Ganpati Bappa Moriya
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Ganpati Bappa Moriya.
27 August.
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A Live / Archive Blog Magazine Page.
गणपति बप्पा मोरिया
Volume 1.Series 1.
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संस्कृति सभ्यता पर्यटन विशेषांक.३.
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.आवरण पृष्ठ :०.
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डॉ सुनीता मधुप शक्ति प्रिया
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विषय सूची.
फोर स्क्वायर होटल : रांची : समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.
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अनंत शिव शक्ति विचार धारा
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समय , साथ, संयम ,और शिव शक्ति
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सब छुट जाए लेकिन
समय के साथ ' संयम ' , ' साहस ' , ' संकल्प ' और समयक वाणी कभी न छुटने पाए शक्ति !
देख लेना..... इस अनंत ' शक्ति ' के जीवन में ' शिव ' ही शिव होंगे
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शक्ति नैना @ डॉ सुनीता सीमा प्रिया
.आवरण पृष्ठ :०.
शक्ति विचार धारा : पृष्ठ : ०
सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
: गणपति बप्पा मोरिया फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ५
आपने कहा : पृष्ठ : ६
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सम्पादकीय : पृष्ठ : २.
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संपादकीय शक्ति समूह.
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प्रधान शक्ति संपादिका. --------
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शक्ति. कार्यकारी सम्पादिका.
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सम्पादकीय : शक्ति गद्य आलेख : तारे जमीन पर : पृष्ठ : ३
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शक्ति विघ्नहर्ता हमारे सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
वक्रतुण्ड मंत्र के शब्दों का अर्थ : वक्रतुण्ड जिनकी सूंड घुमावदार है। महाकाय विशाल शरीर वाले। सूर्यकोटि समप्रभ : करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी और प्रतिभाशाली। निर्विघ्नं कुरु मे देव : हे देव प्रभु ! मेरे सभी कार्यों को बिना बाधा के पूरा करें। सर्वकार्येषु सर्वदा : हमेशा मेरे सभी कार्यों में।
पूरे मंत्र का भाव :यह मंत्र भगवान गणेश से विनती करता है कि वे अपनी विघ्नहर्ता शक्ति से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें और हर कार्य में सफलता प्रदान करें।
पूरे मंत्र का भाव :यह मंत्र भगवान गणेश से विनती करता है कि वे अपनी विघ्नहर्ता शक्ति से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करें और हर कार्य में सफलता प्रदान करें।
किसी भी पूजा में विधान से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म रीती रिवाजों में किसी शुभ कार्य करने से पहले श्री गणेशाय नमः कहा जाता है। अपने मूषक की सवारी से ही अपने माता पिता पार्वती शिव की परिक्रमा कर विवेकशील बुद्धि शुद्धि के देवता गणपति ने अपने भाई कार्तिक को मूक कर दिया था। संस्कार यह भी रख दिया कि माता पिता का स्थान देव तुल्य है व सर्वोच्च है।
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गणेशोत्सव की ऐतिहासकिता : महाराष्ट्र केसरी तिलक का प्रयास
शुरुआत के पीछे के मुख्य कारण : सार्वजनिक एकीकरण का उद्देश्य:
शुरुआत के पीछे के मुख्य कारण : सार्वजनिक एकीकरण का उद्देश्य:
ब्रिटिश कालीन दासता : हम आजाद नहीं थे। १८९० के दशक में, ब्रिटिश अधिकारियों ने भारतीयों को बड़े पैमाने पर इकट्ठा होने से रोक दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि लोग उनके खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं. तिलक ने सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत करके इस नियम का सहारा लिया, क्योंकि धार्मिक आयोजनों पर सख्त प्रतिबंध नहीं थे.
१९०४ - १९०५ का बंग भंग याद करें। हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश के निमित्त बंगाल को तोड़ने की कोशिश की गयी। वो हमें एकीकृत नहीं देखना चाहते थे।
राष्ट्रवाद की भावना जगाना : गणेशोत्सव के मंचों से देशभक्ति के भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, जिससे लोगों के दिल में देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना पैदा होती थी.
राष्ट्रवाद की भावना जगाना : गणेशोत्सव के मंचों से देशभक्ति के भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे, जिससे लोगों के दिल में देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना पैदा होती थी.
जातिगत बाधाओं को तोड़ना : तिलक ने इस उत्सव का उपयोग ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच की खाई को पाटने और एक एकजुट हिंदू पहचान को बढ़ावा देने के लिए किया.
सामुदायिक एकता को बढ़ावा : तिलक का उद्देश्य गणेशोत्सव को एक सामुदायिक त्योहार के रूप में स्थापित करना था, जहाँ अलग- अलग पृष्ठभूमि के लोग एक साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ अपनी भारतीयता का दावा कर सकें.
जन-आंदोलन का एक मंच : तिलक ने गणेशोत्सव को एक जन आंदोलन में बदलकर स्वशासन और आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट किया.
इस प्रकार, तिलक ने गणेशोत्सव को एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक कदम के रूप में इस्तेमाल किया, जो आज भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका के लिए जाना जाता है.
जन-आंदोलन का एक मंच : तिलक ने गणेशोत्सव को एक जन आंदोलन में बदलकर स्वशासन और आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को एकजुट किया.
इस प्रकार, तिलक ने गणेशोत्सव को एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक कदम के रूप में इस्तेमाल किया, जो आज भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका के लिए जाना जाता है.
कभी महाराष्ट्र केसरी तिलक के जरिए भारतीय सभ्यता संस्कृति की एकीकृत उद्देश्य के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की शुरुआत की थी। जो धीरे धीरे समस्त भारत में होने लगी।
इस साल गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत २७ अगस्त से हो रही है, जिसका समापन ६ सितंबर को होगा. गणपति बप्पा को समर्पित यह पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जो पूरे १० दिनों तक चलता है.
विघ्नहर्ता, बुद्धि शुद्धि के देवता गणपति श्री गणेश को सादर नमन। हम सभी की ओर से गणेश चतुर्थी की अनंत हार्दिक शिव बधाईयां एवं शुभकामनाएं। श्री गणेश हम सभी समस्त जनों का क्लेश विघ्न का नाश करें,यही हमारी मनोकामना है ।
गणपति के मुकुट : और पर्यावरण का संरक्षण : चारों ओर हरियाली ही हरियाली हो, इस बात को प्रमाणित करती है हमारे विघ्नहर्ता भगवान गणेश की उपरोक्त तस्वीर। गणपति के मुकुट और आभुषणों में जड़े रत्न इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हरियाली ही हमारे जीवित रहने का आधार है। हरियाली तभी आएगी , जब धरती पर हरे पेड़ पौधे होंगे। हम सभी जानते हैं कि हरे पेड़ पौधों के बिना हम जीवित रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं । आज सभी व्यक्तियों की जुबान पर पर्यावरण संरक्षण की बात है । ऐसा क्या हो गया है कि हम पर्यावरण को संरक्षित करने की रट लगाए हुए हैं। हम सभी जान रहे हैं कि आज पूरा विश्व पर्यावरण संकट की दंश झेल रहा है । हमारा अस्तित्व खतरे में है । पर्यावरण संकट की स्थिति उत्पन्न करने के लिए हम मानव ही जिम्मेवार हैं ।अब दोषारोपण करने का वक्त नहीं है । इसलिए यह सबों की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम पूरी निष्ठा और लगन से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना बहुमूल्य योगदान दें ।
मिशन विकसित भारत २०४७ अभियान को यदि साकार करना है , तब हमें अपने प्रिय देश भारत को हरा - भरा बनाना ही होगा । " पर्यावरण ही जीवन है "
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आलेख : शक्ति डॉ सुनीता मधुप
सह लेखन : शक्ति पल्लवी मुकेश
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सम्पादकीय : शक्ति पद्य आलेख : आकाश दीप : पृष्ठ : ४
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संपादन.
शक्ति.क्षमा रीता प्रीति.
पुणे
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फोटो दीर्घा : गणपति बप्पा मोरिया पृष्ठ : ५
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संपादन
शक्ति स्मिता वनिता प्रीति सहाय
अत्यंत प्रेरणादायक एवं सर्वहितकारी प्रसंग
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