Radhika Krishna Rukmini Darshan.5.
©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Cover Page.0.
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Radhika Krishna Rukmini Darshan.
Volume : 1 Series : 5.
a Social Media.Web Blog Magazine Philosophical Page.
Address.
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https://drmadhuptravel.blogspot.com/2025/10/radhika-krishna-rukmini-darshan5.html
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Cover Page : Trishakti.
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संपादन सज्जा : मुक्तेश्वर : नैनीताल.
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![]() |
| * शक्ति नेहा :शाखा प्रबंधक : बैंक ऑफ़ इंडिया : रिश्तों की जमापूंजी समर्थित. |
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विषय सूची : पृष्ठ :०.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन.पृष्ठ :०.
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राधिकाकृष्ण : दर्शन : पृष्ठ : ० / १ .
कृष्णरुक्मिणी. दर्शन : आज : पृष्ठ :० / २ .
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त्रि शक्ति : विचार धारा : पृष्ठ : १.
राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / १.
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / २.
मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय शक्ति. समूह. नवशक्ति. विचार धारा : अंततः : पृष्ठ :२ / १.
सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.
सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ : २ / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कोलाज दीर्घा : पृष्ठ : ४.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५.
दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८.
मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : आभार : पृष्ठ : ९.
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महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
विषय सूची.
प्रकाश पर्व : देव दीपवाली, की मंगल अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.

| फोर स्क्वायर होटल:आर्य यशवंत:रांची :समर्थित : दैनिक अनुभाग : मार्स मिडिया ऐड: नई दिल्ली.
* दैनिक अनुभाग. |
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सुबह सवेरे:शाम. पृष्ठ :०..
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते.
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त्रि शक्ति : दर्शन : विचार धारा.
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', ' और सम्यक ' कर्म '
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दैनिक अनुभाग.आज.
विक्रम संवत : २०८२ शक संवत :१९४७.
०२ .११ .२५.
दिन.रविवार.
महा शक्ति. महालक्ष्मी दिवस.मूलांक:२.
मास : कार्तिक : तिथि : शुक्ल पक्ष : द्वादशी.
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आत्म दीपो भवः
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दिव्य अनंत शिव शक्ति.
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दैनिक अनुभाग.आज.
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राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी दर्शन.
त्रि - शक्ति.
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हरे कृष्णा गोविन्दाय नमः
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राधिकाकृष्ण : दर्शन ड्योढ़ी : आज : पृष्ठ :० / १ .
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राधिका डेस्क
मुक्तेश्वर नैनीताल.
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६.
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
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दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ : ० / १ .
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राधिका डेस्क.
राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर.नैनीताल.
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सज्जा : संपादन.
शक्ति* प्रिया.मधुप डॉ.सुनीता .
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राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : आज : पृष्ठ : ० / १.
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ये जीवन है इस जीवन का
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राधिका डेस्क.
राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर.नैनीताल.
*
संपादन.
शक्ति*प्रिया.डॉ.सुनीता मधुप.
*
अभी तो जी लें
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व्यक्ति और समाज में सर्व प्रथम श्रेष्ठ व्यक्ति,व दिव्य शक्तियों को ही प्राथमिकता देना
यदि अवरोध है तो ऋषि विश्वामित्र की तरह सम्यक जन दिव्य शक्तियों के सहयोग से एक नव सम्यक समाज को निर्मित कर लो ....तुमसे समाज निर्मित हो
तुम समाज से नहीं
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ईश्वर : साँस और आस
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फोटो सन्दर्भ : कृष्ण : शक्ति : भक्ति जो निःशुल्क है वही सबसे ज़्यादा क़ीमती है,
नींद, शांति, आनंद, हवा, पानी आस और सबसे ज़्यादा
हमारी साँस..
इसलिए श्री हरि से आस और प्रीत बनाये रखें
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भोले भाव मिले रघुराई
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सरल , भोले नादान इंसान ही ' ईश्वर ' के समीप रहकर
सदैव ' जिंदगी ' का 'आनंद ' लेते हैं ...,
अन्यथा ज्यादा ' ज्ञानी ' तो हमेशा जीवन के
गणित ' ' हल ' तथा उसके ' रहस्य ' सुलझाने में ही उलझे हुए रहते हैं ..
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टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
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प्रकाश पर्व, भैया दूज, चित्रगुप्त ,छठ पूजा की मंगल अनंत शिवशक्ति शुभकामनाओं के साथ.
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| * ममता हॉस्पिटल बिहार शरीफ:शक्ति.डॉ.ममता.आर्य. डॉ.सुनील कुमार : समर्थित * राधिकाकृष्ण : दर्शन आज : पृष्ठ : १. |
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राधिकाकृष्ण : दर्शन : ड्योढ़ी आज : पृष्ठ : १ / १ .
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राधिकाकृष्ण
वरसाने.वृन्दावन.डेस्क.
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६.
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
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हे री मैं तो प्रेम दिवानी,मेरा दरद न जाने कोय
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मेरी भव बाधा हरौ ' राधा ' नागरि सोय.
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रूक्मिणीकृष्ण : दर्शन ड्योढ़ी : आज : पृष्ठ : ० / २
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रुक्मिणी डेस्क
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७८..
संस्थापना वर्ष : १९८७.महीना :अगस्त : दिवस :६ .
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तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
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रूक्मिणीकृष्ण : जीवन दर्शन :
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दूसरों की जय से पहले
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आज के युग का ' विजेता ' वही होगा
जिसने ' सहन ', ' समझ ' और ' वाक्य ' शक्ति पर विजय पाई होगी
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय : त्रि शक्ति : पृष्ठ : २.
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प्रधान संयुक्त सम्पादिका
शक्ति.प्रिया शालिनी रेनू बीना जोशी.
नैना देवी.नैनीताल डेस्क.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी
प्रकाश पर्व : देव दीपवाली, की मंगल अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.
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| शक्ति.डॉ. रत्नशिला आर्य डॉ.ब्रज भूषण सिन्हा. शिव लोक हॉस्पिटल बिहार शरीफ नालन्दा : समर्थित. |
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सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.
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देवउठनी और तुलसी विवाह : त्रि शक्ति आलेख : पृष्ठ : २ / २ /०
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संपादन
शक्ति रीता क्षमा प्रीति
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देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह : शक्ति आलेख : ४ /१
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मैं तुलसी तेरे आँगन की : शक्ति : आलेख : २ / २/१.
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शक्ति.प्रिया मधुप डॉ.सुनीता.
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देवउठनी एकादशी द्वादशी और तुलसी विवाह : कल देव उठनी एकादशी थी। आज द्वादशी है। एकादशी को श्री हरि अपनी चिर निद्रा से उठे थे । देवउठनी वस्तुतः भगवान विष्णु जी का योग निद्रा से उठना है। और आज कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी है। भगवान शालिग्राम ( श्री हरि ) का विवाह है। उनका और सती पतिव्रता तुलसी के आध्यात्मिक प्रेम विवाह का पवित्र दिवस भी है। कहते हैं न हरि अनंत हरि कथा अनंता।
सच में है भी।
हम तुलसी से भली भांति परिचित हैं। हर सनातनी के घर में है। हमने इसे घर घर में देखा हैं। हमारे घरों में तुलसी पाई जाती है। समस्त भारत में बहुत ही पूज्य है। इसमें चिकित्सीय व औषिधीय गुण समाहित है। हम तुलसी के काढ़े का खूब प्रयोग करते है। इसके संरक्षण के पीछे भी एक रोचक कथा है। आईये समझते है।
कहानी पुरानी : भगवान विष्णु के छल की : जालंधर नामक राक्षस देवताओं के लिए एक बड़ा खतरा था और उसकी पत्नी वृंदा के सतीत्व के कारण उसे कोई नहीं हरा पा रहा था। देवताओं की प्रार्थना पर, विष्णु ने जालंधर के रूप में एकनिष्ठ पतिव्रता वृंदा के पास जाकर छल से उसका तप भंग किया, जिससे जालंधर की शक्ति समाप्त हो गई। तब देवताओं द्वारा जालंधर का वध हो पाया था।
भगवान विष्णु और देवी तुलसी का विवाह : भगवान विष्णु ने वृंदा ( तुलसी ) के त्याग और सच्चे प्रेम का सम्मान करते हुए उन्हें वरदान दिया कि वे तुलसी के रूप में सदैव पूजी जाएंगी और बिना तुलसी के उनकी व किसी की भी कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होगी।
कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी और शालिग्राम का यह विवाह होता है, जिसे देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है. तुलसी विवाह : शालिग्राम ( भगवान विष्णु ) का विवाह तुलसी के साथ भी किया जाता है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थीं और उन्होंने अपने पति,असुर जलंधर की वजह से उन पर श्राप दिया था। भगवान विष्णु को शापित करने के बाद वह स्वयं सती हो गयी थी।
कहानी पुरानी : वृंदा : असुर जालंधर : और छल : भगवान विष्णु की : विष्णु ने छल से वृंदा के पति जालंधर का रूप धारण किया, जिससे वृंदा की तप और एकनिष्ठता नष्ट हो गयी थी । इस कृत्य से क्रोधित होकर, वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और प्रभु श्री हरि शालिग्राम बन गए। वृंदा ने भगवान विष्णु को छल करने और पतिव्रता धर्म को भंग करने के कारण यह श्राप दिया था।
तपस्या भंग : वृंदा की प्रतिक्रिया : एक श्राप : जब वृंदा को पता चला कि उसके सतीत्व के साथ छल हुआ है और उसके पति का वध हो गया है, तो वह क्रोधित हो गई। उसने भगवान विष्णु को भी स्त्री-वियोग सहने और पत्थर बनने का श्राप दिया। और स्वयं गहरे दुख और वेदना से व्याकुल होकर अपने प्राण त्याग दिया। उनके तप, भक्ति और पतिव्रता की शक्ति से धरती पर एक दिव्य पौधा उत्पन्न हुआ। वही पवित्र तुलसी के रूप में जाना गया।
यही कारण है कि त्रेता युग में विष्णु अवतरित राम को वृंदा के श्राप के कारण ही अपनी सीता के वियोग का सामना करना पड़ा था । ज्ञात हो कि सती वृंदा ने क्रोध और दुख में भगवान विष्णु को श्राप दिया था कि वे पत्थर के हो जाएं और पत्नी-वियोग सहें।
पत्थर बनने के बाद : परिणाम : वृंदा का श्राप स्वीकार करते हुए, भगवान विष्णु शालिग्राम पत्थर बन गए। वृंदा ने भी आत्मदाह कर लिया, देवताओं की प्रार्थना पर,वृंदा ने अपना श्राप वापस ले लिया और राख से एक पौधा निकला, जिसे तुलसी नाम दिया।
शालिग्राम और तुलसी का विवाह : भगवान विष्णु ने वृंदा से वादा किया कि वे अगले जन्म में उससे विवाह करेंगे। इस प्रकार, वृंदा तुलसी के रूप में और विष्णु शालिग्राम के रूप में पूजे जाने लगे, और उनका विवाह तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है।
भगवान विष्णु ने बाद में वृंदा को तुलसी के रूप में रहने का वरदान दिया और कहा कि उनकी पूजा तुलसी के बिना अधूरी होगी। तभी से तुलसी और शालिग्राम के विवाह ( तुलसी विवाह ) की परंपरा शुरू हुई।
आखिर कौन है ये शालिग्राम ? शालिग्राम भगवान विष्णु का एक निराकार और विग्रह रूप है, जो नेपाल की काली गंडकी नदी से प्राप्त एक पवित्र पत्थर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भगवान विष्णु का ही एक रूप है, जिन्हें तुलसी के श्राप के कारण हृदयहीन शिला का रूप धारण करना पड़ा था।
उत्पत्ति और नाम : शालिग्राम को नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है, और जिस स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर है, उसी के नाम पर इसका नाम ' शालिग्राम ' पड़ा।
भगवान विष्णु का रूप : इन्हें भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे शिवलिंग को भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है।
पवित्रता : माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है, वहां वास्तु दोष नहीं होता, और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
उत्पत्ति और नाम : शालिग्राम को नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है, और जिस स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर है, उसी के नाम पर इसका नाम ' शालिग्राम ' पड़ा।
भगवान विष्णु का रूप : इन्हें भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे शिवलिंग को भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है।
पवित्रता : माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है, वहां वास्तु दोष नहीं होता, और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
विविध रूप : शालिग्राम के कई प्रकार होते हैं लगभग ३३ प्रकार, जो उनके आकार, रंग और चिन्हों के आधार पर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबंधित होते हैं।
पूजा : शालिग्राम की पूजा के कई लाभ बताए गए हैं, जैसे कि रोग और संताप का नाश होना और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना।
देवउठनी एकादशी व्रत : ज्योतिष में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को खास मौका माना गया है. इस दिन व्रत रखने और तुलसी विवाह से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
पूजा : शालिग्राम की पूजा के कई लाभ बताए गए हैं, जैसे कि रोग और संताप का नाश होना और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना।
देवउठनी एकादशी व्रत : ज्योतिष में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को खास मौका माना गया है. इस दिन व्रत रखने और तुलसी विवाह से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
हालांकि, इस बार एकादशी और तुलसी पूजन के समय और तारीख को लेकर संशय की स्थिति है.
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का विशेष महत्त्व है.
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का विशेष महत्त्व है.
इस दिन सभी व्रत रखते हैं और तुलसी विवाह करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. जीवन में हर समस्या दूर होती है.हालांकि, इस बार एकादशी और तुलसी पूजन के समय और तारीख को लेकर संशय की स्थिति है.बहुत से लोगों के मन में शंका है कि एकादशी और तुलसी विवाह कब होता है. हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी श्री हरि विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. इसी दिन गौधुली बेला में तुलसी का विवाह होता है, जो शालिग्राम से होता है.
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संपादन : शक्ति.शालिनी प्रिया माधवी.
स्तंभ सज्जा :शक्ति. मंजिता सीमा अनुभूति
दार्जलिंग / शिमला डेस्क.
केदार दर्शन. नैनीताल प्रस्तुति.
दिन विशेष : आज का पंचांग राशि फल : कृण्वन्तो विश्वमार्यम. : पृष्ठ : ६.
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संपादन.
शक्ति.अंजू मीना दया जोशी.
मुक्तेश्वर नैनीताल.
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लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८.
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संपादन
शक्ति. माधवी स्मिता रितु
शालिग्राम ( श्री हरि ) वृंदा ( तुलसी ) की आध्यात्मिक शादी
पवित्र विवाह की अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें
*
अनंत, शिव शक्ति शुभकामनाएं
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English Section
Contents.
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English Editorial Section : Cover Contents Page 1
Shakti Editorial. English Page : 2
Shakti Editorial. Prose : English Page : 3
Shakti Editorial. P0em : English Page : 4
Shakti Vibes : .Page : 5
Radhika : Krishna : Rukmini : Photo Gallery.Page : 6
Visuals News : News : Editorial Page : 7
Shakti Art Gallery : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 8.
You Said it : Page : 9
*
English Editorial Section : Cover Contents Page 1
Shakti Editorial. English Page : 2
Shakti Editorial. Prose : English Page : 3
Shakti Editorial. P0em : English Page : 4
Shakti Vibes : .Page : 5
Radhika : Krishna : Rukmini : Photo Gallery.Page : 6
Visuals News : News : Editorial Page : 7
Shakti Art Gallery : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 8.
You Said it : Page : 9
*
Contents.
*
Shakti.Pooja. Arya.Dr.Rajeev Ranjan. Child Specialist.Biharsharif. Supporting
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Shakti Editorial.English Page : 2
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Executive Editor.
Dehradun Desk.
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Shakti Vibes : Today : English Page : 3
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Editor.
Shakti Priya Seema Tanu Sarvadhikari.
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Success
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