Radhika Krishna Rukmini Darshan.6

©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Cover Page.0.
Radhika Krishna Rukmini Darshan. 
Volume : 1. Series : 6.
a Social Media.Web Blog Magazine Philosophical Page. 
Address.
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Cover Page.
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राधिका
 कृष्ण रुक्मिणी दर्शन 
आवरण पृष्ठ. 
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आवरण पृष्ठ : त्रिशक्ति : शालिनी रेनू अनुभूति. 
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वायरलेस प्राइवेट लिमिटेड : मार्केट रिसर्च : मुंबई :शक्ति.ज्योति.आर्य.नरेंद्र.समर्थित.
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राधिका कृष्ण रुक्मिणी दर्शन : धारावाहिक ६ : विषय सूची. 
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विषय सूची : पृष्ठ : ०.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन. पृष्ठ :०.
राधिका कृष्ण रुक्मिणी दर्शन ६ : आवरण पृष्ठ.
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प्रेम प्रकृति.
राधिकाकृष्ण: प्रेम प्रकृति दर्शन : पृष्ठ : ० / १.
रुक्मिणीकृष्ण.प्रकृति प्रेम दर्शन : आज : पृष्ठ :० /२.
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जीवन : दर्शन.
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त्रि शक्ति : विचार धारा : पृष्ठ : १. 
 राधिकाकृष्ण जीवन दर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / १.
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / २.
मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ १ / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ :७. 
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २. 
सम्पादकीय शक्ति. समूह. नवशक्ति. विचार धारा : अंततः : पृष्ठ :२ / १.
सम्पादकीय त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.  
सम्पादकीय त्रि शक्ति  जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ :  / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कोलाज दीर्घा : पृष्ठ : ४. 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५.
दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ :७. 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ :८.
मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : आभार : पृष्ठ :९.
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महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
विषय सूची.
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महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
विषय सूची.
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 मंगल अनंत शिव. शक्ति शुभकामनाओं के साथ.
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फोर स्क्वायर होटल बैंक्वेट: रांची :समर्थित : दैनिक अनुभाग : मार्स मिडिया ऐड:नई दिल्ली.
   दैनिक /   अनुभाग.   
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       सुबह सवेरे:शाम. पृष्ठ :०..
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते. 
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त्रि शक्ति : दर्शन : विचार धारा.  
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', ' और सम्यक ' कर्म ' 
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आत्म दीपो भवः   


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दिव्य अनंत शिव शक्ति.
 दैनिक अनुभाग.आज.

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विक्रम संवत : २०८२ शक संवत : १९४७.
०४.१२.२५. 
मार्गशीर्ष  : शुक्लपक्ष :पूर्णिमा.  
दिन. गुरुवार. 
महालक्ष्मी नारायण दिवस. मूलांक : ४ . 

राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी दर्शन. 
त्रि - शक्ति.
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी  सदा सहायते 
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हरे कृष्णा गोविन्दाय नमः 
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* स्वर्णिका ज्वेलर्स.निदेशिका.शक्ति तनु.आर्य रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित. *
 प्रेम. प्रकृति : दर्शन. 
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राधिकाकृष्ण : प्रेम प्रकृति :दर्शन : पृष्ठ :० / १ . 
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राधिका डेस्क. 
मुक्तेश्वर नैनीताल. 
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
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दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ : ० / १.
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राधिका डेस्क.
राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर.नैनीताल.
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मेरी भव बाधा हरौ राधा नागरि सोय 
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सज्जा : संपादन. 
शक्ति* प्रिया.मधुप डॉ.सुनीता .

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राधिकाकृष्ण : प्रेम प्रकृति : दर्शन : आज : पृष्ठ : ० / १.
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राधिका डेस्क.
राधाकृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर.नैनीताल.
शक्ति* प्रिया.मधुप डॉ.सुनीता.

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सखी रे मैं का से कहूं
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सच सज्जन साध्वी और सुंदरता.
*
वहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जायेगा कहाँ
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विचार : सन्दर्भ : छाया : शक्ति : माया.

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अगर आप अपने ' मन ' के ' मिथ्या भ्रम ' ' और
' माया जाल ' में ही खोए रहेंगे तो इस ' मानव जीवन ' की सही ' सुन्दरता ' से चूक जायेंगे...मुसाफ़िर
इसलिए जीवन के अंतहीन ' सफ़र ' में ' समय ' ' सच ' के साथ
सोना ' सज्जन ', ' साधु ' जन ' साध्वी ' और ' सद्गुरु ' की
तलाश जारी रखना,माधव !

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संदर्भ : विचार फोटो : शक्ति : आभार
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तोरा मन दर्पण कहलाए
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सत्य कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे बाहर खोजा जाए, बल्कि यह सब के भीतर उनके अंतर्मन का अनुभव है
जो अदृश्य है पहेली है जो व्यक्ति विशेष ही समझ सकता है

संदेह : भरोसा और अन्तःमन.

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व्यक्ति की बुद्धि सदैव तो सदैव संदेह करती है भरोसा तो केवल हृदय : अन्तःमन ही जानता है..प्रिय !

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वाणी और शब्द
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वाणी और शब्द मानवीय जीवन के
वो पहलू हैं जिन्हें संभाल कर प्रयोग में लाए,प्रिय
या तो आप क्षण में दुनियाँ जीत सकते हैं
या पल भर में गवां सकते हैं
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दिल की गिरह खोल दो
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मेरे लिए वो ' व्यक्ति ' ही ' ईश्वर ' है 
जिसने मेरे ' अकेलेपन ' : ' मुसीबत ' में ' ह्रदय ' से समझा, जाना 
और जिसने ' मान ' दिया ' सम्मान ' दिया सबके सामने ' ज्ञान ' नहीं 
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सन्दर्भ :फोटो शक्ति.कोलाज.
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हमसाया
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दुःख हो या सुख अपने वो होते हैं माधव
जिन्हें कभी भी तकलीफों में खोजना न पड़ें
' माया ' मरी न ' मन ' मरा

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' रमा ' क्या मन, ' माया ', और ' मनका ' में ?
निःशब्द होकर मन सतत खोज करता ही रहा
निरंतर समय, सच, सपने, सज्जन, सद्गुरु और साध्वी को

शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता आस्था
( रमा : पर्याय : रमना और लक्ष्मी )
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सिर्फ़ ' हा ' ' ना ' नहीं
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किसी ने पूछा सार प्रेम का क्या है ?
निरुत्तर होते हुए तुम्हारी तरफ़ देखते हुए
मैंने कहा जीवन में सिर्फ तुम्हारे लिए हाँ ही दिखना प्रेम है
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ईश्वर मानव और सम्यक कर्म.
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ईश्वर क्या है आपकी ' आस्था '
मानव क्या है उसकी ' रचना ' अपने जीवन में
सम्यक ' आस्था ' और सम्यक ' कर्म ' का सामंजस्य बनाए रखें
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रीत और प्रीत
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अपने जीवन एक ही रीत हो और प्रेम की सौगात
बिन बोले समझ लें कान्हा राधिका ,सुदामा , पांचाली के मन की बात
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©️®️शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
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राधिकाकृष्ण : प्रेम प्रकृति : दृश्यम  : आज : पृष्ठ : ० / १.
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राधिका डेस्क.
राधाकृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर.नैनीताल.

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साभार : दृश्यम : राधिका अंत से परे है

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संपादन
शक्ति* प्रिया.मधुप डॉ.सुनीता.
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आने वाले साल : आपकी खुशियों के साथ : फ़ोकस क्लब एंड रिसोर्ट : रांची : समर्थित. 
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रुक्मिणीकृष्ण. प्रकृति प्रेम दर्शन : आज : पृष्ठ :० /२.
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रुक्मिणी डेस्क
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७८..
संस्थापना वर्ष : १९८७.महीना : अगस्त : दिवस : ६.
*
संपादन 
शक्ति प्रिया मधुप डॉ. सुनीता. 
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अंधेरों से मिल रही रोशनी है. 
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रूक्मिणीकृष्ण : दर्शन ड्योढ़ी : आज : पृष्ठ : ० / २
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तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है 
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रूक्मिणीकृष्ण : प्रकृति प्रेम दर्शन : पृष्ठ : ० / २.
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रुक्मिणी डेस्क.
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
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सन्दर्भ : प्रतीक. फोटो : त्रिशक्ति.
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संस्कार व्यवहार और प्यार. 
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त्रिशक्ति संगम 
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रुक्मिणी कृष्ण राधिका त्रिशक्ति का ' समन्वय ' ,' समझ '  व ' मैत्री '
प्रतीक वस्तुतः ' संस्कार ', ' व्यवहार ' और ' प्यार ' का 
अद्भुत त्रिवेणी ' संगम ' है 
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विचार सन्दर्भ.
फोटो शक्ति रितु

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ईश्वर मित्र और दर्शन
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ईश्वर का दर्शन और सच्चे मित्र का मार्गदर्शन दोनों ही
मानव जीवन को उन्नयन की तरफ़ ले जाते हैं

समदृष्टि
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किसी से भी इतना भी मोह न हो कि उसकी बुराई छुप जाए, और किसी से इतनी भी घृणा भी न हो जाए कि हम उसकी अच्छाई देख न पाए
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विचार सन्दर्भ.
फोटो शक्ति रश्मि.महाराष्ट्र.
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जीवन जोत उजागर है
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नज़र बदलें नज़रिया बदलेगा
संगति सज्जन की हो तो संसार बदलेगा,प्रिय
जागो उठ कर देखो
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अनुभूति : प्यार : दोस्ती.
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कदर करें, जताए मत. फ़िक्र करें। दिखाए मत
प्रेम और दोस्ती एक ख़्याल है एहसास होने दें,बतलाए मत

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जब जब तू मेरे सामने आए.
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विचार : सन्दर्भ
फोटो : डॉ.मधुप.
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यादें न जाए
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किसी ने पूछा प्रेम क्या है
निःशब्द हो गए और सिर्फ़ याद आए मन में तुम
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' कृष्ण ' है तो ' कर्म ' है, कर्म है ' तुम और हम ' है, हमलोग है
फिर तो कृण्वन्तो विश्वमार्यम. है 
*
मन का ' संयम ' टूटा जाए
*
पारिवारिक मानवीय रिश्तें में ' सहिष्णुता ' और ' वाणी '
की ही विशेष ' आजमाइश ' है जिसने जितनी रखी
उसकी ' अहमियत ' उतनी बढ़ी..सोच लेना
*
@ शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता सीमा
*
हार जीत
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जीवन में ' हार ' न मानने की आदत ही
एक दिन ' जीत ' दिला दिलाती है ! प्रिय
@ शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता अनु
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 राधिकाकृष्ण : दर्शन : ड्योढ़ी : आज : पृष्ठ : १ / १ .
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राधिकाकृष्ण
वरसाने.वृन्दावन.डेस्क.
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
*

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हे री मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोय

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श्याम तेरी बंशी पुकारे राधा नाम 

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लोग करे मीरा को यूँ ही बदनाम 
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 राधिकाकृष्ण : जीवन : दर्शन : आज : पृष्ठ : १ / १ .
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राधिकाकृष्ण
वरसाने.वृन्दावन.डेस्क.
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
*
©️®️शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
*
तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर
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* आने वाले साल : आपकी खुशियों के साथ : फ़ोकस क्लब एंड रिसोर्ट : रांची : समर्थित. --------- रूक्मिणीकृष्ण : जीवन दर्शन : पृष्ठ : १ / २. ---------- * रुक्मिणी डेस्क. विदर्भ डेस्क.महाराष्ट्र. प्रादुर्भाव वर्ष : १९७८. संस्थापना वर्ष : १९८७.महीना : अगस्त : दिवस : ६. * संपादन ©️®️शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.  *
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विचार सन्दर्भ.
छाया : शक्ति : रितु
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राम को समझो कृष्ण को जानो
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रावण विभीषण : शिशुपाल कृष्ण
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सच कहा आपने
दूसरों की ' नजर ' में उठने के लिए
लोग ' अपनों ' को गिरा देते हैं , फिर नतीजा ये होता है कि ' गैर ' तो ' अपने ' बनते नहीं लेकिन अपने ' गैर ' बन जाते हैं,
लेकिन सत्य सदभाव और सन्मार्ग के लिए प्रेरित
लेकिन विभीषण की पीड़ा को अपने भाई रावण के लिए
श्री कृष्ण की पीड़ा शिशुपाल के लिए
कोई तो समझे ?
रावण कब अपने भाई विभीषण के लिए
और शिशुपाल कृष्ण के लिए संवेदनशील हुए ? विचार कीजिए
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अपनों पर सितम गैरों पर रहम
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शोध विचार.
गोविन्द जी @ शक्ति डॉ.सुनीता मधुप
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* विचार सन्दर्भ. फोटो : शक्ति :नेहा.कोलकोता. * तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर * दिव्यता क्या है ?, किसी के मर्म को स्पर्श करने के लिए व्यक्ति को तन ( मुख ), मन ( विचार ),धन ( सहयोग ), वचन ( व्यवहार ) से सुंदर अवश्य होना चाहिए अन्यथा व्यवहार रहित मुख का सौंदर्य तो किस काम का ? * @ शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता सीमा * इंसा जो ख़ुद
संभले अपनों को भी संभाले. * जो व्यक्ति सबसे पहले ' .... ' और स्वयं आपको ' .... ' भी ' ..... ' भी वह व्यक्ति ' ..... ' के सबसे ' .... ' होते हैं परंतु आज के समय में ऐसे व्यक्ति बहुत मुश्किल से ' ..... ' वालों को ही मिलते हैं
*
*
शक्ति.डॉ.राशि. डॉ.मयंक.निदेशक.आशा हॉस्पिटल.मुजफ्फरपुर.बिहार.समर्थित 
*
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सह : ममता हॉस्पिटल बिहार शरीफ:शक्ति.डॉ.ममता.आर्य. डॉ.सुनील कुमार : समर्थित
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सम्पादकीय 
त्रि शक्ति  जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ :  / ३.
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संपादन 
शक्ति. क्षमा सीमा तनु सर्वाधिकारी. 
रघुनाथ मंदिर. जम्मू डेस्क 
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भाविकाएँ 
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राधिका : कृष्ण 
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नाम अलग, पर सार एक,
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छाया : माया : शक्ति राधिका : साभार. *
यह राधा और श्याम का रास, जहाँ प्रेम ही बना परिभाषा..! देखा नहीं, पर अनुभव हुआ, हर पुकार में कृष्णा की भाषा..! राधा के नयन में कान्हा, कान्हा की बंसी में राधा..! नाम अलग, पर सार एक, जैसे निर्गुण से सगुण साधा..! प्रेम की वह उच्चतम सीढ़ी, जहाँ विराग भी बन गया अनुराग..! यह प्रेम नहीं केवल कहानी, यह 'ह्लादिनी शक्ति' का जाग..! यही तो है वह दिव्य स्नेह, जो गोलोक में होता साकार..! राधा के बिना कृष्ण अधूरे, यह प्रेम है मोक्ष का द्वार..! हर कण में है ब्रज की छाया, हर धड़कन में उनका नाम..! यह है प्रेम का परम स्वरूप, राधा-माधव का अविराम..! * शक्ति शालिनी संयुक्त महाशक्ति सम्पादिका लेखिका कवयित्री नैनीताल डेस्क. * सज्जा संपादन : शक्ति प्रिया डॉ सुनीता सीमा *




*
दृष्टि क्लिनिक : बिहारशरीफ.आर्य.डॉ.दीनानाथ वर्मा:ह्रदय शुगर रोग विशेषज्ञ :समर्थित.

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सम्पादकीय 
त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २. 
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 यात्रा शक्ति संस्मरण : नैनीताल भुवाली मुक्तेश्वर. 
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मिले होंगे राधा कृष्ण यहीं कहीं वन में
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राधिका : कृष्ण : आत्मीयता प्रेम की एक खोज : धारावाहिक :
डॉ.मधुप.
सह लेखन शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता.


ये पर्वतों के दायरे ये शाम का धुआँ :भवाली :नैनीताल :फोटो: शक्ति.प्रिया मधुप डॉ.सुनीता

मैं तो कब से खड़ी इस पार आ जा रे परदेशी .नैनीताल वर्ष २०२४। यायावर थे हम। अकेले थे हम। कुछ लोग साथ भी थे। सच कहें शरीर से यहाँ रहते हैं मन से तो कहीं और,सदैव। पहाड़ों में भटकते हुए। कई सदियों से कई जन्मों से। मन चंचल मधुप जो है। कभी यहाँ तो कभी वहाँ। साथ थे मेरे सुनील, कमल और नैनीताल से प्रकाश आर्य जी और अभय सिंह। पढ़ना,लिखना,मिलना और चरैवेति जारी ही था।
राधिका : कृष्ण : उनकी प्रेम गाथा पर शोध जारी ही था। उनके मंदिरों की तलाश जारी थी। मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई। जहाँ प्रेम,है सदभाव है,सहयोग है वही राधिका कृष्ण है।
मैं उन स्थानों से गुजर रहा था जहाँ कभी विमल रॉय ने फिल्म मधुमती १९५८ की शूटिंग की थी। ये सारी बातें अभय जी और प्रकाश आर्य जी बतला रहें थे।
१९५८ के आसपास बनी फिल्म मधुमती के रे बंगले की तलाश तब से जारी ही थी। इसे देखना समझना ही था। नैनीताल के पास भुवाली में हम उपस्थित थे।
राधिका : कृष्ण : आत्मीयता, प्रेम, की एक खोज : फिल्म मधुमती की शूटिंग मुख्य रूप से नैनीताल,रानीखेत और अल्मोड़ा जैसे कुमाऊं क्षेत्र के सुंदर स्थानों पर हुई थी,जबकि प्रमुखतः नैनीताल के पास भवाली में ही कई स्थानों में शूट हुई थी। वैसे मधुमती का सीधा संबंध भवाली से ही नहीं, बल्कि नैनीताल जिले के अन्य हिस्सों से भी है।
भुवाली पहुंचते ही प्रकाश जी से मिला। उनके घर अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई भी खायी। उनका प्यार भरा आथित्य मैं कैसे भूला सकता हूँ। उनके साथ हम फिर प्रॉपर्टी देखने निकल पड़ें। रास्ते में ही मैंने फिल्म मधुमती और उस फिल्म में दिखलाए गए रे के बंगले को देखने की अभिलाषा जाहिर की। और प्रकाश जी वहाँ ले गए भी।आभार और प्यार है उनके लिए।
रे का बंगला : फिल्म मधुमती का शूटिंग लोकेशंस : प्रकाश आर्य जी की मदद से मैं वेरोनिका ग्रेवाल रे जी के बंगले तक पहुंच भी गया था। मुझे याद है एकाध घंटे तक मैं वहां रुका था। भुवाली पहाड़ी के शीर्ष पर ब्रिटिश काल में बना यह बंगला मेरे मन को खूब भाया था। लॉन में ढ़ेर सारे फूल खिले थे।
खूब देर तक बातें हुई। उन्होंने मुझे सारा बंगला दिखलाया। एक एक शूटिंग से जुड़ी तस्वीरें व कहानियाँ भी बतलाई। मुझे याद है वो बतला रही थी कि फिल्म मधुमती के समय एक या दो साल की रही होगी। फिर उन्होंने घोड़े, बग्घी अभिनेता प्राण से जुड़ी हुई कुछ बातें बतलाई।
जाते जाते मेहमाननवाजी में पेश की गई मीठी चाय मैं कैसे भूला सकता हूँ ? मैंने उनसे मधुमती से जुड़ी,अभिनेता दिलीप कुमार,और बैजंती माला से जुड़ी ढ़ेर सारी कहानियां सुनी।
मैंने वो प्राण साहेब का तथाकथित निर्जन पहाड़ी बंगला के बारे में उनसे पूछा ...जाती हुई बग्घी..कोठी से दिखती हुई झील यही कोई अभी की यहाँ से दिखने वाली भीम ताल ही रही होगी...
तो उन्होंने कहा फिल्म में दिखाई गयी कोठी की शूटिंग घोड़ा खाल की कोठी में हुई है जहाँ अभी सैनिक स्कूल है।
अभी ठीक लिखने से पहले फिल्म मधुमती फिल्म की अधिकांश शूटिंग स्थल रे के बंगले, और बंगले की वेरोनिका ग्रेवाल रे बंगले की मालकिन : एक छोटी सी मुलाकत : वर्त्तमान मालकिन रे की पुत्री वेरोनिका ग्रेवाल रे से मेरी हल्की औपचारिक बात चीत ५ दिसंबर को १.१९ अपराह्न हुई।
मैंने जब २०२४ में मिलने की बात दोहराई तो भी उन्हें ठीक से याद नहीं आया। फिर भी औपचारिकता वश पूछ ही लिया, ' कैसे है डॉ. रमण.... ? '
मैंने कहा, ' ठीक हूँ , आप कैसी है ? '
उत्तर था, ' ठीक हूँ ...'
मैंने घोड़ा खाल मंदिर के इतिहास और वहाँ स्थित राधा कृष्ण मंदिर के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा, ....नहीं पता मैं ईसाई हूँ
ईसाई धर्म से जुड़ी वेरोनिका से जब मैंने पूछा कि आपके बारे में मैं अपने कॉलम छोटी सी मुलाकात में आपके के बारे में लिख रहा हूँ,आप हिंदी पढ़ लेगी....?
तो उन्होंने विनम्रता से जबाव दिया, हिंदी मैं पढ़ी हूँ ....हिंदी मेरी सब्जेक्ट रही है आप लिंक भेजिए मैं पढ़ लूंगी।
वेरोनिका ग्रेवाल अंग्रेजीदा हैं। उम्र यही कोई ६० वर्ष के आस पास लिखने पढ़ने की शौक़ीन है। बहुत ही शालीन लगी और दिखी। मुझ जैसे अज़नबी के लिए समय देना मैं इसके लिए आभार प्रगट करता हूँ। ऊँचे कुल के लोग है ये लोग।
पहाड़ियां में जैसे आजा रे परदेशी की सुरीली जैसे धुन गूंज ही रही थी। जैसे कई जन्मों की पहेलियों को सुलझाने मैं निकला था। छोटी सी मुलाकात मैं कैसे भूलूँ।
प्रकाश जी बतला रहे थे कभी कभी सर्दियों में वो अपनी बेटी के पास न्यूजीलैंड चली जाती है। इन पहाड़ी जगहों में तो सर्दियों में जीवन के हालात ही बदल जाते हैं। सर्दियाँ काटनी मुश्किल हो जाती है जब पारा नीचे गिरता है ,नल और टोटके का पानी जम जाता है। लेकिन बात चीत करने के दरमियाँ पता चला फ़िलहाल अभी वह भुवाली में ही वर्तमान है। मैंने उनसे कुछ उनके बंगले की कुछ तस्वीरें भी मांगी है, शायद मिल जाए तो प्रकाशित कर सकूं ....
घोड़ाखाल मंदिर वो दिखती झील : राधा कृष्ण : लौटने के क्रम में घोड़ाखाल मंदिर मिल गया था। मैं स्वयं सीढियाँ चढ़ते हुए मंदिर के भीतर गया जहाँ राधिका कृष्ण जी भी हैं ....जानकारी थी कि इस मंदिर परिसर में राजश्री की चर्चित फिल्म ' विवाह ' की भी शूटिंग यही हुई थी। शायद एक गाने की...

*
गतांक से आगे : १. 
घोड़ा खाल : नैनीताल : राधिका : कृष्ण : मंदिर :


घोड़ाखाल सैनिक स्कूल : स्थापना काल १९६६ : कोलाज. शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.

साल १८५७। सिपाही विद्रोह। कभी अवध के क्रांतिकारियों से बचते हुए एक ब्रिटिश अधिकारी भुवाली के पहाड़ी क्षेत्रों में भटक रहे थे। उनके घोड़े की मृत्यु हो जाने से यह स्थान किसी कहानी से निकल कर यथार्थ में हो गया। मैं दो या तीन बार यहाँ आ चुका हूँ। भवाली से आप यहाँ मात्र ३० रूपये किराया देकर घोड़ाखाल सैनिक स्कूल तथा घोड़ा खाल गोलू देवता मंदिर आ सकते हैं।
भीतर से रमण ब्लॉक का जो फोटो हम तक आया तो मुझे फिल्म का वो दृश्य भी याद आ गया जिसमें बग्घी को किसी हवेली या कोठी तक आते हुए दिखलाया गया था।
चीड़ और देवदार के पेड़। सर्वत्र नीरवता फैली हुई। मैं कहीं कवि न बन जाऊं। प्रकृति,पहाड़,पेड़ में हम प्रेम और पुनर्जन्म को तलाश करते हुए यहाँ तक़ पहुंचे थे। स्थानीय अभय सिंह के घर से निरंतर वो झील भी दिख रही थी।
राधिका कृष्ण या कहें शाश्वत प्रेम की ख़ोज में। हमारे साथ निरंतर हमारे फीचर डेस्क से नैनीताल से भुवन जोशी,भुवाली से प्रकाश जी तथा मुक्तेश्वर से शक्ति संवाददाता सिमरन ऐंजेल जुड़ी थी।
गोलू देवता का मंदिर : घोड़ाखाल मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भगवान गोलू देवता को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है,जो न्याय के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। कहते है गोलू देवता त्वरित गति से न्याय करते हैं। सोचा अपनी भी कोई प्रेम भरी अर्जी लिख ही लेते हैं।
इस मंदिर को ' घंटी वाला मंदिर ' भी कहा जाता है क्योंकि भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहाँ सैकड़ों घंटी बांधते हैं। यह मंदिर भुवाली के पास, समुद्र तल से लगभग २००० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। सुना है यहाँ राधा कृष्ण का मंदिर भी है।
घोड़ाखाल मंदिर के बारे में मुख्य बातें यह है कि देवता : यह मंदिर न्याय के देवता गोलू देवता को समर्पित है। उन्हें गौर भैरव ( शिव ) का अवतार भी माना जाता है।यह नैनीताल जिले में स्थित है,जो भवाली से लगभग ३ किलोमीटर की दूरी पर है।
घंटी वाला मंदिर: भक्तों का मानना है कि गोलू देवता उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। जब मनोकामना पूरी हो जाती है, तो भक्त आभार व्यक्त करने के लिए मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं, जिसके कारण मंदिर में सैकड़ों घंटी बंधी हुई हैं। यह मंदिर अपनी अनोखी प्रथाओं के लिए जाना जाता है जहाँ भक्त अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए घंटियाँ और कागज़ पर लिखी चिट्ठियाँ चढ़ाते हैं, और यह कुमाऊं क्षेत्र में आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
कहानी गोलू देवता की : कहते है घोड़ाखाल में गोलू देवता के मंदिर की स्थापना महरागांव की एक महिला ने की थी, जो अपने ससुराल वालों से प्रताड़ित थी। उसने चंपावत जाकर गोलू देवता से न्याय मांगा और वे उसके साथ घोड़ाखाल आ गए, जहाँ उन्होंने मंदिर में निवास किया और लोगों को न्याय देना शुरू किया।
यह मंदिर कुमाऊँ क्षेत्र में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध है और भक्त अपनी मनोकामनाएं लिखकर यहां चढ़ाते हैं।यह मंदिर अपने आध्यात्मिक वातावरण और अनोखी प्रथाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है,जैसे ' विवाह '।
घोड़ाखाल सैनिक स्कूल : यह स्थान प्रसिद्ध सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए भी जाना जाता है,जिसकी स्थापना १९६६ में हुई थी। इस स्कूल के लिए जमीन रामनगर के राजा ने उपलब्ध करवायी जहाँ भारत सरकार ने घोड़ा खाल स्कूल को विकसित किया।
इस स्कूल देखने के प्रति मेरी रूचि फिल्म मधुमती १९५८ के बाद हुई जब से मैंने जाना कि पहले कभी फिल्म मधुमती १९५८ की शूटिंग यहाँ हुई थी। मैं इसके प्रवेश द्वार तक गया । प्रवेश की अनुमति की औपचारिकता मिलने में बिलम्ब होने की बजह से परिसर नहीं घुम सका।
हालांकि घोड़ाखाल सैनिक स्कूल में पढ़ा रही वर्त्तमान अंग्रेजी की शिक्षिका शक्ति शालिनी से बातचीत करने के सिलसिले में बहुत सारी बातें अनौपचारिक तरीक़े से मालूम हुई।
वेरोनिका के कथनानुसार जमींदार अभिनेता प्राण उस फिल्म में दुर्जन नाम के क़िरदार की उस हवेली को मैं देखना चाह रहा था जिसका वर्णन उस फिल्म में हुआ था। घाटी से सटी कोई हवेली।
यह तो सच दिखा घोड़ाखाल सैनिक स्कूल परिसर से उस फिल्म में वर्णित किसी झील की चर्चा थी। वो झील भीम ताल ही रही होगी। हमलोगों ने दिन के उजाले में पास कहीं घाटियों में पसरी झील भी देखी भी थी,जो घोड़ा खाल स्कूल से दिखती है ।
घोड़ाखाल सैनिक स्कूल का स्कूल परिसर और भवन जैसे अनायास ही मुझे खींचते हुए मधुमती के शूटिंग लोकेशंस और सेट्स तक ले जा रहा था जहाँ से मेरी कल्पना में पूरी फिल्म ही चल रही थी ।
आप फिल्म देखिये। फिर से बार बार देखिए। हवेली कुछ ऐसी ही दिखेगी। तुम यहीं कहीं न थीं मधुमती...? आ जा रे परदेशी ...
कुछ ऐसा ही दिखता था न...? मधुमती के जमींदार के क़िरदार निभाने वाले फिल्म अभिनेता प्राण तथाकथित दुर्जन की हवेली। जहाँ दुर्जन से बचने के लिए हवेली के छत से गिरकर नीचे अँधेरी गहरी खाई में नायिका ने अपने प्राण गवां दिए थे। आ जा रे परदेशी मैं तो कब से खड़ी इस पार आ जा रे परदेशी ....अँखियाँ थक गयी पंथ निहार.... आ जा रे परदेशी...

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गतांक से आगे : २ . 
राधिका : कृष्ण : मंदिर : घोड़ा खाल : भवाली नैनीताल :
जहाँ प्रेम,है सदभाव है,सहयोग है वही : राधिका कृष्ण हैं
यात्रा संस्मरण : शोध. शक्ति प्रिया डॉ सुनीता मधुप
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सहयोग : शक्ति मीना सिमरन सुधा
नैनीताल
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मिले होंगे राधा कृष्ण यहीं उपवन में : कोलाज राधा कृष्ण : शक्ति. सिमरन डॉ.सुनीता सुधा
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प्रेम,है सदभाव है,सहयोग है वही : राधिका कृष्ण हैं हम प्रकाश जी के आभारी है। सदैव निस्वार्थ भाव से उन्होंने मेरी मदद की। उनके घर में उनकी जीवन संगिनी शक्ति सुधा आर्य जी ने हम जैसे अनजाने के लिए खुले भाव से स्वागत किया अल्मोड़ा की बाल मिठाई खिलाई वो सदैव स्मृत रहेगा।
राधा-कृष्ण का प्रेम ' भाव ' या कहें गहरी भावना का प्रतीक है, जो आत्मा और परमात्मा के मिलन को दर्शाता है, जहाँ प्रेम निष्काम, निस्वार्थ, समर्पण और त्याग से भरा होता है, जिसमें अधिकार नहीं, सिर्फ एक-दूसरे में एक हो जाने की चाह होती है, जो सांसारिक रिश्तों से परे, शुद्ध भक्ति और शाश्वत आनंद का मार्ग है, जिसे राधा ने पूजा बना दिया और कृष्ण ने ईश्वरता दी। जहाँ प्रेम,है सदभाव है,सहयोग है वही राधिका कृष्ण है याद रखिए। राधिका कृष्ण भाव है अपने जीवन का। प्रेम से परिपूर्ण। नियंत्रण से परे.
हमसब साथ साथ है : शायद हम एक दो बार राधिका कृष्ण मंदिर घोड़ा खाल नैनीताल आए हैं। २०२४ में और उसके पहले जब डॉ.प्रशांत गुजरात, संजय पटना से मेरे साथ थे। हमने नीचे से प्रसाद लिया था। सीढियां चढ़ते हुए गोलू देवता के मंदिर के दर्शन किए थे। हमने भी मन ही मन अपनी मन्नतों के लिए गोलू देवता को कई अर्जियां लिखी हैं कुछ यहाँ कुछ वहाँ। चिर भी बांधे हैं। दूसरों के बंधे धागे,टंगी हुई घंटियों में भी अभिलाषाओं का स्पंदन अनुभूत किया हैं। हमारी महाशक्ति मीडिया टीम की जो भी शक्ति सदस्या जाती हैं हमसब साथ साथ है इस प्रेम पूर्ण भावना के लिए घंटियां बांध ही आती हैं।
राधा-कृष्ण प्रेम के प्रमुख भाव मुख्य भावनाएँ : निस्वार्थता : राधा ने कृष्ण से कुछ मांगा नहीं, केवल उनके प्रेम में खो गईं। उनका प्रेम 'पाने' की चाह नहीं, 'समर्पण' का था।
आत्मा - परमात्मा का मिलन : व्यवहारिकता और अध्यात्म का संयोग : यह सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका का रिश्ता नहीं, बल्कि जीवात्मा राधा और परमात्मा कृष्ण के शाश्वत मिलन का प्रतीक है। कैसे आप अपने जीवन में व्यवहारिकता और अध्यात्म का संयोग कर सम्यक मार्ग ,और कर्म की तरफ उन्मुख होते हैं।
समर्पण और भक्ति : राधा की भक्ति इतनी गहरी थी कि कृष्ण भी उसमें बंधे थे। उनका प्रेम हर अपेक्षा से परे था। अधिकारहीन प्रेम बतलाता हैं प्रेम में सिद्ध अधिकार ही नहीं, कर्तव्य विशेष है। सिर्फ एक-दूसरे के उनकी ख़ुशी के लिए जीना होता है। राधा-कृष्ण ने यह सिखाया कि प्रेम में ' मेरा ' नहीं, ' हम ' होता है। हमारे व्लॉग में एक का प्रयास सम्मिलित खुशी देती है समस्त समूह के लिए।
त्याग धर्म : सम्यक के लिए अपने जीवन में कुछ दे देना सीखिए। सच्चा प्रेम त्याग मांगता है, जहाँ व्यक्ति अपने प्रिय के लिए सब कुछ न्योछावर कर सकते हो ।
एकता : राधा और कृष्ण अलग नहीं हैं; एक के बिना दूसरे का नाम अधूरा है राधे-कृष्ण, या कृष्ण-राधे । निष्कर्ष देखें : राधा-कृष्ण का प्रेम हमें सिखाता है कि वास्तविक प्रेम पाने या हासिल करने में नहीं, बल्कि खुद को पूरी तरह से उसमें खो देने, निस्वार्थ भाव से जुड़ने और प्रेम को एक पवित्र पूजा बनाने में है। यह प्रेम भक्ति, शांति और आनंद का सबसे सुंदर उदाहरण है जो हमें ईश्वर के करीब ले जाता है।
प्रेम, प्रकृति, पहाड़, उत्तम पुरुष के लिए साधुवाद : हमारी शक्ति सिमरन हमारे शोध विषय पर पहले से ही काम कर रही है। जहाँ कही भी राधिका : कृष्ण : मंदिर : उपलब्ध है वहाँ जाकर लघु फिल्में बनाना, मुझ तक़ पहुँचाना,जानकारियाँ हासिल करने का प्रयास करती हैं। मेरे भ्रमण के पश्चात शेष कार्य उन्होंने ही पूरे किए हैं।
पहाड़ी लोग सीधे साधे होते हैं। छल प्रपंच से अलग। अब दूषित होती सभ्यता संस्कृति की हवाएं उन्हें भी छू रहीं हैं। उन सहिष्णु ,मेहनती , सरल लोगों , समुदायों और जातियों को कहते हैं जो मुख्य रूप से पर्वतीय और पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमालय की तलहटी और घाटियों में रहते हैं। ये लोग अपनी सादगी, मेहनत और प्रकृति से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं, और भारत व नेपाल के कई राज्यों जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम ,अरुणाचल,पूर्वोत्तर भारत में पाए जाते हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषाएँ और जीवनशैली होती है. मेरी अभी तक की अनुभूति में कण कण में भगवान होते हैं।
डॉ नवीन बीना जोशी , रवि रश्मि शर्मा ,आर्य प्रकाश सुधा, केदार, भुवन जोशी ,शक्ति भारती मीना संजय इसी संस्कृति की देन हैं। कहते हैं न भोले भाव मिले रघुराई।

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गतांक से आगे : ३ .
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 यात्रा शक्ति संस्मरण : नैनीताल : भुवाली : भीम ताल . 
शोध. शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मधुप
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सहयोग : शक्ति मीना सिमरन सुधा.
नैनीताल.
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ये वादियाँ ये फिजायें बुला रहीं है तुम्हें : भवाली : नैनीताल फोटो: शक्ति. प्रिया मधुप डॉ.सुनीता.

मिले होंगे राधा कृष्ण यही किसी वन में ? गोलू देवता के मंदिर परिसर स्थित राधा कृष्ण मंदिर देखने के क्रम में हमें बहुत सारी बातें याद आ रही थी। क्यों ऐसा सोच रहा था कि मिले होंगे राधा कृष्ण यही किसी वन में? यहाँ के कण कण में प्रेम माधुरी उनकी बसी है पवन में। और भी पास आ गए थे हम इस दिव्य वातावरण में अपनी कल्पनाओं के। राधा कृष्ण के साक्षात दर्शन हुए। जीवन सफल हुआ। माधव तो मधुप के कण कण में बसते हैं।
भावनाओं का सच है। योगी राज श्री कृष्ण तो अपनी रास लीलाओं के ही जाने जाते है। शिव है नहीं तो पत्थर। आस्थाओं पर प्रश्न नहीं होते।
हमने मंदिर की परिक्रमा की। प्रेम की अर्जियां लिखी। मन्नतों के धागे बांधे। बंधी घंटियों को स्पर्श किया। सोचा कभी सपने पुरे हुए तो मधुप फिर से माधव के दर्शन करेंगे, व घंटियां बांधेंगे ।
नीचे चीड़ व देवदारों के फैले अंतहीन वन थे। प्रेम के साक्षी। मधुमती को दिखने वाली झील भी हमें बुला रही थी, भीमताल। शायद कोई प्रतीक्षा कर रहा हो या इस सुने देश में कोई परदेशी के भेष में आ ही जाए ? हमारा लक्ष्य यहाँ से पतंग आकार में वो दिखने वाली झील थी जहाँ हमें पहुँचना था।


मैं,मेरे हमसफ़र,घोड़ाखाल मंदिर: वो झील : मधुमती की तलाश.शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता मीना.
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राजश्री फ़िल्म विवाह की साक्षी : राधा कृष्ण मंदिर : घोड़ा खाल : राजश्री की अति भावुक व चर्चित फिल्म 'विवाह' २००६ की शूटिंग मुख्य रूप से उत्तराखंड के खूबसूरत स्थानों जैसे रानीखेत,नैनीताल नैनी झील के पास, और जागेश्वर मंदिर में हुई थी, जहाँ ' सोमसरोवर ' नामक काल्पनिक गाँव दिखाया गया है ; वस्तुतः नैनी झील ही है। वहीं, गाज़ियाबाद में भी कुछ हिस्से शूट किए गए थे
प्रमुख लोकेशंस : सोमसरोवर काल्पनिक गाँव यह असल में उत्तराखंड के जागेश्वर और बागेश्वर के आसपास के प्राकृतिक दृश्यों और मंदिरों को दिखाया गया है, खासकर जागेश्वर धाम और गोलू देवता मंदिर को। नैनीताल: नैनी झील और आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य का उपयोग किया गया। रानीखेत: फिल्म में कई खूबसूरत दृश्यों के लिए रानीखेत को चुना गया था। गाज़ियाबाद: फिल्म के कुछ हिस्से गाज़ियाबाद में भी फिल्माए गए थे। संक्षेप में कहें ,' विवाह ' की ' सोमसरोवर ' लोकेशन उत्तराखंड के प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्थानों का मिश्रण है, जिसमें जागेश्वर और नैनीताल प्रमुख हैं।
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मिले होंगे राधा कृष्ण यही किसी वन में : फ़िल्म विवाह कोलाज : शक्ति प्रिया डॉ सुनीता मधुप

प्रेम : विश्वास : विवाह की अर्जियां व बाँधी गयी घंटियां : घोड़ा खाल : राधिका कृष्ण मंदिर

घने देवदारों के मध्य जागेश्वर : शिव को समर्पित : जागेश्वर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है। मैंने तीन दफ़ा भोले के दर्शन किये। सरसराती ठंडी हवाएं कभी भी बादलों का घनीभूत हो जाना बरस जाना लाज़मी है।
अल्मोड़ा स्थित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है,जिसे जागृत ईश्वर 'कहा जाता है, जहाँ १२५ से ज़्यादा मंदिर हैं और इसे १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है,जो भगवान शिव को समर्पित है और घने देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित है, जो अपनी ऐतिहासिकता और आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध है।


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गतांक से आगे : ५ . 
प्रकृति, प्रेम, पहाड़ और पुनर्जन्म. मधु मती 
वो झील का किनारा  : भीम ताल : यात्रा संस्मरण  : 
प्रकृति, प्रेम, पहाड़ और पुनर्जन्म. 
भीम द्वारा निर्मित भीमेश्वर महादेव मंदिर :
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डॉ. मधुप. 
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सह लेखन संपादन सज्जा 
शक्ति  प्रिया डॉ.सुनीता. 
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    फ़िल्म में वर्णित बायीं तरफ़ कोई झील : भीम ताल . छाया चित्र : शक्ति प्रिया मीना. बीना नवीन जोशी


चल कर किसी का इंतजार : हमें याद है घोड़ा खाल मंदिर से दुर कहीं दिखने वाली झील एक दम छोटी सी तिकोनी दिख रही थी। अब हमें वो झील भी देखनी थी। राधा कृष्ण मंदिर देखने के बाद हम भीम ताल जा रहें थे।
एकाध घंटे के भीतर ही हम भीम ताल के किनारे थे। सच में यह बहुत बड़ी झील थी।
भीमताल एक त्रिभुजाकर झील है। यह उत्तरांचल में काठगोदाम से १० किलोमीटर उत्तर की ओर है।
झील के उस पार : मधुमती फिल्म लोकेशंस की झील,अपने पूर्व जनम में  अभिनेता दिलीप का किसी झील का जिक्र करना,हालिया उस झील की क्या स्थिति है यह जानने के लिए हम भवाली से भीम ताल के लिए जानने के लिए निकल पड़ें।  इसकी लम्बाई १६७४ मीटर, चौड़ाई ४४७ मीटर और गहराई १५ से ५० मीटर तक है। 
सच माने तो नैनीताल से भी यह बड़ा ताल है। नैनीताल की तरह इसके भी दो कोने हैं जिन्हें निचला इलाका तल्ली ताल और ऊपरी भाग मल्ली ताल कहते हैं। यह भी दोनों कोनों सड़कों से जुड़ा हुआ है। अपर मॉल रोड और लोअर मॉल रोड यहाँ भी है।  
झील में नौकाएं तैर रहीं थीं। झील के मध्य एक टापू बना हुआ था। 
प्रमुख आकर्षण : क्या देखें : 
भीम द्वारा निर्मित भीमेश्वर महादेव मंदिर : इस ताल का नाम भीम ताल क्यों पड़ा ? जरूर कहीं न कहीं यह पांडवों से जुड़ा हैं। भारत एक ख़ोज जारी थी।
भीमताल में मुख्य शिव मंदिर भीमेश्वर महादेव मंदिर है, जो भीमताल झील के किनारे स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल में पांडवों के भीम ने करवाया था और यह कुमाऊँ की चंद वंश की वास्तुकला का प्रतीक है, जहाँ शिवलिंग और नक्काशीदार मूर्तियाँ हैं और यह शांति और आध्यात्मिकता के लिए एक सुंदर स्थान है.

भीमताल झील और एक्वेरियम : झील के बीच में एक द्वीप है जहाँ एक एक्वेरियम है, यहाँ नाव ( बोटिंग ) करके जा सकते हैं. यह मुख्य आकर्षण है, जहाँ आप मछलियाँ देख सकते हैं और कैफे का आनंद ले सकते हैं.
हनुमान गढ़ी : यह एक धार्मिक स्थल है जहाँ हनुमान जी का मंदिर है और यहाँ से झील का सुंदर नज़ारा दिखता है.
तितली अनुसंधान केंद्र और कैफे : प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक बेहतरीन जगह है जहाँ आप विभिन्न प्रकार की तितलियों को देख सकते हैं.
विक्टोरिया बांध : झील के किनारे बना यह पुराना बांध भी देखने लायक है.
नौकुचिया ताल : भीमताल के पास ही स्थित यह एक और सुंदर और शांत झील है जहाँ कई तरह की गतिविधियाँ होती हैं. 
करने लायक चीज़ें : बोटिंग के लिए आप भीमताल झील में नाव की सवारी करें. बड़ा अच्छा लगेगा। 
पैराग्लाइडिंग : रोमांच पसंद करने वालों के लिए पैराग्लाइडिंग का विकल्प है.
ट्रेकिंग : आसपास की पहाड़ियों और जंगलों में ट्रेकिंग का मज़ा लें.
शॉपिंग: स्थानीय बाज़ारों में कुछ खरीदारी करें. 
क्यों जाएँ? भीमताल नैनीताल के पास होने के बावजूद शांत और कम भीड़ वाला है. यह प्राकृतिक सुंदरता और झीलों के लिए जाना जाता है, जो इसे सुकून भरी छुट्टियों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है.
आप इस वीडियो में भीमताल के शांत और खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं:

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चल चले ए दिल करे चल कर किसी का इंतजार


झील के उस पार : भीम ताल : लघु फिल्म : डॉ.मधुप.
क्रमशः जारी
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स्तंभ संपादन : शक्ति शालिनी रेनू माधवी.
स्तंभ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा अनुभूति.


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ए. एंड एम. मीडिया अधिकृत 
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सम्पादकीय त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / ३ .
श्री लक्ष्मी नारायण : भगवान विष्णु को समर्पित.
एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर
मुक्ति नाथ : मुस्तांग : नेपाल : यात्रा संस्मरण.
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नेपाल : शोध शक्ति : यात्रा संस्मरण.
शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता रितु.
दार्जलिंग डेस्क.
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हम साथ साथ है : मीडिया टीम : २००७ में नेपाल की यात्रा : हम साथ साथ है की मीडिया टीम २००७ में नेपाल की यात्रा पर थी । हमने नेपाल स्थित काठमांडू,सारंगकोट, नागरकोट ,पोखरा आदि का भ्रमण किया था। मुक्ति नाथ के लिए उड़ाने भी देखी थी। समय अभाव की बजह से जा नहीं पाए थे।
२०२५ में जब हमारी शक्ति फोटो लघु फिल्म सम्पादिका रितु ने मुक्ति नाथ की यात्रा पूरी की तो निश्चित हुआ कि इस यात्रा वृतांत को शब्द दिया जाए। लिपिबद्ध किया जाए।
वर्ष २००७ की नेपाल की यात्रा में डॉ.सुनीता मधुप,डॉ.राशि, डॉ.रतनिका,व डॉ.रूप कला शामिल उस यात्रा में शामिल थी ही। तय हुआ कुछ लिखा जाए। फीचर डेस्क ने इसकी तैयारी शुरू कर दी।
तब हमने पशुपति नाथ, बागमती नदी हनुमान डोका,ललितपुर ,भक्तपुर , काठमांडू स्थित इस्कॉन टेम्पल भी देखा था। पोखरा की गहरी झील अभी भी याद है।
काठमांडू नेपाल में सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली जगह है और नेपाल की राजधानी भी। यह जगह प्राचीन मंदिरों, सुनहरे पैगोडा, प्राकृतिक सुंदरता और मनमोहक गाँवों से भरपूर है, जिन्हें आप नेपाल के अपने दर्शनीय स्थलों की सूची में शामिल कर सकते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर: शिव :मसाने और बागमती : नेपाल की राजधानी काठमांडू में बागमती नदी के किनारे स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू मंदिर है और दक्षिण एशिया के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है, जहाँ हिन्दू रीति-रिवाज और अंतिम संस्कार भी होते हैं।
कितनी अजीब बात है कि काशी की तरह यहाँ भी बाबा भोले नाथ बागमती नदी के किनारे मसाने के समीप ही बसते है। जनम जनम के फेरों से मुक्ति आप यहाँ अनवरत जलती चिताओं मैं देख सकते हैं। हमने भी देखी थी।
२०२५ : पुनः पहाड़ों की सैर : मुक्तिनाथ यात्रा : नेपाल के धौलागिरी और अन्नपूर्णा चोटियों के मध्य घाटियों में स्थित मुस्तांग जिले में स्थित,भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल होने के साथ साथ और एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल भी है,हाँ अवलोकितेश्वर बुद्ध की पूजा की जाती है।
यह तीर्थ ३८०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ लक्ष्मी नारायण के साथ बुद्ध की भी मूर्ति आप देख सकते हैं।
मुक्ति नाथ गांव से इसके प्रवेश द्वार से मंदिर तक पहुंचने में समय २० मिनट का लगता है। यहाँ से पैदल चढ़ते हुए संख्या में लगभग ३०० सीढियाँ चढ़नी पड़ती है।

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गतांक से आगे : २
नेपाल : शोध शक्ति : यात्रा संस्मरण.
शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता रितु.
दार्जलिंग डेस्क.
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मुक्तिनाथ:लक्ष्मी और सरस्वती कुंड में पवित्र स्न्नान
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मुक्तिनाथ:लक्ष्मी और सरस्वती कुंड में पवित्र स्न्नान करती शक्ति : शक्ति.डॉ.सुनीता भारती रितु 

यह तीर्थ ३८०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है शायद विश्व का सबसे ऊँचा श्री लक्ष्मी नारायण का मंदिर है।
१०८ जल की नल धाराओं ,२ पवित्र तालाब यथा लक्ष्मी व सरस्वती कुंड : और यहाँ १०८ जल कुंड तथा धुँए की धारा हैं,जहाँ श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। हिमालय से निसृत होती १०८जल कुंड धाराओं के ठंडे जल में स्नान करना एक खास आध्यात्मिक अनुभव है।
मुक्तिनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है मंदिर परिसर के पीछे १०८ जल की हिमालय निःसृत नल धाराएं, व २ पवित्र कुंड यथा लक्ष्मी व सरस्वती कुंड है। कहते है १०८ जल की नल धाराओं ,२ पवित्र तालाब यथा लक्ष्मी व सरस्वती कुंड में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पाप धुलते हैं। शक्ति ने कितने लोगों को पंक्ति बद्ध होते हुए इस जल धारा में स्न्नान करने के पश्चात लक्ष्मी व सरस्वती कुंड में डूबकी लगाते हुए देखा था।
सर्द पानी। बर्फानी हवा। पानी में प्रवेश करते ही लगे की शरीर जम जाए। लेकिन लक्ष्मी नारायण के हांथों से मुक्ति जो पानी है। और यहाँ हिमाचल के ज्वाला देवी की तरह जमीन से निकली प्राकृतिक गैस की ज्वाला भी है।
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साभार शॉर्ट रील : नेपाली भाषा : दार्जलिंग डेस्क
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मुक्तिनाथ मंदिर मा हवा चले सर....र.. र ..आ
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मुक्तिनाथ पहुँचने के सीमित रास्ते : पोखरा से मुक्तिनाथ पहुँचने के सीमित रास्ते हैं। मुख्य रास्ते हैं ट्रैकिंग,पैदल यात्रा, गाड़ी से जाना, हवाई जहाज़ या हेलीकॉप्टर से उड़ान भरना।
आप मुक्तिनाथ के लिए निजी जीप या सार्वजनिक बस ले सकते हैं या पोखरा से जोमसोम के लिए हवाई जहाज़ लेकर जीप या टैक्सी से मुक्तिनाथ पहुँच सकते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पोखरा से सुबह शाम चलने वाली बसों का किराया १५०० रुपया मात्र है।
फिर लगभग ३०० सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं तब ३८०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुक्ति नाथ आप पहुंचेंगे।


मुक्तिनाथ.नेपाल हरि दर्शन के लिए मुक्ति की खोज में हम.कोलाज. शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता रितु

क्या देखें : यात्रा का महत्व : मोक्ष का द्वार : मुक्तिनाथ का अर्थ ' मुक्ति का देवता ' है, और यहाँ आने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है, ऐसा माना जाता है।
हिंदू-बौद्ध संगम : यह हिंदुओं के १०८ दिव्य देशों में से एक है और बौद्धों के लिए भी पूजनीय है, जहाँ अवलोकितेश्वर ( बुद्ध ) की पूजा होती है।
गोमुख से निकलती पवित्र जल धाराएं व कुंड: मंदिर परिसर में १०८ गौमुख से हिमालय का जल निकलता है, जिसमें भक्त डुबकी लगाते हैं, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है।कहा जाता है कि १०८ जल की धारा में स्नान करने से मुक्ति मिलती है। इस जल धारा में स्नान करने के बाद मंदिर परिसर में बने कुंड में भी डूबकी लगाई जाती है।
यात्रा के मुख्य पड़ाव में कागबेनी : यह एक पवित्र गाँव है जहाँ भक्त अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं, जिससे उन्हें शांति और मुक्ति मिलती है।
ज्वाला माई : मंदिर के पास एक प्राकृतिक गैस से जलने वाली लौ ज्वाला भी है।

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गतांक से आगे : ३
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नेपाल : शोध : शक्ति : यात्रा संस्मरण.
शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता रितु.
दार्जलिंग डेस्क.
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गतांक से आगे : मुक्ति नाथ यात्रा
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मारफा : पत्थरों के घर
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लेकिन धड़कती हैं दिल में , पहाड़ी देव शक्ति की सभ्यता और संस्कृति


पत्थरों के घरों में दिल : धड़कती हैं  सभ्यता और संस्कृति :कोलाज : डॉ.सुनीता रितु अनुभूति 

मार्फा : गाँव : मुक्ति नाथ से ४० किलोमीटर पहले मारफा नेपाल के मस्तांग जिले का एक सुरम्य गाँव है। निचले मस्तंग क्षेत्र की काली गंडकी घाटी में २६५० मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह गाँव एक पर्यटन केंद्र है।इसकी सुंदर गलियों और भव्य बाग़बानी ने एक अनोखा माहौल बनाया है। यहाँ आप पारंपरिक संस्कृति और भावपूर्ण सौंदर्य को अनुभव कर सकते हैं।
यह प्राचीन गांव अन्नपूर्णा सर्किट ट्रेक का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां से हिमालय के मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं और नेपाल के पारंपरिक पहाड़ी जीवन की झलक मिलती है। मारफा अपने सफेदी किए हुए घरों, पत्थर की सड़कों और स्वादिष्ट सेब ब्रांडी के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
मारफा गांव के प्रमुख आकर्षण थाकाली संस्कृति संग्रहालय, पुराना मठ, सेब के बाग, काली गंडकी नदी, और स्थानीय बाज़ार आदि हैं जिन्हें पर्यटक घूम सकते हैं। पत्थर के बने मकान अत्यंत मनभावन दिखते हैं
कब जाएँ : यात्रा के लिए सितंबर - नवंबर और मार्च - जून का समय सबसे अच्छा है, और आप पोखरा से हवाई जहाज या जीप द्वारा जोमसोम पहुँचकर, फिर जीप और पैदल चलकर मंदिर तक पहुँच सकते हैं, जहाँ लगभग ३०० सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। ३८०० मीटर की ऊंचाई है। इसलिए सर्दी होगी जरूर जानें। गर्म कपड़े दास्तानें मफ़लर शॉल ,चश्में जरूर रखें।
कैसे पहुँचें : काठमांडू / पोखरा : यात्रा की शुरुआत नेपाल की राजधानी काठमांडू या खूबसूरत शहर पोखरा से होती है।
हवाई मार्ग जोमसोम : पोखरा से जोमसोम सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा के लिए छोटी उड़ान भरें या फिर जीप से जाएं।
सड़क मार्ग पहले दिन की यात्रा : पहले दिन की यात्रा पोखरा से शुरू होगी और कुसमा और बेनी होते हुए तातोपानी पहुँचेगी। यात्रा के बीच में, हम देवी की पूजा करने के लिए गैलेश्वर मंदिर में कुछ देर रुकेंगे। तातोपानी पहुँचने के बाद आप प्राकृतिक गर्म पानी के झरने का आनंद ले सकते हैं और आराम कर सकते हैं। पोखरा से बेनी तक लगभग तीन घंटे की ड्राइव है, लगभग पूरी सड़क पर। कभी-कभी, निर्माण प्रक्रिया आपको यह महसूस करा सकती है कि यह पूरी तरह से काली सड़क नहीं है।
दूसरे दिन की यात्रा : दूसरे दिन की यात्रा सुबह-सुबह शुरू होगी और दुनिया की सबसे गहरी खाई, लारजंग, तुकुचे, मारफा ,जोमसोम, कागबेनी और झारकोट गाँव से होते हुए रानीपौवा पहुँचेगी।
मुक्तिनाथ दर्शन के बाद, एक ही दिन में कागबेनी की खोज करते हुए पोखरा वापस लौटेगी।
जीप या कार से पवित्र मुक्तिनाथ की यात्रा करने पर आपको भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होगा, और यात्रा के अंत में यह पूरी तरह से सार्थक होगी।
बेनी से, तातोपानी, घासा, लेटे, कोबांग और मार्फा होते हुए जोमसोम तक लगभग पाँच घंटे की ड्राइव है। यह पूरी तरह से उबड़-खाबड़ सड़क है।
याने कुल मिला के आठ से नौ घंटे का रास्ता है।
जोमसोम से मुक्तिनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए जीप, पैदल या घोड़े / पालकी पहाड़ी चढ़ाई के लिए का उपयोग करें।
पोखरा से मुक्तिनाथ यात्रा एक आनंददायक यात्रा है जो नेपाल की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का संगम है।
यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में डूबने और हिमालय के दुर्गम प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने का एक अनूठा अवसर है। बस, कार ,जीप द्वारा मुक्तिनाथ तीर्थ यात्रा एक ऐसा अनुभव है जो आपको जीवन भर याद रहने वाली यादें देगा।
ध्यान रखने योग्य बातें : मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक का मौसम यात्रा के लिए सबसे अच्छा होता है, जब मौसम सुहावना और रास्ते साफ होते हैं।
ऊँचाई और ठंड के कारण, गर्म कपड़े, अच्छे जूते और दवाइयाँ साथ रखें।
यात्रा से पहले शारीरिक रूप से फिट रहें क्योंकि रास्ते चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
मंदिर के अंदर तस्वीरें लेना वर्जित है। यदि आप प्रेस से है,स्थापित ब्लॉगर है, लेखक हैं,फ़िल्म कार हैं तो मंदिर प्रबंधन से अनुमति लेकर फोटो खींच सकते हैं।
दूरी : पोखरा से मुक्तिनाथ लगभग १७५ किलोमीटर है.
पोखरा से कुशमा भाया बागलुंग ७० किलोमीटर,
बागलुंग से बेनी ३० किलोमीटर,
बेनी से तातोपानी ( गर्म पानी ) २२ किलोमीटर,
तातोपानी से लेते १६ किलोमीटर,
लेते से मारफा २० किलोमीटर,
मारफा से जोमसोन ( हवाईअड्डा ) ८ किलोमीटर ,
जोमसोन से मुक्तिनाथ २४ किलोमीटर है.
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स्तंभ संपादन : शक्ति शालिनी रेनू माधवी.
स्तंभ सज्जा : शक्ति मंजिता सीमा अनुभूति.
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साहिल : केशव ज्वेलर्स : चौक बाज़ार : बिहार शरीफ : नालंदा : समर्थित  
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५ . 
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शक्ति.सोनी जवा जया सोलंकी .
पदमावत डेस्क.जयपुर.
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कृष्ण जीवन की त्रिशक्तियाँ : रुक्मिणी सत्यभामा जामवंती : कृति : शक्ति प्रिया स्वाति रितु. अवध  
राधिका कृष्ण : मोहे पनघट पर श्याम छेड़ गयो रे : कलाकृति : चयन : शक्ति. जया आस्था सेजल.
राधिका कृष्ण : शाश्वत आध्यात्मिक प्रेम : कलाकृति : चयन : शक्ति आस्था स्वाति जया सोलंकी 

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शक्ति.नेहा.आर्य.अतुल.मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स.रांची रोड.बिहार शरीफ.समर्थित.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७ . 
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संपादन. 
शक्ति मीना सिमरन एंजेल. 
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नैनीताल डेस्क 
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राधा कृष्ण मंदिर : घोड़ाखाल : भवाली : फोटो : शक्ति. सिमरन सुधा प्रकाश आर्य. नैनीताल 
मेरे ही पास तुझे आना है तेरे ही पास मुझे जाना है : गंगोत्री आजकल : फोटो : आर्य. प्रमोद उनियाल 
घोड़ा खाल मंदिर : दिव्य राधा कृष्ण : नैनीताल : फोटो. शक्ति मीना सिमरन एंजेल 
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--------- राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ :८. --------- संपादन त्रिशक्ति  शक्ति रितु रश्मि सोनी.  विदर्भ डेस्क
राधिका कृष्ण : नृत्य की कलात्मक प्रस्तुति * -------- मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : आभार : पृष्ठ :९. ---------- राधा कृष्ण मंदिर डेस्क नैनीताल. * संपादन शक्ति शालिनी रेनु अनुभूति संयुक्त महाशक्ति सम्पादिका. * महाशक्ति मीडिया के सहयोगी राम कृष्ण.स्वतंत्र छायाकार.मुंबई. अनुपम चौहान.संपादक.समर सलिल.लखनऊ. *
को उनके जन्मदिवस १२ दिसंबर के उपलक्ष्य पर *
* हम सभी देव शक्ति मीडिया परिवार की तरफ़ से अनंत शिव शक्ति मंगल कामनायें *
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  1. Like other series,this page also begins with a nice look,and an impressive start...

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  2. The blog page related to Lord Krishna and RadhaRani reflects the 'nishchhal prem aur bhakti ' for each other.They are emblem of selfless love and affection. Here they unfold the inner feeling of the real situation of the lives of Lord Krishna and RadhaRani full of mental agony and perpetual love for each other.Mr Madhup Raman 's collection is praiseworthy and attract silent clapping indeed!

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