Radhika Krishna Rukmini Darshan.4.

 ©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
Cover Page.0.
 
Radhika Krishna Rukmini Darshan. 
Volume : 1 Series : 4.
a Social Media.Web Blog Magazine Page. 
Address.
https://drmadhuptravel.blogspot.com/2025/08/radhika-krishna-rukmini-darshan-3.html
Cover Page.0.
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आवरण पृष्ठ :०. 
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राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी दर्शन 


कोलाज : त्रिशक्ति : इस्कॉन : मुंबई.

गुरु द्रोण : शिष्य अर्जुन की श्रेष्ठ परंपरा के लिए :अभिषेक शाखा प्रबंधक.आई डी वी आई बिहारशरीफ 


 दीपावली भाई दूज चित्रगुप्त पूजा : शक्ति षष्ठी आदित्य देव की अनंत शिव शक्ति कामनाओं के साथ  

*
कृष्ण : कर्म : कृण्वन्तो विश्वमार्यम.

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
*

*
शालिनी साहित्य सृजन मीडिया समूह.शक्ति शालिनी.आर्य संदीप. उत्तर प्रदेश 
समर सलिल मीडिया समूह.लखनऊ. शक्ति नीरजा चौहान. आर्य अनुपम चौहान उत्तर प्रदेश. 
टूलिप टूडे मीडिया समूह. राजस्थान.शक्ति रेनू शब्द मुखर. जयपुर. 
नवीन समाचार. नैनीताल.शक्ति बीना जोशी आर्य डॉ नवीन जोशी 
*
शक्ति प्रदत 
*
दैनिक / पत्रिका / अनुभाग..
ब्लॉग मैगज़ीन पेज. 
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 प्रकाश पर्व : दीपवाली, भैया दूज , चित्रगुप्त पूजा  की मंगल अनंत  शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ. 
*

वायरलेस प्राइवेट लिमिटेड : मार्केट रिसर्च : मुंबई : शक्ति. ज्योति.आर्य नरेंद्र.समर्थित. 
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   दैनिक अनुभाग.   
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       सुबह सवेरे:शाम. पृष्ठ :०..
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी सदा सहायते. 
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त्रि शक्ति : दर्शन : विचार धारा.  
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', ' और सम्यक ' कर्म ' 
*
 दैनिक अनुभाग.आज.
विक्रम संवत : २०८२ शक संवत :१९४७.
३१ .१०.२५. 
दिन.शुक्रवार. 
महा शक्ति.महालक्ष्मी दिवस.मूलांक:४     .     
कार्तिक : शुक्ल पक्ष : दशमी.  
*
आत्म दीपो भवः   


*

दिव्य अनंत शिव शक्ति.

 दैनिक अनुभाग.आज. 
राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी दर्शन. 
त्रि - शक्ति.
विषय सूची.
*
प्रकाश पर्व : दीपवाली, भैया दूज , चित्रगुप्त पूजा  की मंगल अनंत  शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ. 

फोर स्क्वायर होटल : आर्य यशवंत : रांची :समर्थित : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.

विषय सूची : पृष्ठ :०.
*
संपादन
शक्ति प्रिया शालिनी सीमा प्रीति सहाय
पुणे डेस्क.महाराष्ट्र.
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श्री हरि : नाभि : कमल : ब्रह्मा : काया : कायस्थ 
*

*
कलम आज उनकी जय बोल.
जो न्याय : समय : शब्द : संस्कार के पुजारी हैं 

*
 

शक्ति षष्टी आदित्य देव पूजन : जी आई एफ 

*
हम सभी देव शक्ति मीडिया परिवार की तरफ से 
दीपावली : गोवर्धन पूजा : भाई दूज : चित्रगुप्त पूजा : शक्ति षष्टी आदित्य देव पूजन 
की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें 

*

श्री हरि : गोवर्धन धारी 
गोवर्धन पूजा की अनंत शिव शक्ति शुभ कामनाएं 
: सज्जा : जी आई एफ 
*
*
उठा कर ' गोवर्धन पर्वत ' ब्रज को लिए बचाय 
जिसकी रक्षा करें ' सावरें ' उसको कौन डुबाय  
*
विषय सूची : पृष्ठ :०.

राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन. पृष्ठ :०.
*
राधिकाकृष्ण : दर्शन : पृष्ठ : ० / १ .
कृष्णरुक्मिणी. दर्शन : आज : पृष्ठ :० / २ .

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त्रि शक्ति : विचार धारा : पृष्ठ : १. 
 राधिकाकृष्ण जीवन दर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / १.
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / २.
मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / ३.
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २. 
सम्पादकीय शक्ति. समूह. नवशक्ति. विचार धारा : अंततः : पृष्ठ :२ / १.
सम्पादकीय त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.  
सम्पादकीय त्रि शक्ति  जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ :  / ३.
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कोलाज दीर्घा : पृष्ठ : ४. 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५.
दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७. 
राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८.
मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : आभार : पृष्ठ : ९.
*
महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
विषय सूची.

*
English Section
Contents.
*
English Editorial Section : Cover Contents Page 1
Shakti Editorial. English Page : 2
Shakti Editorial. Prose : English Page : 3
Shakti Editorial. P0em : English Page : 4
Shakti Vibes : .Page : 5
Radhika : Krishna : Rukmini  : Photo Gallery.Page : 6
Visuals News : News : Editorial Page : 7
Shakti Art  Gallery  : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 8.
You Said it : Page : 9
*
Times Media Advertising Shakti  Powered 
Contents.
*

*
शक्ति. डॉ.रश्मि.आर्य. डॉ.अमरदीप नारायण. नालन्दा हड्डी एवं रीढ़ सेंटर.बिहार शरीफ.समर्थित.  
*
महाशक्ति मीडिया.प्रस्तुति. 
*
मुन्ना लाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स समर्थित
*
नए अंदाज के साथ ,नए युग की नई शुरुआत
आ रहे इस धनतेरस दिवाली की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ.


*
दीपावली : गोवर्धन पूजा : भाई दूज : चित्रगुप्त पूजा : शक्ति षष्टी आदित्य देव पूजन 
की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें 
*

*
त्रि शक्ति.दर्शन डयोढ़ी. पृष्ठ : ० / ०  
*
राधिका कृष्ण रुक्मिणी दर्शन
द्वारिका डेस्क.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०..
संस्थापना वर्ष : १९७६.महीना : अक्टूबर : दिवस :३.
*

राधिका कृष्ण रुक्मिणी. 
फोटो : साभार.
*
प्यार : व्यवहार : संस्कार. 

*
 प्रकाश पर्व : दीपावली : छठ पूजा की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ . 
*

शक्ति. अंजलि. आर्य. सुभाष. : वृन्दावन पी जी : मुंबई. समर्थित. 

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राधिका कृष्ण : लक्ष्मीस्वरूपायै रुकमिणी : जीवन दर्शन : पृष्ठ ० / ० .
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*
त्रिशक्ति : पंक्ति
*

सन्दर्भ : साभार : फोटो : शक्ति राधिका : नैनीताल. 
*
जीवन : कर्म ,कर्तव्य ,त्याग और तपस्या
*
जीवन अधिकार ही नहीं प्रथमतः कर्म ,कर्तव्य ,त्याग और तपस्या हैं
कुछ भी पाने के लिए ऋषि मुनियों और दिव्य शक्तियों ने बरसों तक़
तीव्र साधनायें व तपस्याएं की हैं, यह सदैव स्मरण रहें प्रिय !
*
©️®️शक्ति * प्रिया डॉ सुनीता सीमा
*
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥


संगति
*
अपने स्वयं के जीवन में आत्म उन्नयन की तात्कालिक सार्थक प्रभावी क्रिया
बुरे के साथ रहते हुए भी नहीं रहना
साधु दिव्य शक्ति के साथ न रहते हुए भी उनके साथ रहना
*
शक्ति प्रिया डॉ सुनीता मधुप
*
दृष्टिकोण
*
आँख धोखा है क्या भरोसा हैं ,सुनो
*
दोस्तों ! शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने मत दो
*
हरि अनंत ' हरि ' कथा अनंता
*
टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
आज का त्रिशक्ति विचार : साभार 

राम की ' मर्यादा ' ' श्री कृष्ण ' का व्यवहार वाद

*
राम की ' मर्यादा '.... दिए गए ' वचन '
और श्री कृष्ण की सदा सहायते...कर्म वाद और व्यवहार वाद
के मध्य ही उलझ कर रह गया हूँ श्री हरि
अब श्री लक्ष्मी नारायण ही मार्ग बतलाए...

*
तन ' मन ' धन सब है तेरा
बिन तेरे क्या है मेरा
*
जो मन को छुआ करते है
वही अपने हुआ करते है
*
स्व ' ' रूप ' : नमक : आवश्यकता
*
स्व ' ' रूप ' का नमक जैसा बनाइए,
कोई न ' ज्यादा ' इस्तेमाल कर सके,
और कोई आपके ' बिना ' रह भी सके
*
सम्यक साथ और समर्पण
*
किसी के लिए ' समर्पण ' करना मुश्किल नहीं है मुश्किल है उस सम्यक ' व्यक्ति ' को ढूंढना जो आप के ' समर्पण ' की कद्र करे

*
भावनाएं : हरि
*
भावनाओं का कहाँ द्वार होता है 
जहाँ हरि मिले वही हरिद्वार होता है 

*
समय की धारा में उमर बह जानी हैं 
*
समय तू धीरे धीरे चल 
सारी दुनियाँ छोड़ के तू आगे जा निकल 
समय तू धीरे धीरे चल 
*
दुःख है : दुःख का कारण भी है 
*
जीवन के ' सार ' को वही समझ सकते है , प्रिय !  
जिन्होंने अपने ' अंतर्मन ' में झाँका हैं 
जिन्होंने ' अनुभूत ' किया है अपने दिल से जानिए ' पराए ' दिल का हाल 
*
दृष्टि कोण 
*
ध्यान से देखें किंचित आपको ' अच्छाई ' में  ' बुराई ' 
तथा ' बुराई ' में  ' अच्छाई ' मिल ही जाएगी 

*
 ©️®️ शक्ति. प्रिया डॉ सुनीता मधुप. 

राधिका : कृष्ण : कृति : मुंबई इस्कॉन 
*
प्रेम : तृष्णा :  त्याग : कृष्णा. 
*
वास्तविक ' प्रेम ' के लिए ' त्याग ' का अपने ' जीवन ' में ' अभ्यास ' कर लें 
' मोह ' व ' तृष्णा ' स्वतः समाप्त हो जाएगी 
*
सर्वप्रथम अपने साथ को सम्यक बनाओ 
सोच से सकारात्मक बनो 
अपने भीतर से ' ना ' और दुर्जनों से दूरी रखो  
सम्यक कर्म करों...देखना तुम भी हृदय में बसने लगोगे 

*
राधिका कृष्ण रुक्मिणी दृश्यम : पृष्ठ : ० / ० 
*
पटना : इस्कॉन मंदिर : राधिका रमण : दृश्यम : पृष्ठ :० / ० .


हरे कृष्णा गोविन्दाय नमः : साभार : रोहित. 

महाशक्ति न्याय संहिता : विधिक सेवा : परामर्शदातृ संस्था : जागरूकता : क़ानूनी सलाह : समर्थित.
*
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राधिकाकृष्ण : दर्शन ड्योढ़ी : आज : पृष्ठ :० / १ . 
------------
राधिका डेस्क 
मुक्तेश्वर नैनीताल. 
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
*
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दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ : ० / १ .
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राधिका डेस्क.
राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर.नैनीताल.
*

*
सज्जा : संपादन. 
शक्ति* प्रिया.डॉ.सुनीता मधुप.
*
महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
*
रिश्तों की जमापूंजी ; बैंक ऑफ़ इंडिया : शक्ति नेहा : समर्थित.
*

आ रहे प्रकाश पर्व : दीपावली की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें. 
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राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर. नैनीताल.भजन : पृष्ठ :० / १ .
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राधिका डेस्क 
मुक्तेश्वर नैनीताल. 
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
*
शक्ति* प्रियाडॉ.सुनीता मधुप.
*
गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो. 
*
*
राधा रमण हरि गोपाल बोलो :भजन 
भजन सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं. 

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रूक्मिणीकृष्ण : दर्शन ड्योढ़ी : आज : पृष्ठ : ० / २
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*
रुक्मिणी डेस्क
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७८..
संस्थापना वर्ष : १९८७.महीना : अगस्त : दिवस : ६ .


*
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है 
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रूक्मिणीकृष्ण :भजन : पृष्ठ :० / २.
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रुक्मिणी डेस्क
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७८..
संस्थापना वर्ष : १९८७.महीना : अगस्त : दिवस :६.

*
साभार : शागिर्द.१९६७.
भजन : कान्हा कान्हा आन पड़ी मेरे तेरे दवार
मोहे चाकर समझ निहार... हाँ तेरी राधा जैसी नहीं मैं.


सितारे : जॉय मुखर्जी. सायरा बानू.
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता.
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ
*
टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
प्रकाश पर्व, भैया दूज, चित्रगुप्त ,छठ पूजा की मंगल अनंत  शिवशक्ति शुभकामनाओं के साथ. 
*
*
ममता हॉस्पिटल बिहार शरीफ : शक्ति. डॉ.ममता.आर्य. डॉ.सुनील कुमार : समर्थित

*
राधिकाकृष्ण : दर्शन आज : पृष्ठ : १. 
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 राधिकाकृष्ण : दर्शन  : ड्योढ़ी आज : पृष्ठ : १ / १ .
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*
राधिकाकृष्ण
वरसाने.वृन्दावन.डेस्क.
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
*
हे री मैं तो प्रेम दिवानी,मेरा दरद न जाने कोय
*

मेरी भव बाधा हरौ ' राधा ' नागरि सोय.
*


*
राधिका : कृष्ण : द्वारिका 
*
राधारमण : हरि : गोपाल बोलो. 
*
गुरु द्रोण : शिष्य अर्जुन की श्रेष्ठ परंपरा के लिए :
रिश्तों की जमापूंजी : बैंक ऑफ़ इंडिया : प्रंबधक : आर्य लक्की : समर्थित.
*

प्रकाश पर्व, भैया दूज, चित्रगुप्त ,छठ पूजा:  की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें. 
*
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राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : दृश्यम  : 
श्याम आन बसो : पृष्ठ : १ / १
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राधिका
वरसाने वृन्दावन डेस्क
. प्रादुर्भाव वर्ष :१९७६. 
संस्थापना वर्ष : १९९८.महीना : जुलाई. दिवस :४.
*
*

*
*शक्ति : राधिका : फोटो : साभार.

*
शरीर : आत्मा : शाश्वत प्रेम, सम्बन्ध जन्म जन्मांतर के
*
जहाँ से संकुचित संकीर्ण मानवीय विचारों का अंत होता है , सीमाएँ समाप्त होती है 
वहीं से अंतरआत्मा , उसकी वाणी, शाश्वत प्रेम, जन्म जन्मांतर सम्बन्ध की  शुरुआत होती  है.
*
सम्यक साथ और दृष्टि
*
जो तुम्हें आनंदित करे, निर्विवादतः सम्यक साथ,दृष्टि व सोच ही होगी 
जो स्वयं और दूसरे को प्रसन्न करें.... वहीं सत्य हैं।
*
चलना : रास्ते का पत्थर : हौसला 
*
बहुत मुश्किल है, उस शख्स को गिराना,
जिसको जीवन में  ' चलना ' ही पत्थरीले ' रास्तों '  ठोकरों ने सिखाया हो, 

@ शक्ति प्रिया डॉ. अनु राधा
*
आस्था : भगवान : पत्थर.
*
सत्यम शिवम सुंदरम सिर्फ़ यह तो आस्था का विषय ही है, प्रिय !
पत्थर में ' भगवान ' है : या फिर यह भगवान नहीं मात्र ' पत्थर ' है

@ शक्ति शालिनी प्रिया डॉ सुनीता मधुप
*
आईना.

मुसीबत वो आईना है जो अपनों की सही
व सच्ची तस्वीर दिखाता है
*
करम कल्पनाएं और फल 
*
जीवन का अंतहीन सफर कल भी था सफर आज भी जारी है
माना कुछ उम्मीदें टूटी हैं
लेकिन कुछ करम कल्पनाएं और इच्छाएं अभी भी शेष  हैं

*
वो सर्वव्यापी अंतर्यामी : सब देख रहा है 
*
इस क्षण भंगुर संसार में आप सदा नहीं रहेंगे इसलिए 
सम्यक साथ, वाणी के सत्कर्म कर सदैव बने रहने का प्रयत्न करते रहें 
जब तक रहें इस प्रेम पूर्ण जीवन के सार काआनंद लेते रहें 


कितना ' मदिर ' कितना ' मधुर '
*
जो मधुप ' मन ' को छुआ करते है
वही अपने ' मधुर ' हुआ करते हैं

*
मायने लकीरों की  
लक्ष्मण रेखा 
*
लकीरों को कभी मामूली ना समझें 
ये ' माथे ' पर ' चिंता ',  ' हथेली ' पर ' तकदीर ',
जमीन पर ' बंटवारा ' और अंतिम में 
रिश्तों में ' दरार ' भी बन जाती है यदि आप मान लें तो 
नहीं तो ' लक्ष्मण रेखा ' समझदारी से रिश्तें की सुरक्षा के लिए ही तो बाँधी गयी थी , न ?
विचार करें.... 
*
काँच :  टुकड़ें : दर्पण 
*

काँच के टुकड़ें बन कर रहोगे तो कोई तुम्हें छुएगा नहीं 
जिस दिन दर्पण बन जाओगे तो बिना देखे कोई रहेगा नहीं 
*
साधना और भावना.
*
मनुष्य साधन से नहीं साधना से महान बनता है
भवन से नहीं भावना से महान बनता है
उच्चारण से नहीं उच्च आचरण से महान बनता है।
*
सूरज : अँधेरा : आशा.
 
*
किरण चाहे सूर्य की हों या ' आशा ' की,
जीवन के सभी ' अंधकार ' को मिटा देती है
*
समभाव प्रकाश
*
महान पुरुष उदित और अस्त होते समय 
एक लालिमा दिखलाने वाले सूरज की भांति ही 
समभाव प्रकाश रखते है 
*
दोस्ती : दुश्मनी

मैत्री दुश्मनी  का हिसाब तो आपस में बाद भी  कर लेंगे 
पहले आप और हम साबित तो कर लें ..
 कि हम इंसान  हैं ..पहले 

*
कृष्ण :कर्म :आस्था 
 
किसने कहा आदमी अच्छा था....
यह सुनने के लिए मरना पडता है ?..... 
जी नहीं....' दुर्जनों ' से दूरी..... सोना ' सज्जन  ' साधु ' जन  ' के लिए 
सम्यक, ' साथ ', ' सोच ' और ' कर्म  ' कभी भी न बदलें 
विश्वास रखें 'आप ' सब के ' हृदय ' में बसेंगे..
 *
शक्ति प्रिया.©️®️डॉ.सुनीता 
*
 --------
राधिकाकृष्ण : जीवन दृश्यम : आज : पृष्ठ : १ / १.
-----------
राधिका कृष्ण : मैं तेरी हूँ कह दे सब से
*

*
साभार : प्रस्तुति :
नैना देवी. डेस्क नैनीताल.
शक्ति.प्रिया शालिनी रेनू बीना जोशी .
प्रधान संयुक्त शक्ति सम्पादिका.महाशक्ति मीडिया.
*
स्वर्णिका ज्वेलर्स : निदेशिका.शक्ति तनु.आर्य रजत.सोहसराय.बिहार शरीफ.समर्थित.


रूक्मिणीकृष्ण : दर्शन : पृष्ठ : १ / २



 *
टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
रूक्मिणी डेस्क
विदर्भ : महाराष्ट्र.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०.
संस्थापना वर्ष : १९९६.महीना :जनवरी : दिवस : ६.
*
टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
त्रि : दिव्य अनंतशिवशक्ति.
*
*
आज : कृष्णरुक्मिणी : दर्शन पृष्ठ : १ / २.
संत : संगति : शक्ति
*
सोना सज्जन,साधु ,जन संगति शक्ति
नियति प्रकृति मन की सुन्दर प्रस्तुति
मेरे जीवन की यही हो राधिके कृष्ण , अभिव्यक्ति
*
 ©️®️शक्ति * प्रिया डॉ सुनीता मधुप
*
हरि : राम : कृष्ण
*
बुरे भी हम भले भी हम 
*
यदि हम  बुरे हैं तो सोना सज्जन साधु जन के समीप आयेंगे 
यदि हम अच्छे हैं तो  दुर्जनों तथा ' ना ' से दूर जायेंगे 
*
 शक्ति शालिनी प्रिया.©️®️डॉ.सुनीता 
*
भाविकाएँ
*
राम की ' मर्यादा ' : उनके दिए गए परिजनों के ' वचन '
माधव के स्नेह, कर्म और ' प्रेम ' का बंधन
दुविधा में फस गया है मानव ' मन '
जब कोई मार्ग न दिखने पाए
तब हरि : ' लक्ष्मी नारायण ' ही युक्ति बतलाए
*
@ शक्ति. शालिनी प्रिया डॉ.सुनीता मधुप
*
राधिका कृष्णप्रियायै रुकमिणी लक्ष्मीस्वरूपायै नमः
*
 कृष्ण रुक्मिणी  दृश्यम : पृष्ठ : ० / ३ 
द्वारिका डेस्क 
रूक्मिणी डेस्क
विदर्भ : महाराष्ट्र
प्रादुर्भाव वर्ष : १९७०..
संस्थापना वर्ष : १९९६.महीना :जनवरी : दिवस : ६.
*
मेरे मन में राम. रोम रोम में कृष्ण रे.
 
*
हरि अनंत हरि कथा अनंता

*

 दीपावली : गोवर्धन : भाई दूज चित्रगुप्त : छठ पूजा की हार्दिक अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ .
*
* शक्ति पूजा आर्य डॉ राजीव रंजन शिशु रोग विशेषज्ञ.बिहारशरीफ समर्थित
*
प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
 

 -------
मीरा : दर्शन : ड्योढ़ी :  पृष्ठ १ / ३ .
---------
*
मीरा डेस्क
मेवाड़ डेस्क.जयपुर.
प्रादुर्भाव वर्ष : १९८२.
संस्थापना वर्ष : १९८९. महीना : सितम्बर. दिवस : ९.
*
*
मेवाड़ डेस्क.जयपुर.
संपादन.
*

शक्ति. दीप्ती जया सेजल.
*
--------
राधिकाकृष्ण मीरा : जीवन दर्शन : पृष्ठ :१ / ३.
-----------
*
मेवाड़ डेस्क.जयपुर
संपादन
शक्ति. प्रतिभा अनीता गरिमा.
*
' क्षणे रुष्टा क्षणे तुष्टा ' होने से बचे
*
शक्ति, मीरा : सोना साधु जन से प्रीत हो
ये न समझो इसमें अपनी हार हो कि जीत हो
इसे अपना लो जो भी जीवन की अच्छी रीत हो
*
शब्द संयम और समय
*
अपने जीवन में सोना सज्जन शिव शक्तियों के लिए शब्दों को संयमित अनंत रखें
समय और कर्म के हिसाब से फल अवश्य मिलेगा
*
संत : संगति : शक्ति
*
यदि तुम बुरे हो तो साधु जन और दिव्य शक्तियों के शरण में जाओ
और यदि तुम आर्य हो तो अपरिवर्तित,जटिल व जड़ ,दुष्ट प्रवृति वाले को सुधारो
न सुधरे तो अविलम्ब साथ छोड़ो...
*
शक्ति प्रिया डॉ.सुनीता सीमा.अनीता
*

कर्म : फल : अधिकार : अकर्म : लगाव 
*
तुम्हारा ' अधिकार ' केवल ' कर्म ' करने में है, ' फल ' पर कभी नहीं।
तुम्हें कभी भी कर्म के फल का ' कारण ' नहीं बनना चाहिए
और न ही ' अकर्म ' में ही तुम्हारा कोई ' लगाव ' होना चाहिए।

*
मध्यम मार्ग
*
वीणा के तारों को इतना मत कसो कि कहीं वह टूट न जाए
और न ही इतना ढीला मत छोड़ो प्रिय,, कि सुर ही न निकले !
इसलिए मध्यम मार्ग ही जीवन का सर्वश्रेष्ठ व अनुकरणीय मार्ग है

सिद्धार्थ
*
--------
राधिकाकृष्ण मीरा जीवन दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :१ / ३ .
--------
मेवाड़ डेस्क.जयपुर
संपादन
शक्ति. प्रतिभा गरिमा सिमरन .
*

साभार : गायन : शक्ति अमृता
जिंदगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मकां
वो फिर नहीं आते


*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी  : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २  
*
शक्ति.डॉ.रतनिका.त्वचा रोग.आर्य.डॉ.श्रेयांश.शिशु रोग विशेषज्ञ. लखनऊ.समर्थित.
*
महाशक्ति न्याय संहिता : परामर्शदातृ संस्था : क़ानूनी सलाह : समर्थित.
* मातृ शक्ति *

निर्मला सिन्हा. प्रधान आचार्या. १९४० - १९२३. *
*
 राधिकाकृष्णरुक्मिणी.
सम्पादकीय शक्ति समूह : पृष्ठ : २. 


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सम्पादकीय संरक्षण त्रि शक्ति.
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शक्ति. रश्मि श्रीवास्तवा.भा.पु.से.
शक्ति. अपूर्वा.भा.प्र.से.
शक्ति.साक्षी कुमारी.भा.पु.से.
*
*
सम्पादिका.त्रिशक्ति.


*
 
शक्ति. रीता रानी. जमशेदपुर. कवयित्री.लेखिका.
शक्ति. क्षमा कौल.जम्मू. कवयित्री.लेखिका.
शक्ति. प्रीति सहाय. पुणे.कवयित्री.लेखिका.

*
त्रि शक्ति.कार्यकारी सम्पादिका.
*


*
शक्ति*डॉ.नूतन अजय .
लेखिका.कवयित्री. देहरादून.
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शक्ति*रश्मि
आर्य. रवि शर्मा.
कार्यकारी संपादक. दैनिक भास्कर ( कुमाऊँ )
नैनीताल.
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शक्ति *बीना.
आर्य.डॉ. नवीन जोशी.
समाचार संपादक. सहारा समय. नवीन समाचार
नैनीताल.
*
फोटो. दृश्यम.सम्पादिका.


इस्कॉन.डेस्क.मुंबई. 
*
शक्ति.डॉ.रेनू.रांची. 
शक्ति.शैली कृष्णा.मुंबई. 
शक्ति.ऐंजल.नैनीताल. 
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त्रि शक्ति विशेषांक सम्पादिका.
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शक्ति *जया सोलंकी.जोधपुर.
शक्ति *रंजना.
स्वतंत्र लेखिका : हिंदुस्तान. इंद्रप्रस्थ.नई दिल्ली.
शक्ति.*दया जोशी.नैनीताल.
सम्पादिका : केदार दर्शन : नैनीताल

*
शक्ति कला.सम्पादिका.
*
इंद्रप्रस्थ डेस्क. नई दिल्ली. 
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शक्ति. स्मिता स्वाति जवा सेन 
*
संरक्षक.प्रौद्योगिकी शक्ति.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस.

*
डॉ.अच्युत शंकर.
विशेषज्ञ. ए.आई.
वैज्ञानिक.यू.के.लन्दन.
शक्ति. अम्ब्रीशा यू.के.लन्दन.
शक्ति. इं.मधुलिका कर्ण.बंगलौर.

*
समय : शब्द : संस्कार
महाशक्ति वेब पेज डेवलपर प्रोमोटर. 
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इं.आर्यन सिद्धांत. बंगलोर. 
शक्ति. इं.स्निग्धा. बंगलोर. 
इं.इंद्रनील .बंगलोर. 

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त्रि शक्ति.क़ानूनी संरक्षण
आभार
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शक्ति.मंजुश्री.मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी.( वर्त्तमान )
शक्ति.अधिवक्ता.सीमा कुमारी.
डिप्टी चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल.
शक्ति.अधिवक्ता.जसिका सिंह.प्रयाग राज.उच्च न्यायलय.
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विशिष्ठ अतिथि पाठक 
शक्ति वंदना सिंह उत्तराखण्ड भा.प्र.से.
माननीय दीपक रावत : उत्तराखण्ड भा.प्र.से.
माननीय पंकज भट्ट : उत्तराखण्ड भा पु से 
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*
प्रधान संयुक्त शक्ति सम्पादिका.
राधिका कृष्ण रुक्मिणी दर्शन
महाशक्ति मीडिया.
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नैना देवी.नैनीताल डेस्क. 
शक्ति.प्रिया * शालिनी रेनू बीना जोशी.
@ हम.४. 
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शक्ति:आर्य अतुल : मुन्नालाल महेश लाल आर्य एंड संस ज्वेलर्स.रांची रोड बिहार शरीफ.समर्थित.


लोक पर्व छठ : शक्ति षष्ठी आदित्य देव पूजन की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ 


अंजू ब्यूटी पार्लर : ब्राइडल मेक अप इन बिहारशरीफ : होम सर्विसेज : 
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सम्पादकीय त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.
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संपादन   
शक्ति रीता क्षमा प्रीति सहाय. 
जम्मू डेस्क. 
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कंस : कृष्ण : मगध : राजगृह : जरासंध :भीम द्वंद मल्ल युद्ध.
श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब : नालन्दा : बड़गांव : छठ लोक पर्व.
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शक्ति शोध आलेख.
शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.
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कंस : कृष्ण : मगध : राजगृह : जरासंध : भीम द्वंद मल्ल युद्ध : कोलाज : साभार.

कंस : कृष्ण : मगध : और जरासंध सोलह जनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था। काफी प्रमाण है कि भगवान कृष्ण मगध आये थे। उनके रथों के निशान अभी भी राजगृह में देखे जा सकते हैं।
कृष्ण का जरासंध से घनिष्ठ संबंध था, जो मगध का शक्तिशाली अत्याचारी राजा था और कंस का ससुर था। कंस की मृत्यु के बाद, जरासंध ने श्रीकृष्ण से बदला लेने के लिए १७ बार मथुरा पर आक्रमण किया। हर बार श्रीकृष्ण की सेना ने उसकी सेना को नष्ट कर दिया, लेकिन श्रीकृष्ण ने उसे बार-बार जीवित छोड़ दिया क्योंकि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि जरासंध को भीम द्वारा वध किया जाएगा।
अंततः श्री कृष्ण पांडवों के साथ मगध पधारे। हम यहाँ कृष्ण के रथों के निशान भी देख सकते हैं जो भगवान के आने के साक्षी है।
द्वंद युद्ध : भीम और जरासंध के मध्य : कृष्ण के कहने पर महावली भीम ने जरासंध को द्वंद युद्ध के लिए ललकारा। कई दिनों तक चले आपसी मल्ल युद्ध में अंततः भगवान श्री कृष्ण के संकेतों के आधार पर भीम ने जरासंध को दो टुकड़ों में काटकर और फिर दोनों टुकड़ों को अलग-अलग दिशाओं में फेंककर मारा, ताकि वे दोबारा न जुड़ सकें। इस तरह जरासंध मारा गया, उसके कारागार से बंदी राजाओं और अंततः नारियों को मुक्ति मिली ।
जरासंध का अखाड़े : भीम और जरासंध के मध्य मल्ल युद्ध का साक्षी : अभी भी राजगृह स्थित स्वर्ण भंडार से ५०० मीटर दूर जंगलों के बीच , जरासंध के अखाड़े को देखा जा सकता है। यह एक उत्क्रमित जगह है जहाँ की भुरभुरी मिट्टी के बारे में कहा जा सकता हैं कि यहाँ मगध का शासक जरासंध नित्य दिन मल्ल युद्ध किया करता था। यहाँ की मिट्टी में दुग्ध भी डाला जाता था। मैं कई बार गया हूँ और इस स्थान का मैंने गहनता से निरीक्षण भी किया हैं।
विक्रमशिला बिहार शरीफ का ओदन्तपुरी तक्षशिला, नालंदा : नालंदा बिहार में स्थित एक जिला है जो अपने प्राचीन ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से मात्र ९ किलोमीटर दूर राजगीर बोध गया मार्ग पर है। कभी दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था, जिसमें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर आज भी मौजूद हैं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। उस समय पंजाब स्थित तक्षशिला, भागलपुर का विक्रमशिला तथा बिहार शरीफ का ओदन्तपुरी समकालिक विश्वविद्यालय हुआ करता था।
प्राचीन विश्वविद्यालय : नालंदा : निर्माण : विनाश : वर्तमान : सम्राट अशोक के समय से बुद्ध चैत्य गुप्त कुमार के समय नालंदा एक बहुत बड़ा बौद्ध मठ बन चुका था जो ५ वीं से १२ वीं शताब्दी ईस्वी तक शिक्षा का केंद्र था। यहाँ हजारों छात्र और विद्वान यथा फ़ाहियान , व्हेनसांग, इत्सिंग, नागार्जुन आदि थे जो बौद्ध धर्म, आयुर्वेद, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान और अन्य विषयों का अध्ययन अध्यापन कार्य करने के लिए आर्यावर्त तथा दुनिया भर से आते थे।
विनाश : १२ वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के दौरान इस विश्वविद्यालय को जला दिया गया था।
वर्तमान : आज भी इसके खंडहर देखे जा सकते हैं, जो एक समय के गौरव और ज्ञान का प्रतीक हैं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।

सूर्य मंदिर नालन्दा : बड़गांव : छठ : साम्ब और कृष्ण.
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नदी का तीर और छठव्रतियों की कष्टी परंपरा : फोटो : शक्ति. निवेदिता विदिशा सिमरन
नालन्दा जिला मुख्यालय स्थित बड़गांव की कथा भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब से जुड़ी है, जिन्हें ऋषि दुर्वासा के श्राप से कुष्ठ रोग हुआ था। एक प्रसिद्ध दैनिक के हवाले से जानकारी है कि साम्ब ने भगवान सूर्य की उपासना करके रोग से मुक्ति पाई, और इसी संदर्भ में नालन्दा के बड़गांव में सूर्य की आराधना की गई थी, जिसे बाद में छठ पूजा का आधार माना जाने लगा। यहाँ की जनश्रुति के अनुसार, साम्ब ने मगध तथा विभिन्न स्थानों पर सूर्य मंदिर बनवाए, जिनमें बड़गांव भी शामिल है, और यह कथा सूर्य पूजा के महत्व को दर्शाती है।
श्राप और रोग : कृष्ण के पौत्र साम्ब : द्वापर युग में, भगवान कृष्ण के पौत्र साम्ब को ऋषि दुर्वासा के श्राप से कुष्ठ रोग हो गया था। उपचार और सूर्य की पूजा: नारद मुनि की सलाह पर, साम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए सूर्य देव की उपासना करने की सलाह दी गई।

बड़गांव तालाब : सूर्य मंदिर : छठ पूजा का आरंभ : फोटो : शक्ति.डॉ.सुनीता सीमा अनीता.

बड़गांव में उपासना: साम्ब ने सूर्य देव के १२ सूर्य मंदिरों का निर्माण कराया, जिनमें से बड़गांव जिसे पहले बर्राक कहते थे) भी एक है। यहां ४९ दिनों तक सूर्य की उपासना की गई। छठ पूजा का आरंभ: इस उपासना के बाद से ही बड़गांव में छठ पूजा का आरंभ हुआ, जो आज भी आस्था का केंद्र है।
मंदिर और तालाब : बड़गांव में एक प्राचीन सूर्य मंदिर और सूर्य तालाब है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें स्नान करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
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स्तंभ संपादन : शक्ति. डॉ भावना शालिनी माधवी
सज्जा : शक्ति स्वाति सीमा अनुभूति

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कृष्ण की परम प्रियतमा राधा दिव्य प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं : देव शक्ति आलेख : २ / २ /  १
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आलेख :शक्ति नीलम * डॉ.सुनीता मधुप.  
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राधा त्याग की राह चली तो,
हर पथ फूल बिछा गए कृष्ण,
राधा ने प्रेम की आन रखी तो,
प्रेम का मान बढ़ा गए कृष्ण।


ए री मैं तो प्रेम दीवानी सांवरे की : राधिका :  एक नृत्य भाव भंगिमा :चयन: शक्ति. मंजिता सीमा 
तनु 

वृंदावन : कृष्ण : राधा : बस प्रेम ही प्रेम : क्या कभी आप वृंदावन की गलियों में घूम कर, निधिवन में जाकर देखा है? राधा ....राधा ....हर गली, हर जुबान में बस राधा नाम। मिलने वाले जब राधे-राधे कहते हैं तो जरा उनके चेहरे पर जो आत्म संतोष दिख रहा होता है उसका अवलोकन कीजिए। 
उनके चेहरे का आत्म संतोष  यह बताने के लिए काफी है कि हमारे सनातन धर्म में राधा नाम का महत्व कितना है। कृष्ण की परम प्रियतमा राधा प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं ,भक्ति की वह चरम स्थिति हैं जहां भक्त और भगवान के बीच कोई दूरी शेष नहीं रह जाती।
कृष्ण ने गोपियों और राधा से वादा करके कि वे कुछ दिनों बाद वापस लौट आएंगे अक्रूर के साथ मथुरा निकल लिए। कोई भी ऐसा दिन नहीं था जब राधा और गोपियां कृष्ण को एक क्षण, एक पल के लिए भी भूल पाती हों ।एक दिन कृष्ण की याद में राधा कुछ ज्यादा ही भावुक हो गई। यमुना किनारे बैठ यमुना को निहारते हुए उनके आंखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी। अपने हाथ में माला लिए, कृष्ण.. कृष्ण का नाम जपते हुए वे अपने आंसू एक दोने में इकट्ठा करती जा रही थीं।जब दोना भर गया तो उन्होंने वह दोना जमुना जी में परवाह कर दिया । संयोग की बात उधर मथुरा में कृष्ण उद्ध्व के साथ यमुना स्नान करने के लिए आए हुए थे। यह दोनों भी बहते बहते मथुरा पहुंच गया। उधर कृष्ण ने डुबकी लगाई और जब बाहर आए तो गले में वह माला अपने आप पहुंच चुकी थी। कृष्ण को समझते देर नहीं लगी कि क्या घटना घटी है। भावातिरेक में कृष्ण की आंखों से प्रेम के अश्रु झरने लगे।उद्धव ने जब देखा तो पूछा कि आप रो क्यों रहे हो? कृष्ण ने अत्यंत विह्वल होकर कहा, मित्र ! यह आंसू मेरे नहीं, राधा के हैं।और पूरी बात बता दी,कि किस तरह राधा ने अपने आंसू इस दोने में भरकर और जपमाला, जिस पर वह मेरा नाम लेती रहती हैं,इस दोने में डालकर यमुना में परवाह कर दिया था। भक्त पुकारे और ईश्वर तक आवाज न पहुंचे, ऐसा तो हो नहीं सकता।
राधा रानी  शक्ति  लक्ष्मी का रूप : राधाष्टमी राधा रानी के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिन्हें शक्ति  लक्ष्मी का रूप माना जाता है। राधा रानी को भगवान कृष्ण की दैवीय प्रेमिका के रूप में जाना जाता है, इनका अवतार कमल के फूल से हुआ, तथा भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के आठवें अवतार रूप में माना गया हैं।
राधाष्टमी भगवान कृष्ण और राधा रानी के ईश्वरीय प्रेम : राधाष्टमी मुख्य रूप से उन भक्तों द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। हिंदू पांचांग के अनुसार राधाष्टमी भद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊँची पहाडी़ पर स्थित गहवर की परिक्रमा करते हैं।


काया ; चेतना : कृष्ण : कर्म : प्रेम : इस्कॉन मंदिर  : मीरा रोड : मुंबई : छाया : शक्ति. सेजल 

परंपराओं के अनुसार, गौडिया वैष्णव संप्रदाय श्रीकृष्ण एवं राधा रानी के प्रति समर्पित होकर उनकी पूजा करते है। यह संप्रदाय चैतन्य महाप्रभु द्वारा वर्णित भगवत गीता और भागवत पुराण का पाठ करते हैं, चैतन्य महाप्रभु वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक है। गौडिया वैष्णव संप्रदाय राधाष्टमी को अपनी प्रथाओं और परम्पराओं के अनुरूप आधे दिन उपवास का करते हैं। कुछ भक्त इस दिन सख्त उपवास का पालन भी करते हैं। वे पानी की बूंद का उपभोग किए बिना पूरे दिन कड़ा व्रत करते हैं। राधाष्टमी भगवान कृष्ण और राधा रानी के ईश्वरीय प्रेम के समरूप मनाया जाता है, भक्त श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त हेतु प्रशंसा, भजन और गीतों के साथ राधा रानी की पूजा करते हैं।
परंपरागत रूप से राधाष्टमी मुख्य रूप से ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण के विग्रह पूर्ण रूप से फूलों से सजाया जाता हैं। राधाष्टमी वह दिन है जब भक्त राधा रानी के चरणों के शुभ दर्शन प्राप्त करते हैं, क्योंकि दूसरे दिनों में राधा के पैर ढके रहते हैं।
कहा गया है
 राधे राधे रटो,चले आएंगे बिहारी कृष्ण को पाना है तो राधे की शरण में आना है। राधा रानी का रुप बहुत ही मनमोहक है. 
"बैकुंठ में भी ना मिले जो वो सुख कान्हा तेरे वृंदावन धाम में है,
 कितनी भी बड़ी विपदा हो चाहे समाधान तो बस श्री राधे तेरे नाम में है।"

लाडली राधा जी रानी कृष्ण के वियोग का कारण : पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब  महाशक्ति राधा रानी स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थीं, तभी भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे. जब राधा ने यह सब देखा तो नाराज हो गईं और व‍िरजा का अपमान कर द‍िया. आहत व‍िरजा नदी बनकर बहने लगी. राधा के व्‍यवहार पर श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को गुस्सा आ गया और वह राधा से नाराज हो गए.
सुदामा के इस तरह के व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गईं और उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया. इसके बाद सुदामा ने भी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया. राधा के श्राप की वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक दानव बने, बाद में इसका वध भगवान शिव ने किया. वहीं सुदामा के दिए गए श्राप की वजह से राधा जी मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आईं और उन्हें भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा.
कुछ पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म ल‍िया, ठीक उसी तरह उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर आई थीं. ब्रह्म वैवर्त पुराण की मानें तो राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थीं और उनका विवाह रापाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था.जय श्री राधेकृष्ण,राधा अष्टमी की हार्दिक बधाई।
कर भरोसा राधे नाम का, धोखा कभी न खायेगा
हर मौके पर कृष्ण, तेरे घर सबसे पहले आयेगा।

स्तंभ सज्जा : फोटो : शक्ति मंजिता सीमा अनुभूति 
स्तंभ संपादन : शक्ति शालिनी रीता बीना जोशी 

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श्री हरि : नाभि : कमल : ब्रह्मा : काया : कायस्थ  : देव शक्ति आलेख : २ / २ /  १ 
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संकलन : प्रस्तुति : संपादन : सज्जा 
 शक्ति* प्रिया डॉ सुनीता सीमा प्रीति सहाय 
* चित्रगुप्त नमोऽस्तु ते *

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मसीभाजनसंयुक्तश्चरसि त्वं महीतले। लेखनी-कटिनीहस्ते चित्रगुप्त नमोऽस्तु ते।
चित्रगुप्त! नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायक कायस्थ जातिमासाद्य चित्रगुप्त! नमोऽस्तुते.

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श्री हरि : नाभि : कमल : चित्रगुप्त जी की जन्म कथा : पुराणों में वर्णित है कि सृष्टि के निर्माण के उद्देश्य से जब भगवान विष्णु ने अपनी योग माया से सृष्टि की कल्पना की तो उनकी नाभि से एक कमल निकला जिस पर एक पुरुष आसीन था- ये ब्रह्मा कहलाए। इन्होंने सृष्ट की रचना के क्रम में देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरूष पशु-पक्षी को जन्म दिया। इसी क्रम में यमराज का भी जन्म हुआ जिन्हें धर्मराज की संज्ञा प्राप्त हुई क्योंकि धर्मानुसार उन्हें जीवों को सजा देने का कार्य प्राप्त हुआ था। धर्मराज ने जब एक योग्य सहयोगी की मांग ब्रह्मा जी से की तो ब्रह्मा जी ध्यानलीन हो गये और एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरुष उत्पन्न हुआ। इस पुरुष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था अत: ये कायस्थ कहलाये और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा।

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीय तिथि को भगवान चित्र गुप्त की पूजा करते कायस्थ : फोटो शक्ति ज्योति विदिशा. 

ब्रह्मा : काया : कायस्थ : कायस्थ का जन्म मुंह से नहीं ब्रह्मा जी की काया से हुआ है। 
चित्रगुप्त एक प्रमुख हिन्दू देवता हैं। वेदों और पुराणों के अनुसार श्री धर्मराज / चित्रगुप्त मनुष्यों एवं समस्त जीवों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले न्यायब्रह्म हैं। आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध किया है कि हमारे मन में जो भी विचार आते हैं वे सभी चित्रों के रुप में होते हैं। भगवान चित्रगुप्त इन सभी विचारों के चित्रों को गुप्त रूप से संचित करके रखते हैं अंत समय में ये सभी चित्र दृष्टिपटल पर रखे जाते हैं एवं इन्हीं के आधार पर जीवों के परलोक व पुनर्जन्म का निर्णय भगवान चित्रगुप्त जी के करते हैं। 
विज्ञान ने यह भी सिद्ध किया है कि मृत्यु के पश्चात जीव का मस्तिष्क कुछ समय कार्य करता है और इस दौरान जीवन में घटित प्रत्येक घटना के चित्र मस्तिष्क में चलते रहते हैं । इसे ही हजारों बर्षों पूर्व हमारे वेदों में लिखा गया हैंं। भगवान चित्रगुप्त जी ही सृष्टि के प्रथम न्यायब्रह्म हैं। मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात, पृथ्वी पर उनके द्वारा किए गये कार्यों के आधार पर उनके लिए स्वर्ग या नरक अथवा पुनर्जन्म का निर्णय लेने का अधिकार भगवान चित्रगुप्त जी के पास है। अर्थात किस को स्वर्ग मिलेगा और कौन नर्क मेंं जाएगा ? इस बात का निर्धारण भगवान धर्मराज/ चित्रगुप्त जी के द्वारा जीवात्मा द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर ही किया जाता है। श्री चित्रगुप्त जी संपूर्ण विश्व के प्रमुख देवता हैं। चित्रगुप्त जी सभी के ह्रदय में वास करते है। मान्यताओं के अनुसार चित्रगुप्त को कायस्थों का इष्टदेव बताया जाता हैंं। 
भगवान चित्रगुप्त : उनकी दो जीवन संगिनी : सूर्यदक्षिणा व एरावती : ग्रंथों में चित्रगुप्त को महाशक्तिमान राजा के नाम से सम्बोधित किया गया है। ब्रह्मदेव के १७ मानस पुत्र होने के कारण वश यह ब्राह्मण माने जाते हैं इनकी दो शादियाँ  हुई, पहली पत्नी मनु की पुत्री  सूर्यदक्षिणा /नंदनी जो ब्राह्मण कन्या थी, इनसे ४ पुत्र हुए जो भानू, विभानू, विश्वभानू और वीर्यभानू कहलाए। 
दूसरी पत्नी इरावती / शोभावति  ऋषि सुशर्मा की पुत्री  कन्या थी, इनसे ८ पुत्र हुए जो चारु, चितचारु, मतिभान, सुचारु, चारुण, हिमवान, चित्र और अतिन्द्रिय कहलाए।
भगवान चित्रगुप्त : संगिनी : संतति : भगवान चित्रगुप्त के ये सभी १२ पुत्र पृथ्वी लोक पर बसे। इनके नाम चारु, सुचारु, चित्र, मतिमान, हिमवान, चित्रचारु अरुण,अतीन्द्रिय,भानु, विभानु, विश्वभानु और वीर्य्यावान हैं। 
चारु मथुराजी गए इसलिए वह माथुर कहलाए। सुचारु गौड़ बंगाले गए इसलिए वह गौड़ कहलाए। 
चित्र ने भट्ट नदी के किनारे वास किया इसलिए वह भटनागर कह लाए।  भानु श्रीवास नगर में बसे इसलिए श्रीवास्तव कहलाए। 
इस प्रकार भगवान चित्रगुप्त के जिस पुत्र ने जिस जगह निवास किया, उनके नाम के साथ जगह का नाम जुड़ गया और इसी तरह कायस्थ समाज की उत्पत्ति हुई।
ऋगवेद : भगवान चित्रगुप्त :  वैदिक पाठ में चित्र नामक राजा का जिक्र आया है जिसका सम्बन्ध चित्रगुप्त से माना जाता है। यह पंक्ति निम्नवत है: चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु। 
पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋगवेद ८/२१/१८ 

गरुण पुराण में चित्रगुप्त जि को कहा गया हैः
"चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे" 
(चित्रगुप्त हैं,(स्वर्ग/नरक) पात्रता के दाता)

ब्रह्मा की  काया से उत्पन्न कायस्थ : कार्य : पाप पुण्य का लेखा जोखा :  परमसत्ता के आदेश पर सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्माजी ने धर्मराज यमराज को आदेश दिया कि वह जीवों को उनके कर्म के आधार पर फल प्रदान करें। इस पर यमराज ने ब्रह्माजी से विनती की कि 
‘हे भगवान आपकी आज्ञा शिरोधार्य है, मैं अपनी क्षमता के अनुसार इसका पालन करूंगा। लेकिन पूरी सृष्टि में जीव और उनकी देह अनंत हैं। देशकाल ज्ञात-अज्ञात आदि भेदों से कर्म भी अनंत हैं। 
उनमें कर्ता ने कितने किए, कितने भोगे, कितने शेष हैं और कैसा उनका भोग है तथा इन कर्मों के भी मुख्य व गौण भेद से अनेक हो जाते हैं। 
साथ ही कर्ता ने कैसे किया, स्वयं किया या दूसरे की प्रेरणा से किया आदि कर्म चक्र महागहन हैं। अतः मैं अकेला किस प्रकार इस भार को उठा सकूंगा। 
इसलिए आप मुझे कोई ऐसा सहायक दीजिए जो शीघ्रकारी, धार्मिक, न्यायकर्ता, बुद्धिमान, लेख कर्म में अग्रणी, चमत्कारी, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेद शास्त्र का ज्ञाता हो।’ 
धर्म राज के सहायक : चित्र गुप्त : धर्मराज की बात सुनकर ब्रह्माजी ने उनकी आवश्यकता को समझते हुए उन्हें ऐसा सहयोगी देने की बात कही। इसके बाद ब्रह्माजी तपस्या में लीन हो गए। 
जब १  हजार साल की तपस्या के बाद उन्होंने आंखें खोलीं तो सामने एक दैवीय आभामंडल से युक्त एक पुरुष को देखा, जिनके हाथ में कलम और दबात थी। ब्रह्माजी ने उनसे पूछा कि आप कौन हैं ? इस पर वह दैवीय पुरुष बोले ‘हे देव! मैं आपके शरीर से प्रकट हुआ हूं। इसलिए आप ही मुझे कोई नाम दीजिए। साथ ही मुझे आदेश दें कि मुझे क्या करना है।’ 
इस पर ब्रह्माजी मुस्कुराए और बोले कि तुम मेरे शरीर से प्रकटे हो इसलिए तुम्हारा नाम कायस्थ चित्रगुप्त है। तुम प्राणीमात्र के कर्मों का लेखा-जोखा रखने में धर्मराज यमराज का सहयोग करोगे। 
ब्रह्माजी की आज्ञा से चित्रगुप्त, यमलोक के राजा यमराज के प्रमुख सहायक बने। 
भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात : भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात है। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। यमराज और चित्रगुप्त की पूजा एवं उनसे अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने से नरक का फल भोगना नहीं पड़ता है। चित्रगुप्त महाराज यमराज-धर्मराज जी के लेखाकार-मुंशी हैं, जो कि सभी प्राणियों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले माने जाते हैं। हर साल भाई दूज के दिन ही चित्रगुप्त पूजा मनाई जाती है। इस दिन को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्माजी के अंश से हुआ है। वह उनकी काया से उत्पन्न हुए थे, इसलिए कायस्थ कहलाए। इसी तरह उनकी संतानों के जरिए जो वंश आगे बढ़ा और जो जाति बनी वह कायस्थ कहलाई।
चित्रगुप्त भगवान की पूजा का महत्व ? भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। कई व्यवसाय से जुड़े हुए लोग चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। इस दिन कई लोग अपने नए व्यवसाय को भी आरंभ करते हैं। मान्यताओं के अनुसार कई कारोबारी इस दिन भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा करने के बाद अपने कारोबार के कागज उनके चरणों में रखते हैं। भगवान चित्रगुप्त की पूजा से व्यापार में आर्थिक उन्नति के साथ-साथ घर में सुख शांति बनी रहती है।
भगवान चित्रगुप्त की पूजन विधि :  सबसे पहले पूजा स्थान को साफ कर एक चौकी बनाएं। उस पर एक कपड़ा विछा कर चित्रगुप्त का चित्र रखें।
दीपक जला कर गणपति जी को चंदन, हल्दी,रोली अक्षत, दूब ,पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें।
फल ,मिठाई और विशेष रूप से इस दिन के लिए बनाया गया पंचामृत (दूध ,घी कुचला अदरक ,गुड़ और गंगाजल )और पान सुपारी का भोग लगाएं।
परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम,दवात आदि की पूजा करें और चित्रगुप्त जी के सामने रखें।
सभी सदस्य एक सफेद कागज पर चावल का आटा, हल्दी,घी, पानी व रोली से स्वस्तिक बनाएं। उसके नीचे पांच देवी देवताओं  के नाम लिखें , 
जैसे : श्री गणेशाय नमः, श्री दुर्गाय नमः , श्री शिवाय नमः , श्रीं महालक्ष्म्यै नमः , श्री विष्णवे नमः, श्री सरस्वत्यै  नमः श्री चित्रगुप्ताय नमः आदि ।

फिर दिए गए मन्त्र को लिखें : जो भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है

मसीभाजनसंयुक्तश्चरसि त्वं महीतले। लेखनी-कटिनीहस्ते चित्रगुप्त नमोऽस्तु ते।
चित्रगुप्त! नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायक कायस्थ जातिमासाद्य चित्रगुप्त! नमोऽस्तुते.
*
भावार्थ
*
हे चित्रगुप्त! आप स्याही और पात्र : कलम-दवात को साथ लेकर पृथ्वी पर चलते हैं। आपके हाथ में लेखनी और कटोरा ( दवात ) है, हम आपको नमन करते हैं। हे चित्रगुप्त! आप अक्षरों ( लेख ) के दाता हैं। कायस्थ जाति जो 'अक्षर' को अपना व्यवसाय मानती है, के इष्ट देव आप ही हैं, इसलिए हम आपको नमन करते हैं"। यह श्लोक चित्रगुप्त पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त के महत्व और उनकी भूमिका को दर्शाता है, जो जीवों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं और कायस्थ जाति के आराध्य देव हैं.
इसके नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दिनांक लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय व्यय का विवरण दें, इसके साथ ही अगले साल के लिए आवश्यक धन हेतु निवेदन करें। अब अपने हस्ताक्षर करें। और इसे पवित्र नदी में विसर्जित करें।
भगवान चित्रगुप्त मात्र अब कायस्थ जाति के लिए ही नहीं ही नहीं उन समस्त प्राणियों लिए भी आराध्य देव हैं जो समय : शब्द : संस्कार के साथ साथ अपने जीवन में सम्यक वाणी, सोच, कलम और कर्म
का सार्थक प्रयोग रखते व करते हैं



श्री चित्रगुप्त आरती
*
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥
*
स्तंभ : सज्जा संपादन शक्ति 
शक्ति* शालिनी रेनू नीलम अनुभूति 
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कृष्ण : शक्ति सत्यभामा : नरकासुर : नरक चतुर्दशी : छोटी  दीवाली : शक्ति आलेख  २ / २ / ० 
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*
शक्ति.सीमा.  
आर्य. डॉ आर के दुबे.
कवि लेखक विचारक गीत कार 
दिग्दर्शक : महाशक्ति मीडिया 

कृष्ण की उनकी ही भार्या शक्ति सत्यभामा : आज नरक चतुर्दशी है जिसे लोक में छोटी  दीवाली भी कहा जाता हैं। मेरी समझ से यह पांच-दिवसीय दीप पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह दिन एक स्त्री के अदम्य साहस और शौर्य को समर्पित है। इस उत्सव की पृष्ठभूमि में एक बहुत खूबसूरत पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार प्राग्ज्योतिषपुर के एक शक्तिशाली असुर सम्राट नरकासुर ने देवराज इन्द्र को पराजित करने के बाद देवताओं तथा ऋषियों की सोलह हजार से ज्यादा कन्याओं का अपहरण कर लिया था। देवताओं की भीड़ उसके आगे असहाय थी क्योंकि नरकासुर को अजेय होने का वरदान प्राप्त था। कोई भी देवता या मनुष्य उसकी हत्या नहीं कर सकता था। कोई स्त्री ही उसे मार सकती थी। उससे त्रस्त और भयभीत देवताओं ने अंततः कृष्ण से सहायता की याचना की। कोई रास्ता न देखकर कृष्ण स्वयं चिंता में डूबे हुए थे। नरकासुर की कैद में हजारों स्त्रियों की पीड़ा सुन और पति की चिंता देखकर  कृष्ण की एक पत्नी सत्यभामा सामने आई। कृष्ण के रनिवास की वह एकमात्र योद्धा थीं जिनके पास कई कई युद्धों का अनुभव था। उन्होंने नरकासुर से युद्ध की चुनौती स्वीकार की। कृष्ण उनके सारथि बनें। 
कृष्ण की प्रेरणा और अपने युद्ध कौशल के बल पर उन्होंने नरकासुर को पराजित कर मार डाला।उसका अंत हो जाने के बाद सभी सोलह हजार बंदी कन्याओं को मुक्त करा लिया गया। वीरांगना सत्यभामा जब कृष्ण के साथ द्वारका लौटीं तो पूरे नगर में दीये  जलाकर उनके शौर्य और स्त्रियों की मुक्ति का उत्सव मनाया गया। 
इस उत्सव की परंपरा  आज तक ज़ारी है मगर  इसका अर्थ और संदेश हम भूल चुके हैं। विजय का उल्लास मनाने के साथ साथ आज का दिन हमारे लिए खुद से यह सवाल पूछने का अवसर है कि क्या उस घटना के हजारों साल बाद भी हम पुरुष अपने भीतर मौजूद वासना और पुरूष - अहंकार जैसे नरकासुरों की कैद से स्त्रियों को मुक्ति दिला पाए हैं ? आप सबको स्त्री शक्ति के उत्सव नरक चतुर्दशी की बधाई !


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गतांक से आगे १ 
केवल अंधकार और गहन जलराशि थी : शक्ति आलेख : २ / २ / ०
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आत्म दीपो भव.बुद्ध : 




शक्ति.सीमा.  
आर्य. डॉ आर के दुबे.

 
तब न सत था न असत  न उपर आकाश था न नीचे पृथ्वी
केवल अंधकार और गहन जलराशि थी ( नासदीय सूक्त ) 
          
आत्मदीप भव का हिंदी में अर्थ है "अपना दीपक स्वयं बनो"। यह गौतम बुद्ध का एक महत्वपूर्ण उपदेश है, जिसका मतलब है कि व्यक्ति को आत्मनिर्भर होना चाहिए, अपने निर्णय खुद लेने चाहिए और अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए स्वयं ही प्रकाश बनना चाहिए।
आत्मनिर्भरता : इसका अर्थ है कि हमें दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय, अपने जीवन की समस्याओं और लक्ष्यों के लिए स्वयं जिम्मेदार बनना चाहिए।
स्वयं को प्रबुद्ध करना : बुद्ध ने मन की पवित्रता और उसे समझने पर जोर दिया। "आत्मदीप भव" का संदेश हमें अपने भीतर के ज्ञान और गुणों को पहचानकर स्वयं को प्रकाशित करने के लिए प्रेरित करता है।
निर्णय स्वयं लेना : यह उपदेश सिखाता है कि सही या गलत का फैसला, और जीवन का मार्ग चुनने के लिए हमें किसी और पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपनी अंतरात्मा और सद्सद्विवेक बुद्धि का पालन करना चाहिए।
हाब्स बाम ने लिखा है, आग का खोज बडा़ आविष्कार था। करोड़ों वर्ष पूर्व किसी आदिम मानव ने संयोवश इसे खोज निकाला था। आग ने मानव सभ्यता को आंच दिया था। 
प्रकाश उत्सव सबसे पुराना उत्सव रहा होगा। सभी पुराने धर्म और संस्कृतियों में अग्नि और हवन का महत्व है। वैदिक संस्कृति में अग्नि देवता हो चूका था। इसे अनस्यवेदा और पथीकृत कहा गया। 
अग्नि की भूमिका मध्यस्थत की थी। 
'दीपावली' यजुर्वेद के प्रसिद्ध श्लोक तमसो मा ज्योतिर्गमय, का लौकिक रूपांतरण है। अर्नाल्ड टायनबी ने लिखा है, यह सभ्यता का प्रकाश पर्व है। भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता सिर्फ किताबी नहीं  लौकिक जीवन में समाहित है। दीपावली जितना अपने नायक के स्वागत का महोत्सव है ।
उतना ही फसल के तैयार होने और घर में नवान्न के आने का। भारतीय  संस्कृति में  धर्म प्रवृत्ति और निवृत्ति का अद्भुत समुच्चय है। 
प्रसिद्ध आलोचक रामकुमार वर्मा लिखते हैं , दीपावली भारत की काव्यात्मक चेतना का उत्सव है। जहाँ दीपक केवल तेल से नहीं वरन् भाव से भी जलता है। बुद्ध का आप्त कथन है, आत्म दीपो भव सभी को दीपावली की हार्दिक बधाई
*
स्तंभ सज्जा संपादन : शक्ति.शालिनी सीमा तनु सर्वाधिकारी. 

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सम्पादकीय त्रि शक्ति  जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ :  / ३.
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संपादन 
द्वारिका डेस्क. 
*
 
शक्ति. डॉ.अनीता सीमा तनु सर्वाधिकारी . 
 
*
भाविकाएँ
कटाक्ष
*
इस भीड़ कोई राम मिले
तो तुम मुझे बतलाना
*
शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता मधुप.
*

©️®️ कार्टून : मधुप.
*
जलते हुए रावण के दर्द को
मैं तब समझ पाया
जब रावण ने मुझसे पूछा
हर साल विजया दशमी को
पूरी भीड़ लेकर
मुझे जलाने चले आते हो
क्या इस जन समूह में किसी में भी
तुम राम को पाते हो ?
पाते हो, तो तुम मुझे बतलाना
सुनते हो
फिर मुझे उसके हाथों से
ही ख़ुशी पूर्वक जलाना
देख लेना
फिर रावण
कोई करेगा नहीं बहाना.
*
पृष्ठ सज्जा : शक्ति मंजिता स्वाति मयंक.
शिमला डेस्क.
*
Divine Prediction : Jyotishacharya Ashwani : Patna : Powered.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३.
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नैनीताल डेस्क 
संपादन 
शक्ति बीना हिमानी जवां सेन 
*
साभार : शागिर्द.१९६७.
भजन : कान्हा कान्हा आन पड़ी मेरे तेरे दवार.
मोहे चाकर समझ निहार... हाँ तेरी राधा जैसी नहीं मैं.


सितारे : जॉय मुखर्जी. सायरा बानू.
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी. संगीत : लक्ष्मी कांत प्यारे लाल. गायिका : लता.
गाना भजन सुनने व देखने के लिए दिए गए लिंक को दवाएँ
*

टाइम्स मीडिया शक्ति प्रस्तुति.
*
दीपावली :  भाई दूज : चित्रगुप्त पूजा  की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ 
*

बिहार दर्शन : बिहार राज्य पथ परिवहन निगम : 
सुरक्षित गमन : समर्थित.

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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५.
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जयपुर डेस्क
संपादन
शक्ति.मंजिता सिमरन तनु.

प्रेम मंदिर वृन्दावन. राधिका कृष्ण की दीवानी एक नृत्य भाव भंगिमा :चयन: शक्ति. मंजिता सीमा तनु 
 ऐ री सखी ! मैं तो प्रेम दीवानी ....सांवरे की : कृति : शक्ति : मंजिता : चंडीगढ़.

श्याम जाने बांसुरियां किसको बुलाये  जिसके मन भायें 
वो उसी के गुण गाये : कृति : अज्ञात. 
*
केदार दर्शन. नैनीताल प्रस्तुति.

 

*
: दीपपर्व : छठ पर्व की अनंत मंगल शक्ति शिव कामनाओं के साथ

रिश्तों की जमापूंजी : बैंक ऑफ़ इंडिया : प्रबंधक : आर्य लक्की समर्थित

*
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दिन विशेष : आज का पंचांग राशि फल : कृण्वन्तो विश्वमार्यम. : पृष्ठ : ६.
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संपादन.
शक्ति.अंजू मीना दया जोशी.
मुक्तेश्वर नैनीताल. 
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छठ लोक पर्व : शक्ति षष्ठी : देव आदित्य पूजन : 
दिन विशेष : नहाय खाय खरना संध्या अर्घ्य की की अनंत शिव शक्ति शुभकामनायें 
*
संध्या अर्घ्य : शब्द चित्र 
*

*

*
 शक्ति लक्ष्मी ज्योति आगमन.
*

*
'राम ' को समझो  ' कृष्ण ' को जानो 
' हरि ' अवतरित ' राम - कृष्ण ' की मर्यादा को अन्तर्मन से परीक्षित 
करते हुए ' राम - कृष्ण '  के रावणत्व पर विजय की 
गाथा को अपने जीवन में पुनः दोहराते हुए 
' राम - कृष्ण ', ' सीता ' , ' राधा - रुक्मिणी ', ' मीरा '  बनने की दिव्य शक्ति शपथ लेते हुए 
इस दीपावली अपने भीतर ' महालक्ष्मी ' ,' महाशक्ति ' , ' महासरस्वती ' 
की  दिव्य  ज्ञान की ज्योति जलाए 
अपने भीतर के ' तमस ' को हटाए.... 
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दिन विशेष : शब्द चित्र : आज : पृष्ठ :६ / १
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संपादन.त्रिशक्ति
शक्ति.प्रिया सीमा तनु सर्वाधिकारी.
*
दिन विशेष :
संपादन
शक्ति प्रिया सीमा मीना बीना जोशी.
*

कलम आज उनकी जय बोल.

*
श्री कृष्ण के नरकासुर वध : दास नारियों की मुक्ति
की स्मृति में नरक चतुर्दशी : छोटी दीवाली.

*


की अनंत शिव शक्ति मंगल कामनाएं
*
कला सम्पादिका
शक्ति. मंजीत कौर.चंडी गढ़
वेब ब्लॉग मैगज़ीन पेज महाशक्ति मीडिया
*
को उनके जन्म दिन : शक्ति अवतरण दिवस १४ अक्टूबर मूलांक ५ के मनभावन पावन अवसर पर
' हम ' एकीकृत देव शक्ति ' मीडिया ' परिवार की तरफ़ से ढ़ेर सारी प्यार भरी
'अनंत ' ' शिव शक्ति ' शुभकामनाएं '
*
प्रेम विश्वास के प्रतीक पर्व करवा चौथ
*
हम सभी ' देवशक्ति ' मीडिया परिवार की तरफ़ से
की प्रेम विश्वास के प्रतीक ' करवा चौथ ' की ' अनंत ' शिव ' शक्ति ' शुभ कामनाएं
*

*

*
हम सभी देव शक्ति मीडिया परिवार की तरफ़ से
शरद पूर्णिमा की अनंत शिव शक्ति शुभ कामनाएं
*

*
हम समस्त ' देव शक्ति ' मीडिया परिवार की तरफ़ से 
रावणत्व पर ' राम ' की : असुरों पर ' सुरों ' की 
विजया दशमी शक्ति पर्व की ' अनंत ' ( श्री लक्ष्मी नारायण ) 
' शिव ' शक्ति शुभकामनाएं 
*
शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता मधुप. 
*
शक्ति.डॉ. रत्नशिला.स्त्री रोगआर्य.डॉ.ब्रज भूषण सिन्हा.फिजिशियन : बिहार शरीफ : समर्थित
*
केदार दर्शन.
शक्ति दया जोशी नैनीताल प्रस्तुति. 


      आज का पंचांग राशि फल :पृष्ठ : ६ / २ .

विक्रम संवत : २०८२ शक संवत : १९४७.
३१ .१०.२५. 
आश्विन : शुक्लपक्ष : दशमी 
दिन. शुक्रवार. 
महा शक्ति दिवस. मूलांक: ४ .   
*
कुमाऊनी दैनिक पंचांग / का राशिफल देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.

*

शक्ति. अर्चना. आर्य. डॉ.अजय : जहानवी आई केयर रिसर्च सेंटर. बिहार शरीफ. समर्थित.
 
* दीपावली की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ 
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कृण्वन्तो विश्वमार्यम. : पृष्ठ : ६ /३. -----------
*
संरक्षण शक्ति. 
*
*
माननीय.सतीश कुमार सिन्हा.
कर्नल.सेवा निवृत. हैदराबाद.
माननीय.आलोक सहाय.
विंगकमांडर.सेवा निवृत. युद्ध विश्लेषक. वर्तमान. पुणे.
माननीय.आलोक कुमार.
कारगिल योद्धा.लेफ्टिनेट कर्नल.सेवा निवृत. मुंबई.

*
विशेष : संरक्षण : आभार :  

*
माननीय चिरंजीव नाथ सिन्हा भा पु से. वर्तमान 
माननीय. विकास वैभव. भा पु से. वर्तमान. 
माननीय सत्य प्रकाश मिश्रा. भा पु से. वर्तमान 
*
विशेष : संरक्षण : आभार :  


*
माननीय.रघुपति सिंह.जिला सत्र न्यायधीश.
सेवा निवृत.
माननीय.अंजनी शरण.न्यायमूर्ति.सेवा निवृत.उच्च न्यायलय.पटना.
माननीय.विशाल कुमार.सिविल जज.वर्तमान.

*
माननीय  मुकेश कुमार. भा पु से. वर्तमान 
माननीय.प्रमोद कुमार. एस डी एम. वर्तमान. उत्तराखंड.
माननीय.दिवेश.जिला सत्र न्यायधीश.वर्तमान.
*
अति सम्माननीय अतिथि पाठक 
*
माननीय. दीपक रावत.भा प्र से.उत्तराखंड. 
शक्ति. वंदना सिंह. भा प्र से. उत्तराखंड. 
माननीय. पंकज भट्ट.भा पु से. उत्तराखंड. 
*
*
निवेदक : दिग्दर्शक 
शक्ति. सीमा.डॉ.आर के दुबे
 एम एस मीडिया ब्लॉग. मैगज़ीन. 
लेखक : कवि : गीत कार
*
आध्यात्मिक प्रेरणा शक्ति  केंद्र  
राधा रमण श्री गोविन्द जी. 
राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर. नैनीताल
*

*

*
डॉ.मधुप रमण. 
लेखक.विधिवक्ता.क़ानूनी सलाहकार.
अन्य हम सभी.
*

*

शक्ति.डॉ.सुनीता मधुप. 

शक्ति.अंजू डॉ.मनीष.  
*
*
शक्ति.अनीता आशीष.
*
शक्ति.डॉ.अनीता प्रशांत सिंह
 गुजरात.  
* तमसो माँ ज्योतिर्गमय : दीपावली छठ पर्व की अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ. 


दृष्टि क्लिनिक : बिहारशरीफ.आर्य.डॉ.दीनानाथ वर्मा : ह्रदय शुगर रोग विशेषज्ञ : समर्थित. 
---------
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७. 
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संपादन 
शक्ति. जया एंजल सेजल.
नैनीताल डेस्क  
*
वृन्दावन : कृष्ण : राधिका : फोटो : साभार : पटना इस्कॉन मंदिर 
 दीपावली : राधिका  कृष्ण की : फोटो साभार. सम्पादित : शक्ति : अनीता सीमा मीना सिंह 
जागो उठ कर देखो : जीवन जोत उजागर है साझे दारी.छाया चित्र :भूतपूर्व प्राचार्य : संजय सिन्हा.   
श्री राधिका कृष्ण के दर्शन : पटना इस्कॉन मंदिर : संपादन : शक्ति.डॉ.सुनीता सीमा सेजल जया.  
मुझको कहाँ ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे करम मेंइस्कॉन टेम्पल : मुंबई : फोटो : शक्ति.सेजल. 

नई दिल्ली : राधिका कृष्ण :  इस्कॉन टेम्पल : फोटो : शक्ति. रंजना. 

*
दीपावली : प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं के साथ
* लीवर. पेट. आंत. रोग विशेषज्ञ. शक्ति. डॉ.कृतिका. आर्य. डॉ.वैभव राज :किवा गैस्ट्रो सेंटर : पटना : बिहारशरीफ : समर्थित.
*
दीपोत्सव : भाई दूज : चित्रगुप्त पूजा  पर अनंत शिव शक्ति शुभकामनाओं के साथ. 


कृष्ण अर्जुन : साहिल : केशव ज्वेलर्स : चौक बाजार : बिहार शरीफ़ समर्थित. 
---------- राधिकाकृष्णरुक्मिणी : समसामयिकी.समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८. --------- संपादन
द्वारिका डेस्क. 


शक्ति डॉ.अर्चना सीमा प्रीति सहाय.  
*
उगते सूरज के अरग के साथ शक्ति षष्ठी का व्रत संपन्न फोटो थीम : शक्ति डॉ. सुनीता भावना रितु सिंह 
चित्रगुप्त लेख अक्षर ज्ञान : महासरस्वती महालक्ष्मी महाशक्ति :थीम फोटो : शक्ति शालिनी प्रिया रेनू
 छोटी दिवाली : दिए जलते हैं: तमसो माँ ज्योतिर्गमय : शक्ति.प्रिया डॉ.सुनीता 

करवा चौथ की रात और चाँद का  इंतिजार : फोटो कोलाज : साभार : शक्ति. श्वेता श्रीवास्तवा   
*
श्री हरि लक्ष्मीनारायण : हम अपने अंतर मन के तमस से निकलते हुए प्रकाश की तरफ़ अग्रसर हो *
*
ममता हॉस्पिटल.बिहार शरीफ. 
शक्ति. डॉ.ममता. आर्य. डॉ.सुनील कुमार :समर्थित 
*
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : समसामयिकी : दृश्यम पृष्ठ : ८. ----------- डॉ.अनु जया सिमरन पदमावत डेस्क : जयपुर : राजस्थान *
* जोड़े जोड़े सुपवा चढ़ाई तोरे : छठी मैया शॉर्ट रील : प्रस्तुति : शक्ति मृगनयनी *
श्री राधिका कृष्ण भक्ति : शक्ति रितु सिंह प्रस्तुति : रांची डेस्क : दृश्यम : देवघर * राधिका कृष्ण :दृश्यम : शॉर्ट रील : धारावाहिक :८ . फिल्म निर्माता : आर्य. सुनील व्यास. मसूरी. मुंबई.

धर्म की संस्थापना : कृष्ण : कर्म : अर्जुन : कर्तव्य *
राधिका कृष्ण :दृश्यम : शॉर्ट रील : धारावाहिक :७. फिल्म निर्माता : आर्य. सुनील व्यास. मसूरी. मुंबई. *
श्री कृष्ण : नरकासुर : सोलह हज़ार एक सौ आठ : रानियां
* राधिका कृष्ण :दृश्यम : शॉर्ट रील : धारावाहिक :६. फिल्म निर्माता : आर्य. सुनील व्यास. मसूरी. मुंबई. राधिका : प्रेम : कृष्ण : विवाह. *
* राधिका कृष्ण :दृश्यम : शॉर्ट रील : धारावाहिक :५ . फिल्म निर्माता : आर्य. सुनील व्यास. मसूरी. मुंबई. कृष्ण के साथ राधे .... : रुक्मिणी क्यों नहीं
* श्री कृष्ण : गोपियाँ : रास लीला. * राधिका कृष्ण : दृश्यम : शॉर्ट रील : धारावाहिक :४. फिल्म निर्माता : आर्य. सुनील व्यास. मसूरी. मुंबई.
*
* श्री कृष्ण : गोपियाँ : मटकी फोड़ना . *
राधिका कृष्ण : दृश्यम : शॉर्ट रील : धारावाहिक : ३. फिल्म निर्माता : आर्य. सुनील व्यास. मसूरी. मुंबई.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : समसामयिकी : समाचार : पृष्ठ : ८. ----------- संपादन शक्ति. सीमा गरिमा रश्मि विदर्भ डेस्क. महाराष्ट्र *

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शक्ति : सम्पादकीय : भैया दूज : बहन और भाई के प्रेम का प्रतीक  :  शक्ति आलेख :
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शक्ति निवेदिता पाण्डे.
वाराणसी.
स्वतंत्र लेखिका. छायाकार.  

मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन : कोलाज : शक्ति : डॉ.रतनिका निवेदिता मधुलिका 

बहन और भाई के प्रेम का प्रतीक : आज भैया दूज है. बहन और भाई के प्रेम का प्रतीक माना जाता है भाई दूज। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्‍ल द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें आदर के साथ अपने भाई को घर बुलाकर उनका आदर सत्‍कार करती हैं। चौक बनाकर पूजा करती हैं और कथा का पाठ करती हैं। उसके बाद भाई के माथे पर टीका करके उनको अपने हाथ से भोजन करवाती हैं। अलग अलग रूपों में मनाते हैं लोग इसे। कहीं घरिया में धान का लावा, मिठाई और चने को प्रसाद के रूप में बहनें भाई को खिलाती हैं। भाई दूज की व्रत कथा:
कथाएं भैया दूज की : सूर्य भगवान की पत्‍नी का नाम संज्ञादेवी था, इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज था कन्या यमुना थी। संज्ञा रानी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बनकर रहने लगी। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ। इसी छाया से अश्विनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है जो देवताओं के वैद्य (भेषज) माने जाते हैं। 
इधर छाया का यम तथा यमुना से व्यवहार खराब होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का काम संपादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गौ लोक चली आई तो उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना को बहुत खोजवाया, मगर मिल न सकीं। फिर स्वयं ही गोलोक गए जहां विश्राम घाट पर यमुनाजी से भेंट हुई। भाई को देखते ही यमुना ने हर्ष विभोर हो स्वागत सत्कार के साथ भोजन करवाया।
यम द्वितीया : यमुना स्नान : इससे प्रसन्न हो यम ने वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा- 'हे भैया ! मैं आपसे यह वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी यमपुरी न जाएं? प्रश्न बड़ा कठिन था यम के ऐसा वर देने से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त जाता अतः भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली- आप चिन्ता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वह तुम्हारे लोक न जाएं।' 
इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया इस तरह हर साल भैया दूज मनाया जाने लगा. यह भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन भाई बहन को साथ-साथ यमुना स्नान करना, तिलक लगवाना तथा बहन के घर भोजन करना अति फलदायी होता है। इस दिन बहन-भाई की पूजा कर उसके दीर्घायु तथा अपने सुहाग की कामना कर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। इसी दिन युमना जी ने अपने भाई यमराज को भोजन कराया था। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन श्रद्धा भाव से, स्वर्ण वस्त्र, मुद्रा आदि बहन को देने की भी परंपरा है। 
भैया दूज : बहन और भाई के प्रेम का प्रतीक  : भाई बहन का रिश्ता अटूट विश्वास और पवित्र प्रेम के सूत्र से बंधा हुआ है। इन दो शब्दों में किसी को भी बांधने की क्षमता है ।आप दुनिया के किसी भी कोने में इस रिश्ते की मर्यादा को निभानेवाले आपको मिल जाएंगे। एक भाई और बहन के रूप में हमें इस अटूट बंधन का मान रखना चाहिए। भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं

 
स्तंभ संपादन :  शक्ति डॉ. राशि  अंजलि रश्मि  
पृष्ठ सज्जा : शक्ति. रत्ना. सिमरन . निवेदिता

हरि अनंत हरि कथा अनंता 
*
श्री राम शक्ति सीता का अयोध्या आगमन 
*
 शक्ति लक्ष्मी दीप ज्योति प्रज्वलन  


'राम ' को समझो  ' कृष्ण ' को जानो 
' हरि ' अवतरित ' राम - कृष्ण ' की मर्यादा को अन्तर्मन से परीक्षित 
करते हुए ' राम - कृष्ण '  के रावणत्व पर विजय की 
गाथा को अपने जीवन में पुनः दोहराते हुए 
' राम - कृष्ण ', ' सीता ' , ' राधा - रुक्मिणी ', ' मीरा '  बनने की दिव्य शक्ति शपथ लेते हुए 
इस दीपावली अपने भीतर ' महालक्ष्मी ' ,' महाशक्ति ' , ' महासरस्वती ' 
की  दिव्य  ज्ञान की ज्योति जलाए 
    अपने भीतर के ' तमस ' को हटाए.... शुभ दीपावली मनाए 
*
शक्ति प्रिया डॉ अनीता सुनीता सीमा 


नरक चतुर्दशी : मनी छोटी दीवाली : दिए जले *
*
योगी राज कर्म के प्रणेता श्री कृष्ण की स्मृति में समस्त आर्यावर्त में आर्य जनों व दिव्य शक्तियों ने नरक चतुर्दशी : छोटी दीवाली मनाई गत रात समस्त आर्यावर्त में देर रात तक़ दिए जले। श्री कृष्ण कर्म के पर्याय रहें। छोटी दिवाली मनती रही : नरक चतुर्दशी को याद करते रहें
कृष्ण ने दैत्य नरकासुर वध कर बंदी दास नारियों की मुक्ति कर उन्हें अपना नाम दिया था
विदित है कृण्वन्तो विश्वमार्यम के लिए माधव ने सदैव प्रयास किया * इस दिवस की अनंत शिव शक्ति मंगल कामनाएं शक्ति. शालिनी प्रिया डॉ. सुनीता मधुप. *
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. 
डी ए वी : समसामयिकी : समाचार : आज तक : लिंक पढ़ने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
https://drmadhuptravel.blogspot.com/2025/10/krinvanto-vishwam-aryam-dav.html
*
अद्यतन 
*
--------
कृण्वन्तो विश्वमार्यम. तारे जमीन पर. सम्पादकीय आलेख गद्य संग्रह : पृष्ठ : ३.
-----------
संपादन
शक्ति*प्रिया. माधवी डॉ.सुनीता
*
सम्पादकीय शक्ति. 
सूत्र वाक्य. 
दूसरों की जय से पहले ख़ुद को जय करें. 
कृण्वन्तो विश्वम्.आर्यम्.
शक्ति*प्रिया.डॉ.सुनीता मधुप.
*
सम्पादकीय शक्ति समूह : पृष्ठ : २.
अद्यतन 
*
समसामयिकी.
*
डी.ए.वी.संस्थानों में रन फॉर....
डी. ए. वी., पब्लिक स्कूल पी. जी. सी. में रन फॉर डी.ए.वी. कार्यक्रम का सफल आयोजन.
*
समाचार : फोटो संकलन.लेखन.
शक्ति : पल्लवी. आर्य : मुकेश कुमार ठाकुर.

------- मुझे भी कुछ कहना है : आभार : पृष्ठ : ९.  ------- संपादन शक्ति. प्रिया डॉ. सुनीता माधवी * -------- मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : पृष्ठ : ९ / १ .  --------- संपादन शक्ति * प्रिया डॉ.सुनीता मधुप * चित्रगुप्त नमोऽस्तु ते *

*
मसीभाजनसंयुक्तश्चरसि त्वं महीतले। लेखनी-कटिनीहस्ते चित्रगुप्त नमोऽस्तु ते।
चित्रगुप्त! नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायक कायस्थ जातिमासाद्य चित्रगुप्त! नमोऽस्तुते.
*
भावार्थ
*
"हे चित्रगुप्त! आप स्याही और पात्र : कलम-दवात को साथ लेकर पृथ्वी पर चलते हैं। आपके हाथ में लेखनी और कटोरा ( दवात ) है, हम आपको नमन करते हैं। हे चित्रगुप्त! आप अक्षरों ( लेख ) के दाता हैं। कायस्थ जाति जो 'अक्षर' को अपना व्यवसाय मानती है, के इष्ट देव आप ही हैं, इसलिए हम आपको नमन करते हैं"। यह श्लोक चित्रगुप्त पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त के महत्व और उनकी भूमिका को दर्शाता है, जो जीवों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं और कायस्थ जाति के आराध्य देव हैं.

*
भगवान चित्रगुप्त मात्र अब कायस्थ जाति के लिए ही नहीं ही नहीं उन समस्त प्राणियों लिए भी आराध्य देव हैं जो समय : शब्द : संस्कार के साथ साथ अपने जीवन में सम्यक वाणी, सोच, कलम और कर्म
का सार्थक प्रयोग रखते व करते हैं

*
त्रि पंक्ति :
त्रि शक्ति :प्रार्थना. *
' हरि लक्ष्मी नारायण ' ' शिवे सर्वार्थसाधिके ' * धर्म संस्थापना के लिए : श्री कृष्ण : और न्याय डॉ. मधुप * श्री ' हरि लक्ष्मी नारायण ' ' शिवे सर्वार्थसाधिके ' का हो प्रातः वंदन राधिका कृष्ण रुक्मिणी, सोना सज्जन साधु जन दिव्य ' शिव ' शक्तियों का प्रभु नित्य दिन करें हम सब नमन * @ शक्ति. प्रिया डॉ.सुनीता मधुप ------- आपने कहा : पृष्ठ : ९ / २ . --------- संपादन शक्ति. सीमा प्रीति अनीता
*

त्रि शक्ति प्रार्थना. 
हमको  मन की शक्ति देना मन विजय करें 
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें 
*
दोस्तों से भूल हो तो माफ़ कर सकें 
झूठ से बचें रहें सच का दम भरें 
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें 
सितारे : जया भादुड़ी. धर्मेन्द्र. 
गीत : गुलज़ार :  संगीत : वसंत देसाई गायिका : वाणी जयराम.
फिल्म : गुड्डी : १९७१ 


भजन सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं 
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हार्दिक आभार : प्रदर्शन पृष्ठ : ९ / ३ .
---------
संपादन
डॉ. भावना * माधवी सुनीता  
*
दिव्य भारतीय सभ्यता संस्कृति के ब्लॉग मैगज़ीन पृष्ठ  
के संरक्षण संवर्धन निमित 
*
शक्ति. पूजा 
सह  
आर्य. डॉ.राजीव रंजन. शिशु रोग विशेषज्ञ. 
बिहार शरीफ. जिला नालंदा. 
को 
*

⭐ पत्रिका के निर्माण / संरक्षण के लिए हार्दिक आभार.
*
संयोजन. शिमला.डेस्क. नैनीताल डेस्क. इन्द्रप्रस्थ डेस्क.
पाटलिपुत्र डेस्क.

शक्ति.शालिनी.स्मिता.वनिता. शवनम .
संयोजिका / मीडिया हाउस ,हम मीडिया शक्ति परिवार की तरफ़ से आपके लिए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन *
समर्थित
*
अल्प विराम
*
साभार : शॉर्ट रील : शक्ति : श्वेता श्रीवास्तवा
साभार : पंक्तियाँ : गीत कार संतोष आनंद :
हमारा भारत : माननीय मनोज कुमार निर्मित फिल्म : शोर
*
*
जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है 
*
 कुछ पा कर खोना है कुछ खो कर पाना है
जीवन का मतलब तो आना और जाना है 
*
हालाँकि मैंने अपनी जिंदगी में साधु ' जन ' 
और दिव्य ' शक्तियों ' को कभी भी नहीं ' खोने ' की ' कल्पना ' की है 
*
शक्ति प्रिया डॉ सुनीता मधुप 
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English Section.
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Times Media Powered.
Shree Laxami Narayan Desk
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English : Cover Page 
Dr.Sunita Ritu Shweta 
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 Maha Lakshmi : Theme Photo Collage 
Happiness : Aakash Deep : Shaktis' Worshipping :
*

*
Shakti Dr.Ratnika. Lucknow.Dermatologist Skin Specialist.Lucknow.Supporting 
*
Contents 
English Editorial Section : Cover Contents Page 1
Shakti Editorial. English Page : 2
Shakti Editorial. Prose : English Page : 3
Shakti Editorial. P0em : English Page : 4
Shakti Photos : Vibes : .Page : 5
Radhika : Krishna : Rukmini  : Photo  Gallery.Page : 6
Visuals News : News : Editorial Page : 7
Shakti Art  Gallery  : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 8.
You Said it : page : 9
*
Shakti.Pooja.Arya.Dr.Rajeev Ranjan.Child Specialist.Biharsharif.supporting
*
 Editorial Section : English Page 1
Radhika : Krishna : Rukmini : Darshan :
*
Shakti Chief Editor.
*
*
Shakti. Nushka. Krishna Devotee.UK.
Shakti. Archana. TOI Writer.Shimla.India.
Shakti.Nicky.Australia.
*
Executive Editor.
*
Shakti. Priya Madhavee Seema  
*
Guest Editor.
Shakti Dr.Anu Garima Baishakhi
*
Times Media Powered

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Shakti Photos : Vibes : English : Page : 5
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Editor.
Shakti Renu Smita Ritu 
Jaipur Desk.
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Shakti Vibes : English : Page : 5
*
Editing.
Shakti. Smita Seema Anshima Singh.
*
Diwali : Inside : Light
It is better to lit a candle inside and outside with positive action than to curse the darkness,negativity.
*

Shakti.Dr. Rashi : Gynecologist : Muzaffarpur. Bihar
*
supporting
*
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Visuals News : Short Reel : Day Special :  Page : 7
--------
 Editor. 


Shakti.Madhvee.Ritu.Bhagwanti.
Dehradun Desk.
*
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Visuals News : English : Page : 7 /1
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Shakti Editor 
Dr.Sunita Anshima Seema. 
*
Aryavart sparkles as millions celebrating the Prakash Parv
to bring peace, consciousness, inside
*

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Millions celebrating this year the light festival , worshipping Mahashakti Mahalakshmi. Lord Mahaveer & Maharishi Dayanand Saraswati too were unitedly remembered for their principles.As we know that Diwali stands for their Nirvan.We the Dev Shakti Editorial team unitedly stand wishing you a bright and joyous Diwali.
We assume . ' May the light of Diyas bring you peace, consciousness,
tolerance, karma , broadness, prosperity, and happiness this Diwali in side and remove ignorance and rigidity,'
*
Dr. Anu.Madhup.Garima

*
2nd October
We all together cherish the Birth Anniversary of  
Mahtma Gandhi & Shastri Ji 
*
Shakti Dr. Anita Prashant Madhup.
Baroda : Gujrat.
With All of Us.
  Media Family. 
*
A& M Media Supporting 
with our warm wishes of Deepawali 
*
Arya.Arun Kumar Verma.DO. LIC. Biharsharif Supporting.

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Radhika : Krishna : Rukmini : Photo Gallery.English :Page : 6.
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Editor 
Shakti Priya Dr.Anu Sunita.
Darjeeling Desk.
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Lighting lamps, Krishna, Bursting Firecrackers and decorative bulbs : Shakti Suman. Delhi 
Jain Celebrating Diwali as the Nirvan Divas of Mahaveer : Pawapuri : Nalanda 

Photo : Shakti Dr.Bhawana Madhvee Seema 

Iskcon spreading consciousness for Hare Rama Hare Krishna : Shakti Shailly.Mumbai
Radhika : Krishna : Devotion : Prem : Meera Road : Mumbai Iskcon : Shakti. Sejal. 
*

Shakti Dr.Ratnika.Dermatologist Skin Specialist.Lucknow.Supporting

*
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Visuals News : News : English : Page : 7
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*
Shakti Editor. Dr.Sunita Archana Seema. 
Shimla Desk.
*
Dayanand Saraswati  being remembered on his Nirvan Divas : 
*
by the Davians at DAV PGC Biharsharif : Photo Collage : Shakti.Media.

a conscious walk for Dav : A run for fun not only :  Collage : Shakti
 
*
The four-day long Chhath Puja began with Nahay-Khay yesterday.Shakti Dr.Sunita Ritu Seema.
 
English Section.
*
MS Media Powered.

*
Shakti.Pooja. Arya.Dr.Rajeev Ranjan. Child Specialist.Biharsharif. supporting 
*

*
Shakti Shashti :  Dev Aditya : Lok Parv : Chhath 
Blog Magazine Page
English Section.




 *
Contents Page : English.
Cover Page : 0.
Contents Page : 1.
Shakti Editorial Page : 2.
Shakti Vibes English Page : 3
Shakti Editorial Writeups : 4.
Short Reel : News : Special : English : Page : 5.
Shakti Photo Gallery : English : Page : 6.
Shakti : Kriti Art Link : English : Page : 7
Days Special : English : Page : 8.
You Said It : Page : 9
*

*
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Shakti Editorial : English Page : 2.
---------
Chief Editor.
Baroda * Desk.

*
Shakti : Prof. Dr. Roop Kala Prasad.
Shakti : Prof. Dr. Bhwana
Shakti : Madhvee.
Shakti : Baisakhi.


*
Executive Editor
*
Editor :
Shakti. Manjita Seema Priya Tanu Sarvadhikari.
Darjeeling Desk.
*
*

Shakti Dr.Ratnika.Dermatologist Skin Specialist.Lucknow.Supporting

*
MS Media Powered.

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You Said It .English : Page : 9

Editor.
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Shakti. Seema Anupriya
Madhvee Suman
New Delhi Desk.
*

Cyber Awareness : Dr Madhup.
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don't open such a file : .APK means Android Application Disguised
as an invitation that can hack your mobile

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It's really wonderful. It's photography and colour combination are very nice. And overall the Shakti Editorial Team is working unitedly for any Blog Magazine Page in a very nice way and manner .... a great applause for them...
Shakti Anupriya.Analyst
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Proud to be an Indian
Shakti. Seema
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We Shaktis editors can present our Festive Indian Cultural traditions in a very nice and glorious way..
Dr.Sunita Sinha.
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It is a very nice beginning based on Indian tradition,culture
Shakti
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The four- day long Chhath Puja Celebration. *

             
The four-day long Chhath Puja began with Nahay-Khay yesterday...     
 * Heartiest Wishes from US ' Hum " a united Dev Shakti Family 

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Shakti.Dr Rashi Anjali Rashmi Ratna
Bhai Dooj . Wishes.



On this special day, Bhaiya Dooj may the brother-sister bond be blessed with happiness forever. * Shakti.Dr Rashi Anjali Rashmi Ratna Tanushree Chaudhary.
Varanasi 


Comments

  1. It is a nice beginning. The Shakti Editorial Team.... keep going on....

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    Rashmi Varanasi

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    Sahil
    Shree keshav jwellers

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