है..और,' सम्मान ' तब मिलता है,
जब दुनिया को लगता है कि आपने कुछ किया है..
*
मिथ्या अहंकार
अहंकार और अकड़ दोनों जीवन के सबसे बड़े दुश्मन है.क्योंकि ये न तो आपको किसी का होने देते हैं और न ही कोई आपका होना चाहता है...

*
इंसानियत
सिर्फ ' इंसान ' होना काफी नहीं ,
इंसान के अंदर ' इंसानियत ' का होना भी अत्यंत जरूरी है
*
तुलसी
राम चरित मानस

*
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
*
चौदह साल अयोध्या के राज सिंहासन पर अपने
अग्रज मर्यादा पुरोषत्तम राम का खड़ाऊं रख कर
शासन चलाने का अप्रतिम उदाहरण किंचित भरत जैसे भाई ही दे सकते हैं

प्रस्तुति : त्रिशक्ति *
*
भारतेन्दु हरिश्चंद्र

चंद टरे, सूरज टरे, टरे ' जगत ' व्यवहार।
पै दृढ श्री ' हरी ' चंद्र को, टरे न ' सत्य ' विचार.
*
हे माधव ! यदि आप मेरे जीवन के सारथी हो जाए तो मैं किसी ऐसे नूतन विश्व का निर्माण कर ही लूंगा
जिसमें मात्र अनंत ( श्री लक्ष्मीनारायण ) शिव ( कल्याणकारी ) शक्तियाँ ही होगी
होलिका की अग्नि में मेरे अंतर्मन की चिर ईर्ष्या, पीड़ा ,द्वेष ,और बुराई जलकर भस्म हो.....
हे : परमेश्वर : आदि शक्ति : जीवन के इस अंतहीन सफ़र में तू मुझे मात्र ' सम्यक साथ ' प्रदान कर जिससे मेरी ' दृष्टि ' , ' सोच ' ,' वाणी ', और ' कर्म ' परमार्जित हो सके...

डॉ.सुनीता मधुप.
©️®️ M.S.Media.
*

टाइम्स मीडिया समर्थित.
श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते

*
तनिक स्मरण रहे पार्थ !
महाभारत के इस ' धर्म युद्ध ' में साथ होकर,
....' अस्त्र - शस्त्र ' का पूर्णतः ' परित्याग ' करते हुए,
मैं तुम्हारा मात्र ' सारथी ' बनकर किंचित
' दिशा ' और ' सन्मार्ग ' ही सुनिश्चित करूँगा....और कुछ भी नहीं
*

' आस्था ' और ' प्रार्थना ' दोनों अदृश्य है 
लेकिन वो सब देख रहा है न 
वो सब सुन रहा है न 
' आस्था ' और ' प्रार्थना ' दोनों अदृश्य है 
लेकिन वे असंभव को भी संभव कर देते है 
*
विनम्रता ' सहनशक्ति ' ' समझशक्ति ' 
*
विनम्रता का अर्थ मात्र ' समर्पण ' नहीं है, 
' सहनशक्ति '  ' समझशक्ति ' को उन्नत करना है  
यह ' रिश्तों ' को बरकरार रखने के लिए अचूक अस्त्र है,
' विनम्र रहना सीखिए  ' सदैव ' प्रसन्न रहने का प्रयत्न करें . 

*
प्रेम दीवानी जग ने मानी तो मैंने भी ठानी 
कहाँ से कहाँ मैं चली आयी राधा कृष्ण दीवानी 
*
कृष्ण : की आह्लादिनी  :  शक्ति : राधा 
राधा : कृष्ण : नारायण : एक हैं 
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अनंत श्री लक्ष्मी - नारायण : राधिका : रुक्मिणी : कृष्ण : शिव शक्ति सदा सहायते.
------------
*
मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ :६.
एम एस मीडिया.नैनीताल डेस्क अधिकृत
*
पश्चाताप.., और पहल : शक्ति. डॉ.सुनीता मधुप.

राधिका : कृष्ण : जीवन दर्शन  
*
पश्चाताप.., अपने सगे ' जनों ' के लिए ' सार्वजानिक ' रूप से बोले गए
कड़वे , ' अमर्यादित ', तंज ' शब्दों ' के लिए का ही हो यह ' जरूरी ' नहीं
कभी - कभी समय पर अपनी तरफ़ से ' क्षमा ' वश नहीं ' बोलने ', ' पहल ' करने का पश्चाताप भी जीवन भर रहता है....
विचार कीजिये यदि ' आप ' इनमें से हैं तो ' पहल ' आप ही करें

*
माधव : दर्शन : कृष्ण : लीला : खेल

माधव : दर्शन : खेल

हर चीज का वक़्त तय है , आप कहीं पर पहुँचते नहीं
पहुँचाये जाते हो, ' खेल ' तुम नहीं रहे ' खेल ' तो वो रहा है
*
प्रस्तुति
माननीय रघुपति सिंह. इलाहाबाद.
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )
*

एम. एस.मीडिया शक्ति* प्रस्तुति
श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते
*
कबीर दास. 
शब्द सम्हारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव
*
मैया मोरी ' मैं ' नहीं माखन खायो
मैया मोरी ' मैं ने 'ही माखन खायो

*
शब्द सोच और समझ

शब्द और ' सोच ' ' दूरियां ' बढ़ा देते हैं कभी तो हम ' समझ ' नहीं पाते और कभी हम ' समझा ' नहीं पाते हैं
*
' अहम ' वहम ' और रिश्ते

रिश्ते चाहे कोई भी हों, यूं ही नहीं टूटते,
तोड़े जाते हैं,कभी ' अहम ' के कारणऔर कभी ' वहम ' के कारण
*
मौन : विचार : समझ : रिश्ते 

बुद्धिमान व्यक्ति कई बार ' जवाब ' होते हुए भी, पलट कर नहीं बोलते  क्योंकि
कई बार ' रिश्तों ' को  जिताने और बनाए रखने के लिए
खामोश रहकर, ' हारना ' भी जरूरी होता है…
*
बहुरुपिया
चेहरा देख कर ' इंसान ' पहचानने की ' कला ' थी मुझमें, ' तकलीफ़ ' तो तब हुई जब ' इन्सानों ' के पास चेहरे बहुत थे

*
' विश्व विजय '

पार्थ ! इस जीवन के ' आत्म संघर्ष ' में समयक ' वाणी ' ही वो ' प्रभावी ' 'अस्त्र - शस्त्र' है
जो तुम्हारा ' आत्म विजय ' तथा ' विश्व विजय ' सुनिश्चित करेगा
तुम्हें ' जय ' चाहिए या ' पराजय '
*
संपादन @ डॉ.सुनीता मधुप.

*
अथ श्री ' रामायण महाभारत ' कथा
@ डॉ.सुनीता मधुप.
*
राजा ' दशरथ ' के ' कैकयी ' को दिए गए ' शब्द 'से ही राम का वनवास हुआ
' रामायण ' लिखा गया
पांचाली के व्यंग्य पूर्ण शब्द से ' महाभारत ' घटित हुआ
किंचित अपने ' स्वजनों ' के लिए
बोलते समय सर्व साधारण के समक्ष ' स्थान ', ' संयम ' और ' समय '
का सर्वदा ' अवश्य ध्यान ' रखें

*
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', सम्यक ' वाणी ' और सम्यक ' कर्म ' 
*
प्रकृति, प्रेम,पहाड़,उत्तम पुरुष, पुनःनव निर्माण,अध्यात्म ,सन्यास ,और पुनर्जन्म.

@ डॉ.सुनीता मधुप.
*
अनुभव : ज्ञान 
सभी अनुभवों का स्वागत कीजिए.....
 पता नहीं कौन सा अनुभव आपकी जिंदगी बदल दे.....
*
आत्मा : पंथ : पथ 
*
पहले लोग मरते थे, ' आत्मा ' भटकती थी 
अब ' आत्मा ' मर चुकी है ' लोग ' भटकते हैं 

*
मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ :६ .


*
प्रथम मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति
नर्मदा डेस्क. श्री राधिकाकृष्ण सदा सहायते
*
कान्हा : मैं ' नहीं ' माखन ' खायो.



*
साभार पंक्तियाँ
*
प्रथम मीडिया. शक्ति * प्रस्तुति

*
भगवान और इंसान
*
इस कदर बंट गए हैं जमाने में सभी अगर ' खुदा ' भी आकर कहें मैं ' भगवान ' हूँ तो लोग पूछेगें..... किसके ?

*
क्या लेना ... क्या देना और क्या छोड़ जाना ?
*
जिंदगी का सफर भी कितना अजीब है ? बिना कुछ लिए हम खाली हाथ आते हैं, हर चीज के लिए लड़ते हैं ,और अंत में सब कुछ यहीं छोड़ कर चले जाते हैं,
*
सम्यक समय और कर्म

आनेवाले कल के लिए ' योजना ' बनाना यह ' भविष्य ' नहीं है आज हम ' क्या ' कर रहे हैं उसका ' परिणाम ' ही भविष्य है।
*
समयक हरि - जन

जो ' लिखा ' है वो होकर रहेगा,
एक रास्ता बंद करने से पहले ईश्वर ' १० ' रास्ते खोल देते हैं ,
गर्मी के मौसम में पत्ते सूखने के बाद भी पंछी घोसला नहीं छोड़ते
क्योंकि वो भी जानते हैं कि फिर से ' बरसात ' आएगी और पेड़ पर नए ' पत्ते ' आएँगे .
जो हुआ उसे भूल कर नई ' शुरूआत ' करो और याद रखो
जिसका कोई नहीं होता उसका ' ईश्वर ' होता है।
*
माननीय रघुपति सिंह. इलाहाबाद.
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )

*
सम्यक साथ : सम्यक सोच : सम्यक कर्म
*
साभार शक्ति पंक्तियाँ

मैं बसाना चाहता हूँ ' स्वर्ग ' धरती पर
आदमी जिसमें रहे बस आदमी बन कर
उस नगर की हर गली तैयार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
बस यही ' अपराध ' मैं हर बार करता हूँ
*
नीयत नीति और नियति.
इस ब्रह्माण्ड का एक बहुत बड़ा नियम काम करता है,
अगर आप किसी को गाली भी दोगे तो जरूरी नहीं कि, वही आदमी आपको पलटकर गाली दे हो सकता है
उसकी इतनी सामर्थ्य ना हो पर आदमी की नीयत और नियति पीछा नहीं छोड़ती
ईश्वरीय अस्तित्व इसको नहीं छोड़ता,
किसी दूसरे द्वारा आपको गाली मिलेगी , लेकिन मिलेगी जरूर,
जो हम दूसरों को देंगे वही लौट कर तुम्हारे पास अवश्य
आएगा चाहे वो इज्जत हो सम्मान हो या फिर धोखा !
श्री रघुपति सिंह
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )
सम्पादित : डॉ.मधुप
*
सभ्यता संस्कृति* और हमारी जड़ें

' फूल ' या फल चाहे कितनी भी ' ऊँची ' ' टहनी ' पर लग जाये, लेकिन वह ' खिलता ' या पकता तभी है जब तक उसकी ' जड़ें ' ' मिट्टी ' से जुड़ी रहती हैं ।
*
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
कौन क्या कर रहा है.... ? कैसे कर रहा है... ? क्यों कर रहा है ....? इन सब से आप जितना दूर रहेंगे उतना ही खुश रहेंगे ?
*
वक्त आने पर खुलते हैं किरदार सारे , पहली नजर में तो हर कोई वफादार ही नजर आता है ?

*
ए एंड एम मिडिया शक्ति. शिमला डेस्क प्रस्तुति : पृष्ठ :.
राम को समझो कृष्ण को जानो

हरि अनंत हरि कथा अनंता : श्री कृष्ण 
*
' धैर्य '' पुरुषार्थ 'सम्यक ' कर्म '
*
' शांति ' एक पृष्ठभूमि है, ' धैर्य ' स्वयं का ' पुरुषार्थ ' 
सतत सम्यक ' कर्म ' ही ' जीवन ' का ' आधार सूत्र ' है 
इसको समाहित करने के लिए भगवान कृष्ण की गीता तत्व के आधार का अनुकरण आवश्यक है
*
माननीय रघुपति सिंह.इलाहाबाद.
जिला सत्र न्यायधीश ( सेवा निवृत )

*
श्री लक्ष्मी नारायण : हरि : राम : कृष्ण 
'अजन्मा ', ' अविनाशी ', ' सर्वव्यापी ', और ' अंतर्यामी '
*
वो 'अजन्मा ', ' अविनाशी ', ' सर्वव्यापी ', और ' अंतर्यामी ' है 
वो सबकुछ ' देख ' रहा है, ' जान ' रहा है, और समझ रहा है   
शक्ति. डॉ. सुनीता मधुप. 
*
गोविन्द : टून : पंचायत 

गोविन्द जय जय  गोपाल जय जय 
राधा रमण हरि गोविन्द जय जय 
*
अनुभूति सत्य की
* सच को चाहे जितने रुपों में देखा जाए, व्यक्त किया जाए,
देखा जाए पर सच अंतिम रूप में सच ही होता है। ठीक इसके उलट झूठ को चाहे कितना भी अलंकृत करके,आवृत करके कहा जाए,देखा जाए पर झूठ तो सदैव झूठ ही रहता है। यह जीवन का व्यवहार है जिसका अवलोकन हमें करते रहना चाहिए।
अरुण कुमार सिन्हा.
*
जड़ें : टहनी : पेड़
*
फूल या फल चाहे कितनी भी ऊँची टहनी पर लग जाये, लेकिन वह खिलता या पकता तभी है जब तक उसकी जड़ें मिट्टी से जुड़ी रहती हैं.
*
फरिश्ते

किसी को खुश रखने का मौका मिले तो छोड़िये मत ! फरिश्ते होते हैं वह लोग जो दूसरों की खुशी का ख्याल रखते हैं
*
अपनापन
अपनापन भी किसी वैद्य से कम नहीं होता
क्योंकि हर तकलीफ में उससे ताक़त की दवा मिलती है।
*
नदियां ख़ुद ही मिलने आयेगी
*
जन्म के रिश्ते...ईश्वर का प्रसाद जैसे हैं
लेकिन खुद के बनाये रिश्ते आपकी पूँजी हैं.......
  दिल समुद्र जैसा रखना नदियां ख़ुद ही मिलने आयेगी
*
 ' निकृष्ट '
*
दूसरों से ' ईर्ष्या ' और ' जलन ' रखना स्वयं के ' निकृष्ट ' होने का  सिद्ध ' प्रमाण  ' है

 
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आपने कहा :  पृष्ठ : ७.
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ए एंड एम मिडिया शक्ति प्रस्तुति 

गोविन्द : टून ; पंचायत 

गोविन्द जय जय  गोपाल जय जय 
राधा रमण हरि गोविन्द जय जय 
*
श्री हरि / मर्यादा पुरुषोत्तम राम / माधव  वचन 
रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई

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