Radhika Krishna Rukmini Darshan : 3
©️®️M.S.Media.
Shakti Project.
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कृण्वन्तो विश्वमार्यम.
In association with.
A & M Media.
Pratham Media.
Times Media.
Presentation.
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Radhika Krishna Rukmini Darshan.
Volume : 1 Series : 3.
a Social Media.Web Blog Magazine Page.
Address.
https://drmadhuptravel.blogspot.com/2025/08/radhika-krishna-rukmini-darshan-3.html
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आवरण पृष्ठ :०.
महाशक्ति : कोलाज.
राधिका कृष्ण रुक्मिणी.
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राधिका : कृष्ण : रुक्मिणी दर्शन.
त्रि - शक्ति.
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विषय सूची.

फोर स्क्वायर होटल : रांची :समर्थित : आवरण पृष्ठ : विषय सूची : मार्स मिडिया ऐड : नई दिल्ली.
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दैनिक / पत्रिका / अनुभाग..
ब्लॉग मैगज़ीन पेज.
| * दैनिक अनुभाग. |
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सुबह सवेरे : शाम. पृष्ठ :०..
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी :
त्रि शक्ति : दर्शन : विचार धारा.
सम्यक ' साथ ', सम्यक ' दृष्टि ', ' और सम्यक ' कर्म '
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दैनिक अनुभाग.आज.
विक्रम संवत : २०८२ शक संवत : १९४७.
०१.१०.२५.
दिन.बुध वार .
नव शक्ति.दिवस.मूलांक: १.
आश्विन : शुक्ल पक्ष : नवमी .
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दिव्य अनंत शिव शक्ति.
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दैनिक अनुभाग.आज.
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विषय सूची : पृष्ठ :०.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन :
दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : पृष्ठ :०.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन : आज : पृष्ठ :०.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी. दर्शन : आज : पृष्ठ :०.
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त्रि शक्ति : विचार धारा : पृष्ठ : १.
राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ : १ / १.
रुक्मिणीकृष्ण :जीवनदर्शन : दृश्यम : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / २.
मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २.
सम्पादकीय शक्ति. समूह. नवशक्ति. विचार धारा : अंततः : पृष्ठ :२ / १.
सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २.
सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ : २ / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कोलाज दीर्घा : पृष्ठ : ४.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : कला दीर्घा : पृष्ठ : ५.
दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७.
राधिकाकृष्णरुक्मिणी :समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८.
मुझे भी कुछ कहना है : आपने कहा : आभार : पृष्ठ : ९.
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महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति.
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शक्ति. डॉ.रश्मि.आर्य. डॉ.अमरदीप नारायण. नालन्दा हड्डी एवं रीढ़ सेंटर.बिहार शरीफ.समर्थित.
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महाशक्ति मीडिया.प्रस्तुति. *
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दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ : ०.
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राधाकृष्ण मंदिर.
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
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सज्जा : संपादन.
शक्ति* प्रिया. डॉ.सुनीता मधुप.
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राधा कृष्ण मंदिर. मुक्तेश्वर. नैनीताल.भजन : पृष्ठ :०.
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शक्ति* प्रिया. डॉ.सुनीता मधुप.
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गोविन्द बोलो हरि गोपाल बोलो.
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भजन सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
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महाशक्ति मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
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----------दर्शन डयोढ़ी : राधिकाकृष्ण : आज : पृष्ठ :०.
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हे री मैं तो प्रेम दिवानी,मेरा दरद न जाने कोय
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मेरी भव बाधा हरौ ' राधा ' नागरि सोय.
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शक्ति : राधिका : फोटो : साभार.
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शांति : अंतर्मन
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जीवन में अगर खुश रहना है तो स्वयं को वह ' शांत ' सरोवर बनाएं,
जिसमें कोई ' अंगार ' भी फेंके तो, खुद ब खुद बुझ जाए.
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ऐसी वाणी बोलिए,
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय।
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आस्था ' भगवान ' और श्रद्धा
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श्रद्धा यह नहीं होती कि भगवान कर सकते हैं
श्रद्धा यह होती है कि भगवान ही करेंगे
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देव शक्ति प्रार्थना
दिव्य भली ईश्वरीय शक्ति से मेरी निरंतर शक्ति प्रार्थना है
....धन ,दौलत ये शोहरत सभी छूट जाए लेकिन हे प्रभु !
अंतिम साँस तक़ सोना सज्जन साधु जन और ईश्वर शक्ति का साथ कभी न छूटे
*
@ शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मधुप
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कहाँ ढूंढ़े रे बन्दे : मैं तो तेरे पास में
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आत्म शुद्धि व्रत उपवासों में नहीं
भगवान मंदिर गुरूद्वारे मस्जिद में भी नहीं
मन, वचन ( वाणी ) और कर्म से मिलते हैं
इसे परिमार्जित रखें
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जिंदगी जमीन ज़मीर
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जीने के लिए अपनी ' मिट्टी ', ' हवा ' ,' जमीन ' अपने लोग, ज़मीर ही चाहिए
बरना संगमरमर के तराशे महलों में जी नहीं लगता अपना
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गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दुबारा
*
गुजरी हुई चीज अक्सर सुंदर लगती हैं
जैसे वक्त, बचपन और ' जवानी '
*
फोटो : साभार : शक्ति
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साथ मार्गदर्शन और अंधेरे.
' साथ ' और ' मार्गदर्शन ' अगर सही हो,
तो छोटे से ' दिए ' का ' प्रकाश ' भी
अँधेरे में ' सूरज ' का काम कर जाता है
*
समय और शिक्षक
*
' समय ' और ' शिक्षक ' दोनों ही सिखाते है
अंतर इतना ही है शिक्षक सिखाकर ' इम्तिहान ' लेते हैं
तो समय ' इम्तिहान ' लेकर सिखाता है
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' परेशान ' अनदेखा हैरान
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जानते हुए ना किसी को ' परेशान ' कीजिए, ना किसी को ' हैरान ' कीजिए,
कोई लाख ' गलत ' भी बोले वहां से हटिए बस मुस्कुरा कर ' अनदेखा ' कर दीजिए
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समय : प्रतीक्षा : मेरे अपने
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' प्रतीक्षा ' सिर्फ उन ' अपनों ' का किया जाए ,
जिन्हें आपकी ' चिंता ' है और जो आपके हर एक ' पल क्षण ' का ' महत्व ' जानते हो
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ईश्वर : इच्छा : वरदान
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ईश्वर ने तुम्हें वो देना चाहा था जो
तुम्हारे लिए सत्यम शिवम् सुंदरम था
लेकिन तुमने ' वरदान ' में वो माँग लिया जो उसकी ' वचन ' में नहीं था
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यह संसार कागज़ की पुड़िया,
बूँद पड़े घुल जाना है
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' महाश्मशान ' काशी में आकर देखा तो यहां
उन रसूख वालों की राख भी बिखरी पड़ी थी
जो कभी कहा करते थे, हमारे बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता है
*
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गिरता वही है जो चलता है
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गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में,
वो तिफ़्ल ( बच्चा ) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले।
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आस्था और रास्ता.
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यदि ईश्वरीय ' शक्ति ' ' राधिका कृष्ण रुक्मिणी ' में आस्था है
तो मानव के जीवन व्याप्त उलझनों
में भी रास्ता है..
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मान, भान और प्रायश्चित
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लोग कहते हैं कि ' अपनों ' के आगे झुक जाना चाहिए,
किन्तु ' सत्य ' तो यह है कि जो ' अपने ' होते हैं
वे कभी ' झुकने ' नहीं देते....
सच कहा आपने
लेकिन अपनें सोना ' सज्जन ' साधु जन के लिए
स्वयं की गलतियों का भान और प्रायश्चित
' हृदय ' में जरूर होना चाहिए
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राधिकाकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम : श्याम आन बसो : पृष्ठ : ० -----------
मुक्तेश्वर.नैनीताल.
आ रहें नवरात्रि उत्सव की शुभकामनाओं सहित.
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टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
त्रि : दिव्य अनंतशिवशक्ति.
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लक्ष्मीस्वरूपायै रुकमिणी : कृष्ण : जीवन दर्शन : प्रातः वंदन : पृष्ठ ०.
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हरि अनंत ' हरि ' कथा अनंता
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टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
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' सहनशक्ति ' व ' समझशक्ति ' ' सत्कर्म शक्ति '
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जीवन में सुखी व प्रसन्न रहने के लिए कम से कम त्रिशक्ति यथा
' सहनशक्ति ' व ' समझशक्ति ' व ' सत्कर्म शक्ति ' का होना परम आवश्यक है
©️®️शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मधुप
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सागर : व्यक्तित्व
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सागर की तरह विशाल, विस्तृत, सहनशील,संवेदन शील और अथाह बनें
जिसमें कई देव संस्कृति जैसी सरिताएं समाहित हो जाए
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सतगुरु नाम ठिकाना
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यह संसार झाड़ औ झाँखर, आग लगे बरि जाना है।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है॥
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धर्म, धैर्य और साहस
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श्री कृष्ण : ,सदैव स्मरण रहें ' जीवन ' हो या ' युद्ध '
सफलता केवल तीन शस्त्रों से ही प्राप्त होती है, पार्थ !
वो है ' धर्म ' , ' धैर्य ' और ' साहस '....
प्रतिष्ठा की बिंदी
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प्राप्त, पर्याप्त और अभिप्राय
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जो ' प्राप्त ' है वही ' पर्याप्त ' है...तो
फिर जीवन में ' शोध ', ' उत्थान ' और ' नव निर्माण ' का क्या अभिप्राय हैं
विचार करें
भाल दिव्य पर सजी मैं तुम्हारी प्रतिष्ठा की बिंदी
जन मानस की रचना मैं तुम्हारे मन की भाषा हिंदी
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साँस ,आस और विश्वास.
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जीवन कहाँ बंधा होता किसी धागे से ?
टूटती तो हैं साँस ,आस और विश्वास की डोर, अपनों से
©️®️M.S.Media.
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जीवन : हुनर : शख्स : हालात
मगर कमबख्त ये हालात ही वफ़ा नहीं करते
सत्यम , शिवम , सुन्दरम
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जो था वही ' सत्य ' था वही ' शिव ' था वही ' सुन्दर ' भी था
लेकिन तुमने जो इच्छा स्वरुप चुना ....वह ' ईश्वर ' ही जाने
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वास्तिवकता जीवन की : कृष्ण. श्री लक्ष्मी नारायण :
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सम्यक ' समय ', ' साथ ' और ' सोच ' महालक्ष्मी
जैसी ही ' मूल्यवान ' होती हैं , इसे अनंत बनाये रखें
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कौन है धनवान : लक्ष्मी नारायण
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' धनवान ' वो नही होता, जिसकी तिजोरी हीरे जेवरात
से भरी हो , बल्कि असल में धनवान तो वो होता है, जो अपने भीतर
सम्यक ' साथ ', ' कर्म ' और ' वाणी ' रखता है
जिसकी ' जिंदगी ' में, खूबसूरत,भावुक,संवेदनशील,' मधुर '
' रिश्तें ' निभाने वालों की कभी ' कमी ' नहीं होती है ... !
*
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वर्तमान ही ' जीवन ' की ' वास्तविकता ' है, इसमें ही केंद्रित हो, पार्थ !
' भूत 'और ' भविष्य ' इससे ही समृद्ध होगा.
अनुशासन
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अपने जीवन में ' इच्छा ', ' वाणी ' , और ' कर्म ' का अनुशासन
ही सोना सज्जन साधु जन का आत्म शासन है, प्रिय !
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मनुष्य सम्यक मार्ग
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मनुष्य को ' समय ' के अनुसार बतलाये गए ' मार्ग '
का ' अनुसरण ' करना चाहिए ....समय किसी मानव का अनुगमन नहीं करता है
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समय, संयम, और सज्जन
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जिसे ' परिस्थिति , ' परिवेश ' परिणाम को समझते हुए
समय, संयम, और सज्जन से बोलना आ गया समझो उसे जीना आ गया
निश्चित ही वो मन , मान, सम्मान के अभिकेंद्र में होगा
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टाइम्स मीडिया. शक्ति.प्रस्तुति.
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आज : राधिकाकृष्णरुक्मिणी : दृश्यम : पृष्ठ :०.
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श्री रुकमिणी लक्ष्मीस्वरूपायै नमः
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शक्ति. रुक्मिणी ने इहलोक कब छोड़ा : दृश्यम.
श्री कृष्ण रणछोड़ क्यों कहलाए : दृश्यम
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प्रथम मीडिया शक्ति.
मीराडेस्क.मारवाड़. प्रस्तुति.
संपादन.
शक्ति.मीरा @ अनीता जया मधुप.
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मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : शब्द चित्र : पृष्ठ :१ / ३.
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छुप छुप मीरा रोये दर्द न जाने कोय
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ईश्वर : भाग्य : कर्म :
रंगी ' मोहन ' के रंग रही ' संतों ' के संग
*
कबीर
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे,हम रोये ।
ऐसी करनी कर चलो,हम हँसे,जग रोये ॥
ऐसी करनी कर चलो,हम हँसे,जग रोये ॥
*
मन ' रावण ' जो लहरों में तूने बहाय
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मन पावन हो गंगा में डूबे नहाय मन रावण जो लहरों में तूने बहाय
जो चला गया वो लौट के फिर न आए तेरा करम ही है जो संग तेरे ही जाए
*
तुलसी दास
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धीरज धर्म मित्र अरु नारी।
आपद काल परिखिअहिं चारी।।
*
लेकिन तुमने ईश्वर के चाहने के पहले.....जो माँग लिया तुम्हें मिला
ईश्वर चाहते थे जो तुम्हारे लिए शिव हो वही तुम्हें मिले
*
कबीर दास
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बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।
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मीराकृष्ण : जीवन दर्शन : दृश्यम : पृष्ठ :१ / ३.
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति : पृष्ठ : २
*
![]() |
शक्ति.डॉ.रतनिका.त्वचा रोग.आर्य.डॉ.श्रेयांश.शिशु रोग विशेषज्ञ. लखनऊ.समर्थित. * * महाशक्ति लॉ हाउस : परामर्श दातृ संस्था : क़ानूनी सलाह : समर्थित |
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : सम्पादकीय शक्ति समूह : पृष्ठ : २.
*
*
सम्पादिका.त्रिशक्ति.
शक्ति. रीता रानी. जमशेदपुर. कवयित्री.लेखिका.
शक्ति. क्षमा कौल.जम्मू. कवयित्री.लेखिका.
शक्ति. प्रीति सहाय. पुणे.कवयित्री.लेखिका.
*
त्रिशक्ति.फोटो सम्पादिका.
शक्ति मुम्बा डेस्क.मुंबई.
*
सम्पादकीय शक्ति आलेख : पृष्ठ २ / २
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सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख : पृष्ठ : २ / २ / २ .
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अध्याय ४ , श्लोक ४०
"अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति ।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः॥"
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संश्यात्मा विनश्यति :
शक्ति आलेख : शक्ति आरती अरुण
*
संश्यात्मा विनश्यति : विश्लेषण और सच मूलतः यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ४ के ४० से उद्धृत है जिसका मूल भाव यह है कि अज्ञानी, मूढ़, अविश्वासी और संशय में रहने वाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है। पर ध्यान रहे कि यह मूलतः भक्ति भाव के विश्वास,आस्था और श्रद्धा से जुड़ी हुयी भावना है जिसकी व्याख्या अनेक रुपों में आज की जा रही है जो प्रासंगिक और सन्दर्भित है।
यह सत्य है हम जो कुछ भी करें पुरी आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ करें वहां शक की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए पर जीवन विषमताओं और विडम्बनाओं से भरा हुआ है जहां सत्यान्वेषण और शोध की जरूरत होती है।
एक मरीज की चिकित्सा जब शुरू की जाती है तो इस विश्वास के साथ कि मरीज ठीक हो जाएगा परन्तु वांछित सुधार न होने पर चिकित्सक और औषधियां दोनों बदलने की जरूरत आन पड़ती है कि वह विश्वास उस मरीज की जान ले लेती इसलिए हर कालखंड में तथ्य एवं कथ्य की पुनरीक्षण की जरूरत होती है और इसका अर्थ यह भी नहीं कि यह श्लोक जो कह रहा है,गलत है।
मनुष्यों की सहज वृत्ति और प्रवृत्ति : यह मनुष्यों की सहज वृत्ति और प्रवृत्ति है कि हम नामचीन लोगों को ही सुनना, पढ़ना और देखना चाहते हैं पर भूल जाते हैं कि उनकी शुरुआत भी एक आदमी की तरह से ही हुई थी और आम आदमी को सुनना, समझना इसलिए भी जरूरी होता है कि सम्प्रति वह जो कुछ कह बोल या लिख रहा होता है, वर्तमान को लिख बोल रहा है और जो बड़े बोल रहे हैं,लिख रहे हैं,अतीत बोल रहे हैं,अतीत भी देखिए, सुनिए और समझिए पर जो एक दम से सम्मुख है,उसकी उपेक्षा मत कीजिए।
यह भी सत्य है कि हम हमारी ज्ञानेन्द्रियों
और अतिन्द्रियों से जो कुछ अनुभव प्राप्त कर रहे हैं,सब सापेक्ष हैं,वह किसी एक का अनुभूत ज्ञान है और कोई भी ज्ञान चाहे वह जिस भी विषय से सम्बन्धित क्यों न हो, सदैव अपूर्ण ही होता है कि आज न कल उसकी जो मौलिकता है,उसको छोड़कर सब बदल जाता है या बदल दिया जाता है।
परन्तु भौतिक विज्ञान के नियम और अभौतिक अर्थात् सूक्ष्म या आध्यात्मिक विज्ञान के नियम में बड़े फर्क होते हैं।
ऋत् या शाश्वत सनातन नियम : भौतिक विज्ञान के स्वयं सिद्ध नियमों को छोड़कर शेष नियम बदलते रहते हैं जैसे क्वांटम भौतिकी ने विज्ञान के अनेक नियमों में बदलाव ला दिया है। खगोल भौतिकी के नियमों में लागातार बदलाव देखे जा रहे हैं परन्तु जो प्रकृति का सत्य है जिसे ऋत् या शाश्वत सनातन नियम भी कहते हैं,वह जो प्रकृति में कल था,आज भी वही है।
कारण और कार्य या घटना तथा अस्तित्व के सिद्धान्त में वही मोल और मूल्य है,वही मौलिकता है।
जिस बीज के जो गुणधर्म और गुणवत्ता होते हैं,वह हो सकता है, स्थान काल के प्रभाव से थोड़ा प्रभावित हो पर आम की गुठली से आम का ही पौधा निकलेगा,यह स्थापित सत्य है,यह प्रकृति का परम सत्य है,इसे संशय या अनिश्चितता की अवस्था में नहीं देखा जा सकता है। संशयवादी दार्शनिकों में देकार्त्त इसी चिन्तन पर कहता है कि संशय करो कि संशय से ही किसी विषय या वस्तु या व्यक्ति के यथार्थ का बोध होता है, यहां तक कि वह स्वयं पर भी संशय करने की बात करता है। वह कहता है कि किसी के कहने पर नहीं बल्कि मैं स्वयं सोंचता हूॅं इसलिए मेरा अस्तित्व है, मैं हूॅं।
यह जो स्वयं को बताने वाली चेतना है वह मन है,जिसकी पुष्टि बुद्धि और विवेक करती है। इसी मन से समस्त अस्तित्वों लौकिक या अलौकिक आदि का बोध होता है और फिर यही बोध किसी की पुष्टि करता है।तार्किकता या तर्कसंगतता का कृष्ण दर्शन : दर्शन और चिन्तन का यह क्षेत्र हमारी उस गुण का प्रमाण है जिसे तार्किकता या तर्कसंगतता कहते हैं। यह सिद्धांत इतना स्पष्ट और साफ है कि इसे भौतिक विज्ञान का अंग भी माना जाता है।
स्थूल और सूक्ष्म के मध्य में जो चेतना है वहीं से खोज शुरू होती है, जहां खोज होगी वहां शंका होगी, जहां शंका होगी वहां तर्क और बौद्धिकता होगी,सीधे स्वीकार्यता नहीं होगी। संभावनाएं होगी, कल्पनाएं और अनुमान होंगे और जब ये सब एक जगह इकट्ठा होंगे तो द्वन्द होगा और यही द्वन्द्वात्मक अवस्था हमें अन्तिम सत्य तक ले जाएगी।
इसी द्वन्द्वात्मक आधार पर एक प्राचीन दर्शन और चिन्तन का विकास हुआ जिसे वेदांत या औपनिषदिक दर्शन में नेती नेती और जैन दर्शन में सप्तभंगी या नय का सिद्धान्त कहा गया है जिसने कालान्तर में द्वैत, अद्वैत, द्वैताद्वैत, विशिष्टाद्वैत आदि आस्तिक दर्शनों को जन्म दिया।
द्वैत, अद्वैत, द्वैताद्वैत, विशिष्टाद्वैत आदि आस्तिक : यह दर्शन हमारे व्यवहारिक जीवन में भी इतना उपयोगी और प्रासंगिक है कि इसे गंभीरता से अवलोकन करने की जरूरत है।
हमें जब किसी विषय, वस्तु या व्यक्ति के बारे में कुछ बताया जाता है तो यह हमें विश्लेषण और मूल्यांकन का ठोस आधार प्रदान करता है। इसी आधार पर देखी,सुनी, पढ़ी और समझी बातों का विश्लेषण और मूल्यांकन करते हैं।
यहीं पर हमें हमारी तार्किकता या तर्कसंगतता,
की जरूरत होती है और इनका प्रयोग करके हम अपने अनुभवों के आधार पर और अनुभवजनित स्मृतियों के आधार पर
सच को जानने में सफल हो सकते हैं कि आंखों देखा, कानों सुना और पढ़ा हुआ भी ग़लत हो सकता है परन्तु तार्किकता या तर्कसंगतता, से फिल्टर होकर निकला हुआ गलत नहीं हो सकता है।
इसलिए आज पारिवारिक जीवन से लेकर सामाजिक और वैश्विक स्तर पर इसके आधार पर आकलन करने की जरूरत है।
हम आदतन घटना और परिणामों पर अनर्गल बहस करते हैं जबकि जरूरत बौद्धिक तर्कपूर्ण कारण समूहों की खोज करने की है। अतीत के अनुभवजनित परिणामों और वर्तमान के प्रसंगों और सन्दर्भों के आलोक में देखने और समझने की जरूरत है और इस चेतना का हमारे मूल्क में सख्त अभाव है।
समाधान चाहे जिस भी समस्या का ढुंढना हो तो उस समस्या के अन्तर्निहीत कारणों की खोज करनी होगी,अतीत में जो गलतियां हुयी हैं,उनकी पुनरावृत्ति से बचते हुए ही समाधान खोजा जा सकता है ।
हां,कुछ समस्याएं अपवाद भी हो सकती हैं तो उसके लिए बेहतर विकल्प को समाधान बनाते हुए एक मार्ग विकसित किया जा सकता है।
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| कृष्ण अर्जुन संवाद : चित्र |
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स्तंभ संपादन : शक्ति. माधवी प्रीति तनु सर्वाधिकारी.
स्तंभ सज्जा : शक्ति. मंजिता सीमा अनुभूति.
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सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : गद्य संग्रह आलेख :पृष्ठ : २ / २ / २ .
कृष्ण : यह मात्र युद्ध नहीं एक धर्म युद्ध है, पार्थ !
शक्ति.आरती अरुण
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आत्माभिमान, मान सम्मान और प्रतिष्ठा जब दांव पर लग जाए : परन्तु जब आत्माभिमान, मान सम्मान और प्रतिष्ठा के एकदम से जाने की बात हो जाए तो जान प्राथमिक नहीं रह जाती है और लोग जान की बाजी भी लगा देते हैं। जान जाए तो जाए पर मान सम्मान स्वाभिमान और प्रतिष्ठा न जाने पाए कि इनके अस्तित्वहीन हो जाने पर जीवन मोल और मूल्य दोनों खो देता है और ऐसा जीवन निरर्थक और मूल्यहीन हो जाता है।
चूहे बिल्ली से, बिल्ली कुत्ते से, कुत्ते बन्दर से,बन्दर चीता या तेन्दूए से,तेन्दूए शेर से डरते हैं, भयाक्रांत होने की यह लम्बी श्रृंखला है। इसमें अंतिम जीव शेर नहीं आदमी है कि आदमी इन सबसे डरता है। लेकिन हकीकत कुछ और है कि हम सब एक दूसरे से डरते हैं। सबको अपने अपने प्राणों का भय होता है। सबको अपनी अपनी जिंदगी प्यारी होती है।
अर्जुन कृष्ण संवाद : यह मात्र युद्ध नहीं एक धर्म युद्ध है : इन्हीं तथ्यों का अवलोकन करते हुए श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के शुरू होने के ठीक पहले अर्जुन को चेतावनी देते हुए समझाया था कि, हे पार्थ ! यह महज युद्ध नहीं एक धर्म युद्ध है जो सत्य, न्याय और औचित्यपूर्ण अधिकारी के लिए लड़ा जाने वाला है,या तो मान, सम्मान, न्याय और औचित्यपूर्ण अधिकार के लिए युद्ध करो या पलायन करो या समर्पण करो, पर ध्यान रहे तुम केवल कुरुक्षेत्र ही नहीं हारोगे बल्कि अपना समस्त अर्जित यश और पराक्रम भी हारोगे और यही नहीं आने वाली पीढ़ियां तुम्हें कायर और नपुंसक कहकर धिक्कारेगी और तुम पर थुकेगी, निर्णय अब तुम्हारे हाथ है। यह अधर्म, अन्याय और असत्य के विरुद्ध शंखनाद है,उठो पार्थ, गांडीव उठाओ।
आदमी सबकुछ खोकर फिर से सबकुछ प्राप्त कर सकता है परन्तु खोयी या नष्ट हो चुकी प्रतिष्ठा फिर से प्राप्त नहीं कर सकता है। इसलिए गुप्त जी ने सही ही कहा है सब जाए अभी पर मान रहे मरने पर गूंजित गान रहे मृत्यु,तय है कि एक न एक दिन आनी ही आनी है, जिस विधि और जिस जगह पर आनी है,आ ही जाएगी, फिर कदम दर कदम टूटकर, झूककर और समझौता करके जीने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। जीवन की स्वयं अपनी मान और मर्यादा है और जो मर्यादा च्युत हो जाता है,वह अस्तित्व में रहते हुए भी अस्तित्वहीन हो जाता है।
विवेक स्वीकार करे उसे अपनाना चाहिए : यह युद्ध सिर्फ द्वापर युग में ही नहीं हुआ था बल्कि हर युग और हर कालखंड में होता रहा और होता रहेगा। भय का स्वरूप चाहे जो हो, जहां भी हो और जिससे भी हो, हमारे सामने अनेक विकल्प खुले रहते हैं और जो विवेक स्वीकार करे उसे अपनाना चाहिए पर अतीत को कभी विस्मृत नहीं करना चाहिए।
इतिहास गवाह है जिसने भी जब कभी जहां भी युद्ध से मुंह मोड़ा है, कलंकित हुआ है कि श्री कृष्ण भी इसीलिए* रणछोड़ कहे गए हैं। हां,एक बात उल्लेखनीय है कि बदलते परिवेश और बदलते युगधर्म में रणनीतियों का बदलना भी जीत के लिए जरूरी हो गया है। युद्ध जीतने के लिए ही लड़े जाते हैं,यह सदैव ध्यान में रखना चाहिए।
भयाक्रांत करने वाले कारक और कारण के मध्य ही वीरता और शौर्य का प्रदर्शन : श्री कृष्ण ने कहा भी था,यदि साध्य या लक्ष्य न्याय, धर्म और सत्य की स्थापना हो तो साधन की परवाह नहीं की जाती है। इसलिए भयाक्रांत करने वाले कारक और कारण के मध्य ही वीरता और शौर्य का प्रदर्शन होता है।
निजी जीवन से लेकर पारिवारिक जीवन और पारिवारिक जीवन से लेकर सामाजिक जीवन और सामाजिक जीवन से लेकर राष्ट्रीय जीवन और राष्ट्रीय जीवन से लेकर वैश्विक स्तर के जीवन व्यवस्था की अपनी सीमाएं और मर्यादाएं हैं जिसकी रक्षा करना सबका महत्वपूर्ण कर्म और कर्तव्य है।
हम किसी भी तरह के शंका,संशय,भय या खौफ आदि से तभी मुक्त रह सकते हैं जब हम किसी अस्वीकार्य के साथ स्वीकार्यता लेकर नहीं जी रहे हों नहीं चल रहे हों। कानून या नीति या विधान हमें इसलिए नहीं पालन करना चाहिए कि इससे हम सुरक्षित रहेंगे बल्कि इसलिए पालन करना चाहिए कि स्वयं सुरक्षित रहते हुए भविष्यगामी पीढ़ियों को भी सुरक्षित रख सकें और इसी की चिन्ता या चिन्तन हम सब में से अधिकांश नहीं करते हैं जिसकी परिणति अनेक नकारात्मक रुपों में हमारे सामने आती रहती हैं।
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स्तंभ संपादन : शक्ति. माधवी प्रीति तनु सर्वाधिकारी.
स्तंभ सज्जा : शक्ति. मंजिता सीमा अनुभूति.
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सम्पादकीय : त्रि शक्ति जागरण : साँवरे सलोनी गोरी : पद्य संग्रह : आलेख : पृष्ठ : २ / ३.
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संपादन
शक्ति रीता क्षमा प्रीति
*
कृष्ण है सर्वज्ञ है
*
प्रश्न है भला कृष्ण क्यों मेरे मन को भाते ?
कृष्ण है सर्वज्ञ है
गोपी संग राधा,रुक्मिणी, मीरा
की संवेदनाओं के एक मात्र ही मर्मज्ञ हैं.
आपात काल क्या जीवन भर
कभी अपने, धर्म , मित्र, सखा और प्रिय जनों का
साथ नहीं छोड़ते,
धर्म संस्थापना के लिए चरितार्थ
कहीं इसलिए तो नहीं कृष्ण मेरे मन को भाते ?
सोलह कलाओं से युक्त श्री लक्ष्मीनारायण
अर्जुन के दिव्य सारथी
सोना सज्जन साधु जन और कृतार्थ है भारती
राधिका कृष्णरुक्मिणी ( लक्ष्मी स्वरूपा )
रहते सदा सहायते
कहीं इसलिए तो नहीं कृष्ण मेरे मन को भाते ?
*
पृष्ठ सम्पादन सज्जा : शक्ति माधवी सीमा तनु
*
राधिकाकृष्णरुक्मिणी : आज का गीत : जीवन संगीत :भजन : पृष्ठ : ३.
संपादन : शक्ति जया श्रद्धा वाणी.
उत्तरकाशी डेस्क.
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मेरी सर्वकालिक पसंद
शक्ति. डॉ.सुनीता सीमा अनीता.
फिल्म : गीत गाता चल. १९७५ .
गाना : राधा का भी वो श्याम वो तो मीरा का भी श्याम
श्याम तेरी बंशी को बजने से काम
सितारे : सचिन.सारिका.
गीत : रविंद्र जैन. संगीत : रविंद्र जैन. गायिका : आरती मुखर्जी जसपाल सिंह.
गाना सुनने व देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं
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दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६.
दिन विशेष : आज का पंचांग : राशि फल : पृष्ठ : ६.
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⭐
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केदार दर्शन. नैनीताल प्रस्तुति.

केदार दर्शन. नैनीताल प्रस्तुति.

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दिन विशेष : आभार : आज का पंचांग राशि फल : पृष्ठ :६ .
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संपादन.
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शक्ति.अंजू मीना दया जोशी.
मुक्तेश्वर नैनीताल.
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दिन विशेष : शब्द चित्र : आज : पृष्ठ :६ / १
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संपादन.त्रिशक्ति
शक्ति.प्रिया सीमा तनु सर्वाधिकारी
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शक्ति रूपेण संस्थिता
की अनंत शिव ' शक्ति ' मंगल कामनाएं
*
महानवमी संकल्प
*
नव शक्ति, नव चेतना, नव उत्थान,
नव भक्ति, नव आराधना, नव कल्याण,
नव ज्योत्सना, नव कल्पना, नव निर्माण.
*
१७ सितम्बर. आश्विन : कृष्णपक्ष : एकादशी. तिथि
विश्वकर्मा पूजा
के उपलक्ष्य पर हम समस्त ' देव शक्ति ' मीडिया परिवार
की तरफ़ से अनंत शिव शक्ति मंगल कामनाएं
*१४ सितम्बर. आश्विन : कृष्णपक्ष : सप्तमी - अष्टमी . तिथि
*
जितिया व्रत के उपलक्ष्य पर मातृ पितृ शक्ति से उत्पन्न
समस्त संतानों यथा पुत्र पुत्रियों के स्वास्थ्य ,सुख , समृद्धि
की अनंत शिव शक्ति मंगल कामनाएं करते हमलोग ' देव शक्ति ' मीडिया परिवार
*
यशोदा का नंद लाला सब का दुलारा है
*
श्री हरि : लक्ष्मी नारायण
६ सितम्बर. भाद्र : शुक्लपक्ष : चतुर्दशी. अनंत चतुर्दशी को
*
' अनंत ', ' शक्ति ', ' शिव ' शुभकामनाएं
*
*
५ सितम्बर : शिक्षण दिवस
की ' अनंत ' ' शक्ति ' ' शिव ' शुभकामनाएं
*
मेरे जीवन की अभिलाषा :
माधव ही मेरे अनंत तक शिक्षक हो
*
कृष्ण : अर्जुन : जीवन : शिक्षण
*
मानव जीवन में ' क्रोध ' ही सर्वाधिक ' विनाश ' लाता है,पार्थ !
' विवेक ' हर लेने से इसके ' दुष्परिणाम ' व्यापक होते हैं
इसलिए ' क्रोध ' पर ' विजय ' पा लेने में
तत्क्षण ' पृथकता ' और ' मौन ' ही प्रभावी होते है..
*
शक्ति प्रिया @ डॉ सुनीता मधुप
*
केदार दर्शन.शक्ति दया जोशी नैनीताल प्रस्तुति.
विक्रम संवत : २०८२ शक संवत : १९४७.
१७ .०९ .२५.
आश्विन : कृष्णपक्ष : एकादशी -
दिन. बुधवार .
महा शक्ति दिवस. मूलांक: ८.
*
कुमाऊनी दैनिक पंचांग / का राशिफल देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दवाएं.
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![]() |
वायरएक्सिस प्राइवेट लिमिटेड : मार्केट रिसर्च सर्विसेज अक्रॉस वर्ल्ड : मुंबई : समर्थित. |
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : शक्ति : फोटो दीर्घा : पृष्ठ : ७.
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इस्कॉन डेस्क मुम्बई
संपादन
शक्ति प्रिया मीना सेजल
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राधिकाकृष्णरुक्मिणी : समसामयिकी. समाचार : दृश्यम पृष्ठ : ८.
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संपादन
शक्ति. माधवी सीमा तनु सर्वाधिकारी
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हरे कृष्णा हरे रामा : शॉर्ट रील : दृश्यम : खारगर : इस्कॉन : मुंबई शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मधुप
*
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समसामयिकी. समाचार : दृश्यम देखने के लिए नीचे दिए गए पृष्ठ : ८. में लिंक को दवाएं
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*
सम्पादकीय : शक्ति गद्य संग्रह आलेख : तारे जमीन पर : पृष्ठ :३.
*
शक्ति आलेख.
*
कवि लेखक : मुकेश ठाकुर
शक्ति : पल्लवी.
' हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तां हमारा '
*
सम्पादकीय : शक्ति पद्य संग्रह आलेख : आकाश दीप :पृष्ठ :४.
*
भाविकाएँ
*
लघु कविता.
मुकेश ठाकुर.कवि.
शक्ति पल्ल्वी
हर दिल की है धड़कन हिंदी
*
![]() |
शक्ति. आर्य. डॉ अजय कुमार जाह्नवी ऑइ केयर रिसर्च सेंटर बिहार शरीफ समर्थित * टाइम्स मीडिया समर्थित |
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शुभकामनायें : शब्द चित्र : दृश्यम : पृष्ठ : ८ / २ .
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द्वारिका डेस्क
*
शक्ति पर्व : नव रात्रि की
अनंत शिव शक्ति की मंगल शुभकामनायें
*
हिंदी दिवस की अनंत शिव
शक्ति मंगल शुभकामनायें
भाविकाएँ
*
तुम्हारे मान सम्मान की शक्ति
तुम्हारे मान सम्मान की शक्ति
भाल दिव्य पर सजी मैं तुम्हारी बिंदी हूँ
रच बस लूँ तेरे सुन्दर भावों में
तुम्हारे मन की भाषा मैं हिंदी हूँ
*
शक्ति* प्रिया डॉ सुनीता मधुप
शक्ति. सोना सज्जन साधु जन.
जन्म दिन : की अनंत शक्ति शिव शुभकामनाएं :
*
२.९ .२५.
शक्ति दिवस.
*
शक्ति. प्रीति सहाय.
पुणे
प्रधान शक्ति सम्पादिका
राधिका कृष्ण रुक्मिणी दर्शन
*
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आर्य. डॉ. दीनानाथ वर्मा: दृष्टि क्लिनिक : बिहार शरीफ. समर्थित. * संपादन शक्ति. डॉ.भावना रश्मि बीना जोशी नैनीताल डेस्क. * ------------- ये है गीता का ज्ञान : अनुभाग : पृष्ठ : ९ / १ . ------------- ⭐ संपादन. * शक्ति*सीमा.डॉ.राजेंद्र कुमार दुबे. शक्ति* डॉ.अनीता.प्रशांत. शक्ति*बीना.डॉ.नवीन जोशी. * नैनीताल डेस्क. * महाशक्ति मीडिया प्रस्तुति ये है गीता का ज्ञान. * अध्याय ४ , श्लोक ४० "अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति । नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः॥" * भावार्थ इस श्लोक का अर्थ है कि जो अज्ञानी, अविश्वासी श्रद्धा रहित और शंकाओं से भरा हुआ है, वह व्यक्ति नष्ट हो जाता है और ऐसे संशयी स्वभाव वाले के लिए न तो यह लोक है, न परलोक और न ही सुख है. |
*
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दृश्यम पृष्ठ : ९ / २.
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*
संपादन
शक्ति. डॉ.अनु रितु बीना जोशी
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आपने कहा : मुझे भी कुछ कहना है : पृष्ठ : ९ / ३ .
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संपादन
शक्ति.तनु माधवी प्रीति सहाय
*
*
सुनील प्रेम व्यास.
कवि,लेखक,दार्शनिक : लघु वृत्त चित्र निर्माता
मसूरी: मुंबई : महाराष्ट्र.
श्री कृष्ण से सवाल जवाब : दृश्यम.
दृश्यम देखने के नीचे दिए यूट्यूब लिंक को दवाएं
*
गीता में उपदेशित ' मा फलेषु ' वाला कर्म है
शिक्षक सभी धर्म से ऊॅंचा धर्म है
*
*
एक शिक्षक न केवल वह है जो पुस्तकों को पढ़ाता है,
बल्कि वह है जो जीवन को स्पर्श करता है,सपनों को आकार देता है,और हृदयों को प्रेरित करता है। इस शिक्षक दिवस पर, मैं हर उस शिक्षक को नमन करता हूँ जो मेरी इस जीवन यात्रा में एक मार्गदर्शक और प्रकाश बनकर मेरे जीवन पथ को सदा आलोकित करते रहे हैं । शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
*
शक्ति.पल्लवी.मुकेश.
*
प्रथम मीडिया शक्ति प्रस्तुति
*
समय , समझ और बोलना.
*
जिसे ' समय ' , ' परिस्थिति ' , ' स्थान ' ' संयम ' तथा व्यक्ति ' विशेष ' के साथ
' समझदारी ' से बोलना आ गया ,समझो उसे जीना आ गया
*
शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मधुप
*
जो विनीत है विद्याशील है उसे गिरने का क्या भय.
झुकने का अर्थ ये कभी नहीं होता कि
आपने सम्मान खो दिया है , हर कीमती वस्तु को
उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं
*
शक्ति प्रिया डॉ. सुनीता मधुप.
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आभार : पृष्ठ : ९ / ३
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*
आर्य संरक्षण शक्ति
*
संपादन.
डॉ.अनीता सीमा अंशिमा सिंह .
*
आर्य संरक्षण शक्ति
*
माननीय. चिरंजीव नाथ सिन्हा.वर्तमान.भा.पु.से.
माननीय.विकास वैभव.वर्तमान.भा.पु.से.
माननीय.मुकेश कुमार. वर्तमान.भा.पु.से.
माननीय. सत्य प्रकाश मिश्रा वर्तमान.भा.पु.से.
*
आर्य सम्पादकीय संरक्षण शक्ति :
*
माननीय.डॉ.आर. के. दुबे.
लेखक.कवि.गीतकार.
माननीय.सतीश कुमार सिन्हा.
कर्नल.सेवा निवृत.
माननीय.आलोक सहाय.
विंगकमांडर.सेवा निवृत.
माननीय.आलोक कुमार.
कारगिल योद्धा.लेफ्टिनेट कर्नल.सेवा निवृत.
*
विशेष : संरक्षण : आभार : पृष्ठ :
माननीय.अंजनी शरण.न्यायमूर्ति.सेवा निवृत.उच्च न्यायलय.पटना.
माननीय.दिवेश.जिला सत्र न्यायधीश.वर्तमान.
माननीय.विशाल कुमार.सिविल जज.वर्तमान.
*
विशेष : संरक्षण : आभार : पृष्ठ :
*
माननीय. दीपक रावत. कमिश्नर.उत्तराखंड.वर्तमान
शक्ति. वंदना सिंह.जिलाधिकारी.नैनीताल.वर्तमान
माननीय.प्रमोद कुमार.एस डी एम.नैनीताल.वर्तमान
माननीय.ज्योति शंकर. उप पुलिस अधीक्षक.साइबर क्राइम.वर्तमान
माननीय.पंकज भट्ट.भा.पु.से.उत्तराखंड.
*
English Section.
*
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Times Media Powered.
Shree Laxami Narayan Desk
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* Shakti Dr.Ratnika. Lucknow.Dermatologist Skin Specialist.Lucknow.Supporting * Contents English Editorial Section : Cover Contents Page 1 Shakti Editorial. English Page : 2 Shakti Editorial. Prose : English Page : 3 Shakti Editorial. P0em : English Page : 4 Shakti Vibes : .Page : 5 Radhika : Krishna : Rukmini : Photo Gallery.Page : 6 Visuals News : News : Editorial Page : 7 Shakti Art Gallery : Radhika : Krishna : Rukmini : English : Page 8. You Said it : page : 9 * |
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Shakti.Pooja.Arya.Dr.Rajeev Ranjan.Child Specialist.Biharsharif.supporting
* Editorial Section : English Page 1 Radhika : Krishna : Rukmini : Darshan : * Shakti Chief Editor. * * Shakti. Nushka. Krishna Devotee.UK. Shakti. Archana. TOI Writer.Shimla.India. Shakti.Nicky.Australia. * Executive Editor.* Shakti. Priya Madhavee Seema * Guest Editor. Shakti Dr.Anu Garima Baishakhi * Art Editor Shakti Manjita Swati Tanu Sarvadhikari. * -------- Shakti Editorial : English : Page 3 ---------- Editor. Shakti Manjita Seema Priya Tanu Sarvadhikari.
* Shakti Radhika Meera Rukmini : Shakti : Editorial : 3/0 * Radhika Krishna Rukmini * Sada Sahayate Shakti Write Up : Shakti Priya Dr Sunita Madhup. Radhika Krishna Rukmini Sada Sahayate ' means ' Radhika Krishna and Rukmini are always helpful for their followers. Or ' Radhika Krishna and Rukmini are always with us literally it means in English. The phrase is a Sanskrit mantra that expresses devotion and reliance on the divine presence of the three combinedly known Lord Krishna Radha (also known as Radhika) and his consort Rukmini. Really they seek their eternal guidance and support for those that have belief in the united divine power. Here's a breakdown of the phrase which we understand and analyse. Radhika : A name for Radha, the most beloved one considered the chief consort of Krishna and she as Hindu goddess symbolically stands for eternal love, compassion, and devotion. She is assumed to be one with Madhav. Krishna : A major deity in Hinduism, revered as an incarnation of God Vishnu. Rukmini : Rukmini is a Hindu goddess and the first Consort of Krishna. She is described as the chief of Krishna's wives in Dwarika. Rukmini is revered as the avatar of Goddess Laxami. Unitedly with Krishna they are protectors of the goddesses. Sada : Means "always" or "forever". They always remain with their devotees Sahayate: Means ' help ', ' assistance ',or ' support' for their beloved ones. Decorative : Column Editing : Dr.Anu Seema Tanu Sarvadhikari Banglore Desk. * Write up : Krishna Teacher's day :Shakti : Editorial : 3/1
Let Krishna be My Teacher : a Friend Philosopher and Guide for me : I live Krishna. I love Krishna. I follow Krishna. He is the divine iconic face that I assume him my teacher. Really Krishna should be my Teacher : a Friend Philosopher and Guide for me. He is worshipped as the eighth avatar of Vishnu and also as the Supreme God in his own right. He is the god of protection, compassion, protection ,tenderness, and love. I love him as He loves his loved ones. I cannot quit them as He never quits his friends in problems. Remember, every one knows how does he save Sudama, Krishne ( Draupadi ) and Arjuna in troubles. I remember he serves as the ultimate preacher and teacher through the Bhagavad Gita, where he imparts wisdom to Arjuna on the battlefield of Kurukshetra, emphasizing dharma, karma, and devotion. His teachings provide universal lessons on living a righteous life, performing duties without attachment to results, understanding the unity of all creation, and achieving spiritual fulfillment. Key aspects of his teaching include self-awareness, emotional regulation through detachment, selfless service, and aligning one's life with divine will. In India, Teacher's Day is celebrated on September 5th, marking the birth anniversary of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan, a renowned philosopher, statesman, and former President of India.... With all enthusiasm the entire teaching community and faculty celebrates teacher's day throughout the world specially in India. Teacher is always respected everywhere.
Teacher's Day ! Really we need a teacher in our life . And 5th of September is a very special day to remember, appreciate and honor the hard work and dedication of teachers that shaped the valuable future. I have a respect for those including my teacher students,kids and above all divine powers that guide me in a very different way. Like others we remain also very grateful to the persons who have made a significant impact differently on my life. I decided to do something anew.Your teaching has helped me grow and learn in ways I never thought possible in my life. I come here with some ideas for Teacher's Day wishes that remain in our mind. My beloved power, Teacher, my mentor Shakti : First of all I wish a very Happy Teacher's Day to all the amazing educators linked with me and us out there ! their patience, guidance, and support make a huge difference in students' lives." I always assume that my teacher should be alike Shree Krishna that always protect the good ones in our life.He removes the darkness lying in the mind sets of like Arjuna. Once upon a time ,it was around 1989 I was trying to achieve something a new in my life. I remember my beloved power, teacher, and my mentor that insists me to be the unique, exclusive in my life .I kept striving in my life,and still it continues .I become a free lance cartoonist,writer and a blogger due to her proper guidelines. I used to very happy while sharing my published cartoons to my mentor power. What I do that Shaktis Decide : We are really remain thankful to you all for being an inspiration and a role model in our life.You're not only just a teacher, you're indeed a mentor and a friend for me forever in my life that keeps guiding me on and on.
Corona, Care and Digital Research : They feel free to modify us to fit our personal style and relationship with others.
Your teacher may be your student . Learning may be coming from all sides.I remember when entire community was at stake of Corona,We teachers with our students were seeking the ways. We were being digital for our survival . Then my students namely Abhishek, and Tejasvee suggested me to be a Vlogger and Blogger. I followed their path now what I am you all are observing. * Courtesy Photos : Shakti Anshima.Shakti Pallavi Mukesh.Shakti Jaya Manoj Column Editor: Shakti Madhavee. Shahina. Tanu Sarvadhikari. Decorative : Shakti.Manjita Seema Farheen. |
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Shakti Meera Radha Rukmini : Vives : English : Page. 5
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Editor.
Shakti Dr.Anu Priya Seema.
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It plays your love, words ,emotions,and care with a message that I am here for you till eternity
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Life , Love & Illusion.
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Eternal Love can be like a mirage, shimmering in the distance, luring you with its seductive illusion. But when you finally reach it, you realize it was just a mirage all along, leaving you stranded and alone.
strong
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Smiles Sufferings & Humanity.
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Have a little bit responsibility to bring Smiles
on the faces of Sufferings
Humanity.
@ Dr. Anu Madhvee Sunita
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A& M Media Supporting
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| Divine Prediction : Jyotishacharya Ashwani : Patna : Powered |
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Radhika : Krishna : Rukmini : Photo Gallery.Page : 6
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Shakti Priya Dr.Anu Sunita.
Darjeeling Desk.
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| Chanting Hare Rama Hare Krishna overcoming our distresses.Shakti Priya Dr.Sunita |
![]() |
| a visit of ISKCON Temple : Meera Road : Mumbai Click : Shakti Sejal : Mumbai. |
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Visuals News : News : Editorial Page : 7
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Editor.
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News : Our Cultural Heritage : Shakti Durga Pooja Celebration
Patna / CR Durga Puja, also known as Durgotsava or Sharadotsava, is a major Hindu festival honouring the goddess Shakti Durga and commemorating her victory over Mahishasura. In 2021, 'Durga Puja in Kolkata' was inscribed on UNESCO's Representative List of the Intangible Cultural Heritage of Humanity.
As Bihar Odisha remain under the influence of Bengal that is why Shardiye Navratri is celebrated throughout Bihar with great enthusiasm.
News / Shakti Dr.Sunita Madhavee Seema
Photo : Shakti Priya Dr.Sunita Madhup.
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You Said it : Hindi : English : Page : 9
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Editor.
Dr. Anu Ranjana Seema.






























































































' ॐ श्री गणेशाय नमः '
ReplyDeleteA nice beginning always completes the half work... really
ReplyDeleteKeep going on
It's a nice article
ReplyDeleteIt's a very nice philosophical page of Radhika ,Krishna and Rukmini darshan. Everyone should visit this link daily 🙏
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