Radhika : Krishna : Rukmini : Darshan : 2

 ©️®️ M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Cover Page.0.
a Social Media.Web Blog Magazine Page.Address.
 
https://drmadhuptravel.blogspot.com/2025/03/radhika-krishan-darshan.html
 
email : addresses.
email :  prathammedia2016@gmail.com
email :  m.s.media.presentation@gmail.com
email : anmmedia@gmail.com
email : timesmedia302022@gmail.com
---------------------
आवरण पृष्ठ :०.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : दर्शन.
*

प्यार : व्यवहार : संस्कार. 

*
.महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति. 


मेरो तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोय. 

राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी दर्शन. 
त्रि - शक्ति.
विषय सूची.

फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.
*


दैनिक / पत्रिका / अनुभाग..
ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
*
विषय सूची : पृष्ठ :०.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन :

दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : पृष्ठ :०.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन : आज : पृष्ठ :०.
*
त्रि शक्ति : विचार धारा : पृष्ठ १ 
 राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / १.
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ /२.
मीराकृष्ण जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ /३.
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २. 
सम्पादकीय शक्ति. समूह. नवशक्ति. विचार धारा : अंततः : पृष्ठ :२ / १ .
त्रि शक्ति सम्पादकीय जागरण : साँवरे सलोनी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.  
सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ : २ / ३.
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कोलाज दीर्घा : पृष्ठ : ४ . 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५ .
दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६ .
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७ . 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८ .
मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : आभार : पृष्ठ : ९.

*

गणपति उत्सव की शुभकामनाओं सहित

स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु. आर्य रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.

*
दैनिक अनुभाग.   
---------
       सुबह सवेरे : शाम. पृष्ठ :०..
------------
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी  : त्रि शक्ति : दर्शन : विचार धारा  
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ',  ' और सम्यक ' कर्म ' 

*
 दैनिक अनुभाग. आज.
विक्रम संवत : २०८२ शक संवत : १९४७.
३१ .०८.२५. 
दिन. शनिवार  . 
त्रि शक्ति दिवस.मूलांक : ४.     
भाद्र  : शुक्लपक्ष :अष्टमी  


*

दिव्य अनंत शिव शक्ति.


 दैनिक अनुभाग.आज. 

*
*
गणपति उत्सव की शुभकामनाओं सहित
*
*
शक्ति. डॉ.रश्मि.आर्य. डॉ.अमरदीप नारायण. नालन्दा हड्डी एवं रीढ़ सेंटर.बिहार शरीफ.समर्थित.  
*
महाशक्ति मीडिया.प्रस्तुति. 
*
-------
दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ :०.
---------
राधाकृष्ण मंदिर
मुक्तेश्वर.नैनीताल. 
*

*
सज्जा : संपादन. 
शक्ति* प्रियाडॉ.सुनीता मधुप.
*  
मेरी भव बाधा हरौ ' राधा ' नागरि सोय
*
महाशक्ति मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
*
*
दर्शन डयोढ़ी : 
राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ :०.


राधारमण : हरि : गोपाल बोलो. 
*
फोटो : साभार.


*
 श्याम आन बसो वृन्दावन में :
मेरी उमर गुजर गयी गोकुल में
*
महाशक्ति मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
ये जीवन है इस जीवन का

*

गणपति उत्सव की शुभकामनाओं सहित
मुन्ना लाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स समर्थित
*

*

महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति
*
-----------
राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : 
श्याम आन बसो : पृष्ठ : ०
-----------
मुक्तेश्वर.नैनीताल. 
*
मान : अभिमान,धन  और सौंदर्य 
*
' अभिमान ' किस बात का ' धन  '  एक क्षण  में
' सौंदर्य ' एक ' रोग '  में और
' प्रतिष्ठा ' एक मानवीय ' भूल ' से समाप्त  हो जाती है

*
' प्रशंसा ' और ' निंदा '
*
उन लोगों के जीवन में ' आनंद ' और ' शांति ' कई गुना
वर्धित हो जाती है, जिन्होनें ' प्रशंसा ' और ' निंदा ' दोनों में एक जैसा
रहना सीख लिया हो

बे वजह 

 ' उदास ' रहने की ' वजहें '  बहुत सारी हैं  ' जिंदगी ' में,
किंतु बिना कारण ' प्रसन्न '  रहने का ' आनंद '  ही कुछ और..
*
पत्थर : भगवान : इंसान 
*
लोग ' पत्थर ' में बसे ' भगवान ' को पूजते हैं, उसका मान करते हैं  
लेकिन भगवान के रूप में मिले सोना सज्जन साधु जन ' इन्सान ' का भान   नहीं रखते   
*
सूरज की तरह तू जलता जा 

*
अगर आप ' सूरज ' की तरह ' गगन मंडल ' में 
चमकना चाहते है तो पहले सूरज की तरह जल कर 
प्रकाशित हो कर अंधेरों से लड़ना सीखें 
*
रिश्तों की अर्जित पूंजी.
*
अनुभव, रिश्ते, प्रेम. मान - सम्मान.

*
कमाई की ' जीवन ' में कोई निश्चित ' परिभाषा ' नहीं होती है,
अनुभव, रिश्ते, ' मान - सम्मान, ' प्रेम  और अच्छी  मैत्री  
सभी कमाई के रूप हैं। रिश्तों की अर्जित पूंजी हैं। 
 
*
परिस्थिति : सहन शक्ति 
*
चाहे कितनी विषम ' परिस्थिति ' क्यों न हो जाए 
 स्वयं को ' शांत ' रखना सीखिए ,क्योंकि ' धूप ' कितनी भी तीक्ष्ण  हो क्यों न हो 
....समुद्र को नहीं सम्पूर्ण रूप से नहीं  सुखा सकती

*
ब्रह्मांड : शून्य : व्यक्तित्व 

*
जीवन में अपना व्यक्तित्व ' ब्रह्मांड ' के ' शून्य ' की भांति रखें 
ताकि कोई उसमें कुछ भी ' घटा ' न सके,परंतु जिसके साथ ' खड़े ' हो जाएं उसकी
कीमत दस ' गुना ' बढ़ जाये.

*
जीवन :  अँधेरा : सूरज 
*
मार्ग में ' धुंध ' होगी,जीवन में कभी  ' अंधियारा '  भी छाएगा,
सत्कर्म के सूरज को गगन मंडल में प्रकाशित होने से फिर भी कोई  भी न रोक पाएगा
*
विजय पथ 
*
पराजित  का परामर्श, विजित  का अनुभव ,
और स्वयं का विवेक, धैर्य, और वाणी पर संयम 
कभी भी शक्ति को, जो शिव है  कभी हारने नही देता, राधिके !

*
साथ : जीवन : अनुशासन. 
*
हर ' पाठशाला  '  में लिखा होता है, ' उसूल ' तोड़ना  मना है..
हर ' उपवन  ' में लिखा होता है,' फूल ' तोड़ना मना है..
हर खेल में लिखा होता है,' नियम ' तोड़ना  मना है..
काश..रिश्ते, परिवार, दोस्ती और जिंदगी में भी,
यह लिखा होता कि,जिंदगी के सफ़र में 
 साथ ' किसी ' हमसफ़र '  का ' बीच में छोड़ना मना है...

*
शक्ति सोच और शिव 
*
आपकी सोच, आपके जीवन को प्रभावित करती है,
इसलिए कम से कम अपनी ' सोच ' की शक्ति को  ' शिव ' और सकारात्मक बनाए रखें।
*
मोड़ और जिंदगी
*
जिंदगी की ' राहें ' बड़ी ' सीधी ' है, ' माधव
मोड़  ' तो सारे ' स्वयं  ' के बनाए हुए अपने 'मन ' के भीतर हैं..
*

*
मन का ' संयम ' टूटा जाए.
*
वाणी के संयम के साथ अपने मन के ' आवेग ' तथा ' क्रोध ' पर नियंत्रण
रखना , ' विवेक ' वश निर्णय लेना परम ' आवश्यक ' है, राधिके
अन्यथा ' प्राणी ' के ' एकाकी ' होने का ' भय ' सदैव बना होता है

*
जा तन की झाईं परे, स्यामु हरित दुति होय॥
*
राधिकाकृष्ण : शिवशक्ति : ओम नमो शिवाय.
*
-----------
राधिकाकृष्ण : दृश्यम : 
श्याम आन बसो : पृष्ठ : ०
-----------
*
जीत गयी तो ' पिया ' मोरे हारी ' पी ' के संग.
*
महाशक्ति मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
*
राधिका कृष्णप्रियायै
*
राधिका कृष्णा प्यार की धुन : रहें न रहें हम 

*
दृश्यम : पवन प्रभाती जग को जगाती
भवरें भी करते है गुंजन आयी तेरी राधा मोहन


राधिकाकृष्ण : बस तुम ही हो मेरे तन मन में


प्रेम : प्रीत : श्याम आन बसो वृन्दावन में
*

दृश्यम : कृष्ण है विस्तार  यदि तो सार है राधा. 
गणपति उत्सव की शुभकामनाओं सहित
स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु.आर्य रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.

*
टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
त्रि : दिव्य अनंतशिवशक्ति.
*

आज : राधिकाकृष्णरुक्मिणी : दर्शन : पृष्ठ :०.
*
राधिका कृष्णप्रियायै रुकमिणी लक्ष्मीस्वरूपायै नमः


द्वारिका डेस्क.त्रि शक्ति.दर्शन डयोढ़ी.


फोटो : साभार.

*
प्यार : व्यवहार : संस्कार. 
*
--------
लक्ष्मीस्वरूपायै रुकमिणी : कृष्ण : जीवन दर्शन : पृष्ठ :०.
----------
*
*
टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
*
कृष्ण - कृष्णा ( पांचाली ) 
समबन्ध पवित्र हो,  सदृश्य कृष्ण - कृष्णा हो , सहायक हो 
तो यज्ञसैनी (  पांचाली ) की भांति निर्भीक और निरंतर हो जाए स्मृत रहे  
श्री राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते 
*
@ शक्ति प्रिया डॉ सुनीता मधुप  
*
आर्य : सम्बन्ध

सच कहें ' संबंध ' बड़े नहीं होते
उसे ' प्रीत ' से संभालने वाले ही लोग ' कृष्ण ' जैसे बड़े होते हैं..
*

 ईश्वर : कर्म : भाग्य 
*
मेरा ' सतकर्म ' ही मेरा ईश्वर है, ' भाग्य ' है, ऐसा मानकर ' काम ' करने
वाला सच्चा ' कर्मयोगी ' कभी ' हारता ' नहीं है

*
मन विजय करें 
*
थोड़ा सा धैर्य थोड़ी सी सहन शक्ति थोड़ी सी समझ शक्ति 
वाणी की उनके लिए सज्जन जो ईश्वर के समान है 
इस जगत में मन का विजय पथ आलोकित है तुम्हारे लिए 

समय , साथ, संयम , शक्ति और अनंत शिव 
*
सब छुट जाए लेकिन 
समय के साथ ईश्वर का हाथ 
' संयम ' , ' साहस ' , ' संकल्प ' और समयक ' वाणी ' और कर्म  कभी न छुटने पाए प्रिये !
देख लेना..... इस अनंत ' शक्ति ' के जीवन में ' शिव ' ही अनंत ( श्री लक्ष्मी नारायण ) होंगे  
*
 ©️®️शक्ति. सीमा @ डॉ. सुनीता प्रिया
*
मित्र ' ईश्वर ' जीवन

*
' ईश्वर ' का ' दर्शन ' और ' मित्र ' का ' मार्गदर्शन ' दोनों ही ' जीवन ' को सदैव ' प्रकाशित ' करते हैं

आत्मीय रंग. 

स्मृत रहें ' प्रकृति ' मन सदैव 'आत्मा ' 
के ही आत्मीय  ' प्रेम '  ' रंग ' अपनाती है 

*
समय : सम्मान : परिवर्तन

कुछ पा लेना जीत नहीं है और कुछ खो देना कदापि हार नहीं है केवल समय का प्रभाव है और परिवर्तन तो समय का स्वभाव है

*
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै
*
कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै।
परम गंग को छाँड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै॥
 
*
ईश्वर : विनम्रता : दर्शन 

स्वार्थ रहित, बिना मिले किसी के लिए प्रतिदिन  शुभ सोचने वाले,
ईश्वर की असीम अनुकंपा, से ही ऐसे व्यक्ति मिलते  है, प्रिये !
*
 नाराजगी : आत्मग्लानि : पहल
*
' नाराजगी ' कभी इतनी ' लम्बी ' नहीं होनी चाहिए 
कि इंसान भी गुजर जाए और नाराजगी रह जाए 
विचार करे : समय रहते : पहल दोनों ओर से हो जाए  
*
दो बातें 

' कसूर ' चाहे किसी का भी हो ' आँसू ' हमेशा ' बेकसूर ' के ही बहते है   
और ' खुशियाँ ' तो सबके पास है बस एक की ' ख़ुशी ' से दुसरा ' परेशान ' है 
*
 शक्ति एकता की त्रि - शक्ति * : फोटो साभार. 
मधुर ' स्थायी ' आत्मीय सम्बन्ध  के लिए 
आपसी ' समझ ',' सहन ' वाणी पर ' संयम ' और ' विश्वास ' अवश्य रखें.  
*
तुलसीदास.
*
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।
जो जस करहि सो तस फल चाखा।
*
धीरज, धर्म, मित्र और नारी,
आपद काल परखिए चारी :

*
समस्यायें परीक्षा
समस्यायें  हमारी परीक्षा लेने नहीं आती,
बल्कि हमें हमसे जुड़े धीरज, धर्म,मित्र, नारी की ' पहचान ' कराने आती हैं 
*
पीड़ा और ख़ुशी 

जीवन में भय और पीड़ा कैसी ? आर्य  जन और शिव शक्ति के खोने की 
जीवन में ख़ुशी  कैसी ? दुष्ट जनों और अनिष्टकारी शक्तियों से दूर जाने की 

*
टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.


आज : राधिकाकृष्णरुक्मिणी : दृश्यम  : पृष्ठ :०.
*
श्री रुकमिणी लक्ष्मीस्वरूपायै नमः
*

तोरा मन दर्पण कहलाए : दृश्यम


जग से चाहे भाग ले कोई मन से भाग न पाय
*
राधिकाकृष्ण : बांसुरी धुन : रूक्मिणी 

श्री हरि : हिरण्यकश्यप : प्रहलाद : नरसिंह : अवतार 
*

वैष्णव जन तो : तेने कहिए जे पीड़ परायी जाने रे


पर दुखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आने रे
*
दिव्य अनंत शिव अष्ट जीवन शक्तियां
राधिकाकृष्णरुक्मिणी   
*

*
श्री रुक्मिणी.
श्री रेवती. श्री सत्यभामा. श्री जामवंती. 
श्री सुलक्षणा. श्री मित्रविन्दा.श्री कालिंदी.श्री परिपूर्णा. 
*

शक्ति : आर्य अतुल : मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स.रांची रोड बिहार शरीफ.समर्थित  

*
--------
त्रि शक्ति : विचार धारा : पृष्ठ : १. 
------------
श्री राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते. 
महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
अनंतशिव : त्रि शक्ति : राधिका रुक्मिणी मीरा विचार : जीवन धारा.

 
  राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / १ .
राधिका डेस्क. वृन्दावन.
सज्जा / संपादन
शक्ति.राधिका @ प्रिया डॉ. सुनीता मधुप. 
*

त्रेता युग : राम : बाली : द्वापर युग : श्री कृष्ण : बहेलिया.


श्रीकृष्ण : तीर : बहेलिया : साभार : फोटो.

*
मर्यादा पुरुषोत्तम ' श्रीराम ' समय के साथ स्वयं साक्षी है कि त्रेता युग में छिप कर
छल से बानर राज ' बाली ' के मारने के परिणाम वश
द्वापर युग.... में उनके अवतारी ' श्रीकृष्ण ' को कैसे अपने प्राण त्यागने पड़े थे ?
जब विश्रामित अवस्था में उन्हें बहेलिये के प्राणघाती तीर लगे थे....
वो तो तथापि एक देव थे ...और हम सब तो मात्र एक साधारण मानव ..है ..
विचार करें

*
राधारमण : हरि : गोपाल बोलो.
फोटो : साभार
*
राधिका : कृष्ण : सार

*
आर्य जगत का निर्माण हो फिर
*
हे माधव ! लक्ष्मी नारायण इस सार जगत में
कर दें इच्छा हमसब की पूरी
अधर्म ,खल, दुष्टों से प्रभु हो समान नित दूरी
आर्य : सोना सज्जन : साधुजन से बनी रहें ये प्रीत
शिव शक्ति अनंत नव निर्मित इस संसार में
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी शक्ति भक्ति,से
नवजीवन की हो अपनी यह रीत
*
शक्ति * प्रिया ©️®️डॉ.सुनीता मधुप.
*
ना ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम्
*
जिन्हें ईश्वर ने अन्तः ' दृष्टि ' और ' समझ ' प्रदान की है
वह ' सज्जन ' और ' दुर्जन ' के व्यवहार का अंतर उसकी प्रथमतः ' वाणी ' से ही लगा लेते है
*
यथा : श्री कृष्ण : शिशुपाल
यथा : युधिष्ठर : कृष्ण : अश्वत्थामा : द्रोण

*
शिव : सहिष्णुता : अनंत : आत्मशक्ति 

एक सकारात्मक ' शिव ' प्रेम युक्त सहिष्णु ह्रदय में  ही अनंत आत्म शक्ति राधिका कृष्ण निहित होती है
विशेष ज्ञान का प्रारंभ है और इसमें ही जीवन का सार  है

शक्ति.प्रिया ©️ डॉ. सुनीता मधुप. 

*
राधिका बिन कृष्ण की रह गयी जीवन कथा अधूरी
कृष्ण दर्शन, हर सार, में राधा, द्वि शक्ति एक काया पूरी
 
शक्ति.प्रिया ©️ डॉ. सुनीता मधुप. 

*

' समय ' और  ' कर्म 
*
' नेक ' काम करते रहें, ' दरियां ' में डालते भी रहें 
कोई देखे या ना देखे , याद रहे ' सूर्योदय ' होता है तब भी जब ' करोड़ों '
लोग.... ' सोये ' ही रहते हैं
*
  राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम :  पृष्ठ :१ / १.
राधिका डेस्क. वृन्दावन
शक्ति.राधिका @ प्रिया डॉ. सुनीता मधुप. 
*
साभार
*
महाशक्ति मीडिया शक्ति प्रस्तुति.

सत्यम शिवम् सुंदरम राधा मोहन शरणम्


*

दृश्यम : कृष्ण है विस्तार  यदि तो सार है राधा. 



*
 टाइम्स मिडिया शक्ति.
रुक्मिणी डेस्क.विदर्भ.प्रस्तुति. 
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ /२ .
*
शक्ति*रुक्मिणी @ डॉ.सुनीता प्रिया मधुप.

सुख दुःख : निवारण : मुक्ति 

*
शकुनि ' छल ' और ' नियति '
*
शकुनि की तरह ' छल ' से पांसे फेंक कर 
न्याय , ' धर्म ' , ' निर्दोष ' के विरुद्ध ' पडयंत्र ' करने वाले ये भूल गए 
कि ' समय ' उनके ' कर्म ' के अनुसार ही उनकी  ' नियति ' सुनिश्चित  करने वाली है , पार्थ !

समय तू धीरे धीरे चल 
*
 ' हाथ ' और ' साथ ' सही ' समय ' पर बटायें 
' समय ' बीत जाने पर दोनों का ' मोल ' नहीं रह जाता 
*
श्री हरि : नरसिंह अवतार : हिरण्यकश्यप 

श्री हरि : लक्ष्मी नारायण : नरसिंह अवतार : श्लोक 
*
उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युं मृत्युं नमाम्यहम्॥
भावार्थ 
मैं उग्र, वीर, महाविष्णु, सर्वव्यापी, ज्वलंत, भयानक, शुभ और
मृत्यु के भी मृत्यु ' नरसिंह ' भगवान को नमस्कार करता हूं।
*
काहे को दुनियां बनाई. 

*
किसके लिए ये ' दुनियां ' बनाई माधव... ?
कौन नहीं यहाँ ' गुनाहगार ' है ?
*
 संधि ,समझ और सहिष्णुता 
*
सन्दर्भ भय, प्रयत्न  और साहस का नहीं, प्रिये !
अपने स्वजनों का है ....छल प्रपंच जानते हुए भी अंतिम अंतिम तक शांति संधि और सहने 
का सार्थक प्रयास करना ही मानव धर्म है 
*
साथ : सम्यक : कर्म 
*
कर्मों के ' फल ' की इच्छा से तुम कभी भी प्रेरित मत हो,
और कर्म न करने में भी तुम्हारी ' आसक्ति ' न हो
बस सम्यक ' साथ ' ढूंढों ' मार्ग ' स्वतः प्रशस्त होंगे
*
जो ' होगा ' उस पर ' विश्वास ' रखो 


*
जो है उसे ' स्वीकार ' करो जो था उसे ' जाने ' दो 
और जो ' होगा ' उस पर ' विश्वास ' रखो 
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
------------
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : दृश्यम :  पृष्ठ :१ /२ .
-----------
विदर्भ डेस्क
*
शक्ति*रुक्मिणी @ डॉ.सुनीता प्रिया मधुप.
*
साभार.
*
कौरव सभा : दुर्योधन : बंदी कृष्ण : विराट रूप. 


दुर्योधन : सैनिकों  बंदी बना लो इस ग्वाले को.


श्री कृष्ण : मुर्ख दुर्योधन,यह भी प्रयत्न कर लो. 

*
कृष्ण : शिशुपाल : प्रसंग : अपमान 
*
 तुम आयु में मुझसे बड़े अवश्य हो


 लेकिन कर्मों में तुच्छ हो.... शिशुपाल 


*
कृष्ण : अपने से बड़े का अपमान करना अपराध है, 
कहीं ऐसा न हो शिशुपाल कि ठीक समय आने पर 
अपने अपराधों की  गिनती ही भूल जाओ 

*
प्रेम : कृष्ण  : जीवन : सार  : शक्तियां 


शक्ति : सत्यभामा : जामवंती : कालिंदी 

*
कृष्ण : दर्शन : शकुनि : महाभारत प्रसंग 


कृष्ण : छल का आशय यदि धर्म है 


तो छल भी धर्म है....मामा श्री. 


प्रथम मीडिया शक्ति. 
मीराडेस्क.मारवाड़. प्रस्तुति
संपादन.
शक्ति.मीरा @ डॉ.अनीता जया मधुप.
*
मीराकृष्ण जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / ३.
*
छुप छुप मीरा रोये दर्द न जाने कोय 
*
ईश्वर : भाग्य : कर्म : 

रंगी ' मोहन ' के रंग रही ' संतों ' के संग 
*

इन्सान : फ़ितरत 
*
' मोह ' अधिक हो जाये तो ' बुराई ' नहीं दिखती
      और ' नफरत ' अधिक हो जाये तो ' अच्छाई ' नहीं दिखती 
*

  सार्थक जिंदगी
*
' किससे ' ' कब ' और ' कितना ' बोलना है आर्य जनों के लिए ? 
अगर तुमने यह समझ लिया 
तो अपनी जिंदगी के सार्थक बन चुके हो 

*
मीराबाई 

पायो जी मैंने ' राम ' रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी म्हारे ' सतगुरु ', किरपा कर अपनायो

*
कबीर दास 

पाहन पूजे हरि मिले, मैं तो पूजूं पहार
याते चाकी भली जो पीस खाय संसार

*
रहीम 

 जो बड़ेन को लघु कहे, नहिं रहीम घटि जाहिं। 
गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दुख मानत नाहिं॥

*
रवि दास 

हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
ते नर यमपुर जाहिंगे संत भाषे रविदास

*
सूरदास 

मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै,
जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै.
कमल-नैन को छाड़ि महातम, और देव को ध्यावै,
परम गंग को छाड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै.

*

ईश्वर : मनुष्य 
*
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं पल भर की तालास में
मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में

*
दिव्य  रिश्ता. 

*
बिना किसी ' शर्त ' और ' उम्मीद ' के बने रिश्ते 
न केवल ' दिव्य  ' होते है बल्कि ' भावुक ', ' परस्पर ',  ' संवेदनशील ' और बेहद ' स्थायी ' होते हैं 
केवल ' शब्द ' नहीं ' मन वचन और कर्म ' की ' शक्ति ' से वो दिव्य रिश्ते ' संरक्षित ' कीजिए 

*
भाई हो तो ऐसा 
*
राम अनुयायी ' भ्राता ' ' लक्ष्मण ' बनें कृष्ण विरोधी ' शिशुपाल ' नहीं 

*
नियति संतति

सोना सज्जन साधु जन से आचार व्यवहार करने से पहले
सौ बार सोच लें समझ ले ....कर्म फल भी इसी जीवन में सुनिश्चित है
इसकी नियति संतति को भी प्रभावित कर सकती है


*
छुप छुप मीरा रोये दर्द न जाने कोय 


मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम :  पृष्ठ :१ / ३.
*
गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो
राधा रमण हरि गोविन्द बोलो


महाशक्ति प्रस्तुति : दृश्यम : मुक्तेश्वर.
शक्ति. प्रिया. डॉ सुनीता

*
राणा ने विष दिया मानो अमृत पिया
दुःख लाखों सहे मुख से गोविन्द कहे
वो तो गली गली गली हरि गुण गाने लगी
ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन

*

गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो
*

*
साभार : शक्ति जया : दृश्यम :  


श्री लक्ष्मी नारायण : होता वही है जो मैं चाहता हूँ 


*
शक्ति.डॉ.ममता. आर्य. डॉ.सुनील कुमार. ममता हॉस्पिटल. बिहार शरीफ. समर्थित. 

*

एचीवर्स एकेदमी.इंजिनीयर्स एन्क्लेव. बड़ी मुखानी. हल्द्वानी. नैनीताल समर्थित. 
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी  : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २  
----------
सम्पादकीय शक्ति. समूह. नवशक्ति. विचार धारा : अंततः : पृष्ठ :२ / ०.
----------
*
   ए.एंड एम.शक्ति : प्रस्तुति 
नवशक्ति.शिमला डेस्क.प्रस्तुति.पृष्ठ /० .  
संपादन / सज्जा 
शक्ति *शालिनी अनुभूति @ डॉ.सुनीता मधुप . 
*
अंततः 
*

एकता की त्रिशक्ति : अनंतशिवशक्ति : नवशक्ति.


*
अनंतशिव : शक्ति : नवजीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :२ /.
*
मानव इच्छाएं
*
इच्छाएं मानव  को कभी सुगमता से जीने नहीं देती 
और मानव कभी इच्छाओं को कभी मरने नहीं देता माधव 
*
जीवन : कुरुक्षेत्र : कृष्ण : शक्तियाँ 
*
यदि जीवन कुरुक्षेत्र है तो सदैव कृष्ण अर्जुन और युधिष्ठर का साथ निभाए 
श्री कृष्ण की तरह धर्म , सज्जन के लिए  
प्यार,  व्यवहार , क्षमा और संस्कार  शक्ति में सतुंलन रखना सीखें, 
अर्जुन की तरह अपने सारथी सखा माधव में विश्वास रखते हुए कर्म  करें 
 तो युधिष्ठर  की भाँति सहिष्णुता और शिव सत्यता की ओर प्रेरित हो 
*
अकड़ 

इस 'शब्द ' में कोई ' मात्रा ' नहीं है 
फिर भी अलग अलग ' मात्रा ' में सबके ' पास ' है 
*
ये जो जिंदगी है कभी ख़ुशी है कभी ग़म 
*
सज्जन : दुर्जन 

कोई तुम्हारे लिए अच्छा कर रहा है .....इससे सिद्ध नहीं कि वो श्रेष्ठ है 
समस्त ' आर्य '  समाज  .....' सोना सज्जन साधु जन ' ... के निर्माण, उन्नयन के लिए 
उसके  कर्म : व्यवहार : संस्कार कैसे क्या हैं  ? यह विचारणीय है 
विचार करें 
*
स्वजन : सहिष्णुता : सकरात्मकता 
*
जब जीवन में अपने परिजनों से ' छले ' जाने का 
' रहस्य ' ज्ञात हो जाए तो उसकी  यह गलती ' मानवीय भूल ' समझ कर ' विस्मृत ' करने  का प्रयास करें  
' सहिष्णु ' हो कर, तुम्हारे  लिए ,उसके अच्छे किए गए ' कर्मों ' को  
' स्मृत ' रखने की भली ' कोशिश ' ही आपको ' सकारात्मक '  बनाएगी .... 
*
शक्ति * प्रिया. डॉ.सुनीता मधुप 
*
मलूक दास 

अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम,
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम

*
कबीर दास 
*
सोना ' सज्जन ' ' साधु ' जन, टूटि जुरै सौ बार । 
दुर्जन ' कुंभ ' कुम्हार के, एकै धका ' दरार ' ॥

*
सिद्दार्थ : मध्यम मार्ग : बुद्ध 
*
वीणायाः तन्त्रीं एतावतं कठिनं न कुर्वन्तु यत् सा भग्ना भवेत् 
तथा च एतावतं शिथिलं न स्थापयन्तु यत् तस्याः वीणायाः शब्दः न निष्पद्येत्।
*
भावार्थ 
 वीणायाः तन्त्रीः अतिशयेन मा आकर्षयतु
*
वीणा के तारों को इतना भी मत कसो कि वह टूट जाए 
और इतना ढीला भी न छोड़ो कि उससे सुर ही न निकले
*
ए एंड एम मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
*
नवशक्ति. अनंतशिवशक्ति : दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :२ / .

बड़ी देर भये नन्द लाला तेरी राह तके बृज वाला

ठाकुर जी : श्री कृष्ण मोर पंख क्यों लगाते है
साभार : साध्वी : चित्रांगदा : कृष्ण : दृश्यम
*
कवयित्री : शक्ति मनु वैशाली : साभार


दृश्यम : तथ्य कर्म के जीवन के सार शोध कृष्ण है.
*
दिव्य अनंत शिव शक्ति : ' राधिकाकृष्णरुक्मिणी ' : विचार धारा : 

*
महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति 

 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी  : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २  
*

शक्ति
.डॉ.रतनिका.त्वचा रोग.
आर्य.डॉ.श्रेयांश.शिशु रोग विशेषज्ञ. लखनऊ.समर्थित.
*
 राधिकाकृष्णरुक्मिणी  : सम्पादकीय शक्ति समूह : पृष्ठ : २. 

  
*

*
जन्माष्टमी विशेष 
मातृ शक्ति. 
*
नमन 


निर्मला सिन्हा. 
प्रधानाचार्या. 
१९४० - २०२३. 
*
त्रि शक्ति. सम्पादिका.


*
 
शक्ति. रीता रानी. जमशेदपुर. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति. क्षमा कौल.जम्मू. कवयित्री. लेखिका.
शक्ति. प्रीति सहाय. पुणे.कवयित्री. लेखिका.

*
त्रि शक्ति.कार्यकारी सम्पादिका.
*

*
शक्ति*डॉ.नूतन अजय .
लेखिका.कवयित्री. देहरादून.
*
शक्ति*रश्मि
आर्य. रवि शर्मा.
कार्यकारी संपादक. दैनिक भास्कर ( कुमाऊँ )
नैनीताल.
*
शक्ति *बीना.
आर्य.डॉ. नवीन जोशी.
समाचार संपादक. सहारा समय. नवीन समाचार
नैनीताल.
*

त्रि शक्ति सहायक *सम्पादिका
*
शक्ति.डॉ.अर्चना.कोलकत्ता.
शक्ति.*सीमा.
शक्ति.*डॉ.अनीता.बड़ोदा.
*
त्रि शक्ति विशेषांक *सम्पादिका.
*

*
शक्ति *जया सोलंकी.जोधपुर.
शक्ति *रंजना.
स्वतंत्र लेखिका : हिंदुस्तान. इंद्रप्रस्थ.नई दिल्ली.
शक्ति.*दया जोशी.नैनीताल.
सम्पादिका : केदार दर्शन : नैनीताल
*
त्रि शक्ति अतिथि *सम्पादिका.
*
शक्ति.उषा बोरा.रानीखेत.
शक्ति.तनु सर्वाधिकारी.बंगलोर
शक्ति.रश्मि.महाराष्ट्र
*
श्री राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते
*
सम्पादकीय संरक्षण त्रि शक्ति.
*
*
शक्ति. रश्मि श्रीवास्तवा .भा.पु.से.
शक्ति. अपूर्वा.भा.प्र.से.
शक्ति.साक्षी कुमारी.भा.पु.से.

*
त्रि शक्ति.क़ानूनी संरक्षण
आभार
*

*
शक्ति.मंजुश्री.मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी.( वर्त्तमान )
शक्ति.अधिवक्ता.सीमा कुमारी.
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति.अधिवक्ता.जसिका सिंह.प्रयाग राज.उच्च न्यायलय.
*
सम्पादकीय.
प्रतीकात्मक आध्यात्मिक केंद्र.
राधाकृष्ण मंदिर.
दर्शन ड्योढ़ी
*
श्री. राधिकाकृष्णरुक्मिणी . सदा सहायते
मुक्तेश्वर.नैनीताल.

*
धर्ममेव जयते
@ सम्पादकीय
आध्यात्मिक प्रभार व संरक्षण.
श्री गोविन्दजी. राधारमण.
 निरीक्षण प्रकाशन संरक्षण.
*
त्रि शक्ति मीडिया. 
सोशल मीडिया.वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
श्री. राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन
प्रथम मिडिया. एडवरटाइजिंग  
टाइम्स मिडिया. एडवरटाइजिंग
ए. एंड एम. मिडियाएडवरटाइजिंग
इंद्रप्रस्थ.नई दिल्ली. 
डॉ.अंजलि अंजू अनीता.
*
अतिथि. देव - शक्ति. संपादक 

*
शक्ति.प्रतिभा. कोटा. राजस्थान. 
आर्य.सूरज मणि..कवि.व्यंग्यकार 
काशी.इंद्रप्रस्थ 
शक्ति.गरिमा.कोटा.राजस्थान. 
*
कला शक्ति सम्पादिका  


शक्ति. डॉ.
भावना स्वाति दीप्ती बोरा 
*
संयोजिका.शक्ति.
*
*
शक्ति.
माधवी स्मिता वनिता.
शक्ति.स्मिता.वर्त्तमान. एंकर.पटना दूरदर्शन. 
*

शक्ति.डॉ.राशि.स्त्री रोग.आर्य. डॉ.मयंक.मस्तिष्क नस रोग.विशेषज्ञ. मुजफ्फरपुर. बिहार.समर्थित.
*
त्रि शक्ति सम्पादकीय : जागरण :  साँवरे सलोनी  : गद्य : आलेख : पृष्ठ : २ / २   
*
 संपादन : 
शक्ति डॉ.नूतन रंजना प्रीति सहाय.
विदर्भ डेस्क.
*
त्रि शक्ति सम्पादकीय जागरण :  साँवरे सलोनी :  गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २ / ४   

*
तीज का श्रृंगार
मुन्ना लाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स समर्थित
*


*
महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति
*
*
विष्णु रूपाय शिवाय 
शिवाय विष्णु रूपाय 
*
शिव शक्ति की दिव्य  प्रेम कहानी : हरतालिका तीज: लोक पर्व 
भारतीय सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी : एक महिला - केंद्रित उत्सव. 
शक्ति आलेख : २ / २ / ० 
शक्ति. नैना @डॉ.सुनीता मधुप.  
 
*
विष्णु रूपाय शिवाय  शिवाय विष्णु रूपाय :  शिवाय विष्णु रूपाय, शिव रूपाय विष्णुवे ' का अर्थ है कि शिव ही विष्णु का रूप हैं और विष्णु ही शिव का रूप हैं, अर्थात् दोनों एक ही हैं और एक-दूसरे में समाहित हैं। इस अर्थ में भोले नाथ को पालनकर्ता ( विष्णु स्वरुप वाले ) पिता तुल्य अभिभावक हो तथा त्रुटि, गलती होने पर संशोधन करने वाले भी हो।
यह श्लोक भगवान शिव और भगवान विष्णु की एकता और अविभाज्यता को दर्शाता है, जहाँ शिव के हृदय में विष्णु और विष्णु के हृदय में शिव का वास होना है, जो सनातनी धर्म में हरिहर पूजा के रूप में भी व्यक्त होता है। यथार्थ है समस्त जगत के उन्नयन , संरक्षण के लिए शिव हरि के मध्य सामंजस्य होना अनिवार्य है।
तीज : शिव शक्ति की  प्रेम कहानी : हरतालिका तीज : जब कभी भी तीज आता है तो अम्मा याद आ जाती है। बड़ी विधि विधान से तीज व्रत करवाती थी। आज भी हम सभी इस लोक पर्व की संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। 
मेरी माने तो लोक पर्व  भारतीय सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी है तीज.भगवान शिव और पार्वती की कहानी सती के रूप में शिव की पत्नी के दोबारा जन्म से शुरू होती है, जो शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करती हैं, शिव उनकी परीक्षा लेते हैं,और अंत में वे उन्हें वर के रूप में प्राप्त कर शिव की अर्धांगिनी बनती हैं.शिव के प्रति शक्ति का प्रेम अतुलनीय है।

भारतीय लोक सभ्यता संस्कृति की अद्भुत कहानी :

फसली पर्व : मानसून के मौसम में  है यह तीज। चंद्रमा का चक्र निर्धारित करता है कि प्रत्येक वर्ष तीज कब मनाई जाती है। यह त्यौहार भारत के मानसून के मौसम में सालाना जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है। यह त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है, मुख्य रूप से देश के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में। हालांकि केवल हरियाणा में यह तीज आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश के साथ मनाया जाता है।  
भारतीय सभ्यता संस्कृति : यह राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में विशेषतः मनाया जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर, तीज के कुछ सबसे प्रसिद्ध उत्सवों का घर है। बिहार, में नालन्दा , गया ,नवादा आदि समस्त मगध क्षेत्र में यह लोक पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है। महिलाएं २४ घंटे का निर्जला उपवास करती है। 
संध्या के समय गौरी शिव की पूजा की जाती है और यह कामना की जाती हैं कि उनके पति परमेश्वर जैसी स्वस्थ दीर्घ आयु पाएं। और उनका प्रेम शिव शक्ति जैसा ही हो। और दूसरे दिन आसन का विसर्जन होता है। पास के नदी तालाब में मूर्तियां विसर्जित कर दी जाती है इस सन्देश के साथ की अगले वर्ष  गौरी शिव की पूजा  से जुड़ी तीज का वो व्रत पुनः करें। समस्त विधि विधान के बाद महिलाएं अपना उपवास जल या शर्वत ग्रहण कर तोड़ती हैं। 
तीज महोत्सव भारत में मानसून के आगमन के साथ मनाया जाने वाला एक महिला -केंद्रित उत्सव है, जिसे मुख्य रूप से श्रावण मास में मनाया जाता है. यह पर्व भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है, और विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु व वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं. इस दौरान महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं. यह त्योहार आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक है. 
*

विष्णु रूपाय शिवाय 
शिवाय विष्णु रूपाय 
*
तीज के प्रकार :

तीज के प्रकार : हरियाली तीज: सावन के महीने में मनाई जाने वाली हरियाली तीज सबसे प्रसिद्ध है और इसमें प्रकृति की हरियाली का जश्न मनाया जाता है. 
कजली तीज: यह हरियाली तीज के बाद आने वाला एक और महत्वपूर्ण तीज है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है. 
हरतालिका तीज : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती की पूजा होती है. सब तीज हर्ष उल्लास के साथ ही मनाए जाते है। 
लोक पर्व उत्सव की.मुख्य गतिविधियाँ 

उपवास और पूजा : महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शिव -पार्वती की पूजा करती हैं. पति पत्नी के मध्य अमर प्रेम की चर्चा होती है तो हरतालिका तीज: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली हरतालिका तीज की चर्चा होती है। 
झूला झूलना: यह तीज का एक प्रमुख आकर्षण है, जिसमें महिलाएं पेड़ों से बंधी डालियों पर झूला झूलती हैं. सावन के झूले खूब चर्चें में होते हैं। गांवों में इसका प्रचलन अब भी है। 
सजावट : महिलाएं नए और रंगीन वस्त्र पहनती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं और अन्य पारंपरिक श्रृंगार करती हैं. अलता पैरों में लगाती हैं। खूब सजती सवरती है। तीज के दौरान महिलाएं अपनी बेहतरीन एक्सेसरीज और पोशाक पहनती हैं। वे अक्सर अपने हाथों पर मेहंदी या मेहंदी की सजावट भी करवाती हैं। वे कई गीत गाते हैं जो त्योहार से जुड़े होते हैं। वे झूलों पर झूलते हैं जो पेड़ की बड़ी शाखाओं से बंधे होते हैं। वे उपवास और भव्य, भव्य दावतों के संयोजन का भी अनुभव करते हैं। नृत्य एक और विशिष्ट तीज गतिविधि है। 
संगीत और नृत्य: इस अवसर पर लोकगीत गाए जाते हैं और नृत्य प्रस्तुतियां दी जाती हैं. पूजा संपन्न होने के बाद बिहार झारखण्ड में महिलाओं को लोक गीत गाते हुए देखा जा सकता हैं जिसमें शक्ति की शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की बात होती हैं। 
त्योहार के व्यंजन : पारंपरिक घेवर मिठाई तीज से जुड़ी हुई है. गुजिया ठेकुए आदि बनते हैं। 
जुलूस : राजस्थान जैसे राज्यों में, जयपुर में तीज का भव्य जुलूस निकाला जाता है. 
महत्व : जीवन में वैवाहिक सुख का : यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है, जो अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. यह त्योहार सुहागन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है, जो पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं. 
तीज पत्नी पार्वती और पति शिव के बीच संबंधों का प्रतिनिधित्व करती है। यह त्योहार पार्वती के अपने पति के प्रति अटूट समर्पण की याद दिलाता है। जब भारतीय महिलाएं तीज के दौरान अपने आशीर्वाद की तलाश करती हैं, तो वे एक मजबूत विवाह – और गुणवत्तापूर्ण पति प्राप्त करने के साधन के रूप में ऐसा करती हैं। तीज न केवल एक मजबूत शादी के इर्द-गिर्द केंद्रित है, बल्कि यह बच्चों की खुशी और स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
प्रकृति का उत्सव : यह मानसून के आगमन और चारों ओर फैली हरियाली का भी उत्सव है. हम हरीतिमा को बचा सकें,इस पर्व के जरिए यह सन्देश भी हम देना चाहते हैं। 
तीज नाम को एक छोटे लाल कीट का संदर्भ माना जाता है जो मानसून के मौसम में जमीन से निकलता है। हिंदू मिथकों का मानना ​​​​है कि जब ऐसा हुआ, तो पार्वती ने शिव के निवास का भ्रमण किया। इसने पुरुष और महिला के संबंध के प्रतीक रूप में  सील कर दिया। तब से इस व्रत का नाम तीज हो गया 
तीज न केवल शादी और पारिवारिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि यह मानसून पर भी ध्यान केंद्रित करती है। मानसून लोगों को गर्मी के महीनों की भीषण गर्मी से आराम देता है।
*
स्तंभ संपादन : शक्ति. शालिनी रेनू नीलम. 
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. मंजिता सीमा अनुभूति 

*
शक्ति सम्पादकीय : आलेख पृष्ठ : २ / २ / ४ 
शक्ति. आरती अरुण
श्री कृष्ण ही आज सत्यम शिवम् सुंदरम है
*

*
हृदय की बात :  प्यार : व्यवहार : संस्कार. 

युग पुरूष और योगेश्वर वसुदेव कृष्ण : जिन्होंने सम्पूर्ण औपनिषदिक दर्शन और चिन्तन को एक काव्य : श्रीमद्भागवत गीता  में ढाल दिया, जिन्होंने उद्दात्त और उन्मुक्त प्रेम को प्रदर्शित किया, जिन्होने सम्पूर्ण संसार को * निष्काम कर्म योग का दर्शन दिया, जो परम आनन्द के कारण है, जो सबको आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं , जो सभी प्रेमियों के लिए आराध्य हैं, जिनके स्मरण मात्र से लौकिक व्याधियाँ नष्ट हो जाती है, जो युग पुरूष और योगेश्वर हैं, उन वसुदेव कृष्ण को मैं बारम्बार नमन करता हूँ।
भारत की भारतीयता और आत्मा  शिव राम और कृष्ण में बसती है। बुद्ध महावीर नानक कबीर रविदास तुलसी  रहीम मीरा सूरदास और रसखान भारतीय चेतना रूपी उद्यान के सुगंधित पुष्प है जिनसे भारत भूमि सुवासित होती रहती है। 
पर जब बात श्री कृष्ण की आती है तो एक अद्भुत अनुभूति हृदय में होती है। अपने काल के ही नहीं जो आज भी प्रासंगिक हैं और यथार्थ चेतना से युक्त है। मैं अकिंचन उन पर क्या लिखूँगा पर हृदय के भावना पुष्प तो इन शब्दों के माध्यम से समर्पित कर ही सकता हूँ पर विराट को तो शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है।
एक भावुक प्रेमी : बालसखा : एक भावुक प्रेमी जो अपने बालसखा और सखियों से बिछुड़ कर एक आम आदमी की तरह अपने परम सखा निर्गुण ब्रह्म उपासक उद्धव जी के सामने विलाप करने लगते हैं, 
 उद्धव, मोहे ब्रज बिसरत नाहीं , 
यह पीड़ा जो प्रेम में अन्तस को आहत कर देता है, सम्पूर्ण वैश्विक साहित्य में अन्यत्र दुर्लभ है। एक महान कूटनीतिक रणनीतिकार जो साध्य की प्राप्ति करने में साधन की परवाह नहीं करते है कि यदि साध्य पवित्र, धर्म और न्याय आधारित हो तो उसकी विजय सुनिश्चित करने के लिए किसी भी मार्ग का अनुसरण किया जा सकता है। 
पार्थ के सारथी   नारी जाति के रक्षक, पार्थ के सखा सारथी और रक्षक, मैत्री धर्म पालन करने वाले, नारी जाति के समुद्धारक, आश्रितो के रक्षार्थ रणछोड़ बनने वाले और प्रेम की वंशी बजाने के साथ-साथ आपात्काल में  सुदर्शन चक्र उठाने वाले, महान योद्धा पार्थसारथी का आज हम जन्मदिन मना रहे है परन्तु जरूरत है , उनकी तरह समय पर वंशी वादन की और धर्मार्थ- न्यायार्थ शस्त्र उठाने की ताकि न्यायार्थ अपने बन्धुओं को भी दण्डित किया जा सके।
पुनश्च परम चैतन्य आत्मा  ब्रह्माण्डीय ऊर्जा  शिव , श्री राम और श्री कृष्ण को बार-बार नमन करते हुए भारत के महान समाजवादी चिन्तक और राजनीतिक दार्शनिक डा. राम मनोहर लोहिया जी को उद्धृत करना चाहुँगा, उन्होने १९९५  में मैनकाइंड  पत्रिका में लिखा था,
हे भारत माता, हमें शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का विराट हृदय दो, राम का कर्म वचन और मर्यादा दो। 
हमे असीम मस्तिष्क और उन्मुक्त हृदय के साथ-साथ जीवन की मर्यादा से रचो। '
अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय, अप्रतिम और महामानव जो नाचता भी है और नचाता भी  : एक अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय, अप्रतिम और महामानव जो नाचता भी है और नचाता भी है, वंशी बजाता और गोपियों को रिझाता भी है, दही माखन चुराकर खाता और बांटता भी है।  
रासलीला करता है तो अद्वैत का दर्शन देते हुए योग की विशद् और अनुपम व्याख्या करते हुए योगेश्वर भी कहलाता है। सबके अहंकार और मिथ्याभिमान का मानमर्दन भी करता है। 
कहीं मर्यादाहीन तो कहीं मर्यादा के रक्षक :   तो कहीं मर्यादा के रक्षार्थ सामाजिक नैतिक नीतियों में बंधा हुआ भी है तो उन्मुक्त और स्वच्छन्द भी है। प्रेम के द्वारा ही मुक्ति मिल सकती है का दर्शन भी देता है। कहीं मर्यादाहीन नजर आता है तो कहीं मर्यादा के रक्षार्थ चरम पर खड़ा भी दिखाई देता है और अन्त में कर्म की, कर्त्तव्य पालन की श्रेष्ठता का संदेश भी देता है। 
ऐसे हैं योगेश्वर कृष्ण जिनकी महिमा आज भारत की सीमाओं के पार जा चुकी है और एशियाई देशों के साथ साथ यू एस, यूरोप, आस्ट्रेलिया और अफ्रीका की धरती हरे रामा हरे कृष्णा हरे कृष्णा हरे रामा की गायन से गूंजती दिखाई पड़ती है और आज भी इनकी प्रासंगिकता उतनी ही है जितनी द्वापर में थी। सभी श्री कृष्ण प्रेमियों और साधकों को श्री कृष्णाष्टमी की अनन्त शुभकामनाएँ बधाईयाँ ।सम्पूर्ण वैश्विक क्रियाशीलताओं मे प्रेम शान्ति और सद्भावना का संचार हो।
श्री राधा मोहन शरणम् । जय जय श्री राधेकृष्ण
*
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. प्रिया मंजिता सीमा .
शिमला डेस्क  


जन्माष्टमी : विशेष : मान सम्मान  साँवरे सलोनी गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २ /३  
*
जीवन की समग्रता ही श्री कृष्ण है.
आलेख : शक्ति पल्लवी मुकेश 


कृष्ण गोविंद हे राम नारायण,श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ।। 

हे कृष्ण, हे गोविन्द, हे राम, हे नारायण, हे रमानाथ, हे वासुदेव, हे अजेय, हे शोभाधाम, हे अच्युत, हे अनन्त, हे माधव, हे इंद्रियातीत, हे द्वारकानाथ, हे द्रौपदी रक्षक मुझ पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखना। 
आज जन्माष्टमी है। 
वैसे तो  संपूर्ण भाद्रपद मास लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस भाद्रपद मास में उन समष्टि के महानायक विराट पुरुष श्रीकृष्ण चंद्र जी के व्यक्तित्व पर यथामति कुछ चिंतन करने का प्रयास करते हैं।
स्पष्ट शब्दों में कहें तो जीवन की समग्रता ही श्री कृष्ण है।  हमारे शास्त्रों ने भगवान श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से परिपूर्ण बताया। श्री कृष्ण होना जितना कठिन है श्री कृष्ण को समझना उससे भी कहीं अधिक कठिन है।
कुछ लोगों द्वारा  योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के केवल एक पक्ष को जन मानस के समक्ष रखकर उन्हें भ्रमित किया जाता है। श्री कृष्ण समग्र हैं तो उनके जीवन का मूल्यांकन भी समग्रता की दृष्टि से होना चाहिए, तब कहीं जाकर वो कुछ समझ में आ सकते हैं।
कृष्ण विलासी हैं तो महान त्यागी भी हैं। कृष्ण शांति प्रिय हैं तो क्रांति प्रिय भी हैं। कृष्ण मृदु हैं तो वही कृष्ण कठोर भी हैं। कृष्ण मौन प्रिय हैं तो वाचाल भी बहुत हैं। कृष्ण रमण विहारी हैं तो अनासक्त योग के उपासक भी हैं।

फोटो : शक्ति. मुकेश 
श्री कृष्ण में सब है और पूरा - पूरा ही है। पूरा त्याग - पूरा विलास। पूरा ऐश्वर्य-पूरी लौकिकता। पूरी मैत्री - पूरा बैर। पूरी आत्मीयता - पूरी अनासक्ति।
जिस प्रकार दीये द्वारा दिवाकर का मूल्यांकन नहीं हो सकता, उसी प्रकार तुच्छ बुद्धि से उस समग्र चेतना का मूल्यांकन भी नहीं हो सकता है।  कृष्ण सोच में तो आ सकते हैं मगर समझ में नहीं। जिसे सोचकर ही कल्याण हो जाए उसे समझने की जिद का भी कोई अर्थ नहीं। भजो रे मन गोविंदा......


आलेख : शक्ति. पल्लवी मुकेश 
स्तंभ संपादन : सज्जा शक्ति. शालिनी अर्चना मंजिता
शिमला डेस्क  

*
रक्षा बंधन : विशेष : मान सम्मान  साँवरे सलोनी गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २ / २ 

 शक्ति लक्ष्मी राजा बलि, रक्षा बंधन : श्री नारायण की मुक्ति कथा.
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो राधा रमण हरि गोविंद बोलो 
भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा : धागे  मान की सम्मान की रक्षार्थ की 
सखी के मैत्री पूर्ण प्रेम,सम्मान के धागे :
*
शक्ति नैना प्रिया @डॉ.सुनीता मधुप. 
*

साभार फोटो कोलाजशक्ति नैना प्रिया डॉ.अनीता सीमाराजा बलि :श्री नारायण शक्ति लक्ष्मी
*
एष प्रभावो रक्षायाः कथितस्तेयुधिष्ठिर। 
जयदः सुखदश्चैव पुत्रारोग्यधनप्रदः

श्रीकृष्ण युधिष्ठिर रक्षाबंधन : श्रीकृष्ण कहते है.युधिष्ठिर, यह रक्षाबंधन का प्रभाव है जय, सुख,संतान, आरोग्य और धन की प्राप्ति।
सन्दर्भ है हमें एकीकृत हो कर धर्म, सत्य ,दिव्य प्रेम, मानवता की संस्थापना की रक्षा के लिए सदैव एक होना चाहिए। हम सम्यक जनों के साथ मानवीय ,आत्मीय प्रेम पूर्ण जीवन के लिए कच्चे पक्के धागे से बंधे हो। सहृदय मित्र कृष्ण सुदामा की तरह अपने प्रिय मित्र की रक्षार्थ  तत्क्षण तत्पर रहें। साधु जन मित्र के मान सम्मान सदैव रक्षित रहें इसके लिए  सम्यक प्रयत्न सदैव होता रहे यही रक्षा बंधन है। 
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि राखी मनाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? और अब इसका व्यापक अर्थ क्या है ? सनद रहे  इस त्योहार से जुड़ी कई  कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध और रोचक कथा राजा बलि और शक्ति  लक्ष्मी तथा भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा : सखी के मैत्री पूर्ण प्रेम के धागे से ही शुरू करते है।  समझते है ,जानते हैं इस पवित्र हिन्दू धर्म सनातनी पर्व के पीछे की रोचक  कहानी।
राजा बलि,श्री नारायण  शक्ति लक्ष्मी की कथा : श्री नारायण लक्ष्मी और दैत्य राजा बलि से भी जुड़ी एक मेरी सुनी दिलचस्प कथा है। कथा के अनुसार,एक बार जब राक्षसों के राजा बलि ने अपनी भक्ति और तप से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर लिया, तो उन्होंने उनसे स्वयं को अपनाने व निरंतर रक्षा का  वचन मांगा।
श्री नारायण ने दानवीर बलि से तीन पग जमीन मांगी थी। दो पग में समस्त ब्रह्माण्ड नापने वाले श्री हरि अवतरित वामन के तीसरे पग के लिए स्वयं बलि ने अपने आप को समर्पित कर दिया था। इस तरह बलि श्री हरि के दास हो गए थे। श्री नारायण बलि की दानशीलता से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने बलि  को वरदान देना चाहा। 
बलि ने प्रभु से माँगा वो उनके रक्षक बने ....इस प्रसंगवश  श्री हरि को द्वारपाल बनना पड़ा। 
भगवान विष्णु ने वादा निभाते हुए बली के द्वारपाल बन गए। और उनके साथ पाताल लोक चले गए। कई दिन हो गए। जब देव लोक में महालक्ष्मी को नारायण कई दिनों तक नहीं दिखे तो इससे देवी  चिंतित हो उठीं। 
उन्होंने देव ऋषि नारद से अपनी चिंता जताई तो नारद मुनि ने भगवान विष्णु के राजा बलि के द्वारपाल होने व पाताल लोक में उपस्थित होने की बात कही। 
नारायण की मुक्ति के लिए तब देव ऋषि नारद ने देवी लक्ष्मी को राजा बलि को रक्षा बंधन बांधने व भेंट स्वरुप श्री नारायण को दासता से मुक्ति का वरदान मांगने की युक्ति सुझाई। 
ऐसे में देवी लक्ष्मी साधारण स्त्री का रूप धारण कर बली के पास पहुंचीं उन्हें राखी बांधने की अभिलाषा रखी। बलि अत्यंत भावुक हो गये और उन्हें देवी लक्ष्मी को मनचाही इंच्छा मांगने को कहा। इस पर लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को द्वारपाल से मुक्त करने का वचन मांगा। 
इस तरह श्री नारायण अपनी जीवन शक्ति महालक्ष्मी की कृपा से सुरक्षित व मुक्त हुए। देवलोक में श्री नारायण की वापसी देवी लक्ष्मी के कारण वश ही संभव हो सका। 
भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा : सखी के मैत्री पूर्ण प्रेम के धागे :एक अन्य पौराणिक कथा।  कृष्ण द्रोपदी को प्यार से सखी  बुलाते थे। इसके लिए उन्हें भरी सभा में पर स्त्री से सम्बन्ध रखने के लांछन में शिशुपाल से अपमान, और अपशब्द भी झेलना पड़ा था। परिणाम वश शिशुपाल वध हुआ। इसलिए द्रौपदी का नाम कृष्णा भी विदित है। द्रौपदी, जिसे पांचाली और यज्ञसेनी भी कहा जाता है, महाभारत की एक प्रमुख पात्र हैं। उनका रंग सांवला होने के कारण उन्हें कृष्णा भी कहा जाता था ऐसा समझा जा सकता था।
के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र धारण करते समय उंगली में चोट लग गई, जिससे रक्त  बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी परेशान हो गई और उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया। द्रौपदी के इस प्रेम से श्रीकृष्ण अत्यंत भावुक हो गए थे और उन्होंने वचन दिया कि वे  द्रौपदी के इस चीर का मान रखेंगे। 
इसलिए द्रौपदी के चीर हरण के समय, जब कौरव भरी सभा में उनका वस्त्र हरण करने का प्रयास कर रहे थे, तब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को पुकारा था। उस समय, द्रौपदी ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वे उसकी लाज बचाएं। कृष्ण ने द्रौपदी की पुकार सुनी और उनकी साड़ी को अनंत रूप से बढ़ाते हुए, उनकी लाज बचाई।
रक्षार्थ प्रेम के लिए बांधे बंधन : राधिका, रुक्मिणी. स्वजनों हिन्दू धर्म  के प्रमुख त्योहारों में से एक रक्षा बंधन है।अक्षरशः प्रतीत होता है रक्षा के लिए बांधे गए धागे। बंधन रक्षार्थ पर्यावरण के लिए हो। सैनिक सरहदों के लिए रक्षित हो। हम सभी अनंत शिव कार्यों से जुड़ें लोगों से बंधे रहे।
कितना दिव्य हो जब रक्षार्थ प्रेम बंधन राधिका,रुक्मिणी, सत्यभामा, कालिंदी  के बीच हो और कभी न टूटे। एक प्रेम का दिव्य पक्ष हैं तो एक जीवन में संस्कार का पक्ष का प्रतीक हैं, जब ये दोनों श्रीकृष्ण के व्यवहार पक्ष से जुड़कर शिव शक्ति जीवन की अनंत आधारशिला बन जाए तो इससे दिव्य आध्यात्मिक बात और क्या हो सकती है ?
आज धर्म निरपेक्ष आर्यवर्त में यह मात्र किंचित हिन्दू धर्म तक ही नहीं सीमित रह गया। यह वैश्विक सर्व कालिक समझा जाए।
मेवाड़ की रानी कर्णावती हुमायूं गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह की कहानी : ऐसा कहा जाता है कि जब चित्तौड़गढ़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह का आक्रमण हुआ और चित्तोड़गढ़ की स्थिति कमजोर पड़ने लगी। उनकी सेना बहादुर शाह की सेना से अकेले मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी। तब मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी और उनसे सहायता मांगी। उस समय रानी विधवा थीं और उनके नन्हे पुत्र भी अपनी मां की छाया में ही राज्य के उत्तराधिकारी बनने की राह देख रहे थे। 
इस लड़ाई में लगातार मेवाड़ की सेना कमजोर पड़ रही थी। ऐसे में रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजा और उन्हें भाई मानकर चित्तौड़ की रक्षा के लिए पुकारा। हुमायूं ने राखी को स्वीकार कर रानी कर्णावती को बहन का दर्जा दिया और तुरंत चित्तौड़ की सहायता के लिए अपनी सेना रवाना की। हालांकि हुमायूं के पहुंचने से पहले ही चित्तौड़ पर हमला हो चुका था और रानी ने जौहर कर लिया था। लेकिन उन्होंने बाद में न केवल चित्तौड़ को बहादुर शाह के कब्जे से मुक्त करवाया, बल्कि रानी कर्णावती के पुत्रों को भी सुरक्षित बचा लिया। हालांकि, इस कहानी के पीछे कोई प्रमाण इतिहास में नहीं है।
परम्परागत तरीक़े : हर साल की भांति इस साल भी शक्ति दिवस ९ अगस्त २०२५,शनिवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रावण  मास की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन मनाया जाता है,जो परम्परागत तरीके से भाई -बहन के पवित्र रिश्ते से जुड़ा  है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुख-समृधि  खुशहाल जीवन की अभिलाषा  करती हैं। 
वहीं बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन उन्हें उपहार देकर अपना प्रेम जाहिर करते हैं। 

दिन विशेष.शक्तिरक्षा : शॉर्ट रील 
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति 
*
राजा बलि : शक्ति लक्ष्मी : श्री नारायण 
दृश्यम : वंशी नारायण मंदिर : चमोली 
साभार : आर्य : हिमांशु भट्ट. 
*
स्तंभ संपादन : शक्ति.शालिनी डॉ.अनीता भावना सिंह
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. अनुभूति सीमा श्वेता.  

*
त्रि शक्ति सम्पादकीय जागरण : साँवरे सलोनी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २ / १      
जन्माष्टमी विशेष. 
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:
माता देवकी : यशोदा ने दिए माधव में उन्नत संस्कार.
ये ले अपनी लकुट कमरिया तूने बहुते ही नाच नचाओ , ...मैया मोरी मैंने नहीं माखन खायो. * फोटो साभार : माता यशोदा : बालक श्री कृष्ण : कोलाज : शक्ति 
*
डॉ. मधुप.
शक्ति.  नैना प्रिया  डॉ. सुनीता  
*
आज से ५२२७ वर्ष पूर्व, द्वापर के ८६३८७५ वर्ष बीतने पर भाद्रपद मास में, कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में, बुधवार के दिन श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। श्री कृष्ण द्वापर युग में हरि के अवतरण थे।
यह मंत्र भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो उन्हें वासुदेव पुत्र, हरि, परमात्मा और गोविंद के रूप में संबोधित करता है। यह मंत्र भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
माता देवकी : यशोदा : बालक श्री कृष्ण में उन्नत संस्कार : वासुदेव माता देवकी के गर्भ से कारागार में पैदा हुए माता यशोदा व बाबा नंद ने उन्हें पाला। दोनों माताओं से उन्हें उन्नत संस्कार मिला। माता यशोदा ने जब जब गोपियों से अन्य से कृष्ण की शिकायत सुनी तो वह पुत्र मोह में अंधी नहीं हुई। उन्हें दण्डित किया। ओखल से बांध भी दिया।
मटकी फोड़ने, माखन चोरी करने, गोपियों को तंग करने जैसे आरोप भी प्रभु पर लगे। निरंतर के शिकायत से वो बहुत खीज गई थी ।
कान्हा भी अपने सुतर्क ये ले अपनी लकुट कमरिया तूने बहुते ही नाच नचाओ , ...मैया मोरी मैंने नहीं माखन खायो आदि से माँ यशोदा को संतुष्ट करने का प्रयास करते रहें। लेकिन अपनी माँ को भावुक होता देखकर उन्होंने माखन खाने की बात भी कबूली।
यह मंत्र भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो उन्हें वासुदेव पुत्र, हरि, परमात्मा और गोविंद के रूप में संबोधित करता है। यह मंत्र भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
श्री हरि अनंत हुए जिनकी शक्ति ही शिव ( कल्याणकारी ) बनी । हम सबों के लिए परम ईश्वर है। वह सर्वशक्ति मान हैं ,पालनकर्ता हैं अजन्मा हैं । वो सर्वव्यापी है। अंतर्यामी है। वो सब कुछ देखते हैं ,सब कुछ समझते हैं वह मर्मज्ञ हैं । केवल न्याय - अन्याय , सत्य - असत्य, धर्म - अधर्म की विवेचना में सलग्न रहते हैं । जगत कल्याण की खोज में अनवरत लगे हुए है, परमेश्वर ।
दिव्य मातायें : यथा कौशल्या, कैकयी,सुमित्रा, देवकी तथा यशोदा : मातृ प्रदत उन्नत संस्कार प्रभु में श्री हरि : लक्ष्मी नारायण अपने राम कृष्ण के स्वरूपों में अपनी दिव्य माताओं यथा कौशल्या, कैकयी,सुमित्रा, देवकी तथा यशोदा को अपने संस्कारों के लिए स्मृत करते है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपनी माता कैकयी के कहने पर सम्पूर्ण राज पाठ त्याग कर दिया।
मदर्स डे या कहें मातृ दिवस को मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। दरअसल मातृ-दिवस वह अवसर होता है जब बच्चा अपनी मां के प्रति अपने प्यार को व्यक्त करता है। वैसे, मां के लिए तो हर एक दिन खास होता है। पूरी दुनिया में एक मां ही है, जो जन्म के बाद से हर पल, हर सुख-दुख में किसी चट्टान की तरह अपने बच्चों के साथ खड़ी रहती है। वो अपने बच्चों में श्रेष्ठ संस्कार देखना चाहती है।
बाल काल से ही श्री कृष्ण जन मानस को कष्टों से बचाते रहें। पूतना, तृणावृत्त, नरकासुर, का वध किया। कालिया नाग का दमन किया तथा इंद्र प्रकोप से उन्होंने गोवर्धन धारण कर बचाया।

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।

धर्म संस्थापनार्थाय : संभवामि युगे युगे वाले माधव : समाज में जब शोषक लोग बढ गये, दीन-दुःखियों को सतानेवाले तथा कंस , जरासंध ,चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों व दुर्जनों का पोषण करनेवाले क्रूर राजा बढ गये, तो समाज ‘ त्राहिमाम् ‘ कर प्रभु को पुकार उठा, सर्वत्र भय व आशंका का घोर अंधकार छा गया, तब अमावस में ही कृष्णावतार हुआ ।
हम भक्त लोग ‘ श्रीकृष्ण कब अवतरित हुए ’ इस बात पर ध्यान नहीं देते बल्कि ‘ उन्होंने क्या कहा ’ ,' क्या किया ' उनकी वाणी क्या थी , कर्म क्या थे ? इस बात पर अधिक ही ध्यान देते हैं, उनकी लीलाओं पर ध्यान देते हैं। भक्तों के लिए श्रीकृष्ण प्रेमस्वरूप हैं और ज्ञानियों को श्रीकृष्ण का उपदेश बड़ा प्यारा न्यारा लगता है .
महाभारत काल में वे सदैव धर्म संस्थापना के लिए प्रयासरत रहे व दिखे। गीता ज्ञान में , कुरुक्षेत्र में उन्होंने कहा हे भरतवंशी अर्जुन ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब - तब ही मैं अपने साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। साधुजनों ( भक्तों ) की रक्षा करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भलीभाँति स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।’
*
शॉर्ट रील : साभार 
संभवामि युगे युगे वाले माधव : कृष्ण और अर्जुन


* 
आभार
स्तंभ संपादन. शक्ति. माधवी प्रीति तनु सर्वाधिकारी 
पृष्ठ सज्जा : महाशक्ति मीडिया.

*


त्रि शक्ति सम्पादकीय : जागरण : आलेख : पृष्ठ : २ / २  / ०     
यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे यत् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे.
अनुभूति : शरीर और संसार की  
शक्ति.आरती अरुण. 
झारखण्ड. 

संसार इस ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा हिस्सा भर है और इसकी समस्त क्रियाशीलताऍं एक दूसरे से प्रभावित होती रहती हैं और कहा भी गया है,......

यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे यत् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे,

अनुभूति : शरीर और संसार की  : जो औपनिषदिक सूत्र वाक्य है जिसका अर्थ होता है कि जो इस पिण्ड अर्थात् शरीर और संसार में है वहीं ब्रह्माण्ड में भी है और जो कुछ ब्रह्माण्ड में है वही इस शरीर और संसार में भी है।
जैसे ब्रह्माण्ड स्वयं एक रहस्य है जिसका ९५ प्रतिशत अभी तक मानवीय चेतना और समझ से बाहर है वैसे ही मनुष्य और संसार भी है। संसार अभी भी अज्ञात है, समुद्र का अस्तित्व अभी भी शोध और खोज का विषय है। समुद्र की अतल वितल गहराईयां आज भी मनुष्य के लिए एक चुनौती ही है। समुद्री वैज्ञानिकों का कहना है कि अनवरत शोध एवं खोजों के बावजूद हम समुद्र को उतना ही जान पाए हैं जितना हम खुद को जान पाए हैं।
हजारों जलीय जीव, वनस्पतियां, पर्वतीय क्षेत्र, तरंगें, समुद्री गह्वर आदि आज भी एक रहस्य ही हैं। ठीक उसी प्रकार मनुष्य और उसकी क्रियाशीलताएं हैं,सोंच और चित्तवृत्तियां हैं जो स्वयं मनुष्य भी नहीं समझ पाता है कि उसका मन चित्त हृदय के भाव आदि एक पल में कैसे बदल जाते हैं। हम घर से निकलते हैं कुछ सोचकर और बाहर कुछ और हो जाता है। अभी किसी के बारे में कुछ सोच रहे होते हैं और क्षणभर में वे भाव विचार स्वत: स्फूर्त बदल जाते हैं और उनपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है। यह खेल हमारे भीतर कैसे चलता रहता है,कुछ साफ-साफ नहीं समझ आता हैं और हम एक द्वन्द्वात्मक अवस्था में,भ्रम में पड़े पड़े काम करते रहते हैं और यह सब यंत्रवत चलता रहता है।
यह असल में हमारे स्थूल शरीर की सूक्ष्म चित्तवृत्तियां हैं जो समुद्री तरंगों की तरह हमारे भीतर उठती रहती हैं जो हमें कभी शान्त कर देती है या कभी विचलित कर देती हैं।
*
त्रि शक्ति सम्पादकीय : जागरण : आलेख : पृष्ठ : २ / २ / ०    
गीता, औपनिषदिक दर्शन, षट्दर्शन और प्रतीत्यसमुत्पाद. 
शक्ति.आरती अरुण. 
झारखण्ड.  
क्या वास्तव में गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार हैं ?
*

क्या वास्तव में गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार हैं ? अगर हम भगवान विष्णु के दशावतार की बात करें तो संभव है कि १०० में से ९९ लोग गौतम बुद्ध को श्रीहरि का अवतार बताएँगे। हमने भी सुना है। हम सभी की भी ऐसी भ्रांतिया है। बहुत काल से इसपर विवाद चला आ रहा है कि क्या वास्तव में गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार हैं ? हिन्दू धर्म में गौतम बुद्ध को विष्णु अवतार नहीं माना जाता किन्तु बौद्ध धर्म में उन्हें विष्णु के ९वें अवतार के रूप में प्रचारित किया जाता है। सर्वप्रथम तो मैं ये स्पष्ट कर दूँ कि गौतम बुद्ध श्रीहरि विष्णु के अवतार नही हैं। आइये इसका कारण जानते हैं।
प्रतीत्यसमुत्पाद  बौद्ध दर्शन :  प्रतीत्यसमुत्पाद जो बौद्ध दर्शन में पटिच्चसमुप्पाद् कहा जाता है और जो बौद्ध दर्शन का मूलाधार है, हिन्दू औपनिषदिक और षट्दर्शन का ही परिवर्तित रुप है जिसे बौद्ध अपनी मौलिक रचना बताकर संसार चक्र या कारण कार्य के सिद्धान्त की व्याख्या करते हैं। आज के नवयानी या नवाचारी बौद्ध इसी सिद्धांत का ढिंढोरा पिटते हैं पर इसके सच को न जानते हैं और न जानने की कोशिश करते हैं।
उल्लेखनीय है कि शाक्य बुद्ध ई पू छठी शताब्दी में अवतरित होते या जन्म लेते हैं जिनका परिवार स्वयं वेद, वेदांत या औपनिषदिक दर्शन और षट्दर्शन से प्रभावित और उनके मार्गदर्शन में चलने वाला था।
महाभिनिष्क्रमण के पूर्व उनके गुरु विश्वामित्र का नाम आता है जिन्होंने युद्ध कला,सभी उपलब्ध अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा दी, तत्पश्चात गृहत्याग( महाभिनिष्क्रमण ) करने के बाद उनके प्रथम गुरु आलार कलाम थे जो उस कालखंड के प्रकाण्ड वेदांती और दर्शन के विद्वान थे जिनसे सिद्धार्थ ने वेद, उपनिषदों और दर्शन के ज्ञान पाने के साथ साथ योग और ध्यान की शिक्षा प्राप्त की और फिर उद्दक रामपुत्र से साधना के अन्य मार्गों और दर्शन की शिक्षा पायी पर आत्मतुष्ट न होने पर  वहां से निकल गये। 
बुद्ध धर्म : आष्टांगिक मार्ग : उन्हें इन परम्परागत शिक्षाओं से आत्मज्ञान का बोध नहीं हो पा रहा था कि उन्हें कहीं न कहीं अतिवादी होने का बोध हो रहा था और इसलिए वे एक ऐसे मार्ग की खोज कर रहे थे जो गृहस्थ और संन्यासी दोनों के लिए उपयुक्त हो और वही कालान्तर में उनके ध्यान और साधना के बाद  मज्झिमपटिपदा या मध्यम मार्ग के रुप में उभर कर सामने आता है जिसे पाने के मार्ग को अट्ठंगिकोमग्गो या आष्टांगिक मार्ग कहा गया जो हिन्दू योग मार्ग का आष्टांगिक योग मार्ग है और योग के आदिगुरु शिव माने जाते हैं और गीता में भी इसी योग की वृहद् व्याख्या की गयी है।
अब कालखंड अवलोकन करने का विषय है। उपनिषदों में सबसे पुराने बृहदारण्यक और छांदोग्य उपनिषद माने जाते हैं जिनके काल क्रमश: १००० से ७००  ई पू और ८०० से ७००  ई पू माने जाते हैं और इनमें कारण और कार्य के सिद्धान्तों की विस्तृत व्याख्या की गयी है।
अब षट्दर्शन के सांख्य, न्याय वैशेषिक का अवलोकन करें जिनके कालखंड क्रमशः ६००  से ५०० ई पू तथा २००  ई पू है। देखा जाए तो सांख्य गौतम सिद्धार्थ का समकालीन या कुछ पूर्व का ही है और न्याय वैशेषिक बाद का है।
सांख्य दर्शन तत्वों की संख्या पर आधारित अनिश्वरवादी दर्शन है और यह कहता है कि हर कार्य या घटना के अस्तित्व में कारण छुपा होता है जो श्रृंखलाबद्ध होता है और यही उपर वर्णित दोनों उपनिषदों का भी दर्शन है।
सांख्य को सत्कार्यवाद का दर्शन भी कहा जाता है जो कारण कार्य के सिद्धान्त की व्याख्या करता है।
इसलिए यह स्पष्ट है कि बौद्ध दर्शन के पटिच्चसमुप्पाद् का दर्शन मूल रुप से औपनिषदिक और षट्दर्शन का ही परिष्कृत या परिमार्जित या रुपान्तरित दर्शन है जो बौद्ध दर्शन या चिन्तन का मूलाधार है।
बौद्धो के सूत्र वाक्य जिसे तथागत सिद्धार्थ ने अपने अंतिम उपदेश में कहा है,
एसो धम्मं पटिच्चसमुप्पाद् 
एसो धम्मं सनन्तनो 
श्री कृष्ण की चर्चा कर्म के फलाफल अर्थात् संसार चक्र :मूल हिन्दू दर्शन है और बौद्ध दर्शन भी मूलतः उसी विशाल वटवृक्ष की एक शाखा है जिसे सत्य शाश्वत सनातन धर्म कहा जाता है।
एक और बात उल्लेखनीय है कि महाभारत युद्ध ई पू ३००० या ३३०० में हुआ माना जाता है और गीता उसी का एक अंश है जिसमें भी कर्म के फलाफल अर्थात् संसार चक्र की चर्चा श्री कृष्ण ने की है जो उपनिषदों का एक वर्ण्य विषय है और षट्दर्शन को छोड़कर जिनसे ये सूत्र लिए गए हैं,वे उपनिषद् , ब्रह्म सूत्र और गीता हैं जिन्हें प्रस्थान त्रयी कहा जाता है जो हिन्दू आध्यामिक दर्शन और चिन्तन का सार है।

स्तंभ संपादन : शक्ति.शालिनी डॉ.भावना अनीता सिंह
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. अनुभूति सीमा श्वेता.  


शक्ति.डॉ. रत्नशिला.स्त्री रोगआर्य.डॉ.ब्रज भूषण सिन्हा.फिजिशियन : बिहार शरीफ : समर्थित   
---------
त्रि शक्ति सम्पादकीय : जागरण : साँवरे सलोनी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ : २ / ३  . 
---------------
*
संपादन. 
शक्ति डॉ.अनीता सीमा नमिता सिंह. 
द्वारिका डेस्क.  
*
कृष्ण जन्माष्टमी विशेष. 
*
भाविकाएँ
*
द्वापर कथाएं फिर.

प्रेम गीत मैं लिखती-गाती.

प्रतीक फोटो : राधिका :कृष्ण : साभार
*
नैनन प्यास बुझाओ श्याम। तुम तो बसे प्रभु गोलोक में, राधा के घनश्याम। वृंदावन, मथुरा भई सूनी, सूना द्वारिका धाम। आवाहन कर पूजन करती, लेती राम का नाम। भक्ति-भजन में लीन हुई मैं, छोड़ के सारे काम। प्रेम गीत मैं लिखती-गाती, देखूं ना सुबहो-शाम।
*
शक्ति. शालिनी
कवयित्री. लेखिका. प्रधान सम्पादिका.
महाशक्ति मीडिया.

*
सीपिकाएँ
*
द्वापर कथाएं फिर
*
जब कृष्ण फिर जन्मेंगे

GIF : कृष्णा माखन चुराते हुए : साभार

*
जब कृष्ण फिर जन्मेंगे
माखन की मटकी नहीं,
अब भूख से बिलखते बच्चे चुराएंगे उनका दिल।
गोपी के घड़े से नहीं,
अब प्यासे गाँव की टूटी कुएँ से बहती बूँदों में ढूंढेंगे प्रेम।
कंस अब महल में नहीं,
कभी संसद की कुर्सियों पर,
कभी सोशल मीडिया की झूठी मुस्कानों में बैठा है।
उसका चेहरा बदलता है,
पर उसकी हँसी वही-
निर्दोष के आँसुओं पर खिलखिलाती।
यदि आज कृष्ण जन्म लें,
तो शायद गोकुल की गलियों में नहीं,
किसी अस्पताल के बाहर जन्मेंगे,
जहाँ माँ के पास इलाज के पैसे न हों।
या किसी सूनी सड़क पर,
जहाँ भीड़ तमाशा देखे
और कोई अबला लहूलुहान पड़े।

कान्हा : गोकुल : बांसुरी

वे बांसुरी बजाएँगे तो
उसकी तान में मथुरा नहीं,
धरती के हर कोने का दर्द गूंजेगा।
गीत होगा-
'उठो, एक हो जाओ,
सिर्फ जन्माष्टमी मत मनाओ,
अन्याय के विरुद्ध चलो।'
क्योंकि आज की जन्माष्टमी,
सिर्फ झाँकी और दीपों की नहीं,
दिलों की सफाई की भी है।
सजाने को मंदिर कम हैं,
गिरते हुए मूल्य उठाने हैं,
तोड़ने हैं भीतर के कंस-
वो कंस, जो हमें चुप रहना सिखाते हैं।
और जब हम ऐसा करेंगे,
तभी सच में कह पाएँगे-
'कृष्ण आज भी जन्मे हैं,
हमारे भीतर,
हमारे कर्मों में।

*
शक्ति. रेनू शब्दमुखर.
प्रधान सम्पादिका. ब्लॉग मैगज़ीन पेज
जयपुर.
*
संपादन : सज्जा : शक्ति. शालिनी सीमा अनीता
*
कृष्ण भजन.

जमुना किनारे डाल डोले

भोज पुरी कृष्ण भजन.
*
कृष्णभजन : घिर आई कारी बदरियाँ.

*

शक्ति.
सीमा.
भाविकाएँ : डॉ. आर. के. दुबे.
*
पृष्ठ सज्जा : शक्ति.नैना @ डॉ. सुनीता प्रिया.

*
कृष्ण
तुम्हारा दिया हुआ नाम.


तुम्हारा दिया हुआ नाम.
याद ही होगा तुम्हें
तुमने कभी मुझे
कृष्ण कहा था
हँसी में
ही सही
कहा न था
कभी सखी ?
तब से मैंने तुम्हारे लिए
अपनें प्रिय जनों के लिए
सदा सहिष्णुता, सहायता
मैत्री, प्रीत रखी
अब तो तुम ही बोलो ,सखी
क्या मैंने ये सब बातें
झूठ कही.


डॉ.मधुप.
संपादन.
पृष्ठ सज्जा : शक्ति.नैना @ डॉ. सुनीता प्रिया
 
*


आर्य. डॉ. दीना नाथ वर्मा. चिकित्सक. दृष्टि क्लिनिक. बिहार शरीफ.समर्थित.
---------
आज का गीत : जीवन संगीत : श्री हरि : राम कृष्ण : भजन : पृष्ठ : ३. 
-----------
संपादन : शक्ति  जया श्रद्धा वाणी .
उत्तरकाशी डेस्क.   
*
मेरी पसंद : सर्वकालिक 
फिल्म : बदला.१९७४.  
सितारे : शत्रुघ्न सिन्हा. मौसमी चटर्जी. 
गाना : शोर मच गया शोर देखो आया माखन चोर 
गोकुल की गलियों की ओर चला निकला माखन चोर.

 
  गीत : आनन्द बख्शी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल . गायिका : किशोर कुमार .  
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ   

फ़िल्म : अमरप्रेम.१९७२.  
सितारे : राजेश खन्ना.शर्मिला टैगोर.
भजन : बड़ा नटखट है ये किशन कन्हैया 
का करे यशोदा मैया.


     गीत : आनन्द बख्शी. संगीत : आर डी वर्मन. गायिका : लता.    
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ
*

फ़िल्म : गोपी.१९७०.
सितारे : दिलीप कुमार. सायरा बानू.
भजन : सुख के सब साथी दुःख में न कोय.
मेरे राम तेरा नाम एक साचा दूजा न कोय.
जीवन आनी जानी छाया झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरियां पाप की गठरी ढोेई

*
गीत :राजेंद्र कृष्ण संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायक : महेंद्र कपूर
भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
*
साभार.
फिल्म : जॉनी मेरा नाम. १९७०.
सितारे : देव आनंद. हेमा मालिनी.
भजन : गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो.
राधारमण हरि गोपाल बोलो.
*

* काहे मैने पाप ढोए अँसुवन बीज बोए
छुप-छुप मीरा रोए दर्द न जाने कोई
*
गीत : इंदीवर. संगीत : कल्याण जी आनंद जी. गायिका :लता मंगेशकर.
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ

*
फिल्म : सन्यासी.१९७५.  
सितारे : मनोज कुमार हेमा मालिनी 
भजन : जैसे करम करेगा वैसे फल देगा भगवान 
ये है गीता का ज्ञान 

 गीत : विशेश्वर शर्मा. संगीत : शंकर जयकिशन. गायक : मुकेश.लता. 
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

*
फिल्म : तेरे नाम.२००३.
भजन : पवन प्रभाती जग को जगाती
भवरें भी करते गुंजन
मन बसिया ओ कान्हा रंगरसिया.



गीत : समीर. संगीत : हिमेश रेशमिया. गायिका : अलका याग्निक
भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
*
साभार : शागिर्द.१९६७.
भजन : कान्हा कान्हा आन पड़ी मेरे तेरे दवार
मोहे चाकर समझ निहार... हाँ तेरी राधा जैसी नहीं मैं.


सितारे : जॉय मुखर्जी. सायरा बानू.
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता.
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ
*

टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति.


आर्य. डॉ. अखिलेश कुमार :रीसेंट डायगनोस्टिक : जाँच घर : बिहार शरीफ :  समर्थित  
*
----------
राधिकाकृष्ण रुक्मिणी : मीरा : शक्ति : कोलाज दीर्घा : पृष्ठ : ४ . 
----------
संपादन 
शक्ति डॉ.अर्चना रश्मि प्रतिभा. 

मधुवन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले राधा कैसे न जले : शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता अनुभूति.
कर्म किए जा फल की चिंता मत कर इंसान ये है गीता का ज्ञान : शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता अनुभूति.

कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार चाकर समझ कर निहार : कोलाज : शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता जया

*
शक्ति डॉ. कृतिका. आर्य डॉ.वैभव राज : किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : समर्थित
लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ
*
*
--------
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५ .
----------
संपादन 

शक्ति. डॉ. भावना*स्वाति  बीना जोशी 
नैनीताल  डेस्क. 
श्री रुकमिणी लक्ष्मीस्वरूपायै नमः : कलाकृति : शक्ति. स्वाति. अवध
वृन्दावन : कान्हा : राधा : मुरली : यमुना : कलाकृति : शक्ति. मानसी पंत : नैनीताल.

जिसके मन भाए बस उसी के गुण गाए  : राधिका कृष्ण कलाकृति : कर्नल सतीश कुमार सिन्हा. 
*
*
शक्ति : राधिकाकृष्ण : एक भाव भंगिमा : कलाकृति :
शक्ति. आस्था : संपादन : शक्ति. भावना * 



शक्ति.
 बिमला. आर्य.डॉ.श्याम किशोर.मॉडर्न एक्सरे.सी टी स्कैन.अल्ट्रा साउंड.बिहार शरीफ.समर्थित
  
*
---------

आज का पंचांग : दिन विशेष :
आभार : प्रदर्शन : पृष्ठ : ६   
---------

केदार दर्शन. नैनीताल प्रस्तुति. 


---------
दिन विशेष : आभार : आज का पंचांग राशि फल : पृष्ठ :६ .
-----------
संपादन.
*
शक्ति.अंजू मीना दया जोशी.
मुक्तेश्वर नैनीताल.  
दिन विशेष :
शक्ति.दया जोशी. 
सम्पादिका. केदार दर्शन : नैनीताल.
*
महाशक्ति : टाइम्स मीडिया समर्थित 
नवीन समाचार केदार दर्शन प्रस्तुति. 
*
भाद्र शुक्ल पक्ष : गणेश चतुर्थी : 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

*

विष्णु रूपाय शिवाय 
शिवाय विष्णु रूपाय 
*
भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया 
शिव शक्ति लोक पर्व : तीज की अनंत शक्ति शिव सुभकामनाएँ 
*
घी संक्रांति : १७. ८. २५.


हम सभी देव शक्ति परिवार की तरफ से
उत्तराखंड के लोक पर्व घी संक्रांति की हार्दिक बधाई
*
शक्ति. दया भारती बीना जोशी.
नैनीताल.
*
*कृष्ण : मेरे आराध्य देव : जन्मअष्टमी
विशेष पर
*
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई  
*


*
बड़ा नटखट है तू किशन कन्हैया
का करे यशोदा मैया
*
*
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पुनीत अवसर पर 
हम सभी आर्य देव शक्ति परिवार की तरफ़ से न केवल आर्यवर्त अपितु समस्त जगत में उपस्थित आप सभी आर्य जन व शिव शक्तियों  को अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें 
*
शक्ति. नैना प्रिया @ डॉ. सुनीता मधुप 
*
नव शक्ति रक्षा दिवस 
९ अगस्त २०२५ 
श्रावण पूर्णिमा 

*

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥


*
श्री कृष्ण : द्रौपदी : रक्षा शक्ति शपथ. 
*
मैं तुम्हें प्रीत, मैत्री, विश्वास और सम्मान के ऐसे अनंत शिव शक्ति 
रक्षा सूत्र के पवित्र धागे से बांधती हूँ जो सर्वकालिक रूप से 
 ' यम ' ( मृत्यु ) दुर्योधन : दुःशासन : शिशुपाल ( दुर्जन )
से तुम्हारी  सर्वदा  रक्षा करेगा 

*
दिन विशेष : ३० जुलाई : अंतर राष्ट्रीय मित्रता दिवस 

*
कृष्ण : सुदामा : मैत्री प्रसंग 
*

' समर्थ ' को झुकाने की 
श्री कृष्ण से चरण रज धुलवाने की, 
कहाँ सुदामा बापुरो  में ' सामर्थ्य 'थी. 
 दौड़ आए प्रभु स्वागत में 
बाल सखा, से स्नेह प्रेम  की, 
बचपन वाली बात  थी. 

*
झुकने का अर्थ ये कभी नहीं होता कि 
आपने सम्मान खो दिया है , हर कीमती वस्तु को 
उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं 

*
केदार दर्शन.शक्ति दया जोशी नैनीताल प्रस्तुति. 


: आज का पंचांग  राशि फल :पृष्ठ : ६/२ .

विक्रम संवत : २०८२ शक संवत : १९४७.
२९ .०८.२५. 
दिन.बुधवार . 
 
शक्ति
अनंत दिवस : मूलांक :२. भादों शुक्ल पक्ष : गणेश चतुर्थी
.
कुमाऊनी दैनिक पंचांग / का राशिफल देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.


*
-------
आभार : प्रदर्शन : पृष्ठ : ६ / ३.
---------
संपादन 
शक्ति. डॉ.अंजलि अनीता अंजू. 
*
आर्य : सुनील कुमार. 
आर्य.डॉ.शशि रंजन.सर्जन.
आर्य. लकी कुमार.शाखा प्रबंधक.
*
*
आर्य. डॉ. पवन कुमार. नेत्र चिकित्सक एवं फेको सर्जन. मुज्जफरपुर.बिहार समर्थित.  
---------
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७.
----------
संपादन
शक्ति. डॉ. अनीता सीमा नमिता .

श्री लक्ष्मी नारायण : बद्री विशाल के दर्शन : डॉ.मुकेश. पौड़ी. गढ़वाल. 

शिवजटा 
गंगोत्री. 
ऋषिकेश.नारायण.प्रलय.फोटो कोलाज.शक्ति.डॉ.सुनीता मधुप.

*
शक्ति. पूजा : आर्य डॉ. राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ. बिहार शरीफ. समर्थित.    
----------
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : समसामयिकी. समाचार : दृश्यम : : पृष्ठ : ८ .
------------
-------
आभार : पृष्ठ  : ८/ ०   
--------
*
आर्य संरक्षण शक्ति 
*
संपादन.
डॉ.अनीता सीमा अंशिमा सिंह .
*
आर्य संरक्षण शक्ति 
*

माननीय. चिरंजीव नाथ सिन्हा.वर्तमान.भा.पु.से.
माननीय.विकास वैभव.वर्तमान.भा.पु.से.
माननीय.मुकेश कुमार. वर्तमान.भा.पु.से.
माननीय. सत्य प्रकाश मिश्रा वर्तमान.भा.पु.से.

*
आर्य सम्पादकीय संरक्षण शक्ति : 
*

*
माननीय.डॉ.आर. के. दुबे.
लेखक.कवि.गीतकार.
माननीय.सतीश कुमार सिन्हा.
कर्नल.सेवा निवृत.
माननीय.आलोक सहाय.
विंगकमांडर.सेवा निवृत.
माननीय.आलोक कुमार.
कारगिल योद्धा.लेफ्टिनेट कर्नल.सेवा निवृत.
*
विशेष : संरक्षण : आभार : पृष्ठ  :  


माननीय.रघुपति सिंह.जिला सत्र न्यायधीश.
सेवा निवृत.
माननीय.अंजनी शरण.न्यायमूर्ति.सेवा निवृत.उच्च न्यायलय.पटना.
माननीय.दिवेश.जिला सत्र न्यायधीश.वर्तमान.
माननीय.विशाल कुमार.सिविल जज.वर्तमान.

*
विशेष : संरक्षण : आभार : पृष्ठ  :  
*
माननीय. दीपक रावत. कमिश्नर.उत्तराखंड.वर्तमान
शक्ति. वंदना सिंह.जिलाधिकारी.नैनीताल.वर्तमान
माननीय.प्रमोद कुमार.एस डी एम.नैनीताल.वर्तमान
माननीय.ज्योति शंकर. उप पुलिस अधीक्षक.साइबर क्राइम.वर्तमान
माननीय.पंकज भट्ट.भा.पु.से.उत्तराखंड.
*
--------
समसामयिकी : समाचार : दिन विशेष : दृश्यम : पृष्ठ : ८/ १.
-----------
सम्पादन / सज्जा
शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता स्मिता
शक्ति.डॉ.अनीता सीमा प्रीति.

*
श्री गणेशाय नमः
गणपति बप्पा मोरिया
*
गणपति की वंदना : शक्ति दृश्यम समाचार :
शक्ति नैना @ डॉ.सुनीता मधुप.


गंगोत्री : नेपाली यात्री : कृष्ण भक्ति

समाचार : दृश्यम : गंगोत्री : शक्ति * प्रिया@ डॉ.मधुप

*
श्री कृष्ण जन्मोत्सव :
सर्वत्र आर्यावर्त में श्री कृष्ण जन्म अष्टमी की मची धूम
डी ए वी संस्थानों में कृष्ण के जीवन से सम्बंधित निकाली गयी झांकियां
*
 ©️®️ महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति
*

*
श्री कृष्ण : राधिका : दृश्यम : नृत्यम.
डी. ए. वी. पी जी कैंपस परिसर से.

*
जन्माष्टमी विशेष : दृश्यम
गोविंदा आला रे


*
कृष्ण पक्ष की अष्टमी सिंह राशि के सूर्य है
उदित उच्च के चंद्र
*
दृश्यम : मथुरा : गोकुल : वृन्दावन : कृष्ण : कंस




*
समसामयिकी : समाचार : लिंक : पृष्ठ : ८ / १.
संपादन.
शक्ति.डॉ सुनीता सीमा अंशिमा सिंह.
*
*
गणेश चतुर्थी की धूम
गणपति बप्पा मोरिया 
*
शक्ति विघ्नहर्ता हमारे सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें
गणपति बप्पा मोरिया आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 

*
अद्यतन 
शक्ति आलेख.संपादन 
शक्ति. रीता  डॉ. सुनीता मधुप  
*
गणपति बप्पा मोरिया 
: फोटो दीर्घा संपादन 
शक्ति स्मिता वनिता प्रीति सहाय 

*
डी ए वी परिसर से १५ अगस्त :

*
१५ अगस्त : समाचार : देखने पढ़ने के लिए नीचे दिए गए महाशक्ति मीडिया लिंक को दवाएं.

*
१५ अगस्त : दृश्यम समाचार : पी जी सी बिहार शरीफ देखने पढ़ने के लिए नीचे दिए गए सहयोगी नालंदा न्यूज़ चैनल के लिंक को दवाएं.

*
१५ अगस्त के पावन अवसर पर फहराये गए :
तिरंगे का साक्षी बने सत्य प्रकाश आर्य डी.ए.वी पब्लिक स्कूल के परिवार गण
देखने पढ़ने के लिए नीचे दिए गए
सहयोगी नालंदा न्यूज़ चैनल के लिंक को दवाएं

*

गंगोत्री : धराली : हर्षिल : आपदा
*
पहाड़ों का दर्द समझें : संवेदनाएं
*
' हम ' समस्त देव शक्ति मीडिया परिवार हर्षिल : धराली देव शक्ति भूमि में हुए जल प्रलय
से हुए ' धन ', ' जन ' निर्दोष मन की व्यापक हानि के लिए
असीम अनंत हार्दिक संवेदनाएं रखते हैं...और इस प्राकृतिक आपदा
से निस्तार पाने के लिए अनंत ( लक्ष्मी नारायण ) से प्रार्थना करते हुए उनके लिए
मन , वचन,कर्म से शिवशक्ति की अभिलाषा रखते हैं
*
शक्ति वनिता श्रद्धा @ डॉ.उनियाल मधुप
उत्तरकाशी : हर्षिल : धराली
*
है गंगा पानी पानी
*
समसामयिकी. समाचार : दृश्यम.
*

शक्ति समाचार विशेष रिपोर्टिंग
साभार : कोई तो पहाड़ों का दर्द समझे
शक्ति.वनिता श्रद्धा @ डॉ.उनियाल मधुप.
उत्तरकाशी : हर्षिल : धराली.
*


*
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : दर्शन
पत्रिका अनुभाग.पृष्ठ : ८/ २ .

*

शक्ति
.डॉ.राशि. स्त्री रोग.आर्य.डॉ.मयंक.मस्तिष्क नस रोग विशेषज्ञ.मुजफ्फरपुर : बिहार समर्थित.
*
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : दर्शन
पत्रिका अनुभाग.


राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी : दर्शन : पत्रिका :
*

देखने व पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवायें.

श्री राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते

*
एम एस : प्रथम : टाइम्स : मीडिया
शक्ति* डॉ. सुनीता सीमा अनीता प्रस्तुति
*
शक्ति एकता दिवस : १५ अगस्त
*

*
गर्व से कहें कि हम भारतीय है

*
है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वही के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ

*
--------
गीता ज्ञान : आभार : मुझे भी कुछ कहना है : दृश्यम पृष्ठ : ९ . 
--------

शक्ति. डॉ.रचिता. आर्य.डॉ. शशि रंजन.सर्जन.नालन्दा नर्सिंग होम हॉस्पिटल.बिहार शरीफ.समर्थित
*
संपादन
शक्ति. डॉ.भावना रश्मि बीना जोशी
नैनीताल डेस्क.
*
श्री लक्ष्मी नारायण 
*
हरि अनंत हरि कथा अनंता 
*
परम ब्रह्म ज्ञानी, प्रत्यक्ष
' अदृश्य ', ' अविनाशी ', ' अजन्मा ' अंतर्यामी और समस्त शक्तियों का अभिकेंद्र
जगत का ' पालनकर्ता ' है ....वो
सब ' सुन ' ' देख ' और ' समझ ' रहा हैं
-------------
ये है गीता का ज्ञान : अनुभाग : पृष्ठ : ९ / १ . 
-------------


संपादन.
*
शक्ति*सीमा.डॉ.राजेंद्र कुमार दुबे.
शक्ति* डॉ.अनीता.प्रशांत. 
शक्ति*बीना.डॉ.नवीन जोशी. 
*
नैनीताल डेस्क. 
*
महाशक्ति  मीडिया प्रस्तुति 
ये है गीता का ज्ञान.

श्री हरि : लक्ष्मी नारायण : राम : कृष्ण के दिव्य दर्शन. 
*
जैसा करम करेगा वैसा फल देगा भगवान 
*
अध्याय २ श्लोक २३ 
*

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:
भावार्थ 
इसका अर्थ है कि आत्मा को न तो कोई शस्त्र काट सकता है, न ही कोई अग्नि जला सकती है, न कोई जल गीला कर सकता है, और न ही कोई वायु सुखा सकती है. यह श्लोक आत्मा की अमरता और अविनाशी प्रकृति को दर्शाता है कि आत्मा शरीर से भिन्न और नश्वर नहीं है.

*
अध्याय १८ श्लोक ७८
*


" यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।"

*
भावार्थ
जिसका अर्थ है जहाँ योगेश्वर कृष्ण हैं और जहाँ धनुर्धारी अर्जुन हैं,
वहाँ श्री ( समृद्धि : लक्ष्मी ), विजय, ऐश्वर्य और अडिग नीति होती है, ऐसा मेरा मत है।
यह श्लोक भगवद गीता के अठारहवें अध्याय का अंतिम श्लोक
*
अध्याय ४ श्लोक ३६
*
अपि चेदसि पापेभ्यः सर्वेभ्यः पापकृत्तमः।
सर्वं ज्ञानप्लवेनैव वृजिनं सन्तरिष्यसि।।

भावार्थ
यदि तुम सभी पापियों में सबसे बड़े पापी हो,
तो भी तुम ज्ञान की नाव से दुखों को पार कर जाओगे

*
श्रीमद्भगवद्गीता. अध्याय ४ , श्लोक ३९
*
' श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ',
*
भावार्थ

श्रद्धा रखने वाला मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है,
जो अपनी इंद्रियों को वश में रखता है और ज्ञान के प्रति समर्पित है।
ज्ञान प्राप्त करने के बाद, वह शीघ्र ही परम शांति को प्राप्त होता है

*
श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय २ , श्लोक ४७
*
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

भावार्थ
इसका भावार्थ है कि मनुष्य का कर्म करने में अधिकार है, फल में नहीं। इसलिए कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो। यह भी कहा गया है कि कर्म के फल की इच्छा न करते हुए, कर्म करते रहना चाहिए और अकर्मण्यता में भी आसक्ति नहीं रखनी चाहिए.

*
श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय २ , श्लोक ६३
*
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

भावार्थ
क्रोधसे मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है।
स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।

*
श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ९, श्लोक १९'

तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्णाम्युत्सृजामि च।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन।।

*

भावार्थ

मैं ही सूर्यरूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ।
हे अर्जुन ! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत्-असत् भी मैं ही हूँ।

*


श्रीमद्भगवदगीता : अध्याय ४ श्लोक ७ और ८



गीता ज्ञान : कृष्ण : अर्जुन : कुरुक्षेत्र : महाभारत. 

*
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

भावार्थ
*

हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब- तब मैं ( भगवान ) अवतार लेता हूँ। साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए, और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूँ।

*
कृष्ण : युधिष्ठर : द्रोण : महाभारत प्रसंग
अर्ध्य सत्य
अश्वत्थामा हतः इति नरो वा कुंजरो वा

अर्थ
अगर हमारे सच से कोई नुकसान होता है तो उस वक्त झूठ चाहे ना बोले
लेकिन पूरा सच बोलना भी जरूरी नहीं ..

*


शक्ति. आर्य. डॉ अजय कुमार जाह्नवी ऑइ केयर रिसर्च सेंटर बिहार शरीफ समर्थित
*
टाइम्स मीडिया समर्थित 

--------
शुभकामनायें : शब्द चित्र : दृश्यम : पृष्ठ : ९ / २ . 
---------
नैनीताल डेस्क.
संपादन शक्ति
शक्ति.डॉ.अनीता सीमा अंशिमा सिंह .
*
सोना सज्जन साधु जन. 
द्वारिका डेस्क
जन्म दिन : की अनंत शक्ति शिव शुभकामनाएं :
*
२२. ८. २५.
*
*
डॉ. प्रशांत सिंह.
राजपत्रित उच्चस्थ स्वास्थ्य अधिकारी.
बड़ौदा. गुजरात.
मित्र, बाल सखा, सहपाठी, सह लेखक, सह यात्री, गायक.
*
*
को उनके जन्म दिन : अवतरण दिवस २२ अगस्त दिवस : मूलांक ४ के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*

निवेदक
*
डॉ.मधुप.
शक्ति.@ डॉ.सुनीता अनीता सिंह.

शक्ति अवतरण दिवस.
*

बार बार ये दिन आए
तुम जिओ हजारों साल ये मेरी है आरजू.
शक्ति.नमिता सिंह.
स्वतंत्र लेखिका.यूटूबर.रानीखेत.उत्तराखंड.

*
शक्ति. डॉ.भावना.लेखिका. छायाकार. संरक्षिका.
को संयुक्त उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस ११ अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
शक्ति.शालिनी रॉय.
प्रधान सम्पादिका. महाशक्ति मीडिया
कवयित्री.लेखिका.पत्रकार.
उत्तरप्रदेश
*
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महा शक्ति मीडिया की
निर्भीक,संवाद पूर्ण, संरक्षण दायिनी, शक्ति प्रधान ' सम्पादिका '
जिन पर भारती ( सरस्वती ) की विशेष कृपा है
जिनसे हम नैनीताल में मिले
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस १० अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
' अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '

*
शक्ति. मानसी पंत.
कवयित्री.लेखिका.चित्रकार.छायाकार.
*
नैनीताल.
हमारे वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज की विशेषांक ' सम्पादिका '
को उनके जन्म दिन : शक्ति दिवस २ अगस्त के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
अनंत शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '

 *
--------
मुझे भी कुछ कहना है : दृश्यम : पृष्ठ : ९ / २ . 
---------
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
शिमला डेस्क 
संपादन 
संपादन : शक्ति. डॉ.भावना अंजलि अंशिमा सिंह
*

प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति : दृश्यम : शब्द चित्र


वैष्णव जन तो : तेने कहिए जे पीड़ परायी जाने रे


पर दुखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आने रे
*
आर्य समाज मंदिर : नैनीताल : प्रस्तुति
*
*
सम्यक : साथ : सोच : कर्म
*
हरि अनंत हरि कथा अनंता : राम : कृष्ण
*
एम एस मीडिया शक्ति प्रस्तुति : शब्द चित्र : पृष्ठ : ९ / २. 
*
शक्ति. डॉ अनीता भावना नमिता सिंह
अल्मोड़ा. रानीखेत.
*
आर्य वचन
*
युधिष्ठिर डेस्क. इंद्र प्रस्थ
*

*
जिन लोगों को हर चीज में बुराई ढूंढने की आदत होती है,
वे आपकी बुराई ही करेंगे, चाहे आप अच्छे हों या बुरे,
लेकिन आप शांत भाव से अपने कर्म करते रहिए, निंदा से मत घबराइए,
क्योंकि निंदा उन्हीं की होती है जो जिंदा होते हैं।
बाकी, मरने के बाद तो सबकी तारीफ ही होती है।

मुकेश ठाकुर.
*
रक्षा बंधन
*
सोना ' सज्जन ' साधुजन के ' मान सम्मान ' सदैव रक्षित रहें,
दुष्टों से उनकी रक्षा होती रहें
इसके लिए
निर्भीक दिव्य देव ' शक्तियां ' प्रयत्न शील रहें,
सम्यक ' कर्म ' सदैव होता रहे यही रक्षा कवच, बंधन ' सूत्र ' है.
*
मित्रता से बड़ा कोई धन नहीं होता.

रहीम.

जे गरीब पर हित करैं, ते रहीम बड़ लोग।
कहाँ सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥

*
पंक्तियाँ साभार 
*
है कौन वो दुनियाँ में न पाप किया जिसने
बिन उलझे काँटों से, है फूल चुने किसने
बेदाग़ नहीं कोई यहाँ पापी सारे है
न जाने कहाँ जाए हम बहते धारे हैं

--------
आपने कहा प्रेरक : प्रसंग : आर्य वचन : पृष्ठ : ९/ ३
--------
संपादन

 
शक्ति. डॉ.अंजलि सीमा अंशिमा सिंह. 
इंद्रप्रस्थ डेस्क. 
*
जीवन एक खोज
*
अधिक दूर देखने की चाहत में बहुत कुछ समीप की मूल्यवान
वस्तुएं भी अनदेखी रह जाती है, पार्थ !
*
शक्ति. पल्लवी मुकेश

सम्यक लक्ष्य.

* प्रकृति : प्रेम : पहाड़ : पुरुषोत्तम ( श्री लक्ष्मी नारायण ) : पुनर्निर्माण और पुनर्जन्म.
*
सोना सज्जन साधुजन
*
सुख - दुःख , ' उत्थान - पतन ' , मित्रता - शत्रुता में
' समभाव -सहिष्णुता - सम्यक दृष्टि ' .....रखते हुए ' सज्जन साधुजन '
समय - न्याय - धर्म सम्मत उचित व्यवहार करते है..... याद रहें
*
अपमान : क्षमाशीलता : कृष्ण : शिशुपाल
*
यदि अपनों से ' छल ' ' अपमान ' मिलने और उसके जानने के पश्चात् भी
जो अपनें प्रिय ' जनों ' के लिए ' क्षमाशीलता ' , ' सहिष्णुता ' और ' स्नेह ' सतत रखें......
तो वो कोई ' सज्जन ' साधु ही हो सकते हैं...
लेकिन ....अपनी ' गलतियों ' को कदापि नहीं भूले....
कृष्ण : शिशुपाल, ' महाभारत ' के ' युधिष्ठर : दुर्योधन ' के प्रसंग सदैव स्मरण रहें....
*
शक्ति*प्रिया @ डॉ.सुनीता मधुप.
*
हरि अनंत हरि कथा अनंता : राम : कृष्ण
*
वो ' अंतर्यामी ' है, ' सर्वस्व ' है, वो सब ' देख ' रहा है, वो सब ' समझ ' रहा है, वो सब सुन रहा है
वो सब ' जानता ' है
क्योंकि वो ' सोलह कलाओं से युक्त ', ' योगी राज ' ' परम ब्रह्म ' है,
*
शक्ति*प्रिया @ डॉ. सुनीता मधुप


गुरु शिष्य परंपरा
संदीपनि : कृष्ण : अर्जुन.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
*

*
हम समस्त डी ए वी परिवार की तरफ़ से
आप समस्त आर्य जनों को ७९ वे स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
*
चरित्र व राष्ट्र निर्माण में अग्रसर
इस लक्ष्य के लिए समस्त डी ए वी परिवार है सहचर
निवेदक.
आचार्य : छात्र : प्राचार्य.
डी ए वी
*
इ पत्रिका धार्मिक ग्रंथों से प्रेरित है अतः जन मानस को धर्म के प्रति जागरूक करेगी। लोगों में धर्म के प्रति जागरूकता लाना भी तो एक पत्रकार का कार्य होता है। राधिका कृष्ण दर्शन के संपादक को बहुत-बहुत धन्यवाद धर्म के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए.... 

आर्य  संजय सुमन.
*
सम्यक लक्ष्य.
प्रकृति : प्रेम : पहाड़ : पुरुषोत्तम ( श्री लक्ष्मी नारायण ) : पुनर्निर्माण और पुनर्जन्म.

*
सम्यक लक्ष्य.
* प्रकृति : प्रेम : पहाड़ : पुरुषोत्तम ( श्री लक्ष्मी नारायण ) : पुनर्निर्माण और पुनर्जन्म.
*
श्री कृष्णकल भी प्रासंगिक रहेंगे 
*
श्री कृष्ण क्यों कल ही नहीं कल भी प्रासंगिक रहेंगे 
*
के भाव से समावेशित मेरे आलेख को इस पटल पर सम्मानित स्थान देने के लिए प्रबुद्ध संपादक मंडल 
और डॉ. मधुप जी के प्रति हृदय तल से उपकृत महसूस कर रहा हूॅं : 
शक्ति आरती अरुण. झारखण्ड.  
*

*
Shakti Dr.Ratnika. Lucknow.Dermatologist Skin Specialist.Lucknow.Supporting 
*
Contents 
English Editorial Section : Page 1
Shakti Editorial. English Page : 2
Shakti Vibes : .Page : 3
Radhika : Krishna : Rukmini  : Photo  Gallery.Page : 4
Visuals News : News : Editorial Page : 5
Shakti Art  Gallery  : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 6.
You Said it : page : 7
*
English Editorial Section : page 1
Radhika : Krishna : Rukmini : Darshan :
*

Shakti Chief Editor.
*
*
Shakti. Nushka. Krishna Devotee.UK.
Shakti. Archana. TOI Writer.Shimla.India.
Shakti.Nicky.Australia.
*
Executive Editor.
*
Shakti. Priya Seema Tanu Sarvadhikari. 
*
Guest Editor.
Shakti Dr.Anu Bhawna Madhvee
*


Shakti. Pooja.Arya.Dr.Rajeev Ranjan. Child Specialist. Biharsharif. supporting  

---------
Shakti Editorial. English Page : 2
---------
*
Little Krishna's Birth : An iconic  Celebration of Innocence, Mischief & Divinity.

*
a little Krishan : photo : Ashok Karan.

*
a Divine Article *by
*
Ashok Karan


*
Hindustan Times ( Patna. Ranchi ) Ex.Staff Photographer  
 Public Agenda Ex.Photo Editor :New Delhi
Present : Photo Editor M.S Media Blog Magazine Page 
Free Lance. 
*
The sacred moment Lord Krishna taking  birth. As Sri Krishna Janmashtami was celebrated with grandeur across the nation, temples overflowed with devotees who gathered at the midnight hour—the sacred moment when Lord Krishna took birth. The atmosphere was charged with devotion: chants of “Jai Kanhaiya Lal Ki” and “Madan Gopal Ki Jai” echoed through the night, accompanied by soulful bhajans, graceful ballet performances, and mesmerizing dances organized by the Sri Krishna Janmotsav Samiti.
The streets of the state capital came alive with colors of devotion. Devotees draped in saffron and yellow danced with flutes in hand and ghungroos tied to their feet, while children dressed as Little Krishna stole the show as the true “eye candies” of the festival. Around 150 children participated in the Bal Krishna costume event, drawing admiration from onlookers. Participants from Jamshedpur, Hazaribagh, Gumla, and neighboring towns joined the celebrations, making the event even more vibrant.
The highlight of Janmashtami festivities also included the thrilling Dahi Handi events, where enthusiastic youngsters formed human pyramids to reach and break the handi dangling high above, cheered on by massive crowds. The joyous competition carried both prize money and a sense of pride for the winning team.
But beyond the celebrations lies the enchanting charm of Little Krishna himself —an eternal figure of innocence, playfulness, and courage. The stories of his mischievous butter thefts, his playful pranks with the Gopis, and his heroic feats such as subduing the serpent Kaliya are timelessly narrated through generations. Found in the Bhagavata Purana, these tales continue to inspire love, devotion, and awe.


Little Krishna is more than a divine child : Little Krishna is more than a divine child—he is the Makhan Chor of Vrindavan, the cowherd who filled every heart with joy, and the protector who embodied both tenderness and strength. His stories remain alive in festivals, art, literature, and even modern animations, ensuring his presence in every home and heart.
As laddoos were offered, idols bathed with milk, curd, honey, and Panchamrit, and devotees rejoiced with frenzied dancing, one could truly feel the divine energy of this sacred night. Janmashtami is not just about rituals; it is about reliving the childhood of Krishna, telling our children the delightful tales of Gokul, and carrying forward the message of love, joy, and devotion.
Let us revisit the Kunj Galiyaan of Gokul through these timeless stories of Little Krishna and bring the magic of Janmashtami into our lives. 
A little boy depicted as Little Krishna at a temple.
*
Column Editing.Shakti Dr.Roopkala Bhawna Madhvee
Page Decorative : Shakti Dr.Anita Seema Swati.

*
---------
Shakti Vibes : .Page : 3
--------
 Shakti. Madhvee Seema. Anubhuti
*

*
Krishna Arjun Samvad 

*
Never stop learning Arjuna !
because life never stops teaching. 
*
---------
Radhika : Krishna : Rukmini  : Photo  Gallery.Page : 4
--------

Editor. 
 Shakti. Priya Seema Tanu Sarvadhikari. 
Bangalore.
*
a shakti devotee of Shree Krishna : Mukteshwar : collage. Shakti Priya Dr.Sunita
Dav PG Campus.Children playing an act of Radhika : Krishna.Times Media.

SP Arya DAV kids  presenting a beloved Krishna Janmashtami play : photo : Maha Shakti Media.

*
---------
Visuals News : News : Editorial Page : 5
--------

*
Was Krishna existing in a story only or what he was
*
Shakti Seema.Dr.R.K.Dubey.
*
History and facts about Krishna : Was Krishna existing in a story only or where he was from ? What are the facts about him history let us have a look over that 
Krishna was born 5252 years ago.His date of Birth : 18th July,3228 B.C about.
He was born in the hindi month and day : Bhadra Krishna Paksh Ashtami.So that birth  day was Ashtami in Nakshatra : Rohini It was the  day : Wednesday time : 00:00 A.M.
Shri Krishna lived for 125 years, 08 months & 07 days.He left this world around 18th February 3102 BC.
When Krishna was 89 years old; the Mega War (Kurukshetra War) took place. 
He died 36 years after the Kurukshetra War. Kurukshetra War was started on Mrigashira Shukla Ekadashi, BC 3139. i.e 8th of December 3139 BC. and ended on "25th of December, 3139 BC .  
In between There was a Solar Eclipse between 3 p.m to 5 p.m on 21st of December, 3139BC"; that causes death.of Jayadrath

to be continued 
Column Editing 
Dr. Bhawana Madhvee Anshima Singh.
Page Decorative : Shakti Manjita Seema Anubhuti

--------
Shakti Art  Gallery  : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 6.
-----------
Editor .
Dr. Bhwana Swati Deepti Bora
*
Jaipur Style miniature painting : Krishna : Shakti M 'anjita. Chandigarh.  

You Said it : English : Page : 7
Editor. 
Dr.Anu Ranjana Seema 

*
Radhika : Krishna : Bansuri 
collage : Dr Ranjana.
*
It's really enthralling to read the articles in this blog.The matter presented over here are worth perusal. Besttejaswiniblog
*
It is a very nice page : Abhay Kumar Mishra.
*
*

दृश्यम : इंजीनीयर. शशांक प्रस्तुति
बांसुरी वादन करते हुए

Radhe Radhe.
*
Absolutely divine and heart-touching content, Sir your insights into Krishna consciousness and devotion truly bring peace and clarity to the mind. This blog is a beautiful step toward spreading spiritual awareness in today's fast-paced world. I wholeheartedly encourage everyone to follow this page and immerse themselves in the timeless wisdom of Bhakti.
*  
Prof. Er. Shashank Kumar
Allen Kota : Bhubaneshwar
*

Comments

  1. It's really enthralling to read the articles in this blog.The matter presented over here are worth perusal.

    ReplyDelete
  2. Absolutely divine and heart-touching content, Sir! Your insights into Krishna consciousness and devotion truly bring peace and clarity to the mind. This blog is a beautiful step toward spreading spiritual awareness in today's fast-paced world. I wholeheartedly encourage everyone to follow this page and immerse themselves in the timeless wisdom of Bhakti. 🙏🌸 Radhe Radhe!

    ReplyDelete
  3. It's really heart touching content with divine.
    This blog spreads spiritual awareness and i encourage everyone to follow this page.
    Radhe radhe

    ReplyDelete
  4. श्री कृष्ण क्यों कल ही नहीं कल भी प्रासंगिक रहेंगे के भाव से समावेशित मेरे आलेख को इस पटल पर सम्मानित स्थान देने के लिए प्रबुद्ध संपादक मंडल और डॉ. मधुप जी के प्रति हृदय तल से उपकृत महसूस कर रहा हूॅं।
    शक्ति. आरती अरुण. झारखण्ड.

    ReplyDelete
  5. I am very much obliged to the Shakti Editorial Board and to Dr.Raman Madhup jee for giving a prestigious place for my article Yat Pinde Tat Brahmande....Darshan. Actually with the help of Indian metaphysical aspects I have tried my level best that there is nothing new in Buddhist philosophy but a moderate for of Upanishads.
    Again my hearty thanks to the Dev Shakti Editorial Board.
    Regards. Shakti Aarti. Arya.Arun. Dumka . Writer & Poet .Jharkhand

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Radhika : Krishna : Darshan : 1

Radhika Krishna Rukmini Darshan : 3